‘मेहनत का फल मीठा होता है’, ये कहावत शहद (Honey or Shahad) पर बिल्कुल सटीक बैठती है. एक बूंद शहद बनाने के लिए एक छोटी सी मधुमक्खी (Bee) को कितनी मेहनत करनी पड़ती है, इसका अंदाजा तो केवल मधुमक्खी को ही हो सकता है. शहद (Honey) खाने में तो स्वादिष्ट होता ही है, साथ ही कई बीमारियों में दवा का भी काम करता है. आयुर्वेद में शहद को औषधि का दर्जा मिला हुआ है, क्योंकि ये लगभग सभी जरूरी पोषक तत्वों, खनिजों और विटामिन्स का खजाना होता है. आज, इसी शहद को बनाने वाली मधुमक्खियों के बारे में कई रोचक बातों को जानते हैं-
मधुमक्खी का जीवन (Honey Bee Life Cycle)-
मधुमक्खी के जीवन में 4 तरह के बदलाव होते हैं- अंडा, लार्वा, प्यूपा और मक्खी. मधुमक्खियां एक सामाजिक प्राणी (Social) हैं और एक ग्रुप बनाकर मोम (Wax) के बने छत्ते में रहती हैं. एक साथ रहने वाली सभी मधुमक्खियों के ग्रुप को ‘कॉलोनी’ (Bees Colony) कहा जाता है. वातावरण और स्थान के अनुसार, एक कॉलोनी में 5 हजार से 50 हजार तक मधुमक्खियां हो सकती हैं. एक छत्ते या कॉलोनी में कौन सी मधुमक्खी कौन सा काम करेगी, ये सब निश्चित होता है.
एक कॉलोनी में होती हैं 3 तरह की मधुमक्खियां
एक कॉलोनी या छत्ते में तीन तरह की मधुमक्खियां होती हैं- रानी मधुमक्खी, नर मधुमक्खियां और मजदूर मधुमक्खियां. एक छत्ते की हजारों मधुमक्खियों में रानी मधुमक्खी (Queen bees) केवल एक ही होती है. ये आकार में बाकी मधुमक्खियों से बड़ी होती है और ज्यादा चमकीली भी, इसलिए इसे झुंड में आसानी से पहचाना जा सकता है.
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पूरे छत्ते में अंडे देने का काम केवल यही एक रानी मधुमक्खी ही करती है. रानी मधुमक्खी एक दिन में लगभग 2,000 से 3,000 अंडे दे सकती है…. और इसमें इनकी सहायता करती हैं- नर मधुमक्खियां या ड्रोन मधुमक्खियां (male bees or drone bees). छत्ते में नर मधुमक्खियों की संख्या बदलती रहती है. इनकी संख्या 0 से लेकर 200-300 तक हो सकती है. इनका काम केवल रानी मधुमक्खी की सहायता करना (अंडे देने के लिए) होता है.
शहद वाली मधुमक्खी ही करती है छत्ते का सारा काम
छत्ते में सबसे ज्यादा संख्या मजदूर मधुमक्खियों (worker bees) की होती है. एक छत्ते में मजदूर मधुमक्खियों की संख्या हजार से ऊपर ही होती है. इन्हें बांझ मादा मधुमक्खी भी कहा जाता है, क्योंकि केवल अंडे देने को छोड़कर छत्ते का सारा काम इन्हें ही करना पड़ता है. मजदूर मधुमक्खियों को इतनी मेहनत करनी पड़ती है कि इन्हें सोने का भी समय नहीं मिलता. ये ही छत्ते का निर्माण करती हैं, फूलों से रस लाकर शहद बनाती हैं, साथ ही अंडों और बच्चों की देखभाल भी करती हैं… और इसीलिए इन्हें शहद वाली मधुमक्खी और श्रमिक मधुमक्खी भी कहा जाता है.
