National Mathematics Day- ‘संख्या के जादूगर’ रामानुजन कैसे खोजते थे गणित की समस्याओं का हल

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Indian Mathematician Srinivasa Ramanujan

Mathematician Ramanujan Biography-

सभी विषयों में गणित (Mathematics) सबसे अलग विषय है… अलग नहीं बल्कि सभी विषयों का आधार और पूरक है. गणित के बिना किसी और विषय या कला की कल्पना ही नहीं की जा सकती. चाहे व्याकरण हो या अर्थशास्त्र, कला हो या विज्ञान, यहां तक कि सामान्य दिनचर्या भी गणित के बिना कठिन ही नहीं, नामुमकिन है.

गणित की सहायता से ही प्रकृति के कई रहस्यों को जाना और समझा जा सकता है. आकाश की अनंतता और धरती की गहराई को नापा जा सकता है. गणित की मदद से ही मानव का अंतरिक्ष में सैर करना संभव हो पाया है. गणित को समझने या उसकी समस्याओं को हल करने के लिए अतिरिक्त बुद्धि या एकाग्रता और अध्यात्मिकता की जरूरत पड़ती है… और इसीलिए गणित को समझना सबके वश की बात नहीं होती.

रामानुजन की याद में मनाया जाता है ‘राष्ट्रीय गणित दिवस’

हमारे देश में जितने भी महान गणितज्ञ (Great Mathematicians) हुए हैं, उन सभी ने अपनी मेहनत, लगन, योग और अध्यात्मिक शक्तियों के जरिए गणित में महान खोजें कीं. आज उन सभी की खोजों पर बड़ी-बड़ी रिसर्च जारी हैं, फिर भी उन सभी के कार्य अभी भी वैज्ञानिकों के लिए अबूझ पहेली ही बने हुए हैं. आज हम उन्हीं महान विभूतियों में से एक श्रीनिवास रामानुजन (Srinivasa Ramanujan) की बात करते हैं, जिन्हें ‘संख्या का जादूगर’ भी कहा जाता है. उन्हीं की याद में हर साल 22 दिसंबर (श्री रामानुजन का जन्मदिवस) को राष्ट्रीय गणित दिवस (National Mathematics Day) मनाया जाता है.

छोटा सा जीवन और महान कार्य

श्रीनिवास रामानुजन का जीवनकाल बहुत ही छोटा रहा (22 दिसंबर 1887-26 अप्रैल 1920), लेकिन अपने उतने से ही जीवन में उन्होंने वे कार्य कर डाले, जो किसी भी साधारण इंसान के लिए सोचना भी मुश्किल है…और वह भी बिना किसी स्पेशल ट्रेनिंग के. मात्र 32 साल के अपने छोटे से जीवन में, उन्होंने गणित की लगभग 3,900 प्रमेय या सिद्धांत (Theorems or Formulas) दिए, जिनसे गणित के सवाल हल किए जाते हैं, बड़ी खोजें की जाती हैं. सरल भाषा में हम उनके इन सिद्धांतों को Identities और समीकरण (Equations) कहते हैं. इनमें से कई सिद्धांतों की प्रोसेस पर रिसर्च जारी है.

12 साल की उम्र से ही शुरू कर दी थी गणित के सूत्रों की खोज

रामानुजन बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी थे. उन्होंने केवल 12 साल की उम्र से ही गणित के सूत्रों की खोज करना शुरू कर दिया था. कहा जाता है कि रामानुजन समय से बहुत आगे की सोचते थे. उनके रिसर्च पेपर किसी पत्रिका या जर्नल्स में नहीं छापे जाते थे, क्योंकि उनके सिद्धांतों को समझ पाना संपादकों के वश की बात नहीं थी. बाद में उन्हीं के सिद्धांतों से गणित, भौतिकी और खगोल विज्ञान की बड़ी-बड़ी समस्याएं सुलझाई गईं और सुलझाई जा रही हैं.

ब्लैक होल और कैंसर को समझने के लिए रामानुजन के फार्मूले का इस्तेमाल

रामानुजन ने साल 1919 में मॉक थीटा फंक्शन (Mock Theta Function) फार्मूला की खोज की थी. इस फार्मूले का इस्तेमाल अनंत (Infinite) हो जाने वाली कैलकुलेशन की समस्या को हल करने के लिए किया जाता है. इस फार्मूले को समझने के लिए दुनियाभर के बड़े से बड़े वैज्ञानिक दिन-रात कड़ी मेहनत करते रहे… और तब जाकर साल 2002 में यह पता चला कि ब्रह्मांड की सबसे बड़ी पहेली ब्लैक होल (Black Hole) को समझने के लिए रामानुजन के इसी फार्मूले का इस्तेमाल करने की जरूरत है.

