अनेक रोगों की एक दवा- अमृतधारा, जानिए क्या हैं फायदे और कैसे करें इस्तेमाल

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Amritdhara

Amritdhara Uses & Benefits in Hindi

अमृतधारा (Amrit Dhara) एक ऐसी आयुर्वेदिक दवाई है, जो बड़ी आसानी से घर पर ही तैयार की जा सकती है, लेकिन ये कई बड़ी बीमारियों का कारगर इलाज कर सकती है. यह साधारण सी दिखने वाली दवा कई रोगों में इतनी जल्दी असर दिखाती है कि मरीज को उस रोग के लिए किसी डॉक्टर की भी जरूरत नहीं रह जाती. हालांकि पुराने समय में लोग इसके फायदों को अच्छे से जानते थे, लेकिन समय के साथ आयुर्वेद (Ayurveda) में जानकारी कम होने से लोगों के बीच इसकी जानकारी अब भी कम ही है.

आयुर्वेदिक घरेलू औषधियों में अमृतधारा का अपना विशेष स्थान है. इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि सावधानी से इस्तेमाल करने पर यह कोई साइड इफेक्ट नहीं पहुंचाती. अमृतधारा कई बड़ी बीमारियों की एक दवा कही जाती है. इस बात का तो हम आपको एक रोचक सबूत भी दे सकते हैं. क्या आप जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने एक याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए क्या कहा था? उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट कोई अमृतधारा नहीं, जिसके पास हर मर्ज की दवा हो.

जी हां, जस्टिस खेहर ने एक याचिका पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि लोग सुबह उठते ही हर समस्या का इलाज ढूंढने सुप्रीम कोर्ट चले आते हैं, जैसे ये सुप्रीम कोर्ट नहीं, अमृतधारा हो, जिसके पास हर मर्ज की दवा है. अब आप समझ गए होंगे कि जो लोग इसके बारे में जानते हैं, उनके लिए ये क्या है. दरअसल, अमृतधारा का अगर सही इस्तेमाल किया जाए तो ये कई ऐसी बीमारियों में चमत्कारी असर दिखाती है, जो बाद में बड़ी होकर असाध्य रोग भी बन सकती हैं.

अमृतधारा बनाने की विधि-

इसे बनाना बहुत ही आसान है और इसे बनाने के लिए आपको न ज्यादा समय चाहिए और न ज्यादा सामान. केवल तीन चीजें चाहिए- अजवायन का सत, देसी कपूर और पिपरमेंट (पुदीने का सत). आपको कुछ भी नहीं करना है, बस इन तीनों चीजों को एक समान मात्रा में लेकर एक कांच की छोटी शीशी में डाल देना है और फिर शीशी को अच्छी तरह से बंद कर रख देना है. कुछ ही समय बाद आप देखेंगे कि तीनों चीजें एक पारदर्शी द्रव (Transparent Fluid) में बदल जाएंगी, यही है अमृतधारा.

कुछ लोग इन तीनों चीजों के आलावा इसमें दालचीनी का सत और लौंग का सत भी मिलाते हैं. आप चाहें तो मिला सकते हैं. इसी के साथ, ये बाजार में रेडीमेड भी बिकता है, आप चाहें तो बाजार से बना हुआ खरीद सकते हैं या घर पर ही बना सकते हैं. लेकिन अगर बाजार से खरीदें तो अच्छी कंपनी का ही खरीदें या अच्छी जगह से ही खरीदें.

आप चाहें तो जिन दुकानों पर मसाले वगैरह मिलते हैं, उन दुकानों से अपने सामने ही अमृतधारा बनवाकर ला सकते हैं.

अमृतधारा का इस्तेमाल-

अमृतधारा चर्म रोगों या त्वचा से जुड़े रोगों (Skin Diseases) के लिए बहुत अच्छी और कारगर दवाई मानी जाती है. यदि शरीर के किसी भी हिस्से में फोड़े-फुंसी हो गई हों, तो आप उस पर अमृतधारा का इस्तेमाल कर सकते हैं. ये बिना किसी दवाई और और बिना किसी दर्द के तुरंत राहत देने लगती है.

