चावल (Rice) : दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी का मुख्य आहार… जानिए गुण, इस्तेमाल और फायदे

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चावल खाने के फायदे और नुकसान

Rice benefits for Health

धान (Paddy) के बीजों को ही चावल (Rice or Chawal) कहा जाता है. धान को ओखली में कूटकर, उसके ऊपर के छिलकों को अलग कर लिया जाता है, यानी बिना छिलके के धान के दानों को ‘चावल’ और पकाए हुए चावलों को ‘भात’ कहते हैं. चावल ठंडे होते हैं, साथ ही ताकत भी बढ़ाते हैं. दुनिया की कुल आबादी में से आधे से ज्यादा लोग चावल ही खाते हैं. दक्षिण भारतीय लोगों का मुख्य भोजन चावल ही है. भारत का बासमती चावल (Basmati Rice) पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है और विदेशों में भी निर्यात किया जाता है.

चावल का उत्पादन

भारत समेत एशिया और दुनिया के बहुत से देशों का मुख्य भोजन चावल है. दुनिया में मक्का के बाद सबसे ज्यादा उगाया जाने वाला अनाज धान ही है. गेहूं और चावल दोनों ही भारत के मुख्य फसलों में आते हैं और आहार में भी सबसे ज्यादा इन्हीं दोनों का इस्तेमाल किया जाता है. चावल तो पूरे एशिया की ही सबसे महत्वपूर्ण फसल है. भारत में चावल की खेती सब जगह की जाती है, लेकिन सबसे अच्छी किस्म और सबसे ज्यादा मात्रा में धान की खेती पश्चिम बंगाल (West Bengal) में होती है. भारत में चावल का सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाला राज्य पश्चिम बंगाल है.

धार्मिक कार्यों या पूजा में चावल का महत्व

भारत में चावलों का इस्तेमाल रोज के खाने में तो होता ही है, साथ ही रोज के धार्मिक कार्यों या भगवान की पूजा में भी चावलों का इस्तेमाल मुख्य रूप से होता है. कोई भी धार्मिक कार्य शायद चावल के बिना तो हो ही नहीं सकते. किसी भी पूजा में टीका या तिलक लगाने के लिए रोली और हल्दी के बाद चावलों का ही प्रयोग किया जाता है.

कहते हैं कि अगर किसी पूजा या धार्मिक कार्य में कुछ अधूरापन लग रहा हो, यानी आपको लग रहा हो कि भगवान को ये मुख्य चीज, जो चढ़ाई जानी चाहिए थी, लेकिन किसी कारणवश नहीं चढ़ा सके तो पूजा के अंत में चावलों (अक्षत) के कुछ दानों को प्रेम के साथ चढ़ा देने से ये दोष या कमी पूरी हो जाती है.

चावलों का संबंध हमारी कई पौराणिक कथाओं से भी है. जैसे- जब भक्तराज सुदामा अपने परम मित्र भगवान श्री कृष्ण से मिलने के लिए पहली बार द्वारिका जा रहे थे, तब वे अपने साथ केवल एक मुट्ठी चावल ही ले गए थे. सुदामा के इन्हीं चावलों के बदले भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें तीनों लोक दान में देने का मन बना लिया था.

भगवान को चावल की खीर का प्रसाद लगाना, लोगों में बंटवाना और खुद भी खाना बहुत शुभ माना जाता है. शरद पूर्णिमा की रात चावल की ही खीर बनाई जाती है. वहीं, बसंत पंचमी के दिन मीठे चावल बनाए जाते हैं. चावलों को फेंकना पाप माना गया है.

चावल के गुण, इस्तेमाल और फायदे

चावल में काफी मात्रा में फाइबर होता है, इसी के साथ इसमें विटामिन, कैल्शियम, आयरन, थायमीन और मिनरल्स (खनिज तत्व) जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं. जिन लोगों को रोटी नहीं पचती, वे रोज में चावल ही खाना ज्यादा पसंद करते हैं. जिन लोगों को ग्लूटेन से एलर्जी होती है, उनके लिए चावल अच्छा आहार है.

आयुर्वेद के अनुसार, चावल में शरीर को तुरंत ऊर्जा देने और बुढ़ापे की प्रक्रिया को धीमा करने की क्षमता होती है. चावल शरीर को ताकत देते हैं और पेट को ठंडक पहुंचाते हैं. चावलों के सेवन से पीलिया, बवासीर, उल्टी और दस्त समेत कई बीमारियों का इलाज किया जा सकता है.

