सौरमंडल (Solar System) : अनंत ब्रह्मांड में हमारे सूर्य का छोटा सा परिवार

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सौरमंडल के बारे में

Solar System Facts In Hindi-

सूर्योदय और सूर्यास्त के समय आसमान को देखना कितना अच्छा लगता है. जैसे-जैसे रात होती जाती है, आकाश में चमकते और टिमटिमाते छोटे-छोटे बिंदुओं की संख्या बढ़ती जाती है. देखते ही देखते पूरा आकाश चमकीले तारों से भर जाता है, मानों आकाश में किसी ने ढेर सारे हीरे बिखरा दिए हों. इन तारों के बीच और बादलों से निकलता हुआ चंद्रमा आकाश की खूबसूरती को कई गुना बढ़ा देता है.

फिर जैसे-जैसे दिन निकलता है, नजारा मनमोहक और वातावरण खुशनुमा होता जाता है. यही है हमारा अंतरिक्ष (Space) और इस विशाल और अनंत अंतरिक्ष में है हमारा छोटा सा सौर परिवार, जिसमें हैं- हमारा सूर्य, पृथ्वी समेत आठों ग्रह, उनके उपग्रह और अन्य खगोलीय पिंड जैसे क्षुद्रग्रह. इसी सौर परिवार को हम सौरमंडल (Solar System) कहते हैं. इस सौर परिवार का मुखिया है सूर्य (Sun) जो सौरमंडल के केंद्र में स्थित है और सभी ग्रह और बाकी पिंड उसकी परिक्रमा करते रहते हैं. सभी उपग्रह अपने-अपने ग्रहों की परिक्रमा कर रहे हैं.

सौरमंडल का सबसे ऊंचा पर्वत कौन सा है और कहां है?

हमारा सौरमंडल करीब 4.6 अरब साल पुराना है. इंसान को सौरमंडल के अस्तित्व के बारे में जानने में कई हजार साल लग गए. भारत के महान वैज्ञानिक आर्यभट्ट (Aryabhata) ने बहुत पहले ही बता दिया था कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर काटती है. इसके बाद कोपरनिकस ने साल 1543 में बताया था कि सूर्य ब्रह्मांड के केंद्र में है और सारे ग्रह और पिंड उसकी परिक्रमा करते हैं.

सौरमंडल हमारी गैलेक्सी मिल्की-वे (Milky Way Galaxy) से लगभग 27,000 प्रकाश वर्ष दूर है. पूरा सौरमंडल मिल्की-वे के केंद्र (ब्लैक होल Sagittarius A) के चारों तरफ चक्कर लगाता है (सूर्य लगभग 8,28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ लगाते हुए मिल्की-वे के केंद्र की परिक्रमा कर रहा है. एक परिक्रमा पूरी करने में सूर्य को लगभग 230 मिलियन वर्ष लग जाते हैं). यानी ब्रह्मांड में कुछ भी स्थिर नहीं है और सभी एक-दूसरे के चक्कर काट रहे हैं.

जैसे हमारी पृथ्वी पर सबसे ऊंची पर्वत चोटी एवरेस्ट है, वैसे ही सौरमंडल का सबसे ऊंचा पहाड़ ओलंपस मोन्स (Olympus Mons) है, जो कि मंगल ग्रह पर स्थित है.

सूर्य है सौरमंडल की सभी ऊर्जा का मुख्य स्रोत

सौरमंडल में सबसे प्रमुख स्थान है सूर्य का. सौरमंडल में सभी तरह की ऊर्जा का मुख्य स्रोत सूर्य ही है. वैज्ञानिकों के अनुसार, पूरे सौरमंडल के पदार्थों का करीब 99.9 प्रतिशत भाग केवल सूर्य से ही बना है. सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force) के कारण ही सौरमंडल के सभी ग्रह और अन्य पिंड इससे बंधे हुए हैं और इसके चारों तरफ परिक्रमा करते रहते हैं.

इस तरह सौर परिवार के सभी सदस्यों की गति मुख्य रूप से सूर्य की गुरुत्वाकर्षण बल के द्वारा ही नियंत्रित रहती है. सौरमंडल के बारे में जानने के लिए हम सूर्य और उसके चारों तरफ चक्कर लगा रहे सभी ग्रहों, उपग्रहों और अन्य खगोलीय पिंडों का अध्ययन करते हैं.

