Chane ke Fayde aur Nuksan
भारतीय रसोई में चनों (Gram or Chana) का इस्तेमाल किसी न किसी रूप में होता ही है. चना भारत की मुख्य फसलों में से एक है, जिसकी खेती भारत में हजारों सालों से की जा रही है. दुनिया में चने का सबसे ज्यादा उत्पादन भारत में ही होता है. देश के सभी क्षेत्रों में इसका उत्पादन किया जाता है. चने को ‘चिक पी’ और ‘बंगाल ग्राम’ भी कहा जाता है. चने की फसल तैयार होते ही, इसके दानों के सूखने तक इसका हर रूप में इस्तेमाल किया जाता है और सभी रूपों में यह बहुत पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है, इसीलिए चने को ‘दलहनों का राजा’ (King of pulses) भी कहा जाता है. सूखे चने के आटे को ही ‘बेसन’ (Besan) कहते हैं. आइए जानते हैं चने के अलग-अलग इस्तेमाल और फायदे.
चने की खेती (Gram Cultivation)
चने की दो किस्में होती हैं- देसी और काबुली (Kala chana and kabuli chana). देसी चनों को ‘काले चने’ और काबुली चने को ‘छोले’ कहते हैं. काबुली चने काले चनों की तुलना में थोड़े बड़े और हल्के बादामी रंग के होते हैं. भारत में चने का जितना उत्पादन किया जाता है, उसका 85 प्रतिशत हिस्सा देसी चने का ही होता है. भारत में चने की खेती रबी की फसल के रूप में होती है. चने की बोआई आश्विन मास में की जाती है और होली तक इसकी फसल तैयार हो जाती है.
बारिश की समाप्ति के समय क्यारी की जमीन में बोये हुए चने बिना सिंचाई के पक जाते हैं. इनके पौधे एक फीट ऊंचे, रोयेंदार और ज्यादा डालियों और पंखुड़ियों वाले होते हैं. इनके पत्ते छोटे, लंबे और भीतरी गहराई तक कटे हुए होते हैं. चने के पत्तों की भी सब्जी बनाई जाती है, जो बहुत स्वादिष्ट लगती है. चने के पौधों पर फलियां लगती हैं, जिन्हें बूट कहते हैं. उन्हीं बूटों में से दाने निकलते हैं. चने के हरे-हरे बूटों को लोग बड़े चाव से ऐसे ही या सेंककर या भूनकर खाते हैं. ये बड़े ही स्वादिष्ट लगते हैं.
चने के इस्तेमाल (Chana Uses)
चने के हरे-हरे दानों की खिचड़ी, सब्जी और मिठाई भी बनाई जाती है, जो बहुत स्वादिष्ट लगती है. वहीं, चने के दाने अच्छी तरह सुखा लिए जाते हैं, तो उन्हें भी सेंककर या भूनकर खाया जाता है. सूखे और सेंके या भुने हुए चनों को गुड़ के साथ खाना बहुत फायदेमंद होता है. भुने चनों को पीसकर सत्तू (Chana Sattoo) बनाया जाता है, जो गर्मियों में शरीर को ठंडक देता है और सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है. सत्तू का शरबत बनाया जाता है, या इसमें केवल पानी और चीनी या नमक मिलाकर ऐसे ही खा लिया जाता है.
सूखे चनों की दाल या सब्जी भी बनाई जाती है. तड़का लगी चने की दाल (Chane ki daal) चावल के साथ बहुत स्वादिष्ट लगती है और दिनभर के लिए पेट भर देती है. सूखे चनों को पीसकर उनका आटा तैयार किया जाता है, जिसे बेसन (Gram flour or Besan) कहते हैं.
चने का आटा या बेसन (Gram Flour or Besan)
बेसन के तो बहुत इस्तेमाल हैं और फायदे भी. बेसन से ही पकौड़े, भजिया, बड़े, हलवा, लड्डू, ढोकला, चीला, कढ़ी, हिंगोरा, खांडवी, बूंदी, मिठाई, रायता, चाट, पापड़ी, रोटी, पूड़ी, सब्जी, सेव, नमकीन और ना जाने कितनी चीजें बनती हैं. इसके आलावा, बेसन का इस्तेमाल धार्मिक कार्यों या पूजा में भी होता है.
