Diamond Facts : प्रकृति की महान रचना, हीरा क्यों हैं इतना विशेष और महत्वपूर्ण

diamond facts science, why does diamond shine how is diamond made

Diamond Facts Science

हीरा (Diamond) प्रकृति की महान सौंदर्य रचनाओं में से एक है. आभूषण उद्योग में हीरा सबसे महत्वपूर्ण रत्न है. इसे रत्नों का सम्राट भी कहा जाता है. माना जाता है कि ये पृथ्वी पर पाई जाने वाली सबसे पुरानी उपलब्ध सामग्रियों में से एक हैं, जिनमें से कुछ की आयु 3.5 अरब वर्ष है. ये पृथ्वी की अत्यधिक गहराई और अत्यधिक दबाव में क्रिस्टलीकृत (Crystallize) हो जाते हैं. कोयले के बदसूरत टुकड़े और खूबसूरत हीरे के बीच एकमात्र अंतर दबाव और गर्मी का है. यह खूबसूरत हीरा अपने अंतिम रूप में जैसा दिखता है, वैसा इसका प्रारम्भ नहीं है.

हीरा सबसे प्रसिद्ध और सबसे अधिक मांग वाले रत्नों में से एक है. प्राचीन काल से ही हीरे का प्रयोग सजावटी वस्तुओं के रूप में किया जाता रहा है. हीरा कार्बन का सबसे शुद्ध रूप है और यह प्रकृति का अब तक ज्ञात सबसे कठोर पदार्थ है. इसकी कठोरता 10 Mohs है, इसलिए हीरे को केवल हीरे से ही काटा जा सकता है. बेहद खूबसूरत और चमकदार होने की वजह से आभूषणों को बनाने में सबसे अधिक इस्तेमाल हीरे का ही होता है.

हीरे की दुर्लभता, कठोरता और उसके प्रकाश का उच्च फैलाव, जो हीरे को एक विशेष ही चमक प्रदान करता है, इसे औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए उपयोगी और आभूषण के रूप में वांछनीय बनाता है. सफेद प्रकाश का वर्णक्रमीय रंगों में फैलाव हीरे की प्राथमिक रत्नवैज्ञानिक विशेषता है. आज हीरे का सबसे परिचित उपयोग आभूषणों के रूप में किया जाता है. अन्य उपयोगों के अतिरिक्त, इसका उपयोग खनन उद्योग में सख्त चट्टानों को काटने वाली मशीनों में किया जाता है.

हीरे की सुंदरता का निर्धारण करने में हीरे की कटाई की गुणवत्ता को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. जिस कौशल से हीरे को काटा जाता है वह प्रकाश को परावर्तित और अपवर्तित करने की उसकी क्षमता निर्धारित करता है. एक कच्चे हीरे को तराशकर एक चमकदार रत्न में आकार देने की प्रक्रिया कला और विज्ञान दोनों ही है. बिना तराशे हीरों में चमक नहीं होती. लेकिन वही पत्थर काटने पर अत्यधिक चमक दिखाते हैं. हीरे को काटने का प्राथमिक उद्देश्य पत्थर की चमक को बाहर लाना ही है.

Diamond

भारत में हीरा (Diamond in India)

अपनी तेज चमक, पारदर्शता, तथा रोधकता जैसे अद्वितीय गुणों के कारण हीरा सदा से ही बहुमूल्य वस्तु बना रहा है. प्रतिवर्ष लगभग 26,000 किलोग्राम हीरे का खनन किया जाता है. लगभग 49 प्रतिशत हीरों का खनन मध्य और दक्षिणी अफ्रीका से किया जाता है, हालांकि महत्वपूर्ण स्रोत भारत, कनाडा, रूस, ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया में खोजे गए हैं. भारत प्राचीन काल से ही हीरों का बहुत बड़ा उत्पादक रहा है. ऐसा माना जाता है कि हीरे को सबसे पहले भारत में पहचाना गया और खनन किया गया था. यहाँ सदियों पहले पेन्नार, कृष्णा और गोदावरी नदियों के किनारे पत्थर के महत्वपूर्ण जलोढ़ भंडार पाए गए हैं.

1700 के दशक में ब्राजील में हीरों की खोज से पहले, भारत ही एकमात्र स्थान था जहाँ हीरों का खनन किया जाता था. संस्कृत ग्रंथों से भारत में हीरों का प्रारंभिक उल्लेख मिलता है. ऋग्वेद और अथर्ववेद में रत्नों का उल्लेख किया गया है. वाल्मीकि रामायण और महाभारत आदि में हीरा, मूंगा, नीलम, मोती तथा सोने, चाँदी आदि का स्पष्ट उल्लेख है. कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भारत में हीरे के व्यापार का उल्लेख किया गया है.

gemstones in hindi, rtn kya hai, ratno ki jankari, ratno ka prabhav, ratno ke gun, ratna kaise pahchane

ज्योतिष और चिकित्सा में हीरा

रत्न (Gemstones) प्रकृति की तरफ से दिये गये अमूल्य उपहार हैं. हीरा शुक्र ग्रह (Venus) का रत्न है. यदि किसी व्यक्ति का शुक्र ग्रह अच्छा है तो उसे जीवन की सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं. यह भी माना जाता है कि हीरे के प्रभाव से डायबिटीज, चर्मरोगों और आंखों से जुड़ीं बीमारियों में राहत मिलती है. यदि बहुत अधिक नींद आने की समस्या हो तो हीरा पहनना फायदेमंद होता है. यह वात रोगों पर भी नियंत्रण रखता है, साथ ही इससे पाचन शक्ति से जुड़ी समस्याओं को भी दूर किया जा सकता है. प्रसिद्ध आयुर्वेद पुस्तक ‘चरक संहिता’ में भी रत्नों का उल्लेख हुआ है.