चावल की इतनी रेसिपी बनाई जा सकती हैं, जिन्हें शायद गिना भी नहीं जा सकता. एक तो उबले चावल किसी के भी साथ मिलाकर रोज ही खाए जाते हैं, जैसे- किसी भी दाल, कढ़ी, किसी भी सब्जी, दही, छाछ, दूध आदि. इनके आलावा, चावल की खीर, दाल-चावल की खिचड़ी, चावल की बिरयानी, पुलाव, चावल की इडली-डोसा, चावल की मिठाई-लड्डू, चावल की रोटी, मुरमुरे आदि बनाए जाते हैं.

चावल पचने में हल्के होते हैं. किसी भी दाल या सब्जी के साथ मिलाकर या पुलाव बनाकर खाने से ये बेहद स्वादिष्ट लगते हैं. इसीलिए बुखार या बीमारी की स्थिति में दाल के साथ उबले चावल या दाल-चावल की खिचड़ी ही देने की परंपरा है.

खिचड़ी भारत का लोकप्रिय व्यंजन है और यह बीमार लोगों के लिए बहुत फायदेमंद मानी जाती है, क्योंकि यह पचने में हल्की होती है और स्वादिष्ट भी. खिचड़ी को और भी ज्यादा स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें कई तरह के मसाले और सब्जियां डालकर बनाई जाती है. बुखार में खिचड़ी शरीर को काफी ताकत देती है और एनर्जी लेवल को बढ़ाती है.

गर्मियों में दस्त की शिकायत होने पर अच्छे ताजे दही में उबले चावल और उनमें थोड़ा-सा सेंधा नमक और सूखा पुदीना मिलाकर खाने से आराम होता है.

उबले चावलों को बघार लगे छाछ में मिलाकर खाने से गर्मी, अत्यधिक प्यास, जी मचलाने और दस्त की समस्या में आराम होता है.

 उबले चावलों को मूंग या अरहर की दाल के साथ मिलाकर खाने से वे ज्यादा फायदेमंद हो जाते हैं, गैस कम करते हैं और उनकी पौष्टिकता भी बढ़ जाती है. वहीं, अगर अरहर या मूंग की दाल के साथ चावल मिलाकर खिचड़ी बनाई जाती है तो वह और भी ज्यादा पौष्टिक होती है.

चावल के मुरमुरे ठंडे, हल्के, कफ, पित्त, अतिसार, उल्टी आदि को दूर करने वाले माने जाते हैं.

उबले हुए चावलों से पुलाव बनाया जाता है जो सब जगह ही बहुत पसंद किया जाता है और रोज के ही खाने में आता है. पुलाव बनाते समय इसमें कई तरह की सब्जियां, जैसे- गाजर, पालक, कॉर्न, बीन्स, मटर, पनीर के टुकड़े, सोयाबीन, तेजपत्ता, करी पत्ता, सूखे मेवे और कई तरह के मसाले आदि मिलाए जाते हैं.

♣ कहते हैं कि चावल ज्यादा मात्रा में खाने से वजन या मोटापा बढ़ता है. हालांकि बहुत से लोग इस बात से सहमत नहीं हैं. दाल-चावल की खिचड़ी या, उबले चावलों को मूंग की दाल के साथ मिलाकर खाने या हल्दी, कालीमिर्च, सेंधा नमक डालकर कम ऑयल में पुलाव बनाकर खाने से ये मोटापे का कारण नहीं बनते.

♣ उबले चावलों में घी और चीनी मिलाकर खाने से मोटापा बढ़ सकता है.

त्वचा-बालों की देखभाल या सुंदरता बढ़ाने में चावल का इस्तेमाल

Rice Benefits for Face- केवल खाने में ही नहीं, चावल का इस्तेमाल कई लोग स्किन केयर या सुंदरता बढ़ाने के लिए भी करते हैं. चावल के पानी में एंटी-ऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होता है. यह त्वचा को हल्का करने और एंटी-एजिंग में मदद करता है. चावल में स्टार्च होता है, इसलिए संवेदनशील त्वचा के लिए चावल का पानी फायदेमंद माना जाता है. कहते हैं कि चावल के पानी के इस्तेमाल से त्वचा के काले धब्बे दूर किए जा सकते हैं और निखार बढ़ाया जा सकता है.

चावल को 30-40 मिनट तक उबालिए और उसके अतिरिक्त पानी को जमा कीजिए. फिर इस पानी को पूरी तरह ठंडा हो जाने दीजिए, या थोड़े से चावलों को अच्छे से साफ करके साफ पानी में रातभर के लिए भिगो दें और फिर सुबह पानी को छानकर इस्तेमाल करें…. फिर एक रुई की बॉल को चावल के पानी में भिगोकर इसे पूरे चेहरे पर लगाएं और धीरे-धीरे इससे त्वचा की मालिश करें. करीब 15 से 30 मिनट बाद चेहरे को धो लें. इससे त्वचा में एक नई ताजगी का एहसास होगा.

