Earth Planet Facts : पृथ्वी के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य

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Moon Facts

Interesting Facts about Earth

पूरे सौरमंडल (Solar System) में हमारी पृथ्वी (Earth) ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन है. सौरमंडल में हमारी पृथ्वी एकमात्र ऐसा ग्रह है जिसके पास बड़ी मात्रा में तरल पानी है. प्रचुर मात्रा में जल की मौजूदगी के कारण इसी नीला ग्रह भी कहा जाता है.

सूर्य से दूरी के आधार पर हमारी पृथ्वी सौरमंडल में तीसरे स्थान पर है, जबकि आकार के आधार पर सभी ग्रहों में यह पांचवे स्थान पर है. पृथ्वी सूर्य के सबसे निकट के चार ग्रहों में से सबसे बड़ा ग्रह है. ये चारों ग्रह चट्टान और धातु से बने हुए हैं. चंद्रमा (Moon) पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 बिलियन वर्ष है.

हमारी पृथ्वी गोलाकार है-

हमारी पृथ्वी गोल है, इसका पता आधुनिक वैज्ञानिकों को लगभग 2,000 साल पहले लगा. आर्यभट्ट, वराहमिहिर, अरस्तु, पाइथागोरस, कॉपरनिकस ने पृथ्वी का आकार गोल ही बताया है. हालांकि, इससे पहले के लिखे गए सभी भारतीय प्राचीन ग्रंथों में पृथ्वी का आकार गोलाकार ही बताया गया है. लेकिन हमारी पृथ्वी पूरी तरह से गोल नहीं है.

हमारी पृथ्वी भूमध्य रेखा (Equator) पर थोड़ी उभरी हुई है और ध्रुवों पर कुछ चपटी है. पृथ्वी के भूमध्यरेखीय व्यास और ध्रुवीय व्यास के बीच में 44 किलोमीटर से कुछ कम का अंतर है. पृथ्वी का भूमध्यरेखीय व्यास लगभग 12,756 किलोमीटर है, जबकि इसका ध्रुवीय व्यास लगभग 12,712 किलोमीटर है.

earth axis tilt seasons

ऐसा पृथ्वी के अपने अक्ष पर घूर्णन (अपनी धुरी पर घूमने के कारण) से उत्पन्न अपकेंद्रीय बल (Centrifugal Force) के कारण होता है. यह अंतर न के बराबर है, इसलिए अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से पृथ्वी का आकार गोलाकार ही माना जाता है.

पृथ्वी गोलाकार ही है, इसे अनेक प्रकार से सिद्ध किया जा सकता है, जैसे सूर्य और सौरमंडल के अन्य सभी ग्रहों का आकार भी गोल है. अगर पृथ्वी समतल होती तो पृथ्वी पर सभी स्थानों पर सूर्योदय और सूर्यास्त वास्तव में एक समय में ही होना चाहिए था. हालांकि, अब जब अंतरिक्ष से पृथ्वी की तस्वीरें ली जा चुकी हैं, तो अब पृथ्वी को गोलाकार सिद्ध करने के और किसी प्रमाण की जरूरत नहीं रह जाती है.

Earth’s Mean Radius- 6371.0 km
Equatorial Radius- 6378.1 km
Polar Radius- 6356.8 km

गोल्डीलॉक्स जोन क्या है (What is Goldilocks Zone)- यह तारों के आसपास का एक ऐसा रहने योग्य क्षेत्र है, जहां परिक्रमा करने वाले ग्रहों में पृथ्वी की तरह जल के तरल अवस्था में पाए जाने की संभावना है. यह स्थान न तो ज्यादा गर्म है और न ही ज्यादा ठंडा.