कभी-कभी किसी बड़े फोड़े के लिए अंग्रेजी डॉक्टर मरीज को इलाज के रूप में सर्जरी बता देते हैं और न जाने कितनी दवाइयां लिख देते हैं, लेकिन यदि आप उस फोड़े पर अमृतधारा का इस्तेमाल बार-बार करते हैं तो आपको कुछ दिनों में असर नजर आने लगेगा. चेहरे पर पिंपल्स में आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन इसे बस उतने ही हिस्से पर लगाएं, उसके आसपास ज्यादा न फैलाएं.

यदि आपको सर्दी या एलर्जी की वजह से जुकाम हो गया है तो आपने अमृतधारा को जिस शीशी में रखा है, उसे खोलकर बार बार सूंघते रहें. ऐसा करने पर आपका जुकाम धीरे-धीरे जाता रहेगा. कुछ लोग जल्दी राहत पाने के लिए इसे सीधा नाक पर लगा लेते हैं, लेकिन आप ऐसा न करें. ये बहुत तेज होती है. अगर इसे आपने नाक पर लगा लिया…तो जब तक आप आप अपनी नाक साबुन से नहीं धो लेंगे, तब तक आप चैन से नहीं बैठ पाएंगे.

यदि आपके दांत में दर्द है, तो आप अमृतधारा को छोटे से रुई के फाहे में भिगोकर दर्द वाली जगह पर रख दीजिए. आपको दर्द से राहत मिलेगी. मुंह के छालों में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.

यदि ठंड के कारण आपके हाथ या पैरों की उंगलियां सूज गई हैं, या शरीर के किसी भी हिस्से में सूजन हो (सिवाय आंखों के) तो आप रात को उंगलियों पर या शरीर के उस हिस्से पर अमृतधारा लगाकर सो जाएं. सुबह आप अपनी उंगलियों में काफी राहत देखेंगे.

यदि बर्र जैसा कोई जहरीला कीड़ा कहीं काट ले, तो कोई तत्काल उपाय न मिलने पर आप काटने वाली जगह पर अमृतधारा मलें. इससे आपको राहत मिलेगी.

यदि आपके सिर में दर्द है तो आप थोड़ी सी अमृतधारा से अपने सर पर मालिश करें. आराम मिलेगा. लेकिन ध्यान रखें कि अमृतधारा को आंखों से बिल्कुल दूर रखें.

एक छोटे कप सादा पानी में दो बूंद अमृतधारा मिलाकर पीने से बदहजमी, हैजा आदि दूर होता है.

अमृतधारा को वैसलीन में मिलाकर लगाने से वह अमृतांजन की तरह काम करती है. इसका इस्तेमाल आप कमर दर्द या पीठ दर्द या सिर दर्द या फटी एड़ियों में कर सकते हैं. दरअसल, अमृतांजन या Moov जैसी दवाइयां भी इसी के इस्तेमाल से बनती हैं.

अमृतधारा के इस्तेमाल में सावधानियां-

यहां हम एक चीज और बताना चाहेंगे कि कोई भी चीज चाहे कितनी भी अच्छी क्यों न हो, लेकिन उसकी अधिकता या इस्तेमाल में लापरवाही केवल नुकसान ही पहुंचाती है. अमृतधारा चर्म रोगों (Skin Diseases) के लिए एक बहुत अच्छी दवा है, लेकिन इसका इस्तेमाल आंख बंद करके किसी भी तरह के चर्म रोग पर नहीं कर लेना चाहिए.

अमृतधारा बहुत तेज होती है, इसलिए कहीं भी इस्तेमाल के पहले आप इसे थोड़ी सी ही जगह, थोड़ा सा ही इस्तेमाल करके देखिए, यदि पॉजिटिव असर दिखाई दे तो ही पूरे में इस्तेमाल करें. साथ ही हो सके तो एक बार किसी जानकार या अनुभवी या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.

जो घाव जलने के कारण हुआ हो, उसमें अमृतधारा नहीं लगाना चाहिए.

यदि गलन के कारण हाथ-पैर खराब हो रहे हों तो ऐसे में अमृतधारा नहीं, बल्कि ऐलोवीरा जेल मिला हुआ नारियल तेल बहुत फायदेमंद होता है.

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