What is Light Energy : प्रकाश क्या है? प्रकाश में कौन-कौन से गुण हैं?

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Light

Light (Definition Types Properties)

प्रकाश (Light) एक प्रकार की ऊर्जा (Energy) है, जो विद्युत चुंबकीय तरंगों (Electro Magnetic Wave) के रूप में संचरित (Transmit) होती है और हमें देखने में या वस्तुओं को दृश्यमान बनाने में सहायता प्रदान करती है. या

प्रकाश एक प्रकार का विद्युत चुम्बकीय विकिरण (Electromagnetic Radiation) है जो आँखों को देखने या वस्तुओं को दृश्यमान बनाने में सहायता करता है.

‘प्रकाश’ के दृश्य रेंज की तरंगदैर्ध्य (Wavelength of Visible Range) 400 nm से 750 nm के बीच होती है. प्रकाश एक अनुप्रस्थ तरंग (Transverse Wave) है जो किसी माध्यम के उपयोग के बिना यात्रा करती है. प्रकाश को यात्रा करने के लिए किसी भौतिक माध्यम (Physical Medium) की जरूरत नहीं होती है, यानी यह निर्वात में भी चल सकता है.

प्राकृतिक प्रकाश स्रोतों में सूर्य, तारे, आकाशीय बिजली शामिल हैं. कुछ जानवर और पौधे भी अपना स्वयं का प्रकाश उत्पन्न कर सकते हैं, जैसे कि जुगनू, जेलीफिश, एंगलरफिश. यह बायोलुमिनेसेंस (Bioluminescence) के लिए शब्द है.

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सभी प्रकाश स्रोत एक प्रकार का विकिरण (Radiation) उत्सर्जित करते हैं. यह रेडिएशन वस्तुओं से परावर्तित (Reffect) होकर हमारी आँखों पर पड़ता है जिससे हमें वस्तुएँ दिखाई देने लगती हैं. इसी रेडिएशन को प्रकाश कहते हैं. यानि प्रकाश एक प्रकार की ऊर्जा है, जो विद्युत चुंबकीय तरंगों (Electromagnetic Waves) के रूप में संचरित होती है.

प्रकाश को सूर्य से पृथ्वी तक आने में लगभग 8 मिनट 20 सेकंड का समय लगता है. चंद्रमा से परावर्तित प्रकाश को पृथ्वी तक आने में 1.28 सेकंड का समय लगता है.

• प्रकाश का विद्युत चुंबकीय तरंग सिद्धांत प्रकाश के केवल कुछ गुणों की व्याख्या कर पाता है, जैसे-
• प्रकाश का परावर्तन (Reflection of light)
• प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of light)
• प्रकाश का सीधी रेखा में गमन (चलना),
• प्रकाश का विवर्तन (Diffraction of light)
• प्रकाश का व्यतिकरण (Interference of light)
• प्रकाश का ध्रुवण (Polarization of light).

प्रकाश की प्रकृति (Nature of Light)

हम वस्तुओं को क्यों और कैसे देख पाते हैं?
दैनिक जीवन में हम जिन-जिन वस्तुओं को देखते हैं, उनकी अनुभूति हमें प्रकाश द्वारा होती है. अँधेरे में हम किसी वस्तु को देखने में असमर्थ हैं, सूर्य के प्रकाश या किसी अन्य कृत्रिम प्रकाश की सहायता से हम वस्तुओं को देख सकते हैं.

अतः जब कोई वस्तु अपने पर पड़ने वाले प्रकाश को परावर्तित (Reflect) कर देती है और यह परावर्तित प्रकाश हमारी आँखों पर पड़ता है तो हमें वह वस्तु दिखाई देती है. यानी प्रकाशीय ऊर्जा के कारण ही हम किसी वस्तु को देख पाते हैं. यानी हम किसी वस्तु को देख पाएँ, इसके लिये यह जरूरी है कि किसी स्रोत से निकलने वाला प्रकाश उस वस्तु पर पड़े और उससे टकराकर हमारी आँखों तक पहुँचे.

लेकिन हम यह भी जानते हैं कि प्रत्येक वस्तु अपने ऊपर आपतित (पड़ने वाले) प्रकाश का कुछ हिस्सा अवशोषित (Absorb) कर लेती है. चूँकि सूर्य के प्रकाश या सफेद प्रकाश में अलग-अलग रंगों का प्रकाश रहता है, अत: जब यह प्रकाश किसी (रंगीन) वस्तु पर पड़ता है तो वह वस्तु केवल एक रंग के प्रकाश को परावर्तित करती है (वापस निकाल देती है) और बाकी रंगों के प्रकाश को अवशोषित कर लेती है (अपने पास रख लेती है). उस वस्तु के द्वारा परावर्तित प्रकाश (निकाला गया प्रकाश) का रंग ही हमें उस वस्तु के रंग के रूप में दिखाई देता है.