सौरमंडल में पृथ्वी की स्थिति
(Earth’s position in the solar system)

पृथ्वी एक स्थलीय ग्रह है. यह एक छोटा और चट्टानी ग्रह है. शुक्र और मंगल पृथ्वी के पड़ोसी ग्रह हैं. शुक्र ग्रह को पृथ्वी की जुड़वा बहन (Earth Twin Planet) कहा जाता है. पृथ्वी हमारे सौरमंडल में एक विशेष स्थान रखती है, क्योंकि यहां जीवन भी मौजूद है. सौरमंडल में पृथ्वी की स्थिति ही इसे जीवन के अनुकूल बनाती है, जैसे-

सौरमंडल में पृथ्वी का सूर्य और चंद्रमा के साथ एक विशेष संबंध है. पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है और चंद्रमा पृथ्वी की. पृथ्वी अपनी धुरी पर भी घूमती है. पृथ्वी की इन गतियों के कारण दिन-रात, मौसम परिवर्तन, ज्वार, ग्रहण आदि घटनाएं होती हैं.

earth and mars size comparison (Diameter)

पृथ्वी शुक्र और मंगल ग्रह की कक्षाओं के बीच स्थित है. पृथ्वी की सूर्य से औसत दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर (93 मिलियन मील) है. सूर्य से पृथ्वी की इतनी दूरी पृथ्वी को एक आदर्श स्थिति प्रदान करती है. इतनी दूरी पर पृथ्वी शुक्र के समान न तो ज्यादा गर्म है और न ही मंगल और अन्य बाहरी ग्रहों के समान ठंडी.

पृथ्वी का सूर्य के सामने रहने वाले भाग का औसत तापमान लगभग 17 डिग्री सेल्सियस रहता है. अगर सूर्यातप में 10% तक की वृद्धि या कमी हो जाए, तो पृथ्वी का एक बहुत बड़ा भाग जैविक घटकों के लिए अनुपयुक्त हो जाएगा.

पृथ्वी हर 24 घंटे या एक दिन में एक बार अपनी धुरी पर एक पूर्ण चक्कर लगाती है.पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना यानी घूर्णन करना दिन और रात के बीच अधिकतम तापमान को सहनीय सीमा के अंदर बनाए रखने में मदद करता है.

earth axial-tilt

महासागरों, समुद्रों, खाड़ियों, नदियों, झीलों आदि में जल की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता हमारी पृथ्वी की एक अनूठी विशेषता है. जल पृथ्वी के कुल क्षेत्र के लगभग 71% भाग पर मौजूद है. जल-चक्र (Water cycle) पृथ्वी पर जल के निरंतर प्रवाह (Continuous Flow) को बनाए रखता है.

पृथ्वी का वायुमंडल 78 प्रतिशत नाइट्रोजन, 21 प्रतिशत ऑक्सीजन और 1 प्रतिशत अन्य अवयवों से बना है, जो कि सांस लेने और जीने के लिए सही संतुलन है. पृथ्वी का वायुमंडल पृथ्वी की तरफ आने वाले उल्कापिंडों से बचाता है, जिनमें से ज्यादातर पृथ्वी की सतह से टकराने से पहले ही हमारे वायुमंडल में टूट जाते हैं.

हमारी पृथ्वी का वायुमंडल पृथ्वी के लिए एक कवच का कार्य करता है, जो सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी (अल्ट्रावायलेट) किरणों से हमारी रक्षा करता है. वायुमंडल में ऑक्सीजन की मौजूदगी ने पृथ्वी पर जीवन को संभव बनाया है. हमारा वायुमंडल पृथ्वी की सतह से पार्थिव विकिरण को अवशोषित कर लेता है और इस तरह पृथ्वी को रात के समय और सर्दी के दौरान अपेक्षाकृत गर्म बनाए रखता है.

पृथ्वी पर एक दिन 24 घंटे से थोड़ा कम रहता है. पृथ्वी हर 365 दिन या एक साल में एक बार सूर्य की परिक्रमा करती है. पृथ्वी पर एक वर्ष 365.25 दिनों का होता है. उस 0.25 अतिरिक्त का मतलब है कि हर चार साल में हमें अपने कैलेंडर में एक दिन जोड़ना होगा. इसे हम लीप डे (लीप ईयर में) कहते हैं.

