आसमान में कैसे बनती है बिजली, 3 लाख KM/घंटे की रफ्तार से कैसे गिरती है धरती पर, क्या हैं बचने के उपाय?

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आकाशीय बिजली कैसे बनती है

How is Lightning formed-

आकाशीय बिजली (Lightning) की घटना कुछ सेकेंड के लिए ही होती है, लेकिन इसमें इतने ज्यादा वोल्ट का करंट होता है कि किसी की भी जान लेने के लिए काफी होता है. आकाशीय बिजली गिरने से हर साल सैकड़ों लोगों की जान चली जाती है. आज हम आसमान से गिरने वाली इस आफत से जुड़ीं सभी बातों पर चर्चा करेंगे.

बादलों के टकराने से पैदा होता है घर्षण

कड़क के साथ आसमान से गिरने वाली बिजली को हिंदी में तड़ित और अंग्रेजी में ‘लाइटनिंग’ कहते हैं. बारिश के दिनों में बदल उमड़ते-घुमड़ते रहते हैं. जब बादल तेजी से एक-दूसरे की विपरीत दिशा में जाते हैं तो वे आपस में टकरा जाते हैं. इससे उनके बीच घर्षण पैदा होता है. घर्षण होने से अचानक इलेक्ट्रो स्टैटिक चार्ज निकलती है. ये तेजी से आसमान से जमीन की तरफ आती है. इस दौरान हमें कड़क आवाज सुनाई देती है और बिजली की स्पार्किंग की तरह प्रकाश दिखाई देता है. इसी को हम आकाशीय बिजली कहते हैं.

सभी तरह के बादल नहीं बनाते बिजली

अब इसी को विस्तार से समझते हैं. समुद्र, झील, तालाब और नदियों का पानी सूरज की गर्मी से वाष्प बनकर ऊपर उठता है. इस वाष्प से बादल बनते हैं, लेकिन सभी तरह के बादल बिजली नहीं बनाते. बिजली पैदा करने वाले बादल आमतौर पर धरती से करीब 10-12 किलोमीटर की ऊंचाई पर होते हैं. इनका बेस, पृथ्वी की सतह से लगभग 1-2 किलोमीटर ऊपर होता है. सबसे ऊंचाई का तापमान -35 डिग्री सेल्सियस से -45 डिग्री सेल्सियस तक होता है. जब ज्‍यादा गर्मी और नमी मिलती है तो बिजली वाले खास तरह के ये बादल ‘थंडर क्‍लाउड’ बन जाते हैं और तूफान का रूप ले लेते हैं.

बादलों में इस तरह बनती है बिजली

बादलों में नमी होती है. ये नमी बादलों में पानी के बहुत बारीक कणों के रूप में होती है. हवा और पानी के कणों के बीच टकराव होता है, जिससे घर्षण होता है. इस घर्षण से बिजली पैदा होती है और पानी के कण आवेशित यानी चार्ज हो जाते हैं. हल्के कण ऊपर चले जाते हैं और पॉजिटिव चार्ज हो जाते हैं. भारी कण नीचे जमा होते हैं और निगेटिव चार्ज हो जाते हैं. यानी बादलों के निचले हिस्‍से में निगेटिव और ऊपरी हिस्‍से में पॉजिटिव चार्ज ज्‍यादा रहता है. जब पॉजिटिव और निगेटिव चार्ज ज्यादा हो जाता है तब उस क्षेत्र में इलेक्ट्रिक डिस्चार्ज होता है. तेजी से होने वाला ये इलेक्ट्रिक डिस्‍चार्ज बिजली कड़कने के रूप में हमारे सामने आता है. इस तरह बादलों में बिजली बनती रहती है.

3 लाख किमी/घंटा की रफ्तार से गिरती है बिजली

ज्यादातर बिजली बादलों में बनती है और वहीं खत्म हो जाती है, लेकिन कई बार ये धरती पर भी गिरती है. बादलों के बीच बिजली कड़कना हमें नजर आता है और उससे कोई नुकसान भी नहीं है. नुकसान तब होता है जब बादलों से बिजली जमीन पर गिरती है. आसमान से ये बिजली धरती पर 3 लाख किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से गिरती है. आकाशीय बिजली में लाखों-अरबों वोल्ट की ऊर्जा होती है. इस बिजली का तापमान सूर्य के ऊपरी सतह से भी ज्यादा होता है. इसकी क्षमता 300 किलोवॉट यानी 12.5 करोड़ वॉट से ज्यादा चार्ज की होती है. जब ये जमीन पर गिरती है तो अपने पूरे रास्ते को बहुत कम समय में बहुत ज्यादा गर्म कर देती है.

किसी न किसी को पकड़ने की कोशिश करती है बिजली

बादलों में जब बिजली बन रही होती है, तब धरती पर मौजूद चीजों का इलेक्ट्रिक चार्ज बदलता है. धरती का ऊपरी हिस्सा पॉजिटिव चार्ज हो जाता है और निचला हिस्सा निगेटिव चार्ज रहता है. आसान शब्दों में कहें तो ये आकाशीय बिजली पृथ्वी पर पहुंचने के बाद एक ऐसे माध्यम को तलाशती है, जहां से वह गुजर सके. वह किसी को पकड़ने को कोशिश करती है.

