What is Gaganyaan Mission ISRO
चंद्रयान और सूर्ययान के बाद ISRO अब गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission ISRO) की तैयारी कर रहा है. गगनयान भारत का पहला अंतरिक्ष मानव मिशन (First Human Spaceflight Program) है, जिसके जरिये भारत पहली बार इंसानों को अंतरिक्ष में भेजेगा. ‘गगनयान’ शब्द संस्कृत से लिया गया है, जिसका अर्थ है आकाश वाहन.
इस मिशन के तहत इसरो का प्लान 3 लोगों को 3 दिन के लिए अंतरिक्ष में रखने का है. पहले यह प्लान 7 दिन का था, जिसे घटाकर 3 दिन कर दिया गया. ये अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी की निचली कक्षा LEO (पृथ्वी की सतह से 400 किमी की कक्षा में) में चक्कर लगाएंगे. दूसरे शब्दों में, गगनयान अंतरिक्ष यान (Gaganyaan Spacecraft) को पृथ्वी की 400 किलोमीटर की निचली कक्षा (Low Earth Orbit-LEO) में स्थापित किया जाएगा.
इस गगनयान मिशन के हिस्से के रूप में सरकार ने भारत के दो मानवरहित मिशन (Uncrewed Flights) और एक मानव मिशन को मंजूरी दी है. यानी इस मिशन के तहत मानवयुक्त उड़ान से पहले टेस्ट मिशन भी होगा और यह टेस्ट मिशन मानवरहित होगा. इस मिशन में भारत एक ह्यूमनॉयड यानी रोबोट को अंतरिक्ष में भेजेगा. इस रोबोट का नाम है ‘व्योममित्र’ (Vyommitra). यह महिला रोबोट अंतरिक्ष से इसरो को रिर्पोट भेजेगी.
पहला चरण – पहला चरण मानवरहित होगा. यह मानवरहित मिशन तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाएगा. इस मिशन से रिसर्च में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा. सारे सिस्टम्स की जांच की जाएगी. रिकवरी सिस्टम और टीम की तैयारियों की जांच होगी.
दूसरा चरण – ‘व्योममित्र’ नाम की महिला रोबोट को अंतरिक्ष में भेजा जायेगा, जो अंतरिक्ष यात्रियों की तरह काम करेगी. यह महिला रोबोट ग्राउंड स्टेशन से ISRO के संपर्क में रहेगी.
तीसरा चरण – भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजा जायेगा. सभी उम्मीदवार अंतरिक्ष यात्री भारतीय वायु सेना के पायलट हैं.
गगनयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पहला स्वदेशी मिशन है जो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजेगा. यदि यह मिशन सफल होता है, तो भारत अंतरिक्ष में मानव भेजने वाला (अमेरिका, रूस और चीन के बाद) चौथा देश होगा.
• 12 अप्रैल 1961 में रूस द्वारा यूरी गागारिन को,
• 5 मई 1961 में अमेरिका द्वारा एलन शेफर्ड को,
• 15 अक्टूबर 2003 में चीन द्वारा यांग लिवेइ को अंतरिक्ष में भेजा गया था.
गगनयान मिशन की मुख्य बातें-
♦ गगनयान मिशन की घोषणा पहली बार प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने वर्ष 2018 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने राष्ट्र के नाम संबोधन में की थी. मानवयुक्त मिशन से पहले, इसरो ने गगनयान मिशन के हिस्से के रूप में दो मानवरहित मिशनों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना बनाई है.
♦ पहला मानवरहित मिशन दिसंबर 2020 में और दूसरा मिशन जून 2021 में भेजा जाना था. हालाँकि, कोरोनावायरस महामारी के कारण इसरो के कार्यों और संचालन में व्यवधान के कारण इस कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया था. इस मिशन को 2022 तक पूरा कर लेने का प्लान था, लेकिन सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए इसे फिर एक वर्ष आगे बढ़ा दिया गया.
♦ गगनयान अंतरिक्ष यान को 300-400 किलोमीटर की निचली पृथ्वी कक्षा (LEO) में स्थापित किया जाएगा. कार्यक्रम की कुल लागत 10,000 करोड़ रुपये से कम होने की उम्मीद है. गगनयान की सफलता से अंतरिक्ष उड़ान मिशनों के साथ कई और प्रयोग हो सकते हैं. इससे भारत के अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने के सपने को भी बढ़ावा मिलेगा.
गगनयान मिशन और व्योममित्र (Gaganyaan Mission and Vyommitra)
मानवयुक्त मिशन भेजने से पहले, चालक दल (Crew) की उड़ान से पहले सिस्टम के प्रदर्शन का अध्ययन करने के लिए, सुरक्षा और विश्वसनीयता सत्यापन के लिए प्रोटोटाइप के रूप में दो मानवरहित मिशन भी भेजे जाएंगे. यदि सब कुछ योजना के अनुसार हुआ तो पहला मानवरहित मिशन अक्टूबर 2023 में भेजा जा सकता है.
उसके बाद दूसरा मानवरहित मिशन, जिसमें ‘व्योममित्र’ नाम का रोबोट होगा, भेजा जायेगा. उसके बाद मानवयुक्त मिशन भेजा जाएगा. पहली चालक दल वाली गगनयान उड़ान (First Crewed Gaganyaan Flight) 2024 के अंत में लॉन्च हो सकती है.