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केवल गणित में ही नहीं, बल्कि मेडिकल साइंस में भी, कैंसर (Cancer) को समझने के लिए रामानुजन के इसी फार्मूले का इस्तेमाल किया जाता है. इसी फार्मूले की सहायता से यह तय किया जाता है कि कैंसर के किसी मरीज को कब और कितनी दवाई दी जानी चाहिए. इन सबसे पता चलता है कि रामानुजन अपने समय से कितना आगे चलते थे. वे अपनी सभी खोजों को एक रजिस्टर में नोट करते चले जाते थे.

दुनियाभर के प्रसिद्ध गणितज्ञ मानते थे रामानुजन की प्रतिभा का लोहा

Srinivasa Ramanujan
श्री रामानुजन के जीवन पर बनी एक फिल्म का दृश्य

रामानुजन के साथ लंदन के प्रोफेसर G.H. हार्डी (Professor Hardy) का नाम भी जरूर आता है. वह उस समय के दुनिया के सबसे प्रसिद्ध गणितज्ञों में से एक माने जाते थे, लेकिन जब रामानुजन ने अपनी रिसर्च को प्रो. हार्डी के पास भेजा, तब उन्हें ज्यादा कुछ समझ ही नहीं आया. रामानुजन के सिद्धांतों को समझने के लिए हार्डी ने कई गणितज्ञों की मदद ली, लेकिन वे सभी मिलकर केवल इतना ही निष्कर्ष निकाल पाए कि रामानुजन एक असाधारण और दुर्लभ व्यक्ति हैं.

प्रो. हार्डी जीवनभर रामानुजन की प्रतिभा और जीवन दर्शन के प्रशंसक रहे. उनके मुताबिक, गणित की जिन समस्याओं को सुलझाने में बड़े-बड़े गणितज्ञों को 5 से 6 घंटे लग जाते थे, उन समस्याओं को सिद्ध करने में रामानुजन सोचने का भी समय नहीं लेते थे. यानी उनके सामने जब तक कोई सवाल लिखा जाता, तब तक तो वह उसका जवाब भी देना शुरू कर देते थे.

प्रो. हार्डी रामानुजन को आधुनिक काल का सबसे महान गणितज्ञ मानते थे. एक बार उन्होंने उस समय के दुनिया के सबसे प्रतिभावान व्यक्तियों की एक लिस्ट बनाई थी और उन सभी को 100 के पैमाने पर आंका था. हार्डी ने ज्यादातर गणितज्ञों को 100 में 35 नंबर ही दिए थे. यहां तक कि उन्होंने खुद को भी 30 नंबर ही दिए थे, जबकि रामानुजन को उन्होंने 100 में से 100 नंबर दिए. रामानुजन की असाधारण प्रतिभा ने ही उन्हें ब्रिटिश शासन की कठिन परिस्थितियों में भी कामयाब बनाया.

रामानुजन कैसे खोजते थे गणित की समस्याओं का हल?

रामानुजन फार्मूला या थ्योरम्स तो बना देते थे, लेकिन उन्होंने कोई भी फार्मूला बनाया कैसे… इसके बारे में कुछ नहीं लिखते थे. उनकी इस आदत से सभी गणितज्ञ परेशान थे, क्योंकि सब ये बात जानते थे कि रामानुजन के बनाई गईं सभी थ्योरम्स सही हैं, लेकिन उन थ्योरम्स का प्रूफ ढूंढना किसी के लिए भी आसान नहीं है. उनके फार्मूलों पर आज भी बड़े-बड़े वैज्ञानिकों की रिसर्च जारी हैं.

रामानुजन के नाम के साथ उनकी कुलदेवी का नाम जरूर लिया जाता है. रामानुजन बहुत धार्मिक और अध्यात्मिक विचारों वाले व्यक्ति थे.

एक बार जब प्रो. हार्डी ने रामानुजन से पूछा कि ‘आखिर तुम मैथ्स की प्रॉब्लम्स को देखते ही कैसे सॉल्व कर लेते हो और मैथ्स की नई-नई इतनी थ्योरम्स बनाते कैसे हो?’ तब रामानुजन ने कहा कि “ये सभी फार्मूले मुझे मेरी नामगिरी देवी (देवी महालक्ष्मी जी) की कृपा से प्राप्त हुए हैं. वो बार-बार मेरे सपने में आकर मुझे गणित से जुड़े कई गूढ़ रहस्य और सूत्र बताती हैं. इसीलिए मैं जैसे ही किसी सवाल को देखता हूं, मुझे अपने आप ही उसका हल आ जाता है”.