बेसन त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद है. बेसन में बराबर मात्रा में हल्दी (Haldi-Besan) मिलाकर और फिर उसमें दूध या गुलाबजल या पानी मिलाकर इस पेस्ट को चेहरे पर 15-20 मिनट के लिए लगाने से चेहरे पर अच्छा निखार आता है.
चने के गुण और फायदे
चने में प्रोटीन बहुत मात्रा में होता है. इसी के साथ, चने में कैल्शियम ,आयरन, विटामिन-B, मैग्नीशियम, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, पोटेशियम और कैलोरी भी पर्याप्त मात्रा में होती है. चने खाने से ताकत बढ़ती है और शरीर मजबूत और बलवान बनता है. इसीलिए यह पहलवानों का भी पसंदीदा आहार माना जाता है. घोड़ों को ताकत देने वाला आहार चाहिए होता है और उन्हें गुड़-चने ही दिए जाते हैं. इसीलिए कहा जाता है कि ‘गुड़-चने खाने से इंसान घोड़े की तरह दौड़ने लगता है’.
अंकुरित चने (Sprouted Gram Benefits)
अंकुरित अनाज या दालें सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माने जाते हैं. अंकुरित चने (Sprouted gram) नेचुरल डाइट में सबसे अच्छे माने जाते हैं. इनमें आयरन और कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है, साथ ही ये पचाने में भी बहुत आसान होते हैं. अंकुरित चने खाने से किडनी में नए सेल्स जल्दी और आसानी से बनते हैं.
पढ़ें – अनाजों या दालों को अंकुरित करने की विधि और इन्हें खाने के फायदे
रात को भिगोए हुए चने या अंकुरित चने (Ankurit Chane) खाने से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) बढ़ती है, ताकत बढ़ती है, शरीर में कई पोषक तत्वों की कमी पूरी होती है और एक नई ऊर्जा मिलती है. अंकुरित चनों में आप कटी प्याज, टमाटर, धनिया, नींबू, काला नमक, हरी मिर्च या काली मिर्च आदि डालकर खा सकते हैं. यह सुबह का अच्छा नाश्ता माना जाता है.
चने खाने के फायदे (Chana Benefits for Health)
♦ एनर्जी और वजन बढ़ाने के लिए चने खाए जाते हैं. जिन लोगों को बहुत पौष्टिक आहार की जरूरत होती है, उन्हें चनों का सेवन करना चाहिए.
♦ रातभर भिगोये चने, अंकुरित चने, भुने चने और गुड़ चने खाने के अलग-अलग फायदे हैं. ये सभी एनर्जी से भरपूर पौष्टिक आहार हैं.
♦ रात को भिगोए हुए चने की दाल सुबह नाश्ते में खूब चबा-चबाकर खाने से शरीर पुष्ट और बलवान बनता है.
♦ कमजोर लोगों को भी किसी ना किसी रूप में चने जरूर खाने चाहिए. लेकिन चने खाने के बाद कुछ मेहनत भी करनी चाहिए, ताकि इन्हें आसानी से पचाया जा सके.
♦ शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए या ताकत और वजन को बढ़ाने के लिए शाम को दो मुट्ठी काले चने साफ पानी में भिगो दें और सुबह जब ये अच्छे से मुलायम हो जाएं, तब इन्हीं नाश्ते में खूब चबा-चबाकर खाएं. यह ताकत बढ़ाने का सबसे सस्ता उपाय माना जाता है. इससे दांत भी मजबूत होते हैं.
♦ चना प्रोटीन का अच्छा स्रोत है. अगर नाश्ते में रोज चनों का सेवन किया जाए, तो मोटापे को भी कंट्रोल में रखा जा सकता है, क्योंकि चने में काफी मात्रा में फाइबर होता है. यह भूख को कंट्रोल करता है और लंबे समय तक पेट को भरा रखता है.
