Climate and Environmental Crisis
इस साल उत्तरी अमेरिका में हीटवेव (Heatwave in North America) ने एक अरब जानवरों की जिंदगी भस्म कर दी. जून 2021 में दो हफ्ते तक पड़ी भयानक गर्मी के चलते पश्चिमी अमेरिका और कनाडा के पास समुद्री तट पर करीब 100 करोड़ से ज्यादा समुद्री जीव (Sea Creatures) मरे पाए गए. वैज्ञानिकों का कहना है कि तापमान इतना ज्यादा बढ़ गया कि ये समुद्री जीव उसे बर्दाश्त ही नहीं कर पाए और अपनी जान गंवा बैठे.
इस दौरान सैकड़ों लोगों की भी जान चली गई. सैकड़ों जंगलों में आग भी धधक उठी जो अभी भी जारी है. गर्मी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सड़कों पर दरारें आ गईं और घरों की दीवारें तक पिघल गईं.
क्लाइमेट एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि अब पूरी दुनिया क्लाइमेट चेंज को गंभीरता से ले, नहीं तो आने वाले सालों में सुधार का भी मौका नहीं मिलेगा.
हां! दुनियाभर में विकास (Development) जरूरी है, लेकिन अगर विकास से नई और बड़ी समस्याएं खड़ी हो रही हैं तो उसका समाधान करना भी तो जरूरी है. आज दुनिया में जितनी तेजी से वाहनों की संख्या बढ़ रही है, फैक्ट्रियों और कारखानों की संख्या बढ़ रही है, तो क्या उतनी संख्या में ऑक्सीजन (Oxygen) देने वाले पेड़ नहीं लगाए जाने चाहिए? ताकि दमघोंटू हवा से राहत मिल सके.
सभी समस्याओं का एक मुख्य हल
आज लगभग पूरी दुनिया में प्रदूषण, पानी की कमी, बढ़ते तापमान, जंगलों में आग आदि संकट गहराते जा रहे हैं. आगे जाकर ये सभी समस्याएं और कितना बड़ा विकराल रूप लेंगी, ये बताने की भी जरूरत नहीं. इन सभी समस्याओं का सबसे बड़ा हल है- ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना. खासतौर पर ऑक्सीजन देने वाले पेड़ लगाना, क्योंकि पेड़ों की कटाई ही पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुकी है.
ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाकर ही वायु प्रदूषण की समस्या, पानी की कमी का संकट और बढ़ती गर्मी की समस्या से को दूर किया जा सकता है. अब जरूरत ही नहीं बल्कि अनिर्वायता इस बात की है कि हर व्यक्ति पेड़ों को बचाने और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने को खुद की ही जिम्मेदारी समझे. इसी के साथ, यहां-वहां कूड़ा या गंदगी न फेंकने, नदियों में कूड़ा न फेंकने आदि की जिम्मेदारी भी तो हम सबकी ही है.
हम सब अपनी तरफ से क्या कर सकते हैं?
♦ एक स्वस्थ पेड़ हर दिन में लगभग 230 लीटर ऑक्सीजन देता है, जिससे करीब 7 लोगों को प्राणवायु मिल सकती है. इसीलिए हर तरह के स्थान पर एक न एक जगह ऑक्सीजन देने वाले पेड़ों के लिए रिजर्व होनी चाहिए.
♦ मेरे स्कूल में हर थोड़ी थोड़ी दूरी पर ऑक्सीजन देने वाले बड़े-बड़े पेड़ लगे थे, और उनके चारों तरफ गोलाई में बैठने के लिए एक पट्टी बनाई गई थी, पट्टी और पेड़ के बीच में जो खाली जगह थी, उसमें मिट्टी भरकर सुंदर-सुंदर फूलों के पौधे लगा दिए गए थे, इंटरवल में सभी बच्चे उन पट्टियों पर बैठकर खूब मजे से खाना खाते थे, मुझे यह व्यवस्था बेहद अच्छी लगती है.
♦ एक बार मुंबई से आते समय मैंने देखा था कि जहां ट्रेन खड़ी थी, उसके आसपास अमरूद के कई पेड़ लगे थे और कई छोटे-छोटे गरीब बच्चे उन अमरूदों को तोड़ लाए और ट्रेन में बैठे लोगों को बेच दिए. यानी हर जगह फलों के पेड़ लगा दिए जाएं तो शायद भुखमरी की समस्या, कुपोषण की समस्या और काफी हद तक आजीविका की समस्या भी दूर हो सकती है.
♦ डिवाइडर या फुटपाथ पर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर सुंदर-सुंदर पौधों के बड़े बड़े गमले रख दिए जाते हैं, अगर उन गमलों की जगह थोड़ी थोड़ी दूरी पर सीधे खड़े होने वाले अशोक के पेड़ लगा दिए जाएं तो? क्योंकि फूलों वाले पौधे तो पेड़ों की नीचे भी उगाए जा सकते हैं.
♦ सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देने वाला पेड़ पीपल है, इसी के साथ बरगद, बांस, बबूल, नीम और अशोक के पेड़ भी खूब ऑक्सीजन देते हैं.
♦ सभी औद्योगिक क्षेत्रों में जहां-जहां भी संभव हो सके, वहां पीपल या अशोक के पेड़ जरूर लगाए जाने चाहिए. ऊंची-ऊंची इमारतों के बीच में जहां-जहां जगह हों, वहां-वहां पेड़ जरूर लगाए जाने चाहिए.
♦ चौराहों के बिल्कुल बीच में महापुरुषों की मूर्तियां खड़ी कर दी जाती हैं, लेकिन अगर उन मूर्तियों की जगह चौराहे के बीच में एक पीपल का पेड़ और उसके चारों तरफ गोलाई में अशोक के पेड़ खड़े कर दिए जाएं तो?
♦ अगर किसी सड़क के दोनों किनारों पर कोई बाउंड्री नहीं है तो थोड़ी-थोड़ी दूरी पर पेड़ लगा दिए जाएं तो कई बार पेड़ बड़े-बड़े एक्सीडेंट होने से भी बचा लेते हैं.
♦ नदी के किनारों पर अगर सुंदर-सुंदर घाट बनाए जाएं, तो घाटों पर पेड़ लगवाना भी न भूलें.
♦ सभी लोगों को अपने घर के बाहर अगर संभव हो सके तो एक ना एक ऑक्सीजन देने वाला पेड़ जरूर लगाना चाहिए. यानी जहां भी जगह मिले, वहां एक ना एक ऑक्सीजन देने वाला पेड़ जरूर होना चाहिए. इससे बाढ़, वायु प्रदूषण और पानी की कमी की समस्या दूर हो सकती है.
♦ अगर कोई अधिकारी, जिसे कहीं भी पेड़ लगाने की स्वतंत्रता हो, तो अगर वह अधिकारी बनने के बाद भी अपने क्षेत्र में खूब हरियाली ना सके तो बेकार है ऐसा अधिकार.
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