डायनासोर : कैसे दिखते थे, कितने बड़े थे, क्या खाते थे…सब पता चल गया, बस रंग नहीं जान पाए वैज्ञानिक

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डायनासोर के बारे में रोचक तथ्य

Dinosaurs Facts in Hindi-

किसी भी आधुनिक व्यक्ति ने जिंदा डायनासोर (Dinosaur) को कभी नहीं देखा और कभी देख भी नहीं पाएगा, केवल उनकी जो लाखों-करोड़ों साल पुरानी हड्डियां और कंकाल चट्टानों के नीचे दबे मिले हैं, उन्हीं से उनकी अलग-अलग प्रजातियों, उनके आकार-बनावट और उनके स्वभाव के बारे में अनुमान लगाए गए हैं. डायनासोरों के अब तक मिले जीवाश्मों (Fossils) से पता चलता है कि धरती पर करोड़ों साल पहले विशालकाय और भयानक जानवर मौजूद थे, जिनमें से कुछ जमीन पर चलते थे और कुछ उड़ भी सकते थे. उन्हीं विशालकाय जानवरों को आधुनिक वैज्ञानिकों की तरफ से ‘डायनासोर’ नाम दिया गया है. वैज्ञानिकों का मानना है कि डायनासोर लगभग 200 सालों तक जीते थे, हालांकि इस बात के पक्के सबूत नहीं मिले हैं.

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जीवाश्मों के अतिरिक्त कई प्राचीन हिन्दू मंदिरों में भी डायनासोर के चित्र पाए गए हैं, जिससे इस बात का पता चलता है कि डायनासोरों के समय भी एक उन्नत मानव सभ्यता मौजूद थी और वह इतिहास लेखन का कार्य भी करती थी.

भयानक बड़ी छिपकली थे डायनासोर, वैज्ञानिक इन्हें मानते हैं पक्षियों का पूर्वज

आधुनिक वैज्ञानिकों को डायनासोर का पहला जीवाश्म 1677 में मिला था. इसके बाद से अलग-अलग जगहों से उनके कई कंकाल मिले हैं, जो दुनियाभर के बड़े-बड़े संग्रहालयों में रखे गए हैं और आज भी मुख्य आकर्षण के केंद्र बने हुए हैं. आज भी लोगों में इनके बारे में जानने की जिज्ञासा बढ़ती जा रही है. इसी का नतीजा है कि दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों में भी डायनासोर को स्थान मिला, साथ ही ‘जुरासिक पार्क (Jurassic Park)’ जैसी फिल्मों के जरिए भी इन्हें और लोकप्रिय बनाया गया.

वैज्ञानिकों के अनुसार, डायनासोर हमारी पृथ्वी पर लगभग 16 करोड़ सालों तक रहे. हिंदी में डायनासोर शब्द का मतलब होता है ‘भीमसराट’ और संस्कृत में इसे ही ‘भयानक छिपकली’ कहते हैं. यूनानी भाषा में भी डायनासोर का मतलब ‘बड़ी छिपकली’ होता है. इन बड़ी और भयानक छिपकलियों को ‘डायनासोर’ नाम साल 1842 में एक ब्रिटिश जीवाश्म विज्ञानी (Paleontologist) रिचर्ड ओवेन ने दिया था. डायनासोर नाम इसलिए दिया गया, क्योंकि इनके जितने बड़े कंकाल मिले हैं, उनसे यही पता चलता है कि ये बहुत बड़े आकार के जानवर थे.

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हालांकि, कुछ डायनासोर की प्रजातियां (Dinosaur Species) इंसान के बराबर तो कुछ इंसान से छोटी भी रही होंगी. डायनासोरों की कुछ प्रजातियों के 6 मीटर ऊंचे और 30 मीटर लंबे कंकाल भी मिले हैं. ऐसा भी माना जाता है कि डायनासोरों की करीब 2,468 प्रजातियां मौजूद थीं, जिनमें से कुछ उड़ती भी थीं. इसी से वैज्ञानिकों का ये भी मानना है पक्षी, डायनासोरों के ही वंशज हैं.

डायनासोरों का रंग कौन सा था?

पृथ्वी के हर महाद्वीप पर डायनासोरों के कंकाल मिले हैं. इन्हीं से डायनासोर के अब तक 500 अलग-अलग वंशों और 1,000 से ज्यादा प्रजातियों की पहचान की गई है. जो डायनासोर पानी के नजदीक रहते थे, उनके सबसे अच्छे जीवाश्म मिले हैं. जीवाश्म विज्ञानियों ने डायनासोरों के मिले अवशेषों से ही उनके बारे में काफी कुछ पता लगाने की कोशिश की है, लेकिन वे आज तक ये पता नहीं कर पाए हैं कि डायनासोरों का रंग कौन सा था. दरअसल, किसी भी जीव का DNA केवल 20 लाख सालों तक ही जीवित रह सकता है, इसलिए डायनासोर के जीवाश्म का DNA टेस्ट तो किया ही नहीं जा सकता, क्योंकि डायनासोरों का अंत लगभग 6 करोड़ साल पहले हुआ था.

डायनासोर क्या खाते थे? कैसे दिखते थे? क्या ये दहाड़ते थे?

वैज्ञानिकों का मानना है कि कुछ डायनासोर शाकाहारी थे और कुछ मांसाहारी. मांसाहारी डायनासोर को ‘थेरोपोड’ कहा जाता है, जिसका मतलब होता है- राक्षसी पंजो वाले. दरअसल, ऐसे डायनासोरों के पंजे और नाखून बहुत तेज होते थे, जबकि इनकी तुलना में शाकाहारी डायनासोरों के पंजे और नाखून कम तेज थे. कुछ डायनासोर भोजन के लिए पेड़-पौधों पर ही निर्भर थे.

कुछ डायनासोरों के दो पैर बड़े और दो पैर छोटे और कुछ डायनासोरों के चारों पैर बराबर और खम्भों जैसे थे. कुछ डायनासोरों के सींग भी थे. कुछ डायनासोरों की लंबी गर्दन होती थी और मोटी पूंछ भी. हम सबके सामने डायनासोरों की छवि एक भयानक और दहाड़ने वाले जानवरों के रूप में है, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि डायनासोर दहाड़ नहीं सकते थे, ये केवल मुंह बंद करके घुरघुरा सकते थे.

कैसे हुआ था डायनासोरों का अंत?

डायनासोर भारत में भी पाए जाते थे और इसके पक्के सबूत भी मिले हैं. गुजरात की नर्मदा नदी (Narmada River in Gujarat) के किनारे डायनासोर के कई अवशेष मिले हैं, जो लगभग 7 करोड़ साल पुराने हैं. डायनासोर के युग को ‘मीसोजोइक युग’ कहा जाता है. लगभग 6 करोड़ साल पहले तक इस धरती से डायनासोरों का अंत हो गया था. वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी से डायनासोरों का अंत एक एस्टेरॉयड या क्षुद्रग्रह (Asteroid) के टकराने से हुआ था.

इस एस्टेरॉयड का व्यास करीब 9.6 किलोमीटर रहा होगा और जब वह धरती से टकराया तो उससे पूरी दुनिया से डायनासोर खत्म हो गए होंगे. वैज्ञानिकों के अनुसार, डायनासोरों के समय में धरती का दिन केवल 22 घंटे का होता था, क्योंकि पृथ्वी की अपनी धुरी पर घूमने की रफ्तार हर साल 17 मिली सेकेंड कम होती जा रही है.

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