Highest Waterfalls in India-
जब किसी स्थान पर नदियों का जल ऊंचाई पर स्थित खड़े ढाल के ऊपरी भाग से तेज वेग से नीचे गिरता है, तो उसे जलप्रपात (Waterfall) कहते हैं. जलप्रपात या झरने देखने में तो खूबसूसरत होते ही हैं, साथ ही इनके पास जाने का अनुभव ही अलग होता है. पहाड़ों और हरियाली के बीच में से ऊंचाई से तेजी से गिरता दूधिया पानी और उसकी आवाज शरीर के रोम-रोम को रोमांचित कर देता है.
झरने अपने साउंडस्केप, सुंदरता, प्राकृतिक पूल और मनोरंजक अवसरों के कारण लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण हैं. लोगों का अनुभव ये कहता है कि झरने आपको अच्छा महसूस करा सकते हैं, हमारे अंदर नेगेटिविटी और डिप्रेशन को कम करने में मदद करते हैं, तनाव से राहत दिलाते हैं, साथ ही शरीर और मन को ऊर्जा से भर देते हैं.
झरनों के मामले में भी हमारा भारत काफी धनी देश है. यहां की अलग-अलग प्राकृतिक जगहों पर बेहद खूबसूरत झरने हैं, जिन्हें देखने के लिए हर साल लाखों पर्यटक आते हैं. झरनों को देखने का मजा बारिश के समय होता है, जब झरने अपने पूर्ण रूप में होते हैं. यहां हम भारत के 5 सबसे ऊंचे झरनों (5 Highest Waterfalls in India) के बारे में बता रहे हैं-
(1) कुंचिकल जलप्रपात (Kunchikal Falls, Shimoga Karnataka)
कुंचिकल जलप्रपात भारत का सबसे ऊंचा जलप्रपात (Kunchikal Falls- highest waterfall in India) है, जो कर्नाटक के शिमोगा जिले में मस्तीकट्टे के निकट निदागोडु गांव में स्थित है. प्रकृति का आनंद लेने के लिए एक सुरम्य और शानदार स्थान है.
विश्व जलप्रपात डेटाबेस के मुताबिक, कुंचिकल फॉल्स चट्टानी शिलाखंडों के नीचे गिरता है. 455 मीटर की ऊंचाई से गिरता कुंचिकल जलप्रपात वाराही नदी (Varahi River) द्वारा निर्मित है.
इस झरने के नीचे एक जलविद्युत संयंत्र (Hydroelectric plant) बनाया गया है, जिससे हाई पावर इलेक्ट्रिसिटी पैदा की जाती है. पानी मणि बांध (Mani Dam) के जलाशय में गिरता है, जिससे पानी का प्रवाह बहुत कम हो जाता है. इसलिए बारिश का मौसम जुलाई से सितंबर के बीच का समय इस जलप्रपात की यात्रा के लिए आदर्श समय है.
आसपास के इलाके की हरियाली किसी के भी मन को मंत्रमुग्ध कर देती है. झरने से निकलने वाला पानी का विशाल प्रवाह वास्तव में देखने लायक है. मनमोहक दृश्य अति उत्तम है कि कोई भी इससे नजर नहीं हटा सकता. अन्य नदियों द्वारा बनाए गए कई झरने वारही नदी के साथ नीचे की ओर बहते हैं, जिससे इस स्थान की शोभा और बढ़ जाती है.
कुंचिकल जलप्रपात शिमोगा में है जो सड़क मार्ग द्वारा बंगलौर, मैसूर और मैंगलोर आदि जैसे प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है. कई प्राइवेट बसें बैंगलोर से कुंचिकल जलप्रपात के लिए चलती हैं. हुलिकल पहुंचने के बाद पर्यटक टैक्सियों या किसी अन्य निजी वाहन को झरने तक ले जा सकते हैं. निकटतम हवाई अड्डा मैंगलोर एयरपोर्ट (Mangalore Airport) कुंचिकल जलप्रपात से लगभग 142 किमी दूर है.
(2) बेरेहीपानी जलप्रपात (Barehipani Falls, Mayurbhanj Odisha)
ओडिशा के मयूरभंज जिले में सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान (Similipal National Park) में बेरेहीपानी जलप्रपात भारत का दूसरा सबसे ऊंचा झरना (Second highest waterfall in India) है. यह झरना 399 मीटर (1,309 फीट) की अद्भुत ऊंचाई से गिरता है. बेरेहीपानी झरना घने जंगल के बीच से होकर गुजरता है, जिससे इसकी सुंदरता में चार चांद लग जाते हैं.
यह एक आकर्षक दो-स्तरीय जलप्रपात (two-tiered waterfall) है जो बंगाल की खाड़ी से निकलता है, जो ओडिशा के हरे-भरे पहाड़ों से होकर अपना रास्ता बनाता है. शानदार माउंटेन व्यू और ठंडी हवा के बीच सुंदर प्राकृतिक नजारे के साथ यह ओडिशा में सबसे लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों में से एक है. इस स्थान को घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से जून है. इस समय दिन आरामदायक होते हैं और शामें काफी सर्द होती हैं.
(3) नोहकलिकाई जलप्रपात (Nohkalikai Falls, East Khasi Hills Meghalaya)
भारत का तीसरा सबसे ऊंचा झरना नोहकलिकाई जलप्रपात (3rd highest waterfall in India) है, जो भारत के खूबसूरत राज्य और बादलों की भूमि मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स में चेरापूंजी के पास स्थित है, जो पृथ्वी पर सबसे अधिक नम स्थानों में से एक है. नोहकलिकाई झरने की ऊंचाई 340 मीटर (1,115 फीट) है.
