जौ : पुराने समय में यही खाते थे लोग, जानिए इसके इस्तेमाल और फायदे

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जौ के इस्तेमाल फायदे नुकसान

Barley Benefits in Hindi (Jau ke Fayde)

प्राचीन काल में लोगों का मुख्य भोजन जौ और गेहूं (Barley and Wheat) होता था. कहा जाता है कि हमारे ऋषि-मुनियों का मुख्य आहार भी जौ (Barley) ही था. अगर आप इतिहास की किताब उठाकर देखेंगे तो उसमें भी सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का मुख्य भोजन जौ को ही बताया गया है. इसके अलावा, वेदों में यज्ञ की आहुति के रूप में भी जौ को स्वीकार किया गया है. संस्कृत में इस अनाज को ‘यव’ कहते हैं.

जौ गेहूं की ही जाति का एक अनाज है, हालांकि देखने में और स्वाद में यह गेहूं से एकदम अलग दिखाई देता है. गेहूं की तुलना में जौ ज्यादा हल्का और मोटा अनाज है. इसे भी पीसकर आटा बनाकर खाने में इस्तेमाल किया जाता है. आयुर्वेद में जौ को कई बीमारियों के इलाज में औषधि के रूप में बताया गया है.

जौ का उत्पादन या खेती

जौ की खेती मुख्य रूप से भारत, रूस, अमेरिका, कनाडा, जर्मनी और यूक्रेन में की जाती है. भारत में तो जौ की खेती सब जगह होती है, विशेष रूप से गुजरात और राजस्थान में. जौ को रेतीली और सामान्य मिट्टी में भी उगाया जा सकता है.

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जौ के पौधे भी गेहूं के पौधे की तरह उतनी ही ऊंचाई वाले होते हैं. इनके पत्ते मुलायम, लंबे और नोंकदार होते हैं. जौ की फसल को खरीफ और रबी, दोनों के रूप में बोया जाता है. कुछ स्थानों पर गेहूं और जौ को साथ-साथ भी बो दिया जाता है, ऐसी फसल को ‘बेरड़’ या ‘गोजई’ कहा जाता है.

जौ के इस्तेमाल और फायदे

कुछ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जौ के सेवन या इस्तेमाल से डायबिटीज में आराम होता है, त्वचा की समस्याएं, मुहांसे (पिंपल्स) आदि दूर किए जा सकते हैं, भूख बढ़ती है, कमजोरी दूर होती है, हड्डियां और दांत मजबूत बनते हैं और कफ, जुकाम, खांसी और सांस की तकलीफ में आराम होता है.

♦ जौ कफ की समस्या को कम करता है. विद्यार्थियों के लिए जौ का सेवन काफी फायदेमंद माना गया है. जौ में लैक्टिक अम्ल, सेलिसिलिक एसिड, फॉस्फोरिक एसिड, पोटेशियम और कैल्शियम होता है और कुछ मात्रा में कैरोटीन भी पाया जाता है. बीमार और कमजोर लोगों के लिए जौ का सेवन अच्छा माना जाता है, क्योंकि यह शरीर में बल को बढ़ाता है.

♦ राजस्थान में जौ को आम जनता का सामान्य आहार बताया जाता है. उत्तर प्रदेश में गर्मियों के मौसम में छोटी-छोटी भूख को मिटाने और शरीर में ठंडक लाने के लिए जौ का इस्तेमाल सत्तू के रूप में ज्यादा किया जाता है.

♦ जौ को भूनकर, पीसकर और उसके आटे में पानी और स्वाद के अनुसार चीनी या नमक मिलाकर सत्तू बनाया जाता है (इसी तरह चने का सत्तू भी तैयार किया जाता है). जौ का सत्तू ठंडा, कफ और पित्त को दूर करने वाला, शरीर से गंदगी को निकालने वाला माना गया है. गर्मियों के मौसम में थके हुए लोगों के लिए सत्तू का सेवन फायदेमंद माना जाता है.

♦ जौ को अच्छी तरह कूटकर, उसका ऊपर वाला खुरदरा छिलका निकालकर, फिर पीसा जाता है. जौ के आटे से रोटी, टिक्की, परांठे आदि बनाए जाते हैं. गेहूं के आटे में जौ का आटा मिलाकर भी ये सभी चीजें बनाई जाती हैं. जौ की रोटी सेहत के लिए फायदेमंद मानी गई है.

♦ कहते हैं कि जो लोग अपना वजन घटाना चाहते हैं, वे अगर गेहूं-चावल को छोड़कर जौ की रोटी और छाछ का सेवन करें या, चौलाई या मेथी की भाजी के साथ जौ की रोटी खाएं, तो धीरे-धीरे उनका मोटापा कम होने लगता है और शरीर फुर्तीला बनता है.

♦ जिन लोगों को सांस की तकलीफ या खांसी या कफ या जुकाम आदि की समस्याएं रहती हैं, उनके लिए जौ का सेवन काफी फायदेमंद माना जाता है.

♦ जौ को कूटकर, उसके ऊपर के खुरदरे छिलके को निकालकर उसे चौगुने पानी में उबालकर (3-4 बार उबाल आने के बाद), उतारकर करीब एक घंटे तक ढक कर रख दीजिए और फिर इसे छान लीजिए. इस पानी को ‘बार्ली-वॉटर’ (जौ का पानी) कहा जाता है. इस पानी को पीने से उल्टी, अतिसार, पेशाब की रुकावट या जलन और किडनी की समस्याओं में आराम होता है. (जौ के सेवन से पेशाब बहुत आती है).

मूंग की दाल और जौ का पानी (Barley water) पीने से आंतों की समस्या में आराम होता है. जौ के सेवन से जोड़ों के दर्द में भी आराम मिलता है.

♦ त्वचा रोगों या चर्म रोगों (Skin Diseases) में भी जौ का सेवन फायदेमंद माना जाता है. जौ खून भी साफ करता है.

जवाखार

जौ के दानों से भरे सूखे पौधों को जलाकर राख बनाइए. फिर उस राख को सौ गुने पानी में रातभर के लिए भिगो दीजिये. सुबह-सुबह ऊपर-ऊपर के निथरे हुए पानी को कपड़े से छानकर कलई वाली कढ़ाई में उबालिए. पूरा पानी जल जाने पर ‘जवाखार’ तैयार हो जाता है. जवाखार को हृदय रोगों, गुल्म रोग, गले के रोगों, कफ, सांस की तकलीफ, अफारा आदि में फायदेमंद माना गया है.

♦ जौ जानवरों को भी खिलाया जाता है. कहते हैं कि दूध देने वाले पशुओं को जौ खिलाने से वे ज्यादा दूध देते हैं.

सावधानी- यह भी कहा जाता है कि गेहूं की तुलना में जौ पचने में भारी होता है, इसलिए यह पेट में गैस बनाता है. इसलिए इसका सेवन सही मात्रा में करें, साथ ही जब शारीरिक मेहनत ज्यादा कर रहे हों, तब जौ का सेवन फायदेमंद है.

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