राधा-कृष्ण का यह भजन सुनकर लोग बोले- ‘लगता है जैसे इस सीरियल में ईश्वर ने स्वयं काम किया है’

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Shri Krishna Song Ramanand Sagar

वैसे तो रामानंद सागर (Ramanand Sagar) ने कई धार्मिक सीरियल बनाए हैं, लेकिन उनके बनाए ‘रामायण’ और ‘श्रीकृष्ण’ (Ramayana and Shri Krishna serial) सीरियल लोगों के दिलों में एक अलग जगह बनाए हुए हैं. कहानियों को दिखाने के तरीके से लेकर गीत, संवाद, पात्र, कॉस्ट्यूम सब आदि जंचते हैं.

इसी के साथ धार्मिक कहानियों के साथ ज्यादा छेड़छाड़ न होने की वजह से भी लोगों को इन दोनों धारावाहिकों से बहुत कुछ सीखने और समझने को मिलता है. रामानंद सागर की दूरदर्शिता, कल्पनाशक्ति आदि की स्पष्ट झलक देखने को मिलती है. और यही वजह है कि लोग आज भी इन्हीं सीरियल्स को देखना सबसे ज्यादा पसंद करते हैं.

इस गाने के लिए लोगों ने इस तरह जताईं अपनी भावनाएं
श्रीकृष्णा सीरियल में राधा-कृष्ण के दिव्य प्रेम को काफी अच्छी तरह से दिखाने की कोशिश की गई है. स्वप्निल जोशी और श्वेता रस्तोगी (Swapnil Joshi and Shweta Rastogi) ने अपने-अपने किरदारों में जान डालने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.

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इसी कहानी में एक गाना है- ‘हे प्राणेश्वर विदा, हे सर्वेश्वर विदा… ‘ यूट्यूब के तिलक चैनल (Tilak channel of YouTube) के द्वारा अपलोड किए गए इस गाने के कमेंट सेक्शन में लोगों ने जिस तरह से अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं, उससे पता चलता है कि आज भी यह गाना दर्शकों पर किसी मंत्र की तरह काम करता है.

‘उस समय के वियोग में कितना दुख रहा होगा’
जैसे- सौरभ गोयल नाम के एक यूजर ने लिखा, “मुझे लगता है कि इस सीरियल में ईश्वर ने स्वयं काम किया है, सभी किरदारों के कार्यों ने दिल को छू लिया. लगता है जैसे रामानंद सागर स्वयं ईश्वर के दूत थे.”

दूसरे यूजर ने लिखा, “निश्चित ही रामानंद सागर जी और उनकी पूरी टीम को परमात्मा का सानिध्य प्राप्त हुआ होगा. मैं जितनी बार भी इसे सुनता हूं, आंसू अपने आप ही निकलने लगते हैं. राधा-कृष्ण जी का कितना सजीव वियोग दर्शाया गया है इस दृश्य के माध्यम से. इस वियोग में इतना दुख है, तो उस समय के वियोग में कितना दुख रहा होगा. धन्य है हमारी राधे रानी और कृष्ण कन्हैया.”

‘ऐसा महसूस होता है जैसे द्वापर युग में जी रहा हूं’
एक अन्य यूजर ने लिखा, “ये कर्णप्रिय सुमधुर गीत को सुन लगता है जैसे प्राण शरीर को छोड़ कहीं दूर जाने लगे हों.”

एक और यूजर ने लिखा, “ऐसा महसूस होता है जैसे द्वापर युग में जी रहा हूं.”

एक यूजर ने लिखा, “इस गाने को सुनकर मैं एकदम शांत हो जाता हूं.”

अन्य यूजर ने लिखा, “रामानंद सागर जी के ‘श्रीकृष्ण’ और ‘रामायण’ धारावाहिक श्रीकृष्ण की इच्छा से बने हैं.”

एक यूजर ने लिखा, “सच्चे प्रेम की परिभाषा. इस भजन से महसूस हुआ कि प्यार क्या है.”

वहीं, बहुत से लोगों ने कविता कृष्णमूर्ति की आवाज की सराहना की है.

गीत-
हे प्राणेश्वर विदा, हे सर्वेश्वर विदा
भग्न हृदय मूक प्रणय, कहता प्रियवर विदा
विदा विदा, विदा…. विदा

संग तुम्हारे जा न सकूं मैं, तुमको रोक न पाऊं
तुम तो चले कर्तव्य के पथ पर, मैं किस पथ पर जाऊं
हे योगेश्वर विदा, हे मुरलीधर विदा
भग्न हृदय मूक प्रणय, कहता प्रियवर विदा
विदा विदा, विदा… विदा

दो हृदयों के बीच बहेगी, यमुना की एक धारा
धरती के इस आंगन में, जहां अंतिम मिलन हमारा
धर्म के रथ पर विदा, कर्म के पथ पर विदा
भग्न हृदय मूक प्रणय, कहता प्रियवर विदा
विदा… विदा… विदा.. प्रियवर विदा..

एक यूजर ने ‘प्रणय’ का अर्थ बताते हुए लिखा है-
“अक्सर पति-पत्नी या प्रेमी-प्रेमिका के बीच का प्रेम ‘प्रणय’ कहलाता है, जैसे माता और संतान के बीच का प्रेम वात्सल्य कहलाता है. स्नेह और मोह में सूक्ष्म अंतर होता है, मोह स्वार्थवश भी हो सकता है और मोह अपनों का होता है, लेकिन प्रेम निश्छल होता है. यह किसी के लिए भी हो सकता है, जैसे ईश्वर के लिए भक्ति, भक्त का भगवान के प्रति प्रेम.”

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“वास्तव में देखा जाए तो प्रेम की व्याख्या करना असम्भव है. शब्दों में इसे व्यक्त नहीं किया जा सकता है. प्रेम आपकी आंतरिक ऊर्जा और अंतर्मन की तरंगें हैं, जिसे केवल महसूस किया जा सकता है. प्रेम भावना का दूसरा नाम हो सकता है, जिस तरह वायु होती है. वायु का झोंका हमें स्पर्श करता है तब हमें पता चलता है, लेकिन हमें वायु दिखती नहीं, उसी तरह प्रेम एहसास का नाम है, जिसे केवल हृदय स्पर्श कर सकता है, बाह्य देह से उसका कोई सम्बन्ध नहीं. यह लिंग, आयु, देश, जाति आदि से परे है.”

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