World Most Expensive Material
अगर आप सोचते हैं कि आप दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति बन जाने पर दुनिया की सबसे महंगी से महंगी चीज भी खरीद सकते हैं तो आप बिल्कुल गलत हैं. आपको तो पता ही होगा कि किसी भी चीज की कीमत उसकी उपलब्धता और उपयोगिता से तय होती है. अगर कोई चीज इस धरती पर बेहद कम मात्रा में मौजूद है, लेकिन उसकी जरूरत सबको है, यानी “एक अनार, सौ बीमार” तो उसकी कीमत तो बढ़ ही जाएगी. आज हम दुनिया की सबसे महंगी वस्तुओं (Most Expensive Substance) के बारे में जानते हैं-
1- एंटीमैटर (Antimatter)
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के मुताबिक, एंटीमैटर धरती की सबसे महंगी वस्तु है. 1 मिलीग्राम एंटीमैटर बनाने में 250 लाख डॉलर से भी ज्यादा तक खर्च हो सकते हैं. इसी से इसकी कीमत भी तय हो जाती है. 1 ग्राम एंटीमैटर की कीमत करीब 62 ट्रिलियन डॉलर से भी ज्यादा हो सकती है, जबकि एक अनुमान के मुताबिक, दुनियाभर की GDP करीब 93 ट्रिलियन डॉलर है. एंटीमैटर इतना खतरनाक होता है कि इसका छोटा सा हिस्सा भी पूरी दुनिया को तेजी से खत्म कर सकता है. हालांकि धरती पर किसी को भी एंटीमैटर की कोई विशेष जरूरत नहीं है, लेकिन वैज्ञानिकों ने बहुत थोड़ी मात्रा में एंटीमैटर का निर्माण किया है.
क्या है एंटीमैटर और क्या है इसका इस्तेमाल
एंटीमैटर की कीमत जितनी ज्यादा है, उतना ही ये रहस्यमयी भी है, क्योंकि अभी भी इसकी बहुत सारी बातें विज्ञान की समझ से बाहर हैं. एंटीमैटर में बाकी चीजों से अलग गुण होते हैं और इसीलिए इसे प्रतिद्रव्य (Antimatter) कहा जाता है. जिस तरह सभी चीजें या मैटर कणों से मिलकर बने होते हैं और सभी में प्रोटोन, इलेक्ट्रॉन और न्यूट्रॉन होते हैं, उसी तरह एंटीमैटर प्रतिद्रव्य प्रतिकणों या एंटीपार्टिकल्स (Antiparticles) से मिलकर बना होता है और इसमें एंटीप्रोटोन, पोसिट्रॉन्स और एंटीन्यूट्रॉन होते हैं. मैटर और एंटीमैटर विरोधी कण हैं और जब ये एक-दूसरे से टकराते हैं तो दोनों ही नष्ट हो जाते हैं.
वैज्ञानिकों के अनुसार, ब्रह्मांड की उत्पत्ति एक महाविस्फोट से हुई थी, जिसे बिग बैंग का नाम दिया गया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि ब्रह्मांड के जन्म के लिए हुए महाविस्फोट या बिग बैंग के तुरंत बाद हर जगह मैटर और एंटीमैटर ही बिखरा हुआ था. ये दोनों आपस में टकराए, जिससे भारी मात्रा में गामा किरणों के रूप में ऊर्जा निकली (वैज्ञानिकों के अनुसार, आकाशगंगा के बीच में दिखने वाले बादल गामा किरणें ही हैं). इस टक्कर में ज्यादातर पदार्थ नष्ट हो गया और ब्रह्मांड में बहुत थोड़ी मात्रा में मैटर ही बचा है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ब्रह्मांड में कहीं एंटीमैटर भी हो सकता है. एंटीमैटर का इस्तेमाल अंतरिक्ष में दूसरे ग्रहों पर जाने वाले विमानों में ईंधन की तरह हो सकता है. इसके आलावा, इसका इस्तेमाल कैंसर के इलाज में भी किया जा सकता है.
2- कैलिफोर्नियम-252 (Californium)
कैलिफोर्नियम एक रेडियोएक्टिव रासायनिक पदार्थ है. इसके एक ग्राम की कीमत करीब 18 से 19 करोड़ रुपये है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में शुद्ध कैलिफोर्नियम की कीमत करीब 181 करोड़ रुपये प्रति ग्राम बताई जाती है. इस केमिकल की खोज साल 1950 में कैलिफोर्निया की लॉरेंस बर्कले नेशनल लेबोरेटरी ने की थी.
