Arhar ki Daal : प्रोटीन की कमी पूरी करती है अरहर की दाल, जानिए इसके गुण, फायदे और नुकसान

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अरहर की दाल के फायदे और नुकसान

Arhar Dal in Hindi/ Toor or Arhar ki dal ke Fayde

दाल के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले सभी दलहनों (Pulses) में अरहर प्रमुख है. अरहर की दाल (Arhar ki Daal) को ही तुअर की दाल (Tuvar ki Daal) कहा जाता है. यह भी रोज के खाने में ही आती है. बहुत से लोगों के घर में रोज के खाने में अरहर की दाल और चावल बनाए जाते हैं. उबले चावलों के साथ ज्यादातर लोग मसालेदार तड़का लगी अरहर की दाल ही लेना पसंद करते हैं. स्वाद के मामले में लोगों को अरहर की दाल काफी पसंद आती है. यह आसानी से पच जाती है, इसलिए यह बीमारी में भी दी जा सकती है.

अरहर का उत्पादन और अरहर की खेती

दुनिया में अरहर की सबसे ज्यादा खेती भारत में ही होती है और भारत में अरहर की खेती सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश (UP) में होती है. भारत में अरहर की खेती हजारों सालों से होती आ रही है, हालांकि कुछ लोगों का यह भी मानना है कि ‘अरहर की दाल के पौधे भारत के जंगलों में नहीं पाए जाते, जबकि अफ्रीका के जंगलों में मिलते हैं, इसलिए यह दाल पूरी दुनिया में अफ्रीका से आई है’.

arhar ki dal

भारत के सभी क्षेत्रों में अरहर की खेती मिश्रित फसल के रूप में की जाती है. अरहर को ‘रेडग्राम’ और ‘पिजन पी’ भी कहा जाता है. अरहर के पौधे दो तरह के होते हैं- हर साल होने वाले और दो-तीन सालों तक टिकने वाले. हर साल होने वाले पौधे दो-ढाई हाथ तक ऊंचे होते हैं, जबकि दो-तीन सालों तक टिकने वाले पौधे करीब पांच-छह हाथ की ऊंचाई तक बढ़ते हैं. ये पौधे कुछ मोटे भी होते हैं. अरहर भी दो तरह की होती है- लाल और सफेद.

अरहर की खेती के लिए काली, चिकनी जमीन ज्यादा अनुकूल रहती है. बारिश की शुरुआत में वर्षा की फसल के रूप में इसकी बोआई की जाती है. बारिश के अंत में इसकी फसल पक जाती है और काट ली जाती है. इसकी फसल काटने पर इसके दाने झाड़ लिए जाते हैं. अरहर की खेती से मिट्टी की उर्वरा शक्ति या उपजाऊ बढ़ता है, जबकि खुद अरहर की फसल को भी ज्यादा खाद-पानी की जरूरत नहीं होती.

अरहर की बनाई जाती हैं कई रेसिपी (Arhar dal Recipe)

उबले चावलों के साथ सबसे बढ़िया जोड़ा अरहर की दाल का ही माना जाता है. अरहर की कई और स्वादिष्ट और फायदेमंद रेसिपी बनती हैं, जैसे अरहर के लड्डू, सब्जी, हलवा, खिचड़ी, ढोकला आदि. अरहर की दाल से पूरनपोली भी बनाई जाती है. इसके आलावा, इस दाल के पानी से कढ़ी भी बनती है. अरहर की दाल में कई सब्जियां मिलाकर तड़का लगाने पर यह बहुत स्वादिष्ट लगती है. अरहर की दाल में अलग-अलग सब्जियां, मसाले और इमली के गूदा मिलाकर बनाने से दक्षिण भारत का स्वादिष्ट व्यंजन सांभर तैयार किया जाता है, जो इडली-डोसा के साथ बहुत ही अच्छा लगता है.

अरहर के फायदे- प्रोटीन का अच्छा स्रोत है अरहर

अरहर में आयरन, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम और खनिज तत्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं. हालांकि, अरहर को चने की तुलना में कम पौष्टिक माना जाता है, लेकिन अरहर में प्रोटीन काफी मात्रा में पाया जाता है. अरहर की दाल प्रोटीन (Protein) का एक बहुत ही अच्छा स्रोत है और सेहत के लिए यह अच्छी मानी जाती है.

अरहर की दाल खाने से शरीर में प्रोटीन की कमी पूरी हो सकती है और इसीलिए इसे खाने के बाद पेट काफी देर तक भरा हुआ लगता है. मांस की तुलना में भी अरहर में प्रोटीन ज्यादा पाया जाता है. इसके आलावा, इसमें फाइबर भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है.

अरहर की दाल शुगर लेवल को कंट्रोल करने में भी मददगार है. इस दाल को खाने से ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल में रहता है. अरहर की दाल खाने से पेट काफी देर तक भरा लगता है, इसलिए यह वजन को भी कंट्रोल रखने में मदद करती है. इस दाल को खाने से शरीर को भरपूर पोषण मिलता है.

अरहर की दाल शरीर की अंदर से मरम्मत कर रोग-प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) भी बढ़ाती है, साथ ही शरीर को एनर्जी भी देती है. अरहर की दाल त्रिदोष यानि वात, पित्त और कफ मिटाने वाली मानी जाती है, इसलिए यह सभी के खाने लायक होती है.

♠ अरहर की दाल पेट में गैस बनाती है, लेकिन इसमें पर्याप्त मात्रा में शुद्ध घी डालकर खाने से यह गैस नहीं बनाती.

अरहर खून साफ करने और कफ मिटाने वाली मानी जाती है. अरहर के पौधों की कोमल डंडियां और पत्ते दूध देने वाले जानवरों को खिलाए जाते हैं, इससे वे दूध ज्यादा देते हैं. अरहर के सूखे डंठलों का इस्तेमाल ईंधन के रूप में भी किया जाता है.

अरहर के पत्तों को पीसकर कटे-फटे घाव पर बांधने से घाव जल्दी ठीक हो जाते हैं.

अरहर के ताजा पत्तों का रस पीने से अफीम और विष का असर कम होता है.

अरहर के सेवन में सावधानियां

वैसे तो अरहर की दाल खाने के कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं, लेकिन रोज-रोज ज्यादा मात्रा में खाने पर यह कब्ज, गैस और कुछ एलर्जी की समस्या खड़ी कर सकती है.

अरहर की दाल पचने में हल्की होती है, लेकिन कभी-कभी ज्यादा खा लेने पर यह कब्ज, गैस का भी कारण बन सकती है. इसलिए जिन लोगों को गैस, कब्ज या सांस की बीमारी हो, उन्हें अरहर की दाल का सेवन सीमित या कम मात्रा में करना चाहिए.

अरहर की दाल में पर्याप्त मात्रा में शुद्ध घी मिलाकर खाने से यह ज्यादा फायदा करती है. अरहर की दाल जिस डब्बे में रखें, उस डब्बे में सूखी लाल मिर्च या तेजपत्ता डालने से इसमें कीड़े नहीं पड़ते और यह लंबे समय तक सुरक्षित रहती है.

नोट- इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और कई किताबों पर आधारित है. इन पर अमल करने से पहले डॉक्टर या जानकार की सलाह ले लें.

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