Problems and Religious Remedies
आज हर किसी के जीवन (Life) में कोई ना कोई समस्या बनी ही रहती है. लगभग हर व्यक्ति किसी ना किसी समस्या को लेकर परेशान है. अगर समस्या नहीं है तो कुछ चुनौतियां हैं जो कुछ समय के लिए समस्याएं जैसी ही लगती हैं और आज हर व्यक्ति यही चाहता है कि कोई ऐसा चमत्कार हो जाए कि एक ही चुटकी में इन सब समस्याओं या चुनौतियों से छुटकारा मिल जाए. लगभग हर व्यक्ति चाहता है कि रोज-रोज की मेहनत ना करके कोई एकाध उपाय कर लिया जाए और सारी समस्याएं अपने-आप हल हो जाएं. और इसके लिए वह तरह-तरह के उपाय अपनाने से भी नहीं चूकता.
बहुत से लोग समस्याओं के निवारण के लिए मेहनत पर ही विश्वास करते हैं, लेकिन ज्यादातर लोग किसी ना किसी चमत्कार के इंतजार में ही रहते हैं. लोग आज अपनी समस्याओं को लेकर पंडितों, ज्योतिषियों और एक चुटकी में सब ठीक कर देने का दावा करने वाले बाबाओं आदि के पास जाते हैं, उन्हें अपना हाथ दिखाते हैं, कुंडली पढ़वाते हैं, उनके बताए उपायों को आजमाते हैं, और तो और, इन सबके लिए कुछ लोग तो हजारों-लाखों की फीस भी भरने को तैयार रहते हैं.
सबसे ज्यादा विश्वास ज्योतिषियों पर
इस मामले में लोगों का सबसे ज्यादा विश्वास ज्योतिषियों (Astrologers) ने जीता है. लोग ज्योतिषियों पर तो इतना भरोसा करते हैं कि न्यूज़ चैनल्स पर सबसे ज्यादा TRP भी ज्योतिष से रिलेटेड सीरियलों की ही होती है. कुल मिलाकर आज हर व्यक्ति केवल फल की आशा में ही कर्म करता है. अपनी किसी भी चीज को ढूंढने के लिए वह वहां भी हाथ डालता है, जहां चीज नहीं होती.
कोई ज्योतिषी या पंडित किसी व्यक्ति को कोई उपाय बता देता है और व्यक्ति भी उन्हीं के बताए रास्ते पर चलना शुरू कर देता है. पंडित लोगों को कोई विशेष पूजा या टोटका करने, किसी देवी या देवता को कोई विशेष सामग्री चढ़ाने, सूर्य नमस्कार करने या कोई विशेष मंत्र आदि जपने की सलाह दे देते हैं.
क्या कोई उपाय कर लेने से मिल जाता है समस्या से छुटकारा?
वहीं, बहुत से लोग यह दावा भी करते दिखाई देते हैं कि फलां उपाय करने से उनका इस बड़ी समस्या से पीछा छूट गया या फलां पंडितजी से मिलकर सारे कार्य सिद्ध हो गए. लेकिन क्या वाकई कोई उपाय कर लेने से किसी बड़ी समस्या से छुटकारा मिल जाता है? क्या कोई भी पंडित जो उपाय लोगों को बताते हैं, उससे सच में कार्य सिद्ध होने लगते हैं? क्या हमें ज्योतिष आचार्यों पर इतना भरोसा करना चाहिए?
मेरे विचार से पंडितों के बताए उपायों में कोई बुराई नहीं है. देखने वाली बात ये होती है कि किस पंडित ने कौन सा उपाय बताया है. यदि उपाय मर्यादित या धार्मिक है तो उसे अंधविश्वास से नहीं जोड़ा जा सकता है, क्योंकि अंधविश्वास अलग है और धर्म या भक्ति अलग. कुछ पंडित या ज्योतिषी अंधविश्वास नहीं फैलाते, वे केवल उन आदर्शों की बात करते हैं, जो प्रत्येक मनुष्य को अपने सामान्य जीवन में करने ही चाहिए.
इंसान कहां करता है गलती
आज कोई भी व्यक्ति अपने सामान्य जीवन या रोजमर्रा में उन आदर्शों की अनदेखा कर देता है जो उसे वैसे ही निभाने ही चाहिए. जैसे यदि कोई विटामिन (Vitamin), जो हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी है, यदि हम उसे बिल्कुल नहीं लेते हैं तो एक समय के बाद हमारे शरीर में उस विटामिन की कमी हो जाती है और हमारा शरीर रोगों या बीमारियों से घिर जाता है.
जब हम डॉक्टर के पास जाते हैं तो डॉक्टर वही विटामिन दवाई के रूप में हमें दे देता है और उसे लेकर हम ठीक हो जाते हैं. इसी तरह, हमारे जीवन में भी कुछ आदर्शों की कमी हो जाती है और उन्हीं आदर्शों को कोई भी ज्योतिष आचार्य उपाय के रूप में हमें करने के लिए कह देते हैं, जिससे हमारे कार्य सिद्ध होने लगते हैं.