जैसे कोई नीले रंग की वस्तु सफेद प्रकाश में से नीले प्रकाश को परावर्तित करती है (वापस बाहर निकाल देती है) और बाकी रंगों के प्रकाश को अवशोषित कर लेती है (अपने पास रख लेती है). इसी प्रकार चूँकि सफेद वस्तु संपूर्ण प्रकाश को परावर्तित करती है, कुछ भी अवशोषित नहीं करती, अतः हमारी आँखों तक सफेद प्रकाश ही पहुँचता है और वस्तु हमें सफेद दिखाई देती है. इसी प्रकार जो वस्तु संपूर्ण प्रकाश को अवशोषित कर लेती है, उसका रंग हमें काला दिखाई देता है.

लाल, हरे और नीले (Red, yellow and blue) रंग के प्रकाश के मिश्रण से सफेद प्रकाश उत्पन्न होता है. वास्तव में किसी भी रंग को इन तीन रंगों के समुचित मिश्रण (Proper Mixing) से बनाया जा सकता है. अतः ये तीन रंग- लाल, हरा व नीला प्राथमिक रंग या मूल रंग (Primary Colours or Basic Colours) कहलाते हैं. अन्य रंगों को गौण रंग या द्वितीयक रंग (Secondary Colours) कहते हैं.

प्रकाश की प्रकृति Dual होती है

कई वैज्ञानिकों ने यह मत दिया है कि प्रकाश की प्रकृति द्वैत (Dual) होती है यानी प्रकाश तरंगों (waves) की भाँति भी व्यवहार करता है तथा कणों (Particle) जैसे गुण भी रखता है.

प्रकाश की तरंग प्रकृति (Wave Nature of Light): हाइगेंस नामक वैज्ञानिक ने बताया था कि प्रकाश तरंगों की तरह भी व्यवहार करता है. अपने तरंग सिद्धांत के आधार पर इन्होंने प्रकाश का विवर्तन, परावर्तन व अपवर्तन आदि घटनाओं को समझाया, लेकिन प्रकाश के कुछ गुण, जैसे- प्रकाश विद्युत् प्रभाव (Photoelectric Effect), कॉम्प्टन प्रभाव (Compton’s Effect) का सिद्धांत नहीं समझा सके.

प्रकाश की कण प्रकृति (Particle Nature of Light): प्रकाश के ‘कणिका सिद्धांत’ (Corpuscular Theory) के अनुसार प्रकाश छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना है. बाद में आइंस्टीन ने बताया कि प्रकाश का संचरण छोटे-छोटे बंडलों या Packets के रूप में होता है, जिन्हें फोटॉन (Photon) कहा जाता है. फोटॉन का कोई द्रव्यमान (Mass) और आवेश (Charge) नहीं है. यह विद्युत चुंबकीय ऊर्जा का वाहक (Carrier) है और अन्य असतत (Discrete) कणों (जैसे इलेक्ट्रॉनों, परमाणुओं और अणुओं) के साथ परस्पर क्रिया करता है.

प्रकाश के गुण (Properties of Light)

प्रकाश का परावर्तन (Reflection of Light)-
जब प्रकाश की किरण किसी सतह या माध्यम से संपर्क करती है, तो तीन चीजों में से एक घटित हो सकती है, वे तीन हैं- परावर्तन, अवशोषण, और अपवर्तन. हम समतल दर्पण में अपनी छवि प्रकाश के परावर्तन के कारण देख पाते हैं. प्रकाश तरंगें, ध्वनि तरंगें और जल तरंगें परावर्तित हो सकती हैं. जब प्रकाश की किरण किसी चिकनी पॉलिश सतह के पास आती है और प्रकाश किरण वापस लौट जाती है, तो इसे प्रकाश का परावर्तन कहा जाता है. सतह पर पड़ने वाली प्रकाश की किरण सतह से परावर्तित हो जाती है. जो किरण वापस लौट जाती है, उसे परावर्तित किरण कहते हैं.

प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of Light)-
अपवर्तन एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाने वाली तरंग की दिशा में होने वाला परिवर्तन है. जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाता है, तो यह मुड़ जाता है. इसे अपवर्तन कहते हैं. ऐसा दो पदार्थों के बीच घनत्व (Density) में अंतर के कारण होता है. इससे पता चलता है कि प्रकाश सभी माध्यमों में समान दिशा में यात्रा नहीं करता है.