हीरे की प्राचीनता और निर्माण

हीरे एक विशिष्ट घन क्रिस्टल संरचना (Cubic Crystal Structure) के साथ कार्बन का एक ठोस रूप हैं. हीरे को पृथ्वी पर पाई जाने वाली सबसे पुरानी उपलब्ध सामग्रियों में से एक माना जाता है. अब तक 1 अरब से 3.5 अरब साल पुराने हीरे प्राप्त किये जा चुके हैं. हीरे पृथ्वी के अंदर अत्यधिक दबाव में बनते हैं, जहां तापमान बहुत अधिक होता है. ये आमतौर पर पृथ्वी की सतह के भीतर 100 से 150 मील की गहराई पर बनते हैं. अधिकांश हीरों का निर्माण पृथ्वी की सतह के बहुत करीब, 93 से 124 मील की गहराई में हुआ है. इन क्षेत्रों में हीरे बनाने के लिए पर्याप्त उच्च दबाव और तापमान होता है. हालांकि कुछ हीरे 500 से 600 मील नीचे तक की गहराई से भी आए हैं.

अत्यधिक गहराई से प्राप्त होने वाले हीरे 1,000 डिग्री फॉरेनहाइट तक और समुद्र तल पर 2,40,000 गुना वायुमंडलीय दबाव में बनते हैं. वे कार्बन युक्त तरल पदार्थों से बने होते हैं जो खनिजों को घोलते हैं और समय के साथ हीरों की जगह ले लेते हैं. ज्वालामुखी के विस्फोट के दौरान हीरे सतह पर आ जाते हैं और आग्नेय चट्टान में जमा हो जाते हैं जिन्हें किम्बरलाइट्स और लैम्प्रोइट्स के नाम से जाना जाता है.

volcano, volcano in hindi details

इसलिए हीरे और उनमें मौजूद खनिज, गैस और पानी के टुकड़े हमारे ग्रह पृथ्वी के सबसे गहरे क्षेत्रों की जांच करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करते हैं. कुछ लोगों का मानना है कि वे अंततः पृथ्वी पर पानी की उत्पत्ति और यहां तक कि जीवन की उत्पत्ति के बारे में प्रमुख वैज्ञानिक सवालों के महत्वपूर्ण सुराग प्रदान कर सकते हैं.

हीरे की विशेषतायें (Characteristics of Diamond)

हीरे की चार मुख्य विशेषताएँ पारदर्शिता, चमक, प्रकाश का फैलाव और रंग हैं. अपने शुद्ध कार्बन रूप में हीरा पूर्णतः स्पष्ट और पारदर्शी होता है. लेकिन जैसा कि सभी प्राकृतिक पदार्थों में होता है, पूर्णता पाना लगभग असंभव है. हीरा अब तक का ज्ञात सबसे कठोर प्राकृतिक पदार्थ है.

हीरे की कठोरता के कारण इसका प्रयोग कई उद्योगों और आभूषणों में किया जाता है. इसका उपयोग उन उपकरणों के निर्माण में किया जाता है जिनका उपयोग पीसने, काटने, ड्रिलिंग आदि के लिए किया जाता है. काले हीरे का उपयोग काँच काटने, दूसरे हीरे के काटने, हीरे पर पालिश करने तथा चट्टानों में छेद करने के लिए किया जाता है.

हीरे में प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य कार्बन परमाणुओं के साथ सह-संयोजी बंध (Covalent Bonds) द्वारा जुड़ा रहता है. कार्बन परमाणुओं के बाहरी कक्ष में उपस्थित सभी चारों इलेक्ट्रॉन सह-संयोजी बंध में भाग ले लेते हैं और एक भी इलेक्ट्रॉन स्वतंत्र नहीं होता है. अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन न होने के कारण हीरा विद्युत का संचालन नहीं कर सकता, यानी हीरा ऊष्मा व विद्युत का कुचालक होता है. हीरे में सभी कार्बन परमाणु बहुत ही शक्तिशाली सह-संयोजी बंध द्वारा जुड़े होते हैं, इसलिए यह बहुत कठोर होता है.

हीरे केवल सफेद ही नहीं होते, अशुद्धियों के कारण इनका रंग नीला, लाल, नारंगी, गुलाबी, पीला, हरा व काला भी होता है. नाइट्रोजन हीरे में पाई जाने वाली अब तक की सबसे आम अशुद्धता है, जो हीरे में पीले और भूरे रंग के लिए जिम्मेदार है. नीले रंग के लिए बोरोन जिम्मेदार है.