देखिए ये कुछ रोचक उदाहरण
(1) – जैसे महान संत तुलसीदास जी (Goswami Tulsidas) एक पीपल के वृक्ष को रोज जल से सींचते थे. उस पीपल के वृक्ष में रहने वाली आत्मा तुलसीदास जी से प्रसन्न हुई और उसने उन्हें हनुमान जी का पता बताया और हनुमान जी ने उन्हें भगवान श्री रामजी से मिलवाया.
आज कोई भी पंडित पीपल (Peepal) में जल देने के लिए किसी भी व्यक्ति को एक उपाय के रूप में बता देते हैं, क्योंकि प्राकृतिक नियमों के अनुसार, हमें उस हर चीज का शुक्रगुजार होना चाहिए जिनसे हमें जीवनदान मिलता है. आपको तो मालूम ही है कि पीपल का पेड़ ऐसा पेड़ है जो केवल दिन में ही नहीं, रात में भी ऑक्सीजन देता है और उसे जल दे कर हम उसकी उत्पत्ति को बढ़ावा दे रहे होते हैं.
ये कुछ आदर्श ऐसे हैं जो सभी मनुष्यों को अपने जीवन में वैसे ही उतार लेने चाहिए. एक सच्चा पंडित लोगों को कार्य सिद्धि के लिए उन आदर्शों को उपायों के रूप में बताते हैं जिन्हें निभाना व्यक्ति भूल जाता है. हमें उन्हीं आदर्शों की पहचान करना है और अपने जीवन में उतारना है.
(2) – एक और उदाहरण है श्री लक्ष्मण जी (Shri Laxman) का. शबरी जी ने उन्हें प्रेम से अपने जूठे बेर खाने को दिए, जिसे लक्ष्मण जी ने ग्रहण नहीं किया और श्री रामजी और शबरी जी की नजरों से बचाकर उन बेरों को पीछे फेंक दिया, लेकिन श्री रामजी तो ठहरे अंतर्यामी, वे समझ गए. तब क्या हुआ, लक्ष्मण जी को शबरी जी के प्रेम भरे सत्कार का मूल्य चुकाना ही पड़ा.
जब लक्ष्मण जी को मेघनाथ की शक्ति लगी, तब उन्हें संजीवनी बूटी (Sanjeevani booti) खानी पड़ी. कहते हैं कि यह संजीवनी बूटी शबरी जी के वही बेर थे जो उन्होंने लक्ष्मण जी को खाने को दिए थे. भगवान श्री रामजी ने उन्हें अपनी गोद में लिटाकर, उनका मुंह अपने हाथों से खोलकर उन्हें उन बेरों का रस पिला दिया.
इसी तरह, जब तक आपके ऊपर किसी का कोई कर्ज बकाया होता है और जब तक आप उसके कर्ज को चुका नहीं देते, आपके जीवन में उस कर्ज की वजह से कोई ना कोई काम अटका ही रहता है. जब किसी भी तरह से आपके द्वारा वह कर्ज चुका दिया जाता है, तब उसकी वजह से अटका हुआ कार्य अपने-आप बन जाता है. ये कर्ज केवल धन-संपत्ति का ही नहीं, किसी के निःस्वार्थ प्रेम का भी हो सकता है.
कितने समझदार हैं आप और हम?
यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि आप किसी की कही किन बातों पर विश्वास करते हैं और किन बातों की जांच-पड़ताल. क्या आप अंधविश्वास और धर्म में अंतर कर पाते हैं या पंडित के वेश में आए किसी भी लुटेरे का आसानी से शिकार हो जाते हैं. यदि कोई आपको सलाह के रूप में सही रास्तों पर चलने की सलाह देता है, तो वह उपाय है, यदि भगवान् की भक्ति करने की सलाह देता है तो वह उपाय है, यदि किसी भले व्यक्ति की मदद करने को कहता है तो वह उपाय है, परिवार वालों से प्यार करने को कहता है तो वह उपाय है..
लेकिन यदि कोई तथाकथित ‘ज्ञानी’ किसी निर्दोष जीव की बलि या हत्या करने को कहता है तो वह उपाय नहीं है, जी भरकर दान चढ़ाने को कहता है या किसी के लिए कोई गलत कार्य करने की सलाह देता है, कोई शारीरिक पीड़ा सहने या देने को कहता है, आपकी किसी निजी जानकारी की मांग करने लगता है तो ये उपाय नहीं हैं, बल्कि विनाश की ओर ले जाने वाले रास्ते हैं. बुद्धिमानी तब ही है कि आप किसी भी व्यक्ति की बातों से उसकी मंशा या उसके इरादों को समझ सकें. याद रखिए, आपको अपनी समस्याओं के निवारण के लिए उपायों की खोज करनी है, किसी बहरूपिये के बनाए दलदल में फंसते नहीं चले जाना है.
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