Pole Star or Polaris (Dhruv Tara or North Star)
पोलारिस या नॉर्थ स्टार (Polaris or North Star) एक तारा है जिसे हम ध्रुव तारा (Pole Star or Dhruv Tara) कहते हैं, जो पृथ्वी के घूर्णन अक्ष (Earth’s Rotation Axis) के लगभग सीधे ऊपर दिखाई देता है. रात के आकाश में ध्रुव तारा ही एकमात्र ऐसा तारा है जो पूर्व से पश्चिम की ओर जाता हुआ प्रतीत नहीं होता, बल्कि स्थिर दिखाई देता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि यह पृथ्वी की धुरी के ठीक ऊपर है.
ध्रुव तारा आकाश में स्थिर रहने के लिए जाना जाता है. यह आकाश के उत्तरी ध्रुव के स्थान को चिह्नित करता है (वह बिंदु जिसके चारों ओर पूरा आकाश घूमता दिखाई देता है). इसीलिए प्राचीन काल से ही लोग उत्तर दिशा का पता लगाने के लिए ध्रुव तारे की सहायता लेते हुए आये हैं, और इसलिए इसे ‘उत्तरी सितारा’ (North Star) भी कहा जाता है.
यदि आप रात में बाहर जाते हैं और ध्रुव तारे को ढूंढते हैं तो आप देखेंगे कि अन्य सभी तारे गति करते हुए दिखाई देते हैं. वे ध्रुव तारे के चारों ओर पूर्व से पश्चिम की ओर घूमते दिखाई देते हैं, लेकिन ध्रुव तारा स्थिर खड़ा प्रतीत होता है, हर रात-हर मौसम में. सूर्य भी उत्तरी आकाशीय ध्रुव के चारों ओर घूमता हुआ दिखाई देता है.
ध्रुव तारा पृथ्वी से बहुत दूर है और पृथ्वी के उत्तरी आकाशीय ध्रुव के बहुत निकट स्थित है. उत्तरी आकाशीय ध्रुव (North Celestial Pole) आकाश में वह बिंदु है, जिसके चारों ओर उत्तरी गोलार्ध से देखे जाने वाले सभी तारे घूमते हुए दिखाई देते हैं. ध्रुव तारा आकाश में लगभग इसी बिंदु पर स्थित है.
हम रात के आकाश में जो तारे देखते हैं वे सभी हमारी आकाशगंगा (मिल्की वे) के सदस्य हैं. ये सभी तारे अंतरिक्ष में घूम रहे हैं, लेकिन वे सब हमसे इतनी दूर हैं कि हम उन्हें एक-दूसरे के सापेक्ष घूमते हुए आसानी से नहीं देख सकते. इसीलिए तारे एक-दूसरे के सापेक्ष स्थिर दिखाई देते हैं.
सबसे चमकीला तारा नहीं है ध्रुव तारा, लेकिन है बड़ा महत्वपूर्ण
ध्रुव तारा हमारे सबसे निकट का तारा नहीं है और न ही यह रात के आकाश का सबसे चमकीला तारा है. लेकिन सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और नौवहन की दृष्टि से यह सबसे महत्वपूर्ण तारों में से एक है, क्योंकि यह रात के आकाश में स्थिर दिखाई देता है. इस तारे ने सदियों से यात्रियों-नाविकों का मार्गदर्शन किया है.
ध्रुव तारा पृथ्वी के उत्तरी स्पिन अक्ष (Earth’s Northern Spin Axis) की ओर निकटतम चमकीला तारा है. इसलिए (पृथ्वी के घूमने के साथ-साथ) तारे ध्रुव तारे के चारों ओर घूमते दिखाई देते हैं, लेकिन ध्रुव तारा स्वयं हमेशा एक ही (उत्तरी) दिशा में रहता है, जिससे यह उत्तरी सितारा बन (North Star) जाता है. चूँकि कोई भी चमकीला तारा पृथ्वी के दक्षिणी स्पिन अक्ष (Southern Spin Axis) के निकट नहीं है, इसलिए वर्तमान में कोई चमकीला दक्षिणी तारा नहीं है.
