माध्य का महत्त्व, उद्देश्य और कार्य (Importance, objects and functions of average in hindi) –
महत्त्व (Importance of average in hindi)-
आधुनिक युग में सांख्यिकीय माध्यों का महत्त्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. डॉ. बाउले ने तो सांख्यिकी को माध्यों का या औसत का ही विज्ञान (statistics the science of means/average) कहा है. हम प्रत्येक समस्या का हमेशा औसत रूप में अध्ययन करते हैं. जैसे- किसी क्षेत्र विशेष में होने वाली औसत वर्षा, किसी देश के लोगों की औसत आय, किसी कारखाने में औसत उत्पादन आदि.
औसत आयु, आय, मूल्य, व्यय, ऊंचाई उत्पादन, लागत और मजदूरी आदि अनेक अध्ययन-विषय हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में आते हैं. ज्योतिष शास्त्र से भौतिक शास्त्र तक और मनोविज्ञान से अर्थशास्त्र तक सभी आधुनिक शास्त्र पूरी तरह से माध्यों पर निर्भर हैं.
उद्देश्य और कार्य (Objects and functions of average in hindi) –
माध्य के उद्देश्य और कार्य निम्लिखित हैं-
(1) सरल और संक्षिप्त चित्र प्रस्तुत करना (Presenting simple and concise picture)- माध्य का पहला कार्य अव्यवस्थित और जटिल (कठिन) सांख्यिकीय सामग्री को सुव्यवस्थित, सरल, संक्षिप्त, और बोधगम्य रूप में प्रस्तुत करना है.
यह समंक समूह को एक ही संख्या में बदल देता है (It turns a data set into a single number). यह हमें किसी सीरीज का सारांश उपलब्ध कराता है और विशाल डेटा के एक बड़े समूह को एक ही नजर में समझने की सुविधा देता है.
(2) तुलनात्मक अध्ययन की सुविधा देना (Facilitating comparative study)- माध्य दो या अधिक समूहों के तुलनात्मक अध्ययन को सुगम बनाता है. प्रत्यक्ष रूप में समंकों द्वारा यह कार्य कठिन है, लेकिन माध्य के रूप में यह काफी सरल हो जाता है.
उदाहरण के लिए, किसी परीक्षा में दो विद्यालयों के सभी छात्रों के अंकों (marks) के आधार पर कोई रिजल्ट निकालना नामुमकिन है, लेकिन दोनों विद्यालयों के सभी छात्रों के औसत अंकों की तुलना करके निष्कर्ष आसानी से निकाला जा सकता है.
(3) सम्पूर्ण समूह का प्रतिनिधित्व (Representation of the whole group)- माध्य, सम्पूर्ण समूह का संक्षिप्त चित्र होता है. इसकी सहायता से समूह के बारे में सहज अनुमान लगाया जा सकता है.
(4) नीति निर्माण में सहायक (Helpful in policy making)- माध्य के रूप में हमें ऐसी संख्याएं प्राप्त हो जाती हैं, जो भावी योजनाओं के निर्माण और नीतियों के निर्धारण में उचित मार्गदर्शन कर सकती हैं. इनसे भावी अनुमान लगाने और निर्णय लेने का कार्य भी काफी सरल हो जाता है.
(5) सांख्यिकीय विश्लेषण का आधार (Basis of statistical analysis)- सांख्यिकीय विश्लेषण की अनेक विधियां माध्यों पर ही आधारित हैं.
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