हीरा रासायनिक रूप से कार्बन का शुद्धतम रूप है. हीरे को यदि 763 डिग्री सेल्सियस पर गर्म किया जाये, तो यह जलकर कार्बन डाइ-आक्साइड बनाकर गायब हो जायेगा और बिल्कुल ही राख नहीं बचती है. इससे यह प्रमाणित होता है कि हीरा कार्बन का शुद्ध रूप है.

हीरा क्यों चमकता है (Why Does Diamond Shine)?

हीरे कसकर बंधे हुए कार्बन परमाणुओं से बने होते हैं. उनका अपवर्तनांक उच्च (High Refractive Index) होता है, इसलिए हीरे चमकते हैं. अपवर्तनांक निर्धारित करता है कि कितना प्रकाश परावर्तित होता है. हीरे को इस प्रकार से काटा या तराशा जाता है कि उस पर पड़ने वाली प्रकाश की किरण हीरे के भीतर कई बार परावर्तित होती है, इसलिए हीरे बहुत चमकते हैं.

दूसरे शब्दों में, अपवर्तन और फैलाव. हीरा पूर्ण आंतरिक परावर्तन (Total Internal Reflection) के कारण चमकता है. जैसे ही प्रकाश हीरे से होकर गुजरता है, वह बिखर जाता है और टूट जाता है, जिससे वह चमक पैदा होती है जिसके लिए हीरा जाना जाता है. हीरा एक छोटे जटिल प्रिज्म की तरह काम करता है (जैसे प्रिज्म सफेद रोशनी को इंद्रधनुष में तोड़ देता है), जिसके माध्यम से प्रकाश किरण विभिन्न कोणों से गुजरती है और एक चमकदार रूप देती है.

Diamond, diamond facts science

क्या हीरे केवल पृथ्वी पर ही हैं?

हालाँकि पृथ्वी पर हीरे दुर्लभ हैं, लेकिन ये अंतरिक्ष में बहुत आम हैं. हीरे केवल पृथ्वी तक ही सीमित नहीं हैं, ये अन्य ग्रहों पर भी पाए जा सकते हैं, ऐसा खगोल वैज्ञानिकों का दावा है. और इसलिए हीरे ग्रहीय एक्सोप्लैनेट वैज्ञानिकों के लिए भी अध्ययन का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बन रहे हैं. आपने सुना होगा कि नेप्च्यून और यूरेनस पर हीरों की बारिश होती है. वैज्ञानिकों ने 1980 के दशक में अंतरिक्ष में हीरों की उपस्थिति पर गंभीरता से विचार करना तब शुरू किया, जब पृथ्वी से टकराने वाले उल्कापिंडों के अध्ययन से बहुत सारे छोटे नैनोमीटर आकार के हीरे सामने आए.

हमारे सौरमंडल के विशाल गैसीय ग्रहों का वायुमंडलीय डेटा यह संकेत देता है कि हीरे न केवल उल्कापिंडों में सूक्ष्म रूप में मौजूद हैं, बल्कि कार्बन अपने प्रसिद्ध हार्ड क्रिस्टल रूप में सौरमंडल में कहीं और भी प्रचुर मात्रा में हैं. ऐसा माना जाता है कि नेप्च्यून और यूरेनस जैसे बर्फीले विशाल ग्रहों की सतह से हजारों मील नीचे, कार्बन और हाइड्रोजन अत्यधिक गर्मी और दबाव में संपीड़ित होकर हीरे बनाते हैं.

बिजली के तूफान मीथेन को कालिखयुक्त कार्बन में बदल देते हैं, जो गिरते ही अत्यधिक दबाव में कठोर होकर ग्रेफाइट और फिर हीरे में बदल जाता है. शनि पर प्रतिवर्ष 1,000 टन हीरों का निर्माण हो सकता है. हालाँकि, अब तक वैज्ञानिक इस बात की पुष्टि नहीं कर सके हैं कि इन ग्रहों के भीतर गहराई में पाए जाने वाले रसायन विज्ञान, तापमान और दबाव में ऐसी हीरे की बारिश वास्तव में कब और कैसे हो सकती है.

Read Also –

रोचक तथ्य और जानकारियां

सनातन धर्म से जुड़े तथ्य, सवाल-जवाब और कथायें


Tags : why does diamond shine, how is diamond made, how old are diamonds on earth, diamonds in space universe, characteristics of diamonds, diamonds in astrology jyotish, diamonds in india, diamond mine, heera kaha se nikalta hai, heera kaise banta hai, heera kaha paya jata hai, diamond price



Copyrighted Material © 2019 - 2024 Prinsli.com - All rights reserved

All content on this website is copyrighted. It is prohibited to copy, publish or distribute the content and images of this website through any website, book, newspaper, software, videos, YouTube Channel or any other medium without written permission. You are not authorized to alter, obscure or remove any proprietary information, copyright or logo from this Website in any way. If any of these rules are violated, it will be strongly protested and legal action will be taken.



About Niharika 255 Articles
Interested in Research, Reading & Writing... Contact me at niharika.agarwal77771@gmail.com

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*