दक्षिणी ध्रुव तारा (South Pole Star)
सिग्मा ऑक्टेंटिस (Sigma Octantis) ऑक्टांस तारामंडल (Octans Constellation) में एक अकेला तारा है जो पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध के ध्रुव तारे का निर्माण करता है. पृथ्वी से लगभग 294 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित इस तारे को आधिकारिक तौर पर पोलारिस ऑस्ट्रेलिस (Polaris Australis) नाम दिया गया है. यह तारा दक्षिणी गोलार्ध के दक्षिणी आकाशीय ध्रुव से एक डिग्री दूर स्थित है, जो आकाशीय गोले पर उत्तरी तारे के लगभग विपरीत दिशा में स्थित है. उत्तरी ध्रुव तारे के समान ही, एक पर्यवेक्षक को दक्षिणी गोलार्ध में सिग्मा ऑक्टेंटिस लगभग गतिहीन दिखाई देता है और दक्षिणी आकाश के अन्य सभी तारे इसके चारों ओर घूमते हुए दिखाई देते हैं. सिग्मा ऑक्टेंटिस को खाली आँखों से देखना बहुत मुश्किल है, इसलिए इसे ढूंढने के लिए आपको कड़ी मेहनत करनी होगी.
उत्तरी ध्रुव तारा उरसा माइनर नामक तारामंडल (Ursa Minor Constellation) का हिस्सा है. उरसा माइनर में सबसे प्रसिद्ध तारा ध्रुव तारा (Polaris) ही है, जो उत्तरी आकाशीय ध्रुव के सबसे निकट है. यदि आप उत्तरी ध्रुव पर खड़े हों, तो ध्रुव तारा लगभग सीधे आपके सिर के ऊपर होगा. यदि आप आकाश में ध्रुव तारे को देख सकते हैं, तो आप हमेशा बता सकते हैं कि कौन सा रास्ता उत्तर की ओर है. इसके अलावा, क्षितिज (Horizon) के ऊपर ध्रुव तारे का कोण आपको पृथ्वी पर आपका अक्षांश (Latitude) बताता है. इस वजह से ध्रुव तारा नौपरिवहन के लिए सबसे महत्वपूर्ण तारा रहा है.
सप्तऋषि तारामंडल या बिग डिप्पर (Big Dipper)
आपने रात के आकाश में उत्तर दिशा में सप्तऋषि तारामंडल (Saptarshi Taramandal) को अवश्य देखा होगा. सप्तर्षि तारामंडल का नाम अंग्रेजी में बिग डिपर (Big Dipper) रखा गया है. यह उत्तरी गोलार्ध (Northern Hemisphere) में दिखाई देने वाले सात तारों का एक समूह है. यह उरसा मेजर (द ग्रेट बियर) नाम के एक बड़े नक्षत्र का हिस्सा है. भारत में इन सातों तारों के नाम प्राचीन काल के सात ऋषियों के नाम पर रखे गए हैं- मरीचि, अत्रि, अंगिरस, पुलह, कृतु, पुलस्त्य और वसिष्ठ.
सप्तर्षि तारामंडल ध्रुव तारे के चारों ओर 24 घंटे में एक चक्कर पूरा करता है. इस तारामंडल के दो तारे ध्रुव तारे की ओर संकेत करते हुए प्रतीत होते हैं (यदि आगे के दो तारों को जोड़ने वाली पंक्ति को सीधे उत्तर दिशा में बढ़ायें तो यह ध्रुव तारे पर पहुंचती है).
नासा के मुताबिक, पोलारिस सूर्य से दो हजार गुना अधिक चमकीला तारा है. ध्रुव तारा वास्तव में एक ट्रिपल स्टार प्रणाली (Triple Star System) है. पृथ्वी से इस प्रणाली की दूरी 430 प्रकाश-वर्ष है (एक अनुमान के मुताबिक, ध्रुव तारे की पृथ्वी से दूरी लगभग 433 प्रकाश वर्ष है). पोलारिस के एक साथी तारे को तो छोटी दूरबीनों से भी आसानी से देखा जा सकता है, लेकिन दूसरा तारा पोलारिस के इतने करीब है कि उसे अब तक कभी नहीं देखा गया है.
पोलारिस हमेशा नहीं रहता ‘उत्तरी तारा’
पोलारिस अस्थायी रूप से उत्तरी ध्रुव पर है. यानी यह हमेशा ‘उत्तरी तारा’ नहीं रहता (दूसरे शब्दों में, वर्तमान में ‘पोलारिस’ नाम से जाना जाने वाला तारा ‘उत्तरी तारा’ है). हजारों साल पहले, पृथ्वी की घूर्णन धुरी (Earth’s rotation axis) थोड़ी अलग दिशा में थी, इसलिए वेगा (Vega) उत्तरी सितारा था. अब 14,000 वर्षों में वेगा (Vega) फिर उत्तरी तारा होगा, जो हमारे ग्रह के उत्तरी आकाशीय ध्रुव के सबसे निकट चमकीला तारा होगा. इसे समझने के लिए हमें यह देखना होगा कि पृथ्वी अपनी धुरी पर कैसे घूमती है.