थोड़े से शहद के लिए इतनी भागदौड़ करती है मधुमक्खी
केवल मादा या मजदूर मधुमक्खी ही शहद बना सकती है और डंक मार सकती हैं. मधुमक्खी के दो पेट होते हैं- एक खाना खाने के लिए और दूसरा फूलों का रस इकठ्ठा करने के लिए. एक किलो शहद बनाने के लिए पूरे छत्ते को लगभग 40 लाख फूलों का रस चूसना पड़ता है और करीब 90,000 मील उड़ना पड़ता है. इसलिए मधुमक्खी अपना काम बड़ी तेजी से करती है, क्योंकि उसके पास छत्ते के और भी बहुत काम होते हैं.
मधुमक्खियां फूलों का रस चूसने या परागण (Pollination) के लिए जाते समय लगभग 20 मील/घंटे की रफ्तार से यात्रा कर सकती हैं और फूलों के रस को वापस छत्ते तक ले जाते समय ये करीब 17 मील/घंटे की रफ्तार से यात्रा करती हैं. ये फूलों की तलाश में कई किलोमीटर दूर निकल जाती हैं. यानी शहद बनाने की पूरी प्रक्रिया तेजी से और बड़ी कुशलता से चलती है. शहद की क्वालिटी मधुमक्खी की प्रजाति, जिस फूल से रस इकट्ठा किया गया है उसकी प्रजाति आदि बातों पर निर्भर करती है.
शहद बनाने वाली मधुमक्खियों का जीवनकाल लगभग 21 से 60 दिन का (अलग-अलग प्रजाति और मौसम के अनुसार) होता है. एक चम्मच शहद लगभग 12 मधुमक्खियों के जीवनभर की मेहनत या कमाई होती है. यानी एक चम्मच शहद चाटकर हम 12 मधुमक्खियों के जीवनभर की कमाई चट कर जाते हैं.
मधुमक्खियां शहद कैसे बनाती हैं?
मधुमक्खी के दो पेट होते हैं- एक खाना खाने के लिए और दूसरा फूलों का रस इकठ्ठा करने के लिए. मधुमक्खियां फूलों का रस चूसकर इसे अपने दूसरे विशेष पेट में इकठ्ठा कर लेती हैं. एक मधुमक्खी अपने वजन के बराबर रस इकट्ठा कर सकती हैं. फिर मधुमक्खियां रस लेकर वापस छत्ते पर आ जाती हैं.
छत्ते में आकर वे मधुमक्खियां इस रस को मुंह के जरिए छत्ते की दूसरी मजदूर मधुमक्खियों को दे देती हैं. वे दूसरी मधुमक्खियां इस रस को इकठ्ठा करके कई मिनटों तक चबाती हैं, जिससे इनके शरीर में मौजूद ग्रंथि से एंजाइम निकलकर इस रस में मिल जाता है. एंजाइम मिलने के बाद यह इस सुक्रोज, ग्लूकोज और फ्रक्टोज में टूट जाता है.
इसके बाद मधुमक्खियां इसे मधुकोषों (Honeycombs or beeswax) में डाल देती हैं. इससे इसमें मौजूद पानी वाष्प बनकर उड़ जाता है और रस गाढ़ा होकर शहद बन जाता है. पानी को वाष्प बनाने के लिए मधुमक्खियां इसमें अपने पंखों से हवा भी करती हैं. फिर जब शहद तैयार हो जाता है, तो छत्ते की दूसरी मधुमक्खियां मोम से इन मधुकोषों को बंद कर देती हैं, ताकि उनका शहद सुरक्षित रहे. भूख लगने पर मधुमक्खियां या उनके बच्चे यही शहद खाते हैं.
अपने ही बच्चों को क्यों खा जाती हैं मधुमक्खियां?
आमतौर पर जब मधुमक्खियों को ये पता चलता है कि उनके किसी लार्वा या बच्चे की तबियत खराब है (यानी किसी लार्वा को कोई संक्रमण या रोग लग गया है), तो वे उस लार्वा को मारकर खा जाती हैं, ताकि उस लार्वा की वजह से दूसरे लार्वा तक संक्रमण न फैल पाए और छत्ते में सब सुरक्षित रहें. मधुमक्खियों के इस व्यवहार को ‘हाइजीनि कैनिबैलिज्म’ (hygienic cannibalism) कहा जाता है.