रामानुजन का धर्म और अध्यात्म में इतना गहरा विश्वास था कि वह गणित में किए गए अपने सभी कार्यों को अध्यात्म का ही हिस्सा मानते थे. वह धर्म और अध्यात्म को तर्क के साथ पेश भी करते थे. खुद रामानुजन का कहना था कि, मेरे लिए गणित के उस सूत्र का कोई मतलब नहीं, जिससे मुझे अध्यात्मिक विचार न मिलें.”

जब कोई भी वैज्ञानिक ब्लैक होल की बात भी नहीं करता था, उस समय रामानुजन ने अपनी मृत्युशैया पर लेटे हुए ही इसका गणितीय सूत्र दे दिया था, और तब उन्होंने सिर्फ इतना बताया था कि, “यह फार्मूला मेरी नामगिरी देवी ने मुझे दिया है.” यह भी कहा जाता है कि रामानुजन ने भारत से बाहर जाने से साफ इनकार कर दिया था, लेकिन बाद में जब नामगिरी देवी ने उनके सपने में आकर उन्हें बाहर जाने की अनुमति दी, तो वह इंग्लैंड जाने के लिए राजी हो गए.

पूरा ध्यान एक ही जगह लगा देते थे रामानुजन रामानुजन को जानने वाले विद्वानों का कहना है कि रामानुजन जब भी गणित की किसी समस्या को हल करते थे, तब वह अपनी दोनों आंखों के बीच के हिस्से में ध्यान केंद्रित कर लेते थे. योग के अनुसार, इसी जगह पर शरीर की सभी अध्यात्मिक शक्तियों का चरम बिंदु होता है.

रात-रातभर जागकर बनाते थे गणित के नए-नए फार्मूला

रामानुजन का जीवन कठिनाइयों से भरा रहा है. उनके समय में भारत परतंत्रता की बेड़ियों में जकड़ा था. चारों तरफ भयंकर गरीबी थी. रामानुजन के घर की आर्थिक हालत बेहद खराब थी. समस्याओं के चलते उनका स्वास्थ्य लगातार गिरता चला गया. लेकिन इस दौरान भी उन्होंने भगवान के प्रति विश्वास-आस्था और गणित के लिए अपने प्रेम को नहीं छोड़ा. रामानुजन रात-रातभर जागकर गणित के नए-नए फार्मूला लिखा करते थे और फिर थोड़ी देर तक आराम करके सुबह नौकरी के लिए निकल जाते थे.

उन्हें देखकर सबको ऐसा लगता था कि वे सपने में भी गणित के सवाल ही हल करते रहते थे. ये सब वे किसी नाम, प्रतिष्ठा या पद के लिए नहीं करते थे, बल्कि उनका गणित के प्रति गहरा प्रेम ही उनसे ये सब करवाता था. इसी के साथ, वे अपने नियमों के भी पक्के थे. लंदन में रहने के दौरान भी वे अपनी शुद्ध सात्विक जीवनचर्या का पूरा पालन करते थे. वहां वे अपना खाना खुद ही बनाते थे. रामानुजन इतने सीधे, सरल और शांत स्वभाव के थे कि कोई भी व्यक्ति उनसे कभी नाराज नहीं हो सकता था.

भारत को दिया अपूर्व गौरव, दुनिया को किया आश्चर्यचकित

रामानुजन का एक पुराना रजिस्टर (रामानुजन की नोट बुक), जिस पर वो अपनी प्रमेय और फार्मूलों को लिखा करते थे, 1976 में ट्रिनिटी कॉलेज की लाइब्रेरी में अचानक मिला. लगभग 100 पन्नों का यह रजिस्टर वैज्ञानिकों के लिए एक पहेली बना हुआ है. मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च ने इसका प्रकाशन भी करवाया है. रामानुजन का असमय निधन गणित की दुनिया के लिए अपूरणीय क्षति था. एक बहुत ही सामान्य परिवार में जन्म लेकर भी पूरी दुनिया को आश्चर्यचकित करने की अपनी यात्रा में उन्होंने भारत को अपूर्व गौरव प्रदान किया है.

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About Sonam Agarwal 238 Articles
LLB (Bachelor of Law). Work experience in Mahendra Institute and National News Channel (TV9 Bharatvarsh and Network18). Interested in Research. Contact- sonagarwal00003@gmail.com

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