भगवान शिव : जानिए महादेव के बारे में ये महत्वपूर्ण बातें और उन्हें प्रसन्न करने के तरीके

bhagwan shiv non veg, shiva mahimna stotram lyrics, shiv sankalp sukta yajurveda, bhagwan shiv, bhagwan ki kahani katha hindu devi devta ki story
भगवान शिव

देवों के देव महादेव (Mahadev) यानी भगवान शिव (Bhagwan Shiv) के अनगिनत नाम हैं, जैसे- भोलेनाथ, शंकर, महेश, महाकाल (समय), आदिदेव, किरात, अर्धनारीश्वर, पशुपतिनाथ, चन्द्रशेखर, जटाधारी, नागनाथ, मृत्युंजय, त्रयम्बक, विश्वेश, महारुद्र (दुखों को हरने वाले), विषधर, नीलकंठ, महाशिव, उमापति, काल भैरव, भूतनाथ, ईवान्यन (तीसरे नयन वाले), शशिभूषण, गंगाधर आदि. इनका नाम भोलेनाथ इसलिए है, क्योंकि वे अत्यंत दयालु और सरल हृदय वाले हैं.

शिवजी अपने जिस भक्त पर प्रसन्न हो जाते हैं, उसे बस देते ही चले जाते हैं. वेदों में शिव जी का नाम रुद्र (रुत या दुखों को हरने वाले) है. तंत्र साधना करते समय इन्हें भैरव के नाम से पुकारा जाता है. उन्हें पशुपतिनाथ भी कहा जाता है, क्योंकि वे समस्त प्राणी मात्र या जीवात्माओं के स्वामी हैं. इसीलिए पशु-पक्षियों की बलि या हत्या किसी भी प्रकार से उचित नहीं मानी जाती.

भगवान शिव रूप और परिवार

shiv parivar, bhagwan shiv ki mahima katha

भगवान शिव की अर्धांगिनी (पत्नी या शक्ति) का नाम श्री पार्वती जी है. इनके पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं और पुत्री अशोक सुंदरी हैं. भगवान शिव का रूप बेहद सौम्य और कल्याणकारी है, साथ ही रौद्र भी है. समस्त शक्तियों के स्वामी हैं, फिर भी योग साधना में लीन रहते हैं. भगवान शिव के मस्तक पर चंद्रमा और उनके गले में नाग देवता विराजमान रहते हैं. वे अपने हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं. उनका वास कैलाश माना गया है. उनके परिवार में भूत-प्रेत, नंदी (बैल), सिंह, सर्प, मयूर (मोर) और मूषक (चूहा) सभी हैं, जो विषमताओं के बीच भी सामंजस्य को दर्शाता है.

एक ही हैं ब्रह्मा, विष्णु, महेश

शिवजी की पूजा शिवलिंग और मूर्ति, दोनों ही रूपों में की जाती है, क्योंकि वे निराकार भी हैं और साकार भी. सारी अमंगल चीजें भी महादेव से जुड़कर मंगल और शुभ हो जाती हैं. संसार में ऐसा कोई नहीं, जिसके स्वामी भगवान शिव न हों. ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों एक ही हैं और इसीलिए भगवान शिव की मुख्य आरती (जय शिव ओंकारा…) में तीनों की महिमा का वर्णन किया गया है. केवल अज्ञानता के कारण हम इन्हें अलग-अलग रूपों में जानते और देखते हैं.

पढ़ें – भगवान शिव और माता पार्वती जी का विवाह

भगवान शिव और भगवान विष्णु, दोनों ही एक-दूसरे के परम भक्त हैं. भगवान विष्णु ने अपने हर अवतार में शिव जी की आराधना की है और इसी तरह शिव जी भगवान विष्णु जी के हर एक अवतार की उपासना करते हैं. रामायण में भगवान श्रीराम (Shri Ram) ने कहा है कि भगवान शिव और राम में अंतर करने वाला कभी भी श्रीराम का प्रिय नहीं हो सकता… और ऐसा ही भगवान शिव भी कहते हैं. दोनों ही भक्तिवश ‘रामेश्वरम’ का अर्थ “मेरे ईश्वर” के रूप में लगाते हैं.

bhagwan shiv aur shri ram

संपूर्ण संसार ही शिवमय है

समस्त ब्रह्मांड में जो कुछ भी है, शिव ही है. यानी चाहे देवता हों या मनुष्य, ग्रह हो या नक्षत्र, वृक्ष, अन्न, जल, वायु सभी भगवान शिव के ही रूप हैं. संपूर्ण ब्रह्मांड शिव के अंदर समाया हुआ है. शिव का न तो आदि है न अंत. जब कुछ नहीं था तब भी शिव थे और जब कुछ नहीं होगा तब भी शिव ही होंगे. यानी संपूर्ण संसार शिवमय है.