रोबोट ‘व्योममित्र’ अंतिम मिशन से पहले सभी संभावित चुनौतियों का आकलन करेगा. व्योममित्र रोबोट इंसानों की तरह काम करती है. वह गगनयान के क्रू-मॉड्यूल (जिसमें बैठकर अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी की निचली कक्षा में चक्कर लगाएंगे) में लगे रीडिंग पैनल को पढ़ेगी, साथ ही ग्राउंड स्टेशन पर मौजूद वैज्ञानिकों से बातचीत करती रहेगी. आप इंटरनेट पर ‘व्योममित्र’ रोबोट की तस्वीर देख सकते हैं.
ISRO ने इस ह्यूमेनॉयड रोबोट को 24 जनवरी 2020 को पेश किया था. इस रोबोट को बनाने का उद्देश्य देश के पहले मानव मिशन गगनयान के क्रू-मॉड्यूल में भेजकर अंतरिक्ष में इंसानी शरीर की हरकतों को समझना है. यह फिलहाल बेंगलुरु में है. इसे दुनिया की बेस्ट स्पेस एक्सप्लोरर ह्यूमेनॉयड रोबोट का खिताब मिल चुका है.
गगनयान अंतरिक्ष यान और लॉन्चिंग
अंतरिक्ष यान में एक सर्विस-मॉड्यूल और एक क्रू-मॉड्यूल होता है, जिसे सामूहिक रूप से ऑर्बिटल-मॉड्यूल के रूप में जाना जाता है. दूसरे शब्दों में, ऑर्बिटल मॉड्यूल जो पृथ्वी की परिक्रमा करेगा, उसमें क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल शामिल हैं. क्रू-मॉड्यूल में बैठकर ही अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी का चक्कर लगाएंगे.
ISRO के पास जो भारी-भरकम LVM-3 रॉकेट है. यह इसरो का सिद्ध और विश्वसनीय भारी लिफ्ट लॉन्चर है, जो गगनयान मिशन के लिए लॉन्च वाहन (Launch Vehicle) के रूप में जाना जायेगा. LVM-3 को क्रू-मॉड्यूल को ढोने लायक बनाया जा रहा है, यानी उसे पूरी तरह से ह्यूमन रेटेड किया जा रहा है.
LVM-3 को H-LVM3 में बदलना सबसे जरूरी है, ताकि पृथ्वी के चारों तरफ 400 किलोमीटर वाली गोलाकार ऑर्बिट (कक्षा) में क्रू-मॉड्यूल को पहुंचाया जा सके. यहां पर H का अर्थ है- ह्यूमन रेटेड. बाद में इस रॉकेट का नाम HRLV होगा, यानी ह्यूमन रेटेड लॉन्च व्हीकल (Human Rated Launch Vehicle).
गगनयान मिशन में मानव सुरक्षा सर्वोपरि है. LVM-3 रॉकेट में सुरक्षा पर सबसे अधिक ध्यान दिया जाएगा, जैसे क्रू एस्केप सिस्टम (Crew Escape System). यानी किसी भी तरह का खतरा महसूस होने पर क्रू-मॉड्यूल हमारे अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर सुरक्षित वापस आ जाए. रॉकेट में गड़बड़ी होने पर उसके किसी भी स्टेज से दूर ले जाकर अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित रखे. यदि किसी भी तरह की इमरजेंसी आती है, तो क्रू-मॉड्यूल अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर समुद्र में गिर जाएगा.
गगनयान मिशन का मुख्य लक्ष्य (Objective of Gaganyaan Mission)-
इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. सिवन ने गगनयान मिशन को लेकर कहा था-
“हम गगनयान मिशन के जरिए अंतरिक्ष में केवल इंसानों को नहीं भेजना चाहते, इसके जरिए हम दीर्घकालिक स्तर पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के अवसर पैदा करना चाहते हैं. यह मिशन कई एजेंसियों, भारतीय वायु सेना और इसरो के बीच सहयोग की मिसाल है. हमें इस मिशन से रिसर्च, शिक्षा, आर्थिक विकास, तकनीकी विकास और युवाओं को साइंस में इंटरेस्ट जगाने में सफलता मिलेगी.”
♦ गगनयान मिशन का मुख्य लक्ष्य प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन करना है. अन्य लक्ष्यों में निम्नलिखित शामिल हैं-
• देश के विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देना.
• अन्य संस्थान, शिक्षा जगत और उद्योग भी इन राष्ट्रीय कार्यक्रमों में शामिल होंगे.
• युवाओं को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा.
• समाज की भलाई के लिए प्रौद्योगिकी का विकास.
• अंतरराष्ट्रीय सहयोग और नीतियों के लिए रास्ता बनाया जायेगा.
♦ गगनयान के लिए प्रमुख सहयोगी भागीदारों में शामिल हैं (Major collaborating partners for Gaganyaan include)-
• Indian Armed Forces
• Defence Research Development organisation
• Indian maritime agencies – Indian Navy, Indian Coast Guard, Shipping corporation of India, National institute of Oceanography, National Institute of Ocean Technology.
• Indian Meteorological Department
• CSIR Labs
• Academic institutes
• Industry partners.
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