कुछ लोग चावल के पानी से बालों की मसाज कर शैंपू करने की भी सलाह देते हैं. कहा जाता है कि इससे बाल मजबूत और घने बनते हैं.

चावल के सेवन में सावधानियां

♠ चावल की तासीर ठंडी होती है, इसलिए सर्दियों की रात में चावल का सेवन सेहत के लिए ठीक नहीं होता (वैसे तो किसी भी मौसम में, रात में चावलों का सेवन कम ही करना चाहिए). सर्दियों के मौसम में गरमागरम चावलों का ही सेवन करना चाहिए. कोशिश करें कि चावल जिस दिन बनाएं, उसी दिन खाकर खत्म कर लें, क्योंकि बासी चावल खाना सेहत के लिए ज्यादा ठीक नहीं.

♠ लेकिन अगर चावल दूसरे दिन के लिए भी बच गए हैं, तो उन्हें फेंके नहीं (अगर चावल खराब न हो गए हों तो)… उन्हें अच्छी तरह गर्म करके या उनमें हल्दी आदि डालकर उनके पुलाव बनाकर, या उनमें गर्म दाल डालकर ही उनका सेवन करें. बचे चावलों की खीर भी बनाई जा सकती है.

♠ कुछ जानकारों के मुताबिक, वायरल फीवर में चावल का सेवन सीमित मात्रा में किया जाना चाहिए.

एकादशी के दिन चावल न खाएं.

नकली चावल की पहचान कैसे करें-

बाजारों में बिकने वाले चावलों में नकली या प्लास्टिक के चावल (Imitation Rice) इस तरह मिलाए जाते हैं कि इनके रंग- रूप, आकार और स्वाद में तक फर्क कर पाना बहुत मुश्किल है. इस नकली चावल को खाने से पेट की बीमारियों समेत कैंसर जैसी भयानक बीमारी तक का खतरा है.

अगर चावल पकाते समय कुछ अलग सी गंध आए तो सावधान हो जाइए. असली चावल की तुलना में नकली चावल ज्यादा चमकदार, साफ-सुथरे और कम वजनदार होते हैं.

नकली चावल देर से पकते हैं. नकली चावल को पकाने के बाद उसके बचे हुए पानी यानी मांड पर सफेद रंग की परत जमा हो जाती है. इस मांड को कुछ देर तक धूप में रखने पर यह प्लास्टिक बन जाता है, जिसे जलाया भी जा सकता है.

नकली चावल को आग में डालने पर उनमें से प्लास्टिक के जलने जैसी गंध आएगी. वहीं, खाने वाले गर्म तेल में नकली चावल डालने वे पिघलने लगते हैं. प्लास्टिक चावल को चबाने पर वह खिंचता सा है.

धान की खेती

चावलों के लिए काली, चिकनी, क्यारी की जमीन अनुकूल मानी जाती है. चावल मुख्य रूप से बारिश की फसल है. अच्छी बारिश होने के बाद चावलों को बोया जाता है. हालांकि इन्हें सर्दियों के मौसम में भी बोया जाता है. चावल की बोआई बीच की पनीरी करने के बाद की जाती है.

धान के पौधे डेढ़-दो हाथ तक की ऊंचाई के होते हैं और पौधों में सब जगह पत्ते ही पत्ते होते हैं. पत्तों में से एक गोल पोली सलाई निकलती है. इस सलाई की चोटी पर धान की बालियां लगती हैं और इन्हीं बालियों में धान के दाने या चावल बनते हैं. चावल के पौधे शुरुआत में हरे रंग के और पक जाने के बाद पीले हो जाते हैं.

चावल की बहुत किस्में होती हैं. धान से जब केवल उसका बाहरी छिलका हटा दिया जाता है, तो जो दाने दिखते हैं उन्हें भूरे चावल (Brown Rice) कहते हैं. इनका रंग इसलिए भूरा होता है, क्योंकि इनमें ब्रान बचा रहता है. ब्रान को भी हटा देने से सफेद रंग का चावल निकल आता है. सफेद चावलों की तुलना में ब्राउन चावल ज्यादा फायदेमंद माने गए हैं.

नोट- इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और कई किताबों पर आधारित है. इन पर अमल करने से पहले डॉक्टर या जानकार की सलाह ले लें.


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