भगवान शिव किसी में भेदभाव नहीं करते. इसी के साथ, किसी भी प्राणी के कर्मफल को बदलने की शक्ति और अधिकार भगवान शिव को ही है. भगवान शिव किसी भी इंसान या प्राणी के कर्मफल को बदल सकते हैं. महादेव किसी की भी मृत्यु को भी टाल सकते हैं, इसीलिए उन्हें ‘मृत्युंजय’ कहते हैं.

पढ़ें- रुद्राक्ष के बारे में महत्वपूर्ण बातें
पढ़ें – शिव आरती, रुद्राष्टक, शिवाष्टक, शिव चालीसा

शिव के परम भक्त ऋषि मार्कण्डेय की आयु पूरी होने पर भी शिव जी की इच्छा न होने पर यमराज भी मार्कण्डेय को हाथ नहीं लगा पाए थे. यानी भगवान शिव की इच्छा और आज्ञा को कोई नहीं टाल सकता. वे किसी भी कठिन से कठिन रोग का इलाज कर सकते हैं, इसीलिए उन्हें वैद्यों के वैद्य यानी वैद्यनाथ कहते हैं, सोमनाथ भी कहते हैं. भगवान शिव की ही कृपा से मां गंगा (Maa Ganga) स्वर्गलोक से धरती पर आ सकीं, क्योंकि गंगा के वेग को सहन करने की शक्ति केवल भगवान शिव में ही थी.

Bhagwan Shivji, bhagwan shiv ki mahima katha

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग

वह जगह बहुत सिद्ध हो जाती है, जहां किसी भक्त ने भगवान के लिए कठिन तपस्या की हो या उस जगह पर किसी भक्त ने भगवान को बड़े मन से पुकारा हो. सभी ज्योतिर्लिंग (Jyotirlingas) भी इसी भक्ति भावना का प्रतीक हैं. भक्तों ने जब-जब भगवान शिव को पुकारा, तब-तब एक ज्योतिर्लिंग का निर्माण हुआ. यानी इन ज्योतिर्लिंगों में साक्षात भगवान शिव का वास है.

पढ़ें- मंत्र जाप या साधना करने के तरीके

ज्योतिर्लिंगों की स्थापना भी किसी साधारण मनुष्य ने नहीं, बल्कि स्वयं किसी देवता या भगवान ने ही की है. जैसे- रामेश्वरम की स्थापना भगवान श्रीराम ने, सोमनाथ की स्थापना चंद्र देवता ने तो मल्लिकार्जुन की स्थापना कार्तिकेय जी ने… और इसी से इन ज्योतिर्लिंगों की महिमा और प्रभाव और भी बढ़ जाता है. इन ज्योतिर्लिंगों के सामने या इनके आसपास बैठकर भगवान का सच्चे मन से ध्यान करने पर मनोकामनाएं पूरी होती हैं. 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम हैं-

महाकालेश्वर (उज्जैन, मध्य प्रदेश), केदारनाथ (रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड), त्र्यम्बकेश्वर (नासिक, महाराष्ट्र), सोमनाथ (सौराष्ट्र क्षेत्र, गुजरात), ओंकारेश्वर (खंडवा, मध्य प्रदेश), बैद्यनाथ (देवघर, झारखंड), नागेश्वर (द्वारका, गुजरात, महाराष्ट्र), रामेश्वरम (रामनाथपुरम, तमिलनाडु), मल्लिकार्जुन (कृष्णा, आंध्र प्रदेश), भीमाशंकर (पुणे, महाराष्ट्र), विश्वनाथ (वाराणसी, उत्तर प्रदेश), घृष्णेश्वर (औरंगाबाद, महाराष्ट्र).

shivling, bhagwan shiv ki mahima katha

भगवान शिव को क्यों चढ़ाते हैं जल

धार्मिक कारण- भगवान शिव को जल चढ़ाने का कारण धार्मिक भी है और वैज्ञानिक भी. समुद्र मंथन के समय 14 रत्न निकले थे, उनमें से एक विष यानी जहर भी था. वह विष सब जगह तेजी से फैलता जा रहा था और वह इतना भयंकर था कि पूरे ब्रह्मांड को नष्ट करने की क्षमता रखता था. उस विष को रोक पाने के क्षमता केवल भगवान शिव में ही थी. तब सभी देवता और राक्षस मिलकर भगवान शिव की शरण में गए. सबकी करुण पुकार सुनकर भगवान शिव ने सारा विष पी लिया और उसे अपने कंठ यानी गले में ही रोक लिया.