सूर्य और उसके आठों ग्रह

• सूर्य सौरमंडल के केंद्र में है और यही सौरमंडल का सबसे बड़ा पिंड (Largest Body in Solar System) है. सभी आठों ग्रह इसकी परिक्रमा करते रहते हैं. सभी ग्रहों में बुध सबसे छोटा ग्रह है और बृहस्पति सबसे बड़ा.

आकार के अनुसार ग्रहों के नाम- बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण, पृथ्वी, शुक्र, मंगल, और बुध.

सूर्य से दूरी के अनुसार ग्रहों के नाम- बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण. इस तरह बुध को सूर्य का एक चक्कर लगाने में सबसे कम समय (88 दिन) और वरुण को सूर्य का चक्कर लगाने में सबसे ज्यादा समय (करीब 165 साल) लगता है.

• शुक्र सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है. बृहस्पति का द्रव्यमान सबसे ज्यादा और बुध का द्रव्यमान सबसे कम है. शुक्र और अरुण को छोड़कर सभी ग्रह अपनी धुरी पर एक ही दिशा में परिक्रमा कर रहे हैं. शुक्र और अरुण अपनी धुरी पर पूरब से पश्चिम की तरफ घूमते हैं, जबकि बाकी सभी ग्रह पश्चिम से पूरब की ओर घूमते हैं.

• सूर्य से दूरी में दूसरे नंबर का ग्रह शुक्र (Venus) सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह और सूर्य से सातवें नंबर का ग्रह अरुण (Uranus) सौरमंडल का सबसे ठंडा ग्रह है.

सभी ग्रहों में एकमात्र हमारी पृथ्वी ही है, जिस पर जीवन है. बाकी किसी भी ग्रह पर जीवन मौजूद नहीं है. हालांकि, वैज्ञानिक कई ग्रहों पर भविष्य में जीवन की संभावना देख रहे हैं.

सूर्य से निकट के ग्रहों बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल को स्थलीय ग्रह (Terrestrial Planets) भी कहा जाता है, क्योंकि ये मुख्य रूप से पत्थर और धातु से बने हैं. इन ग्रहों पर ज्वालामुखी, घाटियां, पहाड़ आदि पाए जाते हैं. इन ग्रहों के प्राकृतिक उपग्रहों की संख्या बहुत कम है. जैसे पृथ्वी का एक ही उपग्रह चंद्रमा (Moon) है और बुध और शुक्र के तो कोई उपग्रह ही नहीं हैं.

• जबकि सूर्य से दूर ग्रहों बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण को गैसीय ग्रह (Gaseous Planets) माना जाता है, क्योंकि ये चारों ग्रह मुख्य रूप से अलग-अलग गैसों से मिलकर बने हैं. इनके चारों तरफ वलय या रिंग (Rings) पाए जाते हैं और इनके प्राकृतिक उपग्रहों की संख्या भी ज्यादा है. जैसे बृहस्पति के 79 उपग्रह हैं.

• बृहस्पति का एक उपग्रह गैनिमीड पूरे सौरमंडल का सबसे बड़ा उपग्रह है.

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प्लूटो से क्यों छीना गया ग्रह का दर्जा?

साल 2006 से पहले हमारे सौरमंडल में ग्रहों की संख्या 9 थी, लेकिन 2006 में यम यानी प्लूटो (Pluto) को ग्रहों की कैटेगरी से हटा दिया गया, जिसके बाद सौरमंडल में ग्रहों की संख्या 8 हो गई. प्लूटो को साल 1930 में 9वां ग्रह माना गया था. आकार में प्लूटो बुध से भी छोटा है. यह सूर्य से सबसे दूर का ग्रह था, इसलिए यह सूर्य की एक परिक्रमा लगभग 248 सालों में पूरी कर पाता है.

  • दरअसल, अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (International Astronomical Union-IAU) ने साल 2006 में ग्रहों की नई परिभाषा दी, जिसके अनुसार ग्रह उन्हें कहते हैं-
  • जो सूर्य के चारों तरफ परिक्रमा करते हैं,
  • जिनका आकार लगभग गोल ही होता है,
  • जिनका अपना गुरुत्वाकर्षण बल होता है,
  • जिनके आसपास का क्षेत्र साफ-सुथरा हो यानी उनके आसपास अन्य खगोलीय पिंडों की भीड़-भाड़ ना हो.