पृथ्वी की कक्षा (परिक्रमा पथ) का आकार पूर्ण वृत्त (Perfect Circle) नहीं है. यानी पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा एक अंडाकार पथ में करती है, जिसके कारण वर्ष के दौरान पृथ्वी की सूर्य से दूरी बदलती रहती है और इससे पृथ्वी पर मौसम भी बनते रहते हैं.

पृथ्वी सूर्य के सबसे करीब है जनवरी महीने में होती है और तब यह सूर्य से लगभग 91 मिलियन मील दूर होती है. वहीं, पृथ्वी सूर्य से सबसे दूर जुलाई महीने में होती है और तब यह सूर्य से लगभग 95 मिलियन मील दूरी पर होती है.

ozone layer of earth atmosphere

भूमध्य रेखा (Equator) एक काल्पनिक वृत्त रेखा है जो पृथ्वी को दो भागों में विभाजित करती है- उत्तरी गोलार्ध और दक्षिणी गोलार्ध. पृथ्वी पर सबसे उत्तरी बिंदु को उत्तरी ध्रुव (North Pole) और सबसे दक्षिणी बिंदु को दक्षिणी ध्रुव (South Pole) कहा जाता है. केंद्र के माध्यम से उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव तक खींची गई पृथ्वी की धुरी या अक्ष रेखा भी एक काल्पनिक रेखा है.

पृथ्वी की गतियां और प्रभाव-

पृथ्वी के अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व की दिशा में घूमने को पृथ्वी का घूर्णन या परिभ्रमण (Rotation of the Earth) कहते हैं. इसके कारण दिन और रात होते हैं, इसलिए पृथ्वी की इस गति को ‘दैनिक गति’ (Daily Motion) भी कहते हैं.

सूर्योदय और दिन के उजाले के बीच की छोटी अवधि को ‘ऊषाकाल’ और सूर्यास्त और पूर्ण अंधेरे के बीच की अवधि को ‘गोधूलि’ कहा जाता है.

एक समय पर पृथ्वी का केवल एक ही भाग सूर्य की किरणों के सामने होता है और तब वहां दिन होता है. दूसरा भाग जो सूर्य की किरणों से दूर होता है, अंधेरे में होता है. पृथ्वी पश्चिम से पूरब की तरफ घूमती है. पृथ्वी की सतह का प्रत्येक भाग कभी न कभी सूर्य के प्रकाश में आ जाता है.

अगर पृथ्वी अपनी धुरी पर झुकी हुई न होती तो सब जगह दिन और रात बराबर होते. इसी तरह, अगर पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा न करती, तो एक गोलार्ध में दिन हमेशा बड़े और रातें हमेशा छोटे होतीं, जबकि दूसरे गोलार्ध में रातें बड़ी और दिन छोटे होते.

भूमध्य रेखीय भाग (Equatorial Part) को छोड़कर दुनिया के सभी हिस्सों में अलग-अलग मौसमों में दिन-रात की लंबाई में अंतर पाया जाता है. भूमध्य रेखा पर दिन-रात बराबर होते हैं, क्योंकि इस पर सूर्य की किरणें साल भर बराबर पड़ती हैं.

वैज्ञानिक पृथ्वी का अध्ययन क्यों और कैसे करते हैं?

किसी ग्रह में समय के साथ कैसे बदलाव आते हैं, इसके बारे में जानने के लिए वैज्ञानिक पृथ्वी का अध्ययन करते हैं. पृथ्वी के भाग जैसे- भूमि, वायु, जल और जीवन – हमेशा बदलते रहते हैं. कुछ परिवर्तन प्राकृतिक होते हैं और कुछ मनुष्य के कारण होते हैं. वैज्ञानिक यह समझना चाहते हैं कि अतीत में पृथ्वी कैसे बदली है और अब कैसे बदल रही है. यह जानकारी उन्हें यह अनुमान लगाने में मदद करती है कि भविष्य में पृथ्वी कैसे बदल सकती है.

जानिए- सामान्य ज्ञान और रोचक तथ्य


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About Sonam Agarwal 238 Articles
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