अगर ये आकाशीय बिजली, बिजली के खंभे के संपर्क में आती है तो वह उसके लिए कंडक्टर का काम करता है, लेकिन उस समय अगर कोई व्यक्ति इसके संपर्क में आ जाता है, तो उसकी जान तक चली जाती है. ये सभी चीजें बिजली के लिए शॉर्ट सर्किट का काम करता है. ये बिजली पेड़ों पर गिरती है, तो पेड़ गिर जाते हैं. बिजली की चमक पहले दिखाई देती है और आवाज बाद में सुनाई देती है, क्योंकि प्रकाश, ध्वनि से तेज चलता है.

जिस जगह गिरती है बिजली, वहां फैल जाता है करंट

लेकिन बिजली का गिरना और बिजली का चमकना दोनों अलग-अलग बातें हैं. हर बिजली का चमकना, बिजली का गिरना नहीं होता. बिजली अगर आकाश में ही रहे तो उसे केवल बिजली का चमकना या गरजना ही कहेंगे, लेकिन अगर बिजली धरती से या धरती पर किसी चीज से टकराए तो वह बिजली का चमकना या गरजना तो होगा ही, साथ ही बिजली का गिरना भी कहलाएगा. आकाशीय बिजली ज्यादातर बरसात के दिनों में गिरती है. जिस जगह बिजली गिरती है उसके आसपास करंट फैल जाता है. अमेरिका की वेदर सर्विस रिपोर्ट के अनुसार, सबसे ज्‍यादा मौतें इसी की वजह से होती हैं.

इसकी चपेट में वो लोग ज्यादा आते हैं जो खुले आसमान के नीचे, हरे पेड़ के नीचे होते हैं, पानी के करीब होते हैं या फिर बिजली और मोबाइल के टॉवर के नजदीक होते हैं. आसमानी बिजली का असर ह्यूमन बॉडी पर कई गुना होता है, जिन्हें आसानी से ठीक भी नहीं किया जा सकता. इस बिजली का असर नर्वस सिस्टम पर पड़ता है और हार्ट अटैक भी आ सकता है. इसी के साथ, आकाशीय बिजली से व्यक्ति अपंग हो सकता है या उसकी मौत भी हो सकती है.

ग्लोबल वार्मिंग का भी बड़ा हाथ है बिजली गिरने में

आकाशीय बिजली के गिरने में जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) का भी बड़ा हाथ है. साल 2015 में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की तरफ से प्रकाशित एक स्टडी में इस बात को लेकर चेतावनी दी गई कि तापमान में एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने से आकाशीय बिजली के गिरने में 12 प्रतिशत की वृद्धि होगी. साल 2010 से 2020 के बीच गर्मियों के महीनों के दौरान, आकाशीय बिजली गिरने की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई. साल 2010 में इनकी संख्या 18 हजार से बढ़कर साल 2020 तक 1 लाख 50 हजार से ज्यादा हो गई. लाइटनिंग रेज़िलिएंट इंडिया कैंपेन की तरफ से हाल ही में जारी रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2020 और मार्च 2021 के बीच भारत में बिजली गिरने की 18.5 मिलियन घटनाएं दर्ज की गईं.

आकाशीय बिजली से कैसे किया जा सकता है बचाव

अब हम आपको ये भी बताते हैं कि आकाशीय बिजली से कैसे बचाव किया जा सकता है. आकाशीय बिजली के एक चीज पर दो बार नहीं गिरती. पेड़ के नीचे शरण लेने वालों के ऊपर बिजली गिरने का ज्‍यादा खतरा रहता है. भारत में एक-चौथाई मौतें पेड़ के नीचे या पास खड़े लोगों की हुई हैं. घर और कार जैसी बंद जगह इंसान को बिजली से बचाती हैं. कार पर जब बिजली गिरती है, तब वह टायर से होते हुए धरती में चली जाती है. इसी तरह घर पर बिजली गिरने से वह नींव के रास्ते धरती में जाती है.

बिजली चमकने के समय इलेक्ट्रिक चीजों से रहें दूर

बिजली गिरते समय अगर कोई नल से निकल रहे पानी के संपर्क में हो, या फिर लैंडलाइन फोन का इस्तेमाल कर रहा हो, तो उसे झटका लग सकता है. इसीलिए बिजली कड़कने के दौरान अगर कोई नाव चला रहा हो तो बाहर आ जाना चाहिए. रबर, टायर या फोम इससे बचाव कर सकते हैं. अगर आप बादलों के गरजने के समय घर के अंदर हैं तो घर के अंदर ही रहें. ऐसे समय में, बिजली की चीजों से दूरी बनाकर रखें, जैसे रेडिएटर, फोन, धातु के पाइप, स्टोव आदि. जिस समय बिजली कड़क रही हो, उस समय मोबाइल या किसी इलेक्ट्रिक डिवाइस का इस्तेमाल न करें. पेड़ के नीचे या खुले मैदान में जाने से बचें. अगर आप खुले मैदान में हैं तो जल्दी से किसी बिल्डिंग में जाकर खड़े हो जाएं.

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