इनमें से कुछ गुण प्लूटो में नहीं पाए गए, साथ ही प्लूटो सूर्य की परिक्रमा करते हुए कभी-कभी वरुण के रास्ते में भी आ जाता है. इससे वैज्ञानिकों को ये शक हो गया था कि कहीं यह वरुण का ही तो भागा हुआ कोई उपग्रह नहीं है. हालांकि बाद में पता चला कि ऐसा भी नहीं है, लेकिन इसके कई गुण ग्रहों से मैच नहीं होते, इसलिए प्लूटो से ग्रह का दर्जा छीन लिया गया और उसे एक ‘बौने ग्रह (Dwarf Planet)’ का नाम दे दिया गया.


ग्रहों के बीच में सूर्य के चक्कर काट रहे क्षुद्रग्रह क्या हैं?

मंगल और बृहस्पति के बीच में अरबों की संख्या में छोटे-छोटे एस्टेरॉयड्स या क्षुद्रग्रह (Asteroids) मौजूद हैं, जो ग्रहों के साथ ही सूर्य की परिक्रमा कर रहे हैं. ये एस्टेरॉयड्स कुछ और नहीं बल्कि पत्थरों और बर्फ के छोटे-बड़े टुकड़े हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि जब हमारे सौरमंडल का निर्माण हो रहा था, ग्रह और उपग्रह बन रहे थे, तो उनके बनते समय गैस और धूल के कुछ बादल या टुकड़े बच गए थे. ये बचे टुकड़े ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण बल से बंधे हुए हैं और इसीलिए ये अंतरिक्ष में तैरते हुए ग्रहों के साथ ही सूर्य के चक्कर काटते रहते हैं. इन्हें हम ‘धूमकेतु’ या ‘पुच्छल तारे’ भी कहते हैं, लेकिन असल में ये तारे नहीं होते, केवल पत्थरों और चट्टानों के टुकड़े हैं.

क्षुद्रग्रह, उल्का और उल्कापिंड के बीच अंतर
(Difference between asteroid meteor and meteorite)

क्षुद्रग्रह (Asteroids)- अंतरिक्ष में ग्रहों-उपग्रहों के साथ घूम रहे पत्थरों, चट्टानों, बर्फ आदि के छोटे-बड़े, किसी ही आकार के टुकड़े. सौरमंडल में ग्रहों के निर्माण के समय ये टुकड़े बच गए थे. गुरुत्वाकर्षण बल से बंधे होने के कारण ये टुकड़े भी सूर्य के चक्कर काटते रहते हैं. इसीलिए इन्हें ‘लघु ग्रह’ भी कहा जाता है. क्षुद्रग्रह सैकड़ों किलोमीटर तक चौड़े हो सकते हैं. 7,50,000 से ज्यादा क्षुद्रग्रह या एस्टेरॉयड्स बेल्ट में पाए जाते हैं, जो बृहस्पति और मंगल के बीच स्थित है. ज्यादातर क्षुद्रग्रह चट्टानों से बने होते हैं, लेकिन नए शोध के अनुसार कुछ क्षुद्रग्रह लोहे और निकल से भी बने हैं.

जब ये क्षुद्रग्रह पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं, तो उन्हें उल्का (Meteors) कहा जाता है, जिन्हें आमतौर पर हम ‘टूटा तारा’ कह देते हैं. जब कोई क्षुद्रग्रह पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करके जमीन से टकराता है या जमीन पर गिर जाता है, तो उसे उल्कापिंड (Meteorite) कहते हैं.

वहीं, नासा के मुताबिक, कभी-कभी एस्टेरॉयड्स एक-दूसरे से टकराते भी रहते हैं. इससे एस्टेरॉयड्स के छोटे-छोटे टुकड़े हो जाते हैं. उन टुकड़ों को उल्कापिंड (Meteorites) कहा जाता है. वहीं, अगर कोई उल्कापिंड पृथ्वी के काफी करीब आ जाता है और पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर जाता है, तो यह वाष्पीकृत (Vaporizes) हो जाता है और तब इसे उल्का (Meteor) कहते हैं, जिसे हम लोग टूटा तारा भी कह देते हैं.

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About Sonam Agarwal 238 Articles
LLB (Bachelor of Law). Work experience in Mahendra Institute and National News Channel (TV9 Bharatvarsh and Network18). Interested in Research. Contact- sonagarwal00003@gmail.com

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