How to Get Success in Life
सही चीज के लिए, सही दिशा में, सही तरीके से, सही समय पर की गई सही मेहनत से कामयाबी (Success) का जन्म होता है. कामयाबी की इच्छा रखने वाले ज्यादातर लोग इन सभी बातों का ध्यान रख लेते हैं, लेकिन इनके संतुलन में कुछ चूक कर जाते हैं, खासकर जब समय परीक्षा का हो. अक्सर ज्यादातर लोग चीज, दिशा, तरीका और मेहनत में उलझकर रह जाते हैं और समय (Time) अपनी रफ्तार से चुपचाप खिसकता चला जाता है, नतीजा- वो सफलता नहीं मिल पाती, जो हम चाहते हैं.
समय एक शांत बहती हुई गहरी नदी की तरह बिना शोर मचाता हुआ अपनी रफ्तार से बहता चला जाता है. हवा की तरह यह तब भी बहता रहता है जब हमें उसका एहसास नहीं होता. पानी की ही तरह समय का भी ना तो कोई अपना आकार है ना स्वाद है और ना ही कोई गंध है, लेकिन इस्तेमाल करने वाला चाहे तो इसका शरबत बना ले और चाहे तो जहर घोल ले. ठीक वैसे ही, जैसे कुछ लोग अक्सर खुद को समय के भरोसे छोड़ देते हैं, जबकि समय खुद उन पर भरोसा करता है, जो उसे जीतना चाहते हैं, जो उसे पाना चाहते हैं, यानी जो समय को मैनेजमेंट करना जानते हैं.
समय का मैनेजमेंट
समय का मैनेजमेंट (Time management) दो तरीकों से किया जा सकता है. पहला- समय के साथ हो लिया जाए और दूसरा- समय को अपने साथ कर लिया जाए. इन दोनों तरीकों में मामूली सा अंतर है, लेकिन गहराई से देखने पर दोनों दो विपरीत दिशाओं की तरह महसूस होंगे. आप अक्सर लोगों को यह कहते हुए पाएंगे कि ‘मेरा तो समय ही ठीक नहीं चल रहा है’, ‘मेरा भी समय बदलेगा’ लेकिन क्या समय भी बदलता है कभी? क्या किसी के दिन में 24 से ज्यादा घंटे होते हैं? नहीं न…तो फिर समय कैसे बदलेगा? बदलना तो खुद को ही होगा, समय के अनुसार या समय को साथ लेकर.
अभी नहीं तो कभी नहीं
बस 5 मिनट, बस 10 मिनट बाद कर लेंगे, अरे कल कर लेंगे…ये सब समय के सबसे बड़े दुश्मन हैं. कुछ लोगों को ये दलीलें देते हुए तो अक्सर सुना जा सकता है. वास्तव में ये दलीलें टालू प्रवृत्ति के व्यक्तियों की आदत बन जाती हैं, जिसका असर उसके कर्म और उसकी क्षमता पर पड़ता है. यही आदतें हमारे आगे बढ़ने के रास्ते में एक रुकावट की तरह आ खड़ी होती हैं. यह एक कड़वा सत्य है कि जो काम सही समय पर नहीं किया जाता, उसका नतीजा भी सही नहीं निकलता. टालू प्रवृत्ति से आजाद होने के लिए जरूरी है कि “अभी नहीं तो कभी नहीं” का फार्मूला अपनाया जाए.
सफलता हर कोई चाहता है लेकिन..
सफलता हर कोई चाहता है, इसके लिए सपने भी खूब देखे जाते हैं, लेकिन सपने उन्हीं के पूरे होते हैं, जो दृढ़ संकल्प के साथ अपने कर्म करते हुए एक-एक कदम आगे बढ़ाते चले जाते हैं. उन्हें किसी लॉटरी पर नहीं, किसी चमत्कार पर नहीं, बल्कि खुद पर विश्वास होता है. व्यवहारिक सोच रखने वालों को अपना लक्ष्य पता होता है और वे ये भी जानते हैं कि कोई चमत्कार नहीं, बल्कि सही तरीके से, सही दिशा में की गई उनकी मेहनत ही उन्हें मंजिल तक पहुंचा सकती है.
