Hanuman Temple in Jagannath Puri
हनुमान जी (Hanumanji) की कृपा को कौन नहीं जानता. हनुमान जी उन देवताओं में शामिल हैं जो कलियुग में भी अपने भक्तों के लिए धरती पर मौजूद हैं, यानी हनुमान जी का ध्यान करने से इनकी कृपा तुरंत प्राप्त होती है. हनुमान जी पर भगवान राम की विशेष कृपा है और जो भी सच्चे मन से भगवान राम और हनुमान जी का ध्यान करता है, उसकी सभी परेशानियों का अंत हो जाता है. हनुमान जी, भगवान शिवजी के ग्यारहवें रुद्रावतार, सबसे ज्यादा बलवान और बुद्धिमान हैं. कहते हैं कि हनुमान जी केवल भक्तों की ही नहीं, बल्कि भगवान की भी रक्षा करते हैं.
हम बात कर रहे हैं दुनिया के कुछ ऐसे पवित्र स्थानों की, जहां हनुमान जी की कृपा को सीधे तौर पर महसूस किया जा सकता है. उन्हीं स्थानों में से एक है ओडिशा के पुरी का प्रसिद्ध श्री जगन्नाथ मंदिर, जहां हनुमान जी भगवान जगन्नाथ के रक्षक के रूप में विराजमान हैं.
श्री जगन्नाथ मंदिर (Jagannath puri temple) के चारों द्वारों पर हनुमान जी (Hanuman) का पहरा
धरती का बैकुंठ कहा जाने वाला पुरी का जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) कई बड़े रहस्यों से भरा पड़ा है. इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हैं. इस मंदिर के कुछ रहस्यों को तो अभी तक विज्ञान भी नहीं समझ पाया है. कहते हैं कि भगवान जगन्नाथ ने इस मंदिर की रक्षा की जिम्मेदारी हनुमानजी को ही सौंप रखी है.
जगन्नाथ मंदिर के चार द्वार हैं और हर एक द्वार पर हनुमानजी का एक मंदिर है, जिनमें हनुमान जी अलग-अलग रूपों में रहकर अपने भगवान जगन्नाथ की सेवा करते हैं. यानी हनुमानजी चारों द्वारों पर रहकर मंदिर की रक्षा करते हैं.
1. मंदिर के पूर्वी द्वार पर हनुमान जी को ‘फट हनुमान’ के रूप में पूजा जाता है.
2. पश्चिमी द्वार पर हनुमानजी की लगभग चार फीट ऊंची मूर्ति है और यहां उन्हें ‘कानपाटा हनुमान’ के नाम से जाना जाता है.
3. मंदिर के उत्तरी द्वार पर हनुमानजी के चार हाथ हैं और चारों हाथों में वे चक्र पकड़े हुए हैं और यहां उन्हें ‘अष्टभुज हनुमान’ के रूप में पूजा जाता है.
4. वहीं, दक्षिणी द्वार पर हनुमानजी की प्रतिमा 7 फीट ऊंची है और यहां उन्हें ‘बारा भाई हनुमान’ के रूप में जाना जाता है.
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मंदिर के दक्षिणी द्वार पर विराजे हनुमान जी की महिमा
जगन्नाथ मंदिर के दक्षिणी द्वार (Southern Gate) के पास जो हनुमान मंदिर है, उसके लिए कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण जगदगुरु आदिशंकराचार्य ने करवाया था. कहते हैं कि समुद्र की लहरें कभी भी मंदिर के आंगन में आ जाती थीं, जिससे वहां पर आए भक्तों को बहुत परेशानी होती थी…. इसे रोकने के लिए आदिशंकराचार्य ने मंदिर के दक्षिणी द्वार पर हनुमान जी की मूर्ति स्थापित कर उनका आह्वान किया और हनुमान जी से समुद्र को रोक कर रखने की प्रार्थना की.
कहा जाता है कि उसके बाद से हनुमान जी की कृपा से समुद्र के द्वारा पुरी (Puri) में कभी भी कोई प्राकृतिक आपदा नहीं आई. यहां तक कि लोगों का ये भी कहना है कि जब साल 2019 में ओडिशा (Odisha) में आए भयंकर चक्रवाती तूफान ‘फनी’ ने, पुरी में काफी तबाही मचाई थी, तब भी समुद्र की लहरें ज्यादा अंदर तक नहीं घुस पाई थीं और जगन्नाथ मंदिर के मुख्य ढांचे को भी कोई नुकसान नहीं पहुंच पाया था.