इतनी ऊंचाई से नीचे गिरता यह झरना चेरापूंजी (Cherrapunji) के सबसे लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों में से एक है. यह भारत का सबसे ऊंचा डुबकी पूल (tallest plunge waterfall) है. इस झरने के ठीक नीचे नीले-हरे रंग के तैरने के स्थान या जलाशय बन गए हैं.
चेरापूंजी हमारे भारत में भारी वर्षा के लिए प्रसिद्ध है और नोहकलिकाई जलप्रपात के जल का स्रोत यहां की ये बारिश ही है. इसीलिए नोहकलिकाई की यात्रा के लिए मानसून का मौसम सबसे अच्छा समय है, जब झरने अपनी पूरी ताकत पर होते हैं. व्यूइंग गैलरी से पर्यटक न केवल झरने के मनोरम दृश्य का, बल्कि हरे-भरे परिवेश का भी आनंद ले सकते हैं.
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इस झरने के नामकरण के पीछे एक दुखद कहानी है. किसी समय इस झरने के पास सीधी खड़ी चट्टान से लिकाई नाम की एक स्थानीय खासी लड़की ने छलांग लगा दी थी. उस लड़की के नाम पर इस झरने का नाम नोहकलिकाई फॉल्स पड़ गया, जो उस घटना की याद दिलाता है, जो लिकाई के साथ घटी थी.
(4) नोहसिंगिथियांग जलप्रपात (Nohsngithiang Falls, East Khasi Hills Meghalaya)
भारत का चौथा सबसे ऊंचा झरना (4th highest waterfall in India) नोहसिंगिथियांग फॉल्स, जिसे सेवन सिस्टर्स वाटरफॉल या मावसई फॉल्स के रूप में भी जाना जाता है, मेघालय में ही पूर्वी खासी हिल्स जिले के मावसई गांव से एक किलोमीटर दक्षिण में स्थित एक सात खंडों वाला झरना है. यह झरना 315 मीटर (1,033 फीट) की ऊंचाई से गिरता है और इसकी औसत चौड़ाई 70 मीटर (230 फीट) है.
नोहसिंगिथियांग जलप्रपात, चेरापूंजी की शानदार महिमा मानसून के बाद देखने लायक है. बारिश के मौसम में ही यह झरना खासी पहाड़ियों की चूना पत्थर की चट्टानों की चोटी पर गिरता है, उस समय इसकी सुंदरता और बढ़ जाती है.
जयंतिया हिल्स और गारो हिल्स में भी कई झरने हैं, जैसे- जोवाई के रास्ते में तिरची फॉल्स और तुरा के पास पेल्गा फॉल्स. सूरज की रौशनी में यह झरना चमक उठता है. यहां एक इंद्रधनुष एक बार-बार देखा जाता है, जो लोगों को प्रकृति के आशीर्वाद का आभास कराता है.
(5) दूधसागर जलप्रपात (Dudhsagar Falls, Karnataka and Goa)
‘दूधसागर’ नाम का शाब्दिक अर्थ है- ‘दूध का समुद्र’. दूधसागर जलप्रपात भारत के गोवा राज्य में मंडोवी नदी पर स्थित एक चार-स्तरीय जलप्रपात (4-tiered waterfall) है. दूधसागर जलप्रपात 310 मीटर (1017 फीट) की ऊंचाई और 30 मीटर (100 फीट) की औसत चौड़ाई के साथ भारत का पांचवा सबसे ऊंचा झरना (5th highest waterfall in India) है.
यह झरना गोवा के संगुम तालुका में स्थित है और गोवा वन विभागों के अधिकार क्षेत्र में आता है. यह झरना कर्नाटक और गोवा के बीच एक सीमा रेखा का काम करता है. दूधसागर झरना सड़क मार्ग से पणजी से 60 किमी दूर है और बेलगावी-वास्को डी गामा रेल मार्ग पर मडगांव से लगभग 46 किमी पूर्व और बेलगावी से 80 किमी दक्षिण में स्थित है.
यह क्षेत्र समृद्ध जैव विविधता वाले पर्णपाती जंगलों (Deciduous Forests) से घिरा हुआ है. कई जानवर और पक्षी इस जगह को अपना घर कहते हैं. जो लोग पक्षियों की अलग-अलग प्रजातियों को दफेखने के शौकीन होते हैं, उनके लिए भी यह जगह स्वर्ग से कम नहीं है.
सड़क या रेल मार्ग से कुलेम रेलवे स्टेशन तक जाया जा सकता है और फिर झरने को ट्रेक किया जा सकता है, या झरने के करीब जाने के लिए एक ड्राइवर के साथ एक जीप किराए पर ली जा सकती है. हालांकि, फॉल्स तक पहुंचने के लिए पैदल ही चलना पड़ता है.
यह फॉल्स भगवान महावीर अभयारण्य और पश्चिमी घाटों के बीच मोलेम राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है. इस जलप्रपात को कुछ स्थानीय लोगों के लिए तांबड़ी सुरला (Tambdi Surla) के नाम से भी जाना जाता है. इस झरने को देखने का मजा भी बारिश का मौसम है, जब यह पानी की एक बड़ी ताकत के रूप में नजर आता है.
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