मधुमक्खियां ऐसा इसलिए करती हैं, ताकि उनके छत्ते या कॉलोनी में किसी तरह की कोई बीमारी न फैले और छत्ते में साफ-सफाई बनी रहे. अमेरिकी कृषि विभाग के मधुमक्खी रिसर्च लेबोरेटरी के मधुमक्खी विशेषज्ञ जे. इवांस ने बताया कि ऐसा करना मधुमक्खियों के लिए जरूरी होता है, क्योंकि इस प्रक्रिया से मधुमक्खियां अपने छत्ते पर किसी भी तरह के बैक्टीरिया या फंगस के हमले को रोकती हैं.
हमारे लिए कितनी महत्वपूर्ण हैं मधुमक्खियां?
मधुमक्खियां केवल शहद ही नहीं बनातीं, बल्कि इस पूरी दुनिया को जीवित भी रखती हैं, कैसे? प्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein) का कहना है कि दुनिया की आखिरी मधुमक्खी के मरने के 4 साल के अंदर ही धरती से मानव जाति ही खत्म हो जाएगी. इसका कारण ये है कि मधुमक्खियां फूलों पर बैठकर और उनका रस चूसकर परागण (pollination) करती हैं, जो कि फल बनने के लिए एक जरूरी चरण है.
मधुमक्खियां नहीं होंगी तो परागण नहीं होगा. परागण नहीं होगा तो नए फल नहीं बनेंगे और फल नहीं बनेंगे तो बीज भी नहीं होंगे. बीज नहीं होंगे तो नए पौधे नहीं होंगे. फलदार वृक्ष खत्म होते चले जाएंगे. बिना फल और सब्जी के केवल अनाज और दालों की दम पर मनुष्य को जिंदा रहना पड़ेगा. जंगल खत्म होने लगेंगे. ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगेगी…और इस तरह धीरे-धीरे सब कुछ इसी तरह खत्म होने लगेगा जैसे एक फूल सूखने लगता है.
मधुमक्खियों से जुड़े कुछ अन्य तथ्य-
♦ रानी मधुमक्खी को अंडे से वयस्क बनने में 16 दिन, मजदूर मधुमक्खी को वयस्क होने में 18 से 22 दिन और नर मधुमक्खियों को वयस्क मधुमक्खी बनने में 24 दिन लगते हैं.
♦ रानी मधुमक्खी का जीवनकाल दो से चार साल का होता है और अपने पूरे जीवनकाल में ये एक बार मैथुन करती हैं. उसी से ये अपने भीतर काफी स्पर्म इकट्ठा कर लेती है और फिर उसी से पूरी जिंदगीभर अंडे देती रहती है. रानी मधुमक्खी एक दिन में लगभग 2,000 से 3,000 अंडे दे सकती है और अपने पूरे जीवनकाल में लगभग 15 लाख अंडे देती है.
♦ छत्ते का मोम भी मधुमक्खियां ही बनाती हैं. मधुमक्खियां अपने पेट की ग्रंथियों (कोशिकाओं का एक समूह) से तरल मोम निकालती हैं, जो हवा लगने पर सख्त हो जाता है.
♦ अगर कोई पुरानी रानी मधुमक्खी कुछ मजदूर मधुमक्खियों और नर मधुमक्खियों के साथ पुराने छत्ते को छोड़कर नया छत्ता बनाने के लिए निकल पड़ती हैं, तो इसे वृन्दन (Swarming) कहा जाता है. ऐसा अक्सर सर्दियों या पतझड़ का मौसम शुरू होते समय होता है.
♦ शहद में लगभग 17 प्रतिशत पानी, 38 प्रतिशत फ्रक्टोज, 32 प्रतिशत ग्लूकोज, 1.3 प्रतिशत सुक्रोज, 9 प्रतिशत अन्य शर्कराएं, 0.17 प्रतिशत अम्ल, 0.64 प्रतिशत ऐश और 2.92 प्रतिशत एंजाइम, विटामिन, रंग, लवण आदि होते हैं.
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