21 जनवरी 2022 को देश की राजधानी में स्थित राष्ट्र्रीय स्मारक इंडिया गेट (India Gate) से संबंधित दो महत्वपूर्ण काम किए गए. पहला- इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति की मशाल अब हमेशा के लिए नेशनल वॉर मेमोरियल (राष्ट्रीय युद्ध स्मारक) की मशाल के साथ मिला दी गई है… और दूसरा- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhas Chandra Bose) की एक भव्य प्रतिमा लगाने का ऐलान किया है. आइए इन सबके बारे में महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं-
इंडिया गेट- इंडिया गेट (India Gate) भारत की राजधानी नई दिल्ली के राजपथ पर पीले बलुआ पत्थरों से बना लगभग 42 मीटर ऊंचा एक ऐतिहासिक स्मारक है. इसका निर्माण ब्रिटिश सरकार की तरफ से पहले विश्व युद्ध और तीसरे अफगान युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की याद में करवाया गया था. इन युद्धों में भारतीय सैनिक अपनी इच्छा से नहीं लड़े थे, बल्कि उन्हें ब्रिटिश सरकार की इच्छा और फैसले के तहत लड़ना पड़ा था.
इंडिया गेट पर युद्ध के दौरान शहीद हुए लगभग साढ़े 13 हजार सैनिकों के नाम अंकित हैं. एक हैरानी की बात ये है कि इनमें कई नाम ब्रिटिश सैनिकों के भी हैं. इंडिया गेट का डिजाइन एडवर्ड लुटियंस ने तैयार किया था. इसका निर्माण फरवरी 1921 में शुरू हुआ और 12 फरवरी 1931 को लॉर्ड इरविन ने इसका उद्घाटन किया था. यानी इंडिया गेट के निर्माण में दस साल लग गए थे. पहले इस स्मारक को ‘किंग्सवे’ नाम दिया गया था.
अमर जवान ज्योति- अमर जवान ज्योति (Amar Jawan Jyoti) साल 1972 में उन भारतीय सैनिकों की याद में जलाई गई थी, जो 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद हुए थे. इस युद्ध में भारत की जीत हुई थी और बांग्लादेश का गठन हुआ था. दिसंबर 1971 में भारत की तरफ से पाकिस्तान को हराने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर साल 1972 में अमर जवान ज्योति का उद्घाटन किया था. 21 जनवरी 2022 को एक कार्यक्रम के दौरान इसी अमर जवान ज्योति को ले जाकर 400 मीटर दूर स्थित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की ज्योति में मिला दिया गया है.
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक- नेशनल वॉर मेमोरियल (National War Memorial) भारत सरकार की तरफ से इंडिया गेट के आसपास के क्षेत्र में, आजादी के बाद हुए युद्धों में शहीद होने वाले सैनिकों को सम्मान दिलाने और याद करने के लिए बनाया गया एक राष्ट्रीय स्मारक है. यह स्मारक उन सैनिकों को समर्पित है, जिन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध, 1947, 1965 और 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्धों, श्रीलंका में भारतीय शांति सेना अभियानों और साल 1999 में कारगिल संघर्ष के दौरान देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे. स्मारक की दीवारों पर 25 हजार 942 शहीदों के नाम सुनहरे अक्षरों में अंकित हैं.
यह स्मारक इंडिया गेट से करीब 400 मीटर की दूरी पर स्थित छतरी (चंदवा) के आसपास लगभग 44 एकड़ में बनाया गया है. इस स्मारक का उद्घाटन साल 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. इस स्मारक में मुख्य रूप से चार संकेंद्रित वृत्त (concentric circles) शामिल हैं, जिनके नाम हैं- अमर चक्र, वीरता चक्र, त्याग चक्र और रक्षक चक्र या सुरक्षा चक्र.
दरअसल, भारतीय सेना ने साल 1960 में नेहरू सरकार के सामने देश का एक नेशनल वॉर मेमोरियल बनाने का प्रस्ताव पेश किया था. लेकिन तब से लेकर साल 2014 तक सेना की इस मांग पर गौर नहीं किया गया था. फिर साल 2015 में भारत सरकार ने इंडिया गेट के पास ही नेशनल वॉर मेमोरियल बनाने की जगह दी.
इस स्मारक में भी आजादी के बाद शहीद होने वाले सैनिकों की याद में एक ज्योति जलाई गई थी, जो हमेशा जलती रहेगी. 21 जनवरी 2022 को एक कार्यक्रम के दौरान अमर जवान ज्योति को ले जाकर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की इसी ज्योति में मिला दिया गया है, ताकि सभी भारतीय शहीदों को समान सम्मान दिया जा सके… और सभी को एक साथ नमन किया जा सके.
इंडिया गेट पर सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा
इसी के साथ, भारत सरकार ने एक और महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhas Chandra Bose) की एक भव्य प्रतिमा लगाने का ऐलान किया है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, यह प्रतिमा ग्रेनाइट से बनी होगी, जो 28 फीट लंबी और 6 फीट चौड़ी होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात की घोषणा करते हुए कहा कि “यह प्रतिमा नेताजी के प्रति भारत के ऋणी होने का प्रतीक होगी.”
जब तक यह प्रतिमा तैयार नहीं हो जाती, तब तक के लिए उस जगह पर नेताजी की एक होलोग्राम प्रतिमा लगाई गई है, जिसका उद्घाटन पीएम मोदी ने नेताजी की 125वीं जन्मतिथि पर, यानी 23 जनवरी 2022 को किया. जब इंडिया गेट बनकर तैयार हो गया था, तब इसके सामने बनी एक छतरी में जार्ज पंचम की मूर्ति लगाई गई थी. बाद में इस मूर्ति को कोरोनेशन पार्क में ब्रिटिश राज के समय की अन्य मूर्तियों के साथ स्थापित कर दिया गया था. तब से यह छतरी खाली है. नेताजी की प्रतिमा इसी छतरी में लगाई जाएगी.
इससे पहले भारत सरकार ने गणतंत्र दिवस समारोह (Republic Day celebrations) की शुरुआत 24 जनवरी से करने की बजाय 23 जनवरी से यानी नेताजी के जन्मदिवस के अवसर से करने की घोषणा की थी. अब तक देश में हर साल गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत 24 जनवरी से होती है, लेकिन इस साल से इस समारोह की शुरुआत 23 जनवरी से ही हो जाएगी. यानी इस समारोह में अब नेताजी की जयंती को भी शामिल कर लिया गया है. नेताजी की जयंती ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाई जाती है.
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