Parli Vaijnath Temple Maharashtra
श्री परली वैजनाथ मंदिर या पर्ली वैद्यनाथ मंदिर (Parli Vaijnath Temple or Parli Vaidyanath Temple) महाराष्ट्र राज्य के बीड जिले के परली में स्थित है और भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों (Jyotirlingas) में शामिल है. वैजनाथ मंदिर आयुर्वेद के देवता धनवंतरी और अमृतेश्वरी के रूप में भी लोकप्रिय है. यहां के शिवलिंग शालिग्राम पत्थर हैं और इनकी सतह बहुत चिकनी है. परली हरि-हर का मिलन स्थल भी है. यहां हरि (भगवान् विष्णु) और हर (भगवान् शिव) दोनों के उत्सव मनाए जाते हैं. परली वैजनाथ ज्योतिर्लिंग को सभी ज्योतिर्लिंगों में अंतिम माना जाता है. कुछ इसे ‘बाबा धाम’ भी कहते हैं.
परली वैजनाथ मंदिर महाराष्ट्र के 5 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. अन्य 4 ज्योतिर्लिंग हैं-
श्री नागेश्वर (औंधा में)
श्री त्र्यंबकेश्वर (नासिक के पास)
श्री घृष्णेश्वर (औरंगाबाद के निकट)
श्री भीमाशंकर मंदिर (पुणे के पास).
मंदिर से जुड़ी मान्यता
इस मंदिर के साथ कई कथाएं जुड़ी हुई हैं. एक कथा समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत से जुड़ी हुई है. माना जाता है कि अमृत को पाने के लिए जब देवता और दानव मिलकर समुद्र मंथन कर रहे थे, तो इस प्रक्रिया से चौदह रत्न निकले, जिसमें धनवंतरी और अमृत भी शामिल थे. जैसे ही राक्षस अमृत पर झपटने वाले थे, भगवान विष्णु ने धन्वंतरि और अमृत दोनों को पकड़ लिया और उन्हें एक शिवलिंग के अंदर छिपा दिया.
क्रोधित राक्षसों ने अमृत को पाने के लिए जैसे ही शिवलिंग को छूने का प्रयास किया तो उससे तेज रोशनी निकली. इससे वे सभी दैत्य डर गए और वे वहां से भाग खड़े हुए. चूंकि यह वह स्थान है जहां देवताओं ने सफलतापूर्वक अमृत प्राप्त किया था, अतः यह गांव वैजयंती के रूप में लोकप्रिय हो गया और मंदिर परली वैजनाथ के रूप में लोकप्रिय हुआ. यह भी माना जाता है कि ऋषि मार्कण्डेय को भगवान् शिव की कृपा इसी स्थान पर प्राप्त हुई थी.
मंदिर का इतिहास और संरचना
यह मंदिर और शिवलिंग कितना पुराना है, यह तो आज कोई नहीं जानता. इस मंदिर का पुनरुद्धार वर्ष 1706 में रानी अहिल्याबाई होल्कर (Rani Ahilyabai Holkar) ने करवाया था. महारानी अहिल्याबाई परली वैजनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए त्रिशूल देवी पर्वत श्रृंखला से विशेष पत्थर लाई थीं. परली वैजनाथ के बाहर एक मीनार में विशेष ग्वाक्ष (खिड़कियाँ) हैं. जब सूर्य की किरणें खिड़कियों से होकर गुजरती हैं तो वे सीधे शिवलिंग पर पड़ती हैं. इस समय, पुजारी सूर्य भगवान को विशेष प्रार्थना और पूजा करते हैं.
परली वैद्यनाथ के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. पत्थरों से बना यह मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और पारंपरिक औषधीय पौधों से घिरा हुआ है. यह मंदिर पूर्वमुखी है और मुख्य प्रवेश द्वार पूर्व की ओर है. वहां मौजूद भव्य द्वार पीतल से मढ़वाया गया है. इस मंदिर के दक्षिण और उत्तर दिशा में दो दरवाजे हैं. प्रवेश द्वार पर सागौन की लकड़ी से निर्मित एक बड़ा हॉल है.
मंदिर परिसर में एक बड़ा प्रांगड़ और मंदिर की परिक्रमा के लिए एक बड़ा कॉरिडोर है. मंदिर में प्रवेश के लिए चौड़ी सीढ़ियां हैं. यह मंदिर चेरबंदी और भव्य है. लंबी-चौड़ी सीढ़ियां और भव्य प्रवेश द्वार मंदिर परिसर में सबका ध्यान आकर्षित करते हैं. चूंकि मंदिर का गभरा और सभा भवन एक ही स्तर पर हैं, इसलिए सभा भवन से ज्योतिर्लिंग को देखा जा सकता है.
महत्वपूर्ण तथ्य
परली वैजनाथ मंदिर सुबह 5:00 बजे खुलता है और शाम को 9:00 बजे बंद हो जाता है. इस दौरान मंदिर में विभिन्न अनुष्ठान आयोजित किये जाते हैं. महाशिवरात्रि, वैकुंठ चतुर्दशी, त्रिपुरी पूर्णिमा, विजयादशमी और चैत्र पड़वा महत्वपूर्ण त्योहार हैं. यह मंदिर यहां आने वाले भक्तों को व्यक्तिगत रूप से प्रार्थना करने की अनुमति भी देता है. भक्त यहां आकर भगवान् शिव का अभिषेक करते हैं और उनकी पूजा के लिए वे पर्ली वैजनाथ मंदिर परिसर के बाहर खरीदे गए बिल्वपत्र आदि का प्रयोग करते हैं.
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