COP26 Climate Conference in Hindi
31 अक्टूबर से 12 नवंबर तक संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन COP26 (UN Climate Change Conference COP-26) का आयोजन ग्लासगो (UK) में किया जा रहा है, जिसकी मेजबानी यूनाइटेड किंगडम (UK) की तरफ से इटली के साथ साझेदारी में की जाएगी. इससे पहले, इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) ने पृथ्वी की जलवायु (Earth’s climate) पर अपनी मूल्यांकन रिपोर्ट पेश की है, जिसमें आने वाले समय में हीटवेव, सूखा, अत्यधिक वर्षा और समुद्र के स्तर में वृद्धि के बारे में बताया गया है.
COP26 के लक्ष्य-
संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के अनुसार, COP26 के चार लक्ष्य तय किए गए हैं-
(1) 2050 तक ग्लोबल नेट-जीरो को सुरक्षित करना और पृथ्वी के औसत तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बनाए रखना
क्या है ‘ग्लोबल नेट जीरो’ लक्ष्य- एक ऐसी अर्थव्यवस्था तैयार करना, जिसमें जीवाश्म ईंधनों (Fossil Fuels) के इस्तेमाल को बिल्कुल कम या खत्म करके उसका वैकल्पिक इंतजाम करना, ताकि सभी इंडस्ट्रीज उसी से चलाई जाएं. यानी एक ऐसी व्यवस्था तैयार करना, जिससे कार्बन उत्सर्जन (Carbon Emissions) का लेवल लगभग जीरो हो जाए. दरअसल, IPCC की एक भविष्यवाणी अनुसार, कार्बन उत्सर्जन को लेकर अगर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले सालों में पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ जाएगा. पृथ्वी के औसत तापमान को 2 डिग्री से कम रखने के लिए ‘नेट जीरो’ जैसी व्यवस्था बहुत जरूरी है.
इसे लेकर देशों को उत्सर्जन कटौती-2030 के लक्ष्यों पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देने पर जोर दिया जा रहा है. इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए देशों को-
– कोयले के फेज-आउट में तेजी लाना होगा,
– वनों या जंगलों की कटाई को रोकना होगा,
– डीजल वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल करना होगा,
– अक्षय ऊर्जा (ऊर्जा के वे प्राकृतिक स्रोत जो नष्ट नहीं होते, जैसे-हवा, सूर्य आदि) में निवेश को बढ़ावा देना होगा,
(2) प्राकृतिक आवासों की रक्षा के लिए अनुकूल स्थिति बनाना
पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा और पुनर्स्थापना के लिए सभी सदस्य देश मिलकर काम करेंगे.
(3) फंड जुटाना
विकसित देशों (Developed countries) को हर साल जलवायु वित्त (Climate Finance) में कम-से-कम 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाने के अपने वादे को पूरा करना चाहिए.
(4) सभी लक्ष्यों को मिलकर पूरा करना.
COP के बारे में-
COP यानी ‘काॅन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज’ UNFCCC के तहत आता है. COP, UNFCCC के तहत निर्णय लेने वाला सबसे बड़ा या सर्वोच्च निकाय है. कन्वेंशन के सभी पक्षकार देश कॉप में भाग लेते हैं. कॉप के दौरान सभी पक्षकार देश कन्वेंशन के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए जरूरी फैसले लेते हैं और इन प्रावधानों के तहत किए गए कार्यों की नियमित रूप से समीक्षा भी करते हैं. COP हर साल अपने सत्र का आयोजन करता है. COP के वार्षिक सत्र का पहली बार आयोजन साल 1995 में जर्मनी की राजधानी बर्लिन में किया गया था.
COP के सदस्य देशों की जिम्मेदारियां-
वैश्विक तापमान में वृद्धि को रोकने के उपाय खोजना, तैयारी में सहयोग करना और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी शिक्षा, प्रशिक्षण और जन-जागरूकता को बढ़ावा देना.
COP की बैठकें-
UNFCCC में भारत, चीन और अमेरिका समेत 198 देश शामिल हैं. COP के सदस्य देशों की तरफ से साल 1995 से हर साल बैठक का आयोजन किया जाता है. इसकी वार्षिक बैठक सामान्यतः जर्मनी के शहर बॉन में होती है, जब तक कि कोई पक्षकार देश वार्षिक सेशन की मेजबानी करने की पेशकश नहीं करता है.
COP अध्यक्ष का कार्यालय आमतौर पर पांच संयुक्त राष्ट्र क्षेत्रीय समूहों (UN Regional Groups) अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन, मध्य और पूर्वी यूरोप और पश्चिमी यूरोप और अन्य के बीच चक्रीय रूप से घूमता है. बैठक की अध्यक्षता आमतौर पर उस देश के पर्यावरण मंत्री की तरफ से की जाती है, जिसका चुनाव COP सेशन के उद्घाटन के तुरंत बाद किया जाता है.
UNFCCC क्या है-
जलवायु पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) एक अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण सम्बंधी संधि है, जिसे 4 जून 1992 में रियो-डि-जेनेरो में होने वाले पृथ्वी सम्मेलन के दौरान मूर्त रूप दिया गया था. इस संधि का मुख्य उद्देश्य ग्रीन हाउस गैसों के खतरनाक स्तर को रोकना है.
UNFCCC सचिवालय (यूएन क्लाइमेट चेंज) संयुक्त राष्ट्र की एक इकाई है. UNFCCC (संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन) की स्थापना साल 1994 में ‘वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैस सांद्रता को स्थिर करने’ की दिशा में काम करने के लिए की गई थी. UNFCCC जलवायु परिवर्तन पर पहला बहुपक्षीय कन्वेंशन था, जिसे साल 1992 में रियो सम्मेलन में भाग लेने वाले देशों ने अपनाया था.
इस कन्वेंशन का मुख्य उद्देश्य साथ मिलकर वैश्विक तापमान में तेजी से हो रही वृद्धि को रोकना और इसके दुष्प्रभावों का मुकाबला करना है. हालांकि, इस कन्वेंशन को साल 1992 में अपनाया गया था, लेकिन यह 21 मार्च 1994 को लागू हुआ था. अभी तक 197 देशों ने इसका समर्थन किया है, जिन्हें ‘पार्टी टू द कन्वेंशन’ कहा जाता है.
COP की वार्षिक बैठकें-
1995– COP1 (बर्लिन, जर्मनी)
1997– COP3 (क्योटो प्रोटोकॉल)
2002– COP8 (नई दिल्ली, भारत) दिल्ली घोषणा
2007– COP13 (बाली, इंडोनेशिया)
2010– COP16 (कैनकन)
2011– COP17 (डरबन)
2015– COP21 (पेरिस)
2016– COP22 (माराकेश)
2017– COP23 (बॉन, जर्मनी)
2018– COP24 (काटोवाइस, पोलैंड)
2019– COP25 (मैड्रिड, स्पेन)
2021– COP26 (ग्लासगो, UK)
(COP26 को साल 2020 में स्थगित कर दिया गया था और अब ये बैठक नवंबर 2021 में ब्रिटेन के ग्लासगो में आयोजित की जा रही है)
2023– COP28 (अबू धाबी, संयुक्त अरब अमीरात)
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