कैलिफोर्नियम एक भारी धातु है और बेहद हानिकारक भी. इसका इस्तेमाल विस्फोटकों और लैंड माइंस का पता लगाने, खनिजों में सोने-चांदी की खोज करने और उनकी पहचान करने और कैंसर के इलाज में भी किया जाता है. एक और आश्चर्य की बात है कि इसी साल के जून महीने में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 8 लोगों को अरबों रुपये की 340 ग्राम कैलिफोर्नियम के साथ गिरफ्तार किया गया था.
3- हीरा (Diamond)
हीरे के बारे में तो सभी जानते हैं. ऊपर की दोनों चीजें हमारे विशेष काम की नहीं हैं, लेकिन हीरे को पाना तो लगभग हर व्यक्ति का सपना होता है. एक ग्राम हीरे की कीमत 50 लाख रुपये तक हो सकती है. दुनिया में कई हीरों की कीमत अरबों रुपये में है. हीरा एक पारदर्शी रत्न है, जो सभी रत्नों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. बेहद सुंदर और बहुत ज्यादा चमक होने के कारण हीरे का इस्तेमाल गहने बनाने में ज्यादा होता है.
हीरा खान से निकाला जाता है और पॉलिश कर के चमकाया जाता है. सभी हीरे सफेद ही नहीं होते, ये नीला, लाल, नारंगी, पीला, हरा और काला भी होता है. इनमें सबसे दुर्लभ होता है हरा हीरा. हीरा इस धरती का सबसे कठोर पदार्थ है, इसलिए इसका इस्तेमाल चट्टानों में छेद करने, कांच काटने, दूसरे हीरों के काटने और उन पर पॉलिश करने में किया जाता है. दुनिया के करीब 90 प्रतिशत हीरों को तराशने का काम भारत में ही होता है. भारत में हीरे का सबसे ज्यादा उत्पादन मध्य प्रदेश में होता है.
4. ट्रीटियम (Tritium)
ट्रीटियम या ट्राइटियम के एक ग्राम की कीमत लगभग 200 करोड़ रुपये तक हो सकती है. ये एक रेडियोएक्टिव पदार्थ है जिसे हाइड्रोजन-3 और ट्राइटॉन भी कहते हैं. ट्रीटियम के पास अपनी रोशनी होती है, जिससे ये अंधेरे में भी चमकता है. इसका इस्तेमाल पोलोनियम के अलावा परमाणु और हाइड्रोजन बम बनाने में किया जाता है. अलग-अलग देशों में इसके इस्तेमाल पर बैन लगाया गया है. इसके एक ग्राम से जितनी ऊर्जा पैदा होती है, उतनी ऊर्जा से लगभग 8 टन तेल पैदा किया जा सकता है.
5. बिच्छू का जहर (Scorpion Venom)
कई जानवरों के जहर का इस्तेमाल बेहद उपयोगी दवाइयों के बनाने और अन्य जरूरी कामों में किया जाता है. इनमें सबसे उपयोगी और दुर्लभ होता है बिच्छू का जहर. ये जितना खतरनाक होता है, उतना ही महंगा भी. बिच्छू के एक बूंद जहर की कीमत 137 डॉलर या लगभग 10,195 रुपये तक हो सकती है. रेगिस्तान में पाए जाने वाले खतरनाक बिच्छू ‘डेथस्टॉकर’ के 1 गैलन या 3.7 लीटर जहर की कीमत 2.81 अरब रुपये तक है.
वहीं, क्यूबा में पाए जाने वाले दुनिया के सबसे खतरनाक बिच्छू Vidatox के एक लीटर जहर की कीमत तो 75 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है. बताया जाता है कि इसके जहर से बनी दवाई कैंसर को जड़ से खत्म कर सकती है. बिच्छू का जहर निकालने के लिए उसके डंक में बिजली के छोटे-छोटे झटके दिए जाते हैं. इस दौरान बड़ी सावधानी बरती जाती है, क्योंकि बिच्छू का जहर निकालने के दौरान इंसान की मौत का भी खतरा रहता है.
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