क्या होते हैं रत्न, क्या है इनकी उपयोगिता और महत्व, कैसे हुआ जन्म और क्या हैं इनके गुण

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Gemstones

Gemstones in Hindi

रत्न (Gemstones) प्रकृति की तरफ से दिए गए अमूल्य उपहार हैं. किसी भी व्यक्ति के जीवन में रत्नों का विशेष महत्व है. प्राचीन समय से लेकर आज तक इंसान में रत्नों के प्रति दीवानगी कम नहीं हुई है, बल्कि बढ़ती ही गई है. हीरा, नीलम, पुखराज, मोती, माणिक्य और पन्ना की चमक ने हमेशा से ही इंसान को अपने मोहपाश में बांधकर रखा है. केवल इनसे बने आभूषणों से अपनी सुंदरता बढ़ाने के लिए ही नहीं, बल्कि अपने जीवन की कई समस्याओं को दूर करने के लिए भी रत्नों का इस्तेमाल हमेशा से होता चला आ रहा है. पहले के राजा-महाराजा अपने वस्त्र हों या मुकुट, सिंहासन हो या महल की सजावट, सभी में अलग-अलग रत्नों का भरपूर इस्तेमाल करते थे.

पहले भी रत्नों को पूरे विधि-विधान से धारण किया जाता था और आज भी इस नियम का अच्छे से पालन करने की कोशिश की जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि रत्न केवल शरीर की सुंदरता को ही नहीं बढ़ाते, बल्कि कई तरह की समस्याओं से भी छुटकारा दिलाते हैं. वहीं, अगर रत्नों का चुनाव गलत हो, या उसके धारण करने में नियम का पालन न किया जाए तो वे विपरीत प्रभाव भी छोड़ सकते हैं.

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, रत्नों में इतनी शक्ति होती है कि वे किसी भी व्यक्ति के भाग्य को आसमान तक पहुंचा सकते हैं तो किसी की किस्मत को आसमान से जमीन पर भी उतार सकते हैं. इसीलिए रत्नों को पूरी तरह जांच-पड़ताल करवा के ही धारण करने की सलाह दी जाती है. रत्नों को धारण करते समय अपनी ग्रह दशा, अपने मन की दशा, सही समय और सही मात्रा, सभी का पूरा ध्यान रखा जाता है.

रत्नों के गुण

जैसे सूर्य में अपना प्रकाश होता है, उसी तरह असली रत्नों में भी अपनी खुद की चमक होती है. चाहे मौसम में बदलाव आ जाए या प्रकृति में उथल-पुथल मच जाए, लेकिन रत्नों के गुण और उनकी चमक प्रभावित नहीं होती. रत्न कुछ और नहीं, बल्कि कठोर, रंगीन और चमकीले पत्थर होते हैं, लेकिन वे सामान्य पत्थरों से अलग होते हैं.

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रत्नों में किसी भी एनर्जी को अपनी तरफ खींचने और उसे बाहर निकालने की शक्ति होती है… इसी से वे किसी भी वस्तु के गुण या किसी भी व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर सकते हैं. रत्न रंगीन भी हो सकते हैं और रंगहीन भी. पारदर्शी भी हो सकते हैं और अपारदर्शी भी. रत्न बेहद दुर्लभ होते हैं, यानी ये पृथ्वी पर कम मात्रा में ही उपलब्ध हैं और इसीलिए उनकी कीमत भी बहुत ज्यादा होती है.

Diamond

रत्नों की उपयोगिता और उनका महत्व

व्यक्ति के जीवन और शरीर पर रत्नों का क्या असर पड़ता है, इसे लेकर कई वैज्ञानिक शोध भी हो चुके हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, रत्नों में ग्रहों की किरणों, रंगों और चुंबकत्व की शक्ति होती है. इनमें अपने से संबंधित ग्रहों की शक्ति या एनर्जी को खींचने या व्यक्ति की नकारात्मक शक्ति को बाहर करने की क्षमता होती है.

जैसे- अगर किसी व्यक्ति का कोई ग्रह कमजोर है तो उस ग्रह को मजबूत करने के लिए उसे उसी ग्रह से जुड़ा रत्न पहनाया जाता है. इससे वह रत्न उस ग्रह की शक्ति या एनर्जी को उस व्यक्ति तक पहुंचाने का काम करता है. इससे जीवन की कई समस्याओं का निवारण तो होता ही है, साथ ही स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी दूर होती हैं.

दवाइयां बनाने में भी होता है रत्नों का इस्तेमाल

अलग-अलग रंगों के रत्नों के इस्तेमाल से व्यक्ति की मानसिक हालत में काफी बदलाव आ सकते हैं. जैसे माणिक्य (Ruby) पहनने से व्यक्ति के मन से बुरे विचार दूर होते हैं, वहीं मोती (Pearl) धारण करने से गुस्सा कम होता है और एकाग्रता बढ़ती है. इस तरह व्यक्ति के मन और कार्यों पर रत्नों का बहुत असर पड़ता है. अगर मन सही दिशा में लगता है और काम करने की क्षमता बढ़ जाती है, तो सफलता मिलते देर नहीं लगती.