मंदिर के मुख्य द्वार के सामने बेड़ी हनुमानजी का पहरा
इसी तरह, मंदिर की बाकी दिशाओं में भी हनुमान जी भगवान जगन्नाथ के रक्षक के रूप में विराजमान हैं, जिनसे जुड़ीं अलग-अलग कहानियां हैं. मंदिर के मुख्य द्वार के सामने भी जो समुद्र है, वहां पर भी ‘बेड़ी हनुमानजी’ का मंदिर है. ये मंदिर पुरी के चक्र नारायण मंदिर की पश्चिम दिशा की ओर बना है. इस मंदिर में हनुमान जी बेड़ियों यानी जंजीरों से बंधे हुए नजर आते हैं, इसीलिए यहां हनुमान जी को ‘बेड़ी हनुमान’ कहा जाता है. पुरी के लोग इसे ‘दरिया महावीर मंदिर’ भी कहते हैं.
माना जाता है कि समुद्र की लहरों से जगन्नाथ मंदिर को 3 बार काफी नुकसान पहुंचा था. समुद्र से मंदिर की रक्षा के लिए ही भगवान जगन्नाथ ने वीर हनुमान जी को नियुक्त किया था और हनुमान जी से समुद्र की लहरों को रोककर रखने के लिए कहा था. लेकिन जब-जब हनुमान जी भी भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने के लिए नगर में प्रवेश कर जाते थे, तब समुद्र भी उनके पीछे-पीछे नगर में प्रवेश कर जाता था. इससे परेशान होकर भगवान जगन्नाथ ने हनुमानजी को यहां सोने की जंजीरों से बांध दिया, ताकि हनुमान जी यहां से कहीं न जा पाएं और समुद्र से मंदिर की रक्षा होती रहे. तभी से यहां समुद्र के तट पर बेड़ी हनुमान का प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है. यहां आने वाले भक्त बेड़ी हनुमान जी के दर्शन करना कभी नहीं चूकते.
श्री जगन्नाथ मंदिर के कण-कण में हनुमान जी का निवास
कहते हैं कि जगन्नाथ मंदिर के कण-कण में हनुमान जी का निवास है. हनुमान जी ने यहां कई तरह के चमत्कार दिखाए हैं. उन्हीं चमत्कारों में से एक है…समुंदर के पास स्थित इस मंदिर के अंदर समुद्र की ही आवाज का न सुनाई देना. ये आज भी एक रहस्य है कि मंदिर के सिंह द्वार से पहला कदम अंदर रखते ही आप समुद्र की लहरों की आवाज को नहीं सुन सकते. आश्चर्य की बात ये है कि जैसे ही आप मंदिर से एक कदम भी बाहर रखेंगे, वैसे ही आपको समुद्र की आवाज सुनाई देने लगती है. कहते हैं कि ये चमत्कार भी हनुमान जी का ही है, जिसके पीछे एक कहानी भी है.
कई रूपों में रहकर भगवान की सेवा कर रहे पवनपुत्र
माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ समुद्र की लहरों की तेज आवाज की वजह से ठीक से सो नहीं पाते थे. जब उनकी ये परेशानी भक्त हनुमान जी को पता चली, तो हनुमानजी ने अपनी शक्ति से खुद को दो भागों में बांट लिया और फिर वे हवा की भी तेज रफ्तार से मंदिर के आसपास चक्कर लगाने लगे. इससे हवा का ऐसा चक्र बना कि समुद्र की आवाज मंदिर के अंदर ना जाकर मंदिर के आसपास ही घूमती रहती है और मंदिर में भगवान जगन्नाथ जी आराम से सोते हैं. इस तरह हनुमान जी यहां कई रूपों में रहकर भगवान की सेवा में लगे हुए हैं और यही कारण है कि इस मंदिर के कुछ रहस्य आज तक आधुनिक विज्ञान की भी समझ से परे हैं.
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