अपवर्तन के कारण ही हमारे लिए लेंस और प्रिज्म जैसे ऑप्टिकल उपकरण बनाना संभव हो पाता है. प्रकाश के अपवर्तन के कारण ही हम प्रकाश को अपने रेटिना पर केंद्रित कर पाते हैं. तारों का टिमटिमाना प्रभाव वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण होता है. तारों का प्रकाश पृथ्वी तक पहुँचने के दौरान कई बार अपवर्तन से गुजरता है.

प्रकाश का विवर्तन (Diffraction of Light)-
जब प्रकाश व ध्वनि तरंगें किसी अवरोध (Obstacle) से टकराती हैं, तो वे अवरोध के किनारों पर मुड़ जाती हैं और अवरोधक की ज्यामितीय छाया में प्रवेश कर जाती हैं. तरंगों के इस प्रकार मुड़ने की घटना को विवर्तन कहते हैं.

जब प्रकाश हवा में यात्रा करता है, तो उसे व्यतिकरण, अपवर्तन, परावर्तन और विवर्तन जैसी विभिन्न घटनाओं का सामना करना पड़ता है. जब प्रकाश किसी बाधा के संपर्क में आता है, तो प्रकाश का विवर्तन होता है. जब प्रकाश की तरंग वायुमंडल में कण के साथ संपर्क करती है तो यह कोनों पर मुड़ जाती है और पूरे क्षेत्र को प्रकाशित करने के लिए क्षेत्र में बिखर जाती है, इस घटना को प्रकाश का विवर्तन कहा जाता है.

आकाश में जो चमक दिखाई देती है वह प्रकाश के विवर्तन के कारण होती है. बादलों में कभी-कभी देखे जाने वाले विभिन्न रंग प्रकाश के विवर्तन का एक उदाहरण है. जब सूरज की रोशनी बादल से होकर गुजरती है या उससे टकराती है, तो आसमान में चमक दिखाई देती है.

प्रकाश का व्यतिकरण (Interference of Light)-
हम सब जानते हैं की प्रकाश तरंगों के रूप में चलता है. व्यतिकरण या हस्तक्षेप तब होता है जब दो तरंगें एक-दूसरे से टकराती हैं. प्रकाश का व्यतिकरण (हस्तक्षेप) एक प्राकृतिक घटना है. प्रकाश का व्यतिकरण हर जगह और हर क्षण हो सकता है.

जब समान आव्रत्ति की दो प्रकाश तरंगें किसी माध्यम में एक ही दिशा में चलती हैं तो उनके अध्यारोपण (Superposition) के कारण प्रकाश की तीव्रता में परिवर्तन हो जाता है. इस घटना को प्रकाश का व्यतिकरण कहते हैं. इससे कुछ स्थानों पर प्रकाश की तीव्रता अधिकतम और कुछ स्थानों पर न्यूनतम या शून्य होती है.

व्यतिकरण के लिए आवश्यक शर्तें-
• प्रकाश का स्रोत एकवर्णी (monochromatic) होना चाहिए.
• प्रकाश की तरंगों की आवृत्ति (frequency) समान होनी चाहिए.
• प्रकाश का प्रसार एक ही दिशा में होना चाहिए.
• दो तरंगों का आयाम (amplitude) बराबर या लगभग बराबर होना चाहिए.

प्रकाश का ध्रुवीकरण (Polarization of Light)-
एक प्रकाश तरंग जो एक से अधिक तलों में कंपन कर रही है, उसे अध्रुवित प्रकाश (Unpolarized Light) के रूप में जाना जाता है. सूर्य, लैंप या ट्यूब लाइट द्वारा उत्सर्जित प्रकाश सभी अध्रुवित प्रकाश स्रोत हैं. अध्रुवित प्रकाश तरंगों को ध्रुवीकृत प्रकाश तरंगों में बदलने की प्रक्रिया को प्रकाश का ध्रुवीकरण कहा जाता है.

अतः वे प्रकाश तरंगें जो केवल एक ही तल में यात्रा करती हैं, ध्रुवीकृत प्रकाश तरंगें कहलाती हैं. इसका उपयोग भूकंप विज्ञान में भूकंपों (Earthquakes) के अध्ययन के लिए किया जाता है. धूप के चश्मों में चमक को कम करने के लिए भी ध्रुवीकरण का उपयोग किया जाता है. ध्रुवीकरण की सहायता से ही त्रि-आयामी फिल्में (3d film) बनाई और दिखाई जाती हैं.

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