इन सबके आलावा, रत्नों में अलग-अलग तरह के जरूरी और रासायनिक तत्व पाए जाते हैं, इसलिए इनका इस्तेमाल कई तरह की दवाइयों को बनाने में भी किया जाता है. जैसे- मोती का इस्तेमाल कॉस्मेटिक्स, च्यवनप्राश, भस्म, और टॉनिक बनाने में किया जाता है. मोती के भस्म का सेवन करने से पथरी की बीमारी में आराम मिलता है, साथ ही यह शरीर की ताकत को भी बढ़ाता है.

रत्न कब और कैसे बनते हैं?

रत्नों की उत्पत्ति कब, कहां और कैसे हुई, इसके बारे में दो तरह की मान्यताएं या इतिहास बताए गए हैं. पौराणिक इतिहास में रत्नों के जन्म को लेकर अलग-अलग धारणाएं और जानकारी मिलती है. ज्योतिष के प्रमुख ग्रंथ ‘वृहतसंहिता’ में आचार्य वराहमिहिर ने रत्नों के बारे में जानकारी दी है. उनके अनुसार, कुछ रत्नों की उत्पत्ति दैत्यराज बलि की अस्थियों से और कुछ रत्नों की उत्पत्ति महर्षि दधीचि की अस्थियों से हुई है. ऐसा माना जाता है कि 21 रत्नों के जन्म का मूल आधार राजा बलि का शरीर ही है.

कई सालों तक आग में तपकर बनते हैं रत्न

वहीं, आधुनिक मान्यता के अनुसार, पृथ्वी के केंद्र में सूर्य के बराबर ही ताप और गर्मी है. यहीं अलग-अलग रासायनिक प्रक्रिया द्वारा रत्न बनते हैं. जैसे- कहा जाता है कि धरती के नीचे का कोयला धरती के ही नीचे कई सालों तक प्रचंड आग में तपकर हीरा बन जाता है. रत्न पत्थर ही होते हैं, इसलिए ये पुरानी और कठोर चट्टानों में मिलते हैं. रत्न विशेष रूप से पर्वतीय प्रदेशों में पाए जाते हैं.

कभी-कभी तेज बारिश या पानी के तेज बहाव से पत्थर टूटकर नदी नालों में चले जाते हैं. नदियां समुद्र में मिलती हैं और समुद्र को रत्नों की खान कहा जाता है. लेकिन सभी रत्न इसी तरह नहीं बनते. रत्नों का निर्माण अलग-अलग रासायनिक प्रक्रियाओं से होता है. जैसे- मोती (Pearl) तो समुद्र के भीतर सीपों के अंदर बनते हैं, वहीं मूंगा (Coral) लाखों-करोड़ों समुद्री जीवों का घर होता है.

Gemstones

रत्न केवल एक रासायनिक तत्व से नहीं, बल्कि अलग-अलग रासायनिक तत्वों के मिलने से बनते हैं. अलग-अलग स्थानों के अलग-अलग प्रभाव से रत्नों के रंग, रूप, उनकी कठोरता और चमक में अंतर आ जाता है. रत्न मुख्य रूप से कार्बन, कैल्शियम, तांबा, फॉस्फोरस, लोहा, हाइड्रोजन, मैंगनीज, गंधक, पोटेशियम, बेरियम, एल्युमिनियम, सोडियम, जस्ता, टिन आदि से मिलकर बने होते हैं.

रत्नों के नाम

वैसे तो भारत के प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, अब तक 84 रत्नों की पहचान की गई है, लेकिन रत्नों की संख्या इससे भी कहीं ज्यादा है. फिलहाल मुख्य 84 रत्नों के नाम इस प्रकार है-

हीरा, माणिक्य, नीलम, पन्ना, पुखराज, मोती, मूंगा, गोमेद, लहसुनिया, पारस, फिरोजा, स्फटिक, लालड़ी, एमनी, जबरजदद, ओपल, तुरमली, नरम, सींगली, लुधिआ, मरियम, मकनातीस, सिंदूरिया, नीली, धुनेला, बैरूंज, मरगज, सुनैला, कटैला, संगसितारा, सफेद बिल्लोर, गोदंती, तामड़ा, संगबसरी, दांतला, मकड़ा, खारा, डेड़ी, गौरी, गुदड़ी, कामला, सिफरी, हरीद, हवास, सिवार, तुरसावा, अहवा, पित्तोनिया, हकीक, हालन, सीजरी, संगीया, झना, सीया, सीमाक, मूसा, पनघन, अम्लीय, डूर, लिलियर, मुबेनज्फ, कहरुवा, बांसी, दुरवेजफ, सुलेमानी, आलेमानी, जजेमानी, आबरी, लाजवर्त, कुदरत, चिट्टी, संगसन, लारू, मारवार, दाने-फिरंग, कसौटी, दारचना, पाराजहर, सेलखड़ी, जहर मोहरा, रवात, सोना माखी, हजरते ऊद, सुरमा.

इनमें से 9 रत्न– हीरा, माणिक्य, नीलम, पन्ना, पुखराज, मोती, मूंगा, गोमेद और लहसुनिया मुख्य हैं.

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LLB (Bachelor of Law). Work experience in Mahendra Institute and National News Channel (TV9 Bharatvarsh and Network18). Interested in Research. Contact- sonagarwal00003@gmail.com

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