♦ जिन लोगों को खून की कमी की शिकायत है, उन्हें अंकुरित चनों का सेवन करना चाहिए. चने में आयरन काफी मात्रा में होता है, इसलिए ये शरीर में खून की कमी की शिकायत को भी दूर करने में मददगार हैं.
♦ कहीं भी जाएं तो भुने चनों (Bhune Chane) को साथ ले जाएं, क्योंकि ये जल्दी एनर्जी देते हैं, साथ ही जुकाम जैसे संक्रमण से भी बचाते हैं. गरम-गरम भुने काले चनों को सूंघने से भी जुकाम में आराम होता है और खाने से फायदा होता है.
♦ रात को भुने चने चबाकर, ऊपर से गर्म दूध पीने से कफ और दमा (अस्थमा) की बीमारी में काफी राहत मिलती है. इससे कफ आसानी से निकल आता है और सांस की तकलीफ में भी आराम होता है.
♦ रात के समय भुने हुए चने खाकर, ऊपर से गर्म पानी पीने से खांसी मिटती है और दबी हुई आवाज खुलती है. गुड़-चने खाने से भी गला ठीक रहता है.
♦ चने कफ और पित्त को मिटाते हैं. सूखे और भुने हुए चने खाने से सांस की बीमारी, जुकाम और कफ में आराम मिलता है, साथ ही बुखार भी दूर होता है.
♦ चने खून में शुगर लेवल को भी कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं. चने का आटा गेहूं के आटे या जौ के आटे में मिलाकर उसकी रोटी बनाकर खाई जा सकती हैं.
♦ चने के पत्तों की सब्जी (Chane ki Bhaji) बनाकर खाने से पित्तज्वर मिटता है.
♦ अगर पेशाब रुक-रुक कर आती है, या पेशाब में जलन होती है, तो चनों के छिलकों को रात के पानी में भिगो दें और सुबह इस पानी में मिश्री डालकर पी जाएं, इससे आराम होता है.
♦ अगर पेशाब बार-बार आती है या ज्यादा आती है, तो भुने चने अच्छी तरह चबा-चबाकर ऊपर से गुड़ खाएं, इससे राहत मिलती है.
♦ चनों का रोज सेवन करने से हृदय रोग के खतरे कम होते हैं. चने में मैग्नीशियम और फॉलेट काफी मात्रा में होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं.
♦ चने के सेवन से ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल में रहता है.
♦ रात को भिगोए हुए चनों को सुबह गुड़ के साथ खाने से पीलिया में आराम होता है.
♦ चने का क्षार पेट की समस्याओं के लिए अच्छी औषधि मानी जाती है. चने का क्षार लौंग और शहद के साथ पीने से हैजे में आराम होता है.
♦ फोड़ों पर चने का क्षार लगाने से फोड़ा पक जाता है और उसके अंदर जमा गंदा खून बाहर निकल आता है.
♦ बिच्छू के डंक पर भी चने का क्षार लगाने से विष उतर जाता है.
♦ Gram Flour benefits for Skin- चने का आटा या बेसन त्वचा के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. बेसन के रोज इस्तेमाल से त्वचा के अनचाहे बाल कम होते हैं, दाग-धब्बे कम होते हैं, त्वचा मुलायम बनती है और कालापन दूर होकर निखार बढ़ता है.
चने के सेवन में सावधानियां
कोढ़ या पथरी के मरीजों को चनों का सेवन सीमित या कम मात्रा में करना चाहिए, क्योंकि इन दोनों बीमारी में चने का सेवन सही नहीं है.
काले चनों का ज्यादा मात्रा में सेवन करने से पेट में गैस बनती है.
नोट- इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और कई किताबों पर आधारित है. इन पर अमल करने से पहले डॉक्टर या जानकार की सलाह ले लें.
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