किसी पिंड के घूर्णन की धुरी स्वयं एक दूसरे अक्ष के चारों ओर घूम रही है-
पृथ्वी की घूर्णन धुरी (Axis of Rotation) एक गति से गुजरती है जिसे पूर्वसरण (Earth’s Axial Precession) कहा जाता है. क्या आपने कभी किसी घूमते हुए लट्टू (Spinning Top) को देखा है? ध्यान से देखिएगा कि यह अपनी धुरी पर कैसे घूमता है? क्या यह अपनी धुरी पर बिल्कुल सीधा खड़ा हुआ घूमता है? नहीं. यह अपनी धुरी पर एक शंकु की-सी आकृति बनाते हुए धीरे-धीरे डगमगाता हुआ-सा घूमता है.
हमारी पृथ्वी भी अपने अक्ष या धुरी पर इसी प्रकार घूमती है. पृथ्वी की धुरी को एक गोलाकार “डगमगाहट” पूरा करने में लगभग 26,000 वर्ष (25,771.5 वर्ष) लगते हैं (पृथ्वी का उत्तरी ध्रुव हर 26,000 वर्षों में एक पूर्ण चक्र बनाता है). इस डगमगाहट को अक्षीय पूर्वगमन (Axial Precession) कहा जाता है. इस प्रकार, पृथ्वी की धुरी उत्तरी तारे को निर्धारित करने में मदद करती है. जैसे-जैसे सदियाँ बीतती हैं, उत्तरी आकाशीय ध्रुव बदलता जाता है.
पृथ्वी के घूर्णन के साथ ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पृथ्वी बिल्कुल गोलाकार नहीं है. पृथ्वी अपनी भूमध्य रेखा पर उभरी हुई है, साथ ही सूर्य और चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण आकर्षण पृथ्वी के घूर्णन को प्रभावित करता है. स्पिन अक्ष की दिशा में इस परिवर्तन को पूर्वगमन या पुरस्सरण या पूर्वसरण (Axial Precession) कहा जाता है. पूर्वसरण की अवधि लगभग 26,000 वर्ष है. दूसरे शब्दों में, पृथ्वी के अक्ष को एक शंकु की आकृति जैसा चक्कर लगाने में 26,000 वर्ष लगते हैं. इसलिए अलग-अलग समय पर अलग-अलग तारे उत्तरी सितारा बन जाते हैं.
तो अब आप देख सकते हैं कि पोलारिस हमेशा पृथ्वी के उत्तरी स्पिन अक्ष के साथ क्यों नहीं होता, क्योंकि वह अक्ष धीरे-धीरे उस दिशा को बदलता है जिस ओर वह इंगित करता है. अभी पृथ्वी की घूर्णन धुरी लगभग बिल्कुल पोलारिस की ओर इंगित कर रही है. भविष्य में पृथ्वी की उत्तरी ध्रुवीय धुरी कहीं और इंगित करेगी. लगभग 14,000 वर्षों में, वेगा उत्तरी सितारा होगा और उसके 14,000 वर्षों बाद यह फिर से पोलारिस उत्तरी सितारा बन जायेगा.
प्रीसेशन पृथ्वी की घूर्णन धुरी में होने वाला धीमा परिवर्तन है. यह पृथ्वी पर मुख्य रूप से सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति द्वारा लगाए गए गुरुत्वाकर्षण बलों के कारण होता है. प्रीसेशन पृथ्वी के घूर्णन अक्ष में चक्रीय परिवर्तन है, जो हर 72 वर्षों में लगभग 1° होता है. पृथ्वी की इस गति का एक प्रमुख प्रभाव यह है कि इस चक्र के दौरान अलग-अलग समय पर, उत्तरी या दक्षिणी गोलार्ध में मौसम या तो कम या ज्यादा चरम पर होते हैं. दूसरे शब्दों में, प्रीसेशन पृथ्वी के झुकाव के परिमाण को या तो बढ़ाती है या घटाती है.
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