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इस क्रम में कई बार उन्हें कई बार असफलताओं का भी सामना करना पड़ता है, लेकिन वे हताश या निराश बहुत ज्यादा दिनों तक नहीं होते. इस असफलता को अपनी कमजोरी या बहाना नहीं बना लेते. वे किसी भी हालत में अपने प्रयासों में कोई कमी नहीं आने देते, बल्कि लक्ष्य को हासिल करने का उनका संकल्प और भी मजबूत होता चला जाता है. वे तब तक हार नहीं मानते, जब तक मनचाही सफलता हासिल न कर लें.
करने होंगे कई जतन और बढ़ाना होगा आत्मविश्वास
आज ज्यादातर युवा अपने मन में चल रही उथल-पुथल के कारण चिंता और तनाव के शिकार होते जा रहे हैं. जब किशोर होते हैं तब ‘परीक्षा में अच्छे नंबर आएंगे या नहीं’, जब युवावस्था आती है, तब पढ़ाई पूरी करते ही ‘मनपसंद जॉब मिलेगी या नहीं’, जॉब मिल गई है तो ‘कहीं वह चली तो नहीं जाएगी’ या ‘नौकरी कब तक चलेगी’, या ‘दूसरे साथियों को तो प्रमोशन और अच्छा इंक्रीमेंट मिला जा रहा है, लेकिन मुझे नहीं’. मन में ऐसी बातें इसलिए आती हैं, क्योंकि हमें खुद पर विश्वास नहीं होता. खुद पर विश्वास होगा, तभी आत्मविश्वास का स्तर भी बढ़ेगा, लेकिन ऐसा कहने या सोच लेने से ही नहीं होता, बल्कि खुद पर भरोसा बढ़ाने के लिए कई तरह के जतन करने होते हैं.
सपने देखने में कोई बुराई नहीं लेकिन…
पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम (Doctor APJ Abdul Kalam) का कहना था कि “सपने (Dream) देखने में कोई बुराई नहीं है. हम सपने नहीं देखेंगे तो उसे पाने की दिशा में प्रयास कैसे करेंगे. सपने जरूर देखें, लेकिन सपनों में खो जाने और दिन-रात उसी के बारे में सोचने की बजाय उन्हें पूरा करने की दिशा में पूरी मेहनत भी करें, तभी सपने पूरे होते हैं.”
अपने सपनों के मुताबिक एक बार मंजिल तय कर लेने के बाद उसके लिए लगातार खुद को निखारने पर ध्यान दें. छोटी-छोटी उपलब्धियों और सफलताओं पर इतराने और उसी में डूब जाने की बजाए अपने लक्ष्य को और आगे बढ़ाएं, ताकि खुद को आगे बढ़ाने की कोशिश में कोई कमी न आ पाए. विनम्र रहें और लगातार सीखते जाने पर ध्यान दें. कभी भी मेहनत से जी न चुराएं, क्योंकि यही वो मन्त्र है जो आपको पहचान और प्रसिद्धि दिला सकती है.
निराश या दुखी होकर मिलेगा भी क्या?
अपने अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों को भी समझना बहुत जरूरी है, तभी सफलता हमारे पास देर तक टिक सकती है. इसके अलावा, अगर आप कभी असफल हों तो इससे निराश होने की बजाय असफलता के कारणों को तलाशने पर ध्यान दें. आखिर आप निराश या दुखी होकर भी क्या हासिल कर लेंगे, बल्कि सही तरीके से और सही दिशा में प्रयास करते जाने पर कभी भी आपकी किस्मत पलट सकती है. अपनी कमजोरियों को पहचानकर उन्हें दूर करने का हर संभव प्रयास करें. इससे खुद को मजबूत बनाने में और मदद मिलेगी.
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