पढ़ें- भक्ति और अंधविश्वास में अंतर

विष के असर से उनके गले का रंग नीला हो गया और तभी से वे ‘नीलकंठ’ कहलाए. लेकिन उस विष के असर से भगवान शिव को अत्यंत पीड़ा हो रही थी. तब भगवान शिव का ध्यान उनके दर्द की तरफ से हटाने के लिए सभी देवताओं ने मिलकर रातभर उनके सामने नृत्य-संगीत आदि का आयोजन किया. विष की पीड़ा को शांत करने के लिए देवताओं ने उन्हें शीतल जल अर्पित किया.

देवताओं की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने सभी को आशीर्वाद दिया. भगवान शिव ने संसार को बचाने के लिए इतना सारा विष ग्रहण कर लिया. विष की जलन को शांत करने के लिए भगवान शिव को जल की धारा और ठंडी तासीर की चीजें ही चढ़ाई जाती हैं. जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा से भगवान शिव को जल चढ़ाता है, शिवजी उसे बहुत प्रसन्न होते हैं.

bhagwan shiv ne vish kyu piya tha, bhagwan shiv ki mahima katha

वैज्ञानिक कारण- अब विज्ञान भी शिवलिंग को ऊर्जा का स्रोत मानता है. शिवलिंग का जो आकार होता है, वह आसपास की ऊर्जा को अपने अंदर खींचकर उसे नियंत्रित करने में मदद करता है. विज्ञान के अनुसार, जिस तरह सूर्य पर जल चढ़ाते समय जल की धारा से होकर शरीर पर पड़ने वाली सूर्य की किरणें कई तरह की शारीरिक बीमारियों को खत्म करती हैं, उसी तरह शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाते समय शिवलिंग से निकलती आणविक विकरण ऊर्जा शारीरिक ताप को नष्ट कर देती है. वहीं, शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल नदी के बहते हुए पानी के साथ मिलकर औषधि का रूप ले लेता है.

भगवान शिव की पूजा

भगवान शिव को बेलपत्र, फूल और चंदन का स्नान बेहद प्रिय है. इनकी पूजा दूध, दही, घी, चीनी और शहद इन पांचों अमृत, जिन्हें पञ्चामृत कहा जाता है, से की जाती है. पूजा करते समय अगर भक्त या श्रद्धालु भगवान शिव को 108 बेलपत्र अर्पित करें, तो शिवजी जल्द शीघ्र प्रसन्न होते हैं. अगर हर एक बेलपत्र में चंदन से श्रीराम का नाम लिखा हो, तो भगवान शिव और भी ज्यादा प्रसन्न हो जाते हैं. बेलपत्र चढ़ाते समय हर बार ‘ॐ नमः शिवाय’ का जप भी करते रहें. इससे घर की धन और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दूर होती हैं, वहीं लड़कियों को मनचाहा वर भी मिलता है.

shiv puja

भगवान शिव की पूजा से सभी देवता हो जाते हैं प्रसन्न

भगवान शिव के व्रत-त्योहारों में सावन, प्रदोष, शिवरात्रि, महाशिवरात्रि, हरतालिका आदि प्रमुख हैं. भगवान शिव की उपासना से केवल शिवजी ही नहीं, बल्कि माता पार्वती जी, भगवान कार्तिकेय जी, भगवान गणेश जी, भगवान विष्णु जी और सभी देवता भी प्रसन्न हो जाते हैं. बस भक्तों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि भगवान शिव की पूजा के दौरान मन में किसी तरह के और किसी के लिए बुरे विचार नहीं लाने हैं और मांस-मदिरा आदि से भी बिल्कुल दूर रहना है.


Tags : bhagwan shivshankarji ka mahima, bhagwan shiv ki puja, shiv ko kaise prasan kare, mahadev ko kaise prasan kare, mahadev ki pooja kaise kare, bhagwan shiv shri ram ki puja



Copyrighted Material © 2019 - 2024 Prinsli.com - All rights reserved

All content on this website is copyrighted. It is prohibited to copy, publish or distribute the content and images of this website through any website, book, newspaper, software, videos, YouTube Channel or any other medium without written permission. You are not authorized to alter, obscure or remove any proprietary information, copyright or logo from this Website in any way. If any of these rules are violated, it will be strongly protested and legal action will be taken.



About Sonam Agarwal 237 Articles
LLB (Bachelor of Law). Work experience in Mahendra Institute and National News Channel (TV9 Bharatvarsh and Network18). Interested in Research. Contact- sonagarwal00003@gmail.com

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*