The Rise of Nationalism in Europe (Part-3) : यूरोप में क्रांतियां

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The Rise of Nationalism in Europe

क्रांतिकारियाँ (Revolutionaries in Europe)

तो इस रूढ़िवाद (Conservatism) से बहुत सारे उदार राष्ट्रवादी (Liberal Nationalists) लोग खुश नहीं थे. 1815 के बाद जितने भी लिबरल नेशनलिज्म लोग थे, वे भूमिगत (Underground) हो गए, क्योंकि सत्ता रूढ़िवादियों के पास पहुँच गई थी. इसलिए उदार राष्ट्रवादी खुलकर कुछ नहीं कर सकते थे. इसलिए उन्होंने गुप्त रूप से सीक्रेट्स ग्रुप्स बनाना शुरू कर दिया था, क्योंकि वे लोग नहीं चाहते थे कि यूरोप में राजशाही व्यवस्था (Monarchy System) आए. ये लोग पूरी तरह से आजादी चाहते थे.

इन्हीं में एक व्यक्ति थे ग्यूसेप माज़िनी (Giuseppe Mazzini), जिनका जन्म 1807 में जेनोआ (Genoa) में हुआ था. ये इटली के एक क्रांतिकारी थे. ये कार्बोनरी (Carbonary) नाम की एक सोसायटी के मेंबर भी थे. इसी के साथ, इन्होने दो सीक्रेट सोसायटीज (गुप्त समाज) भी बनाई थीं-
‘Young Italy’ in Marseille
‘Young Italy’ in Bern.

ग्यूसेप माज़िनी इटली को एक राष्ट्र-राज्य (Nation State) बनाना चाहते थे. इन्हें देखकर यूरोप की अलग-अलग जगहों पर भी सीक्रेट सोसायटीज बनना शुरू हो गई थीं.

The Age of Revolution (क्रांति का युग-1830 to 1848)

1830 से 1848 के बीच यूरोप में कई क्रांतियाँ हुईं, इसलिए इस काल को ‘क्रांति का युग’ (Age of Revolution) कहा जाता है. इस काल में कई बड़ी क्रांतियाँ हुईं, जिन्होंने आधुनिक इतिहास की दिशा बदल दी. अमेरिकी क्रांति 1763-1783 के बीच हुई और इसके परिणामस्वरूप ग्रेट ब्रिटेन से अमेरिकी स्वतंत्रता और संयुक्त राज्य अमेरिका का निर्माण हुआ. फ्रांसीसी क्रांति (1789-1799) के परिणामस्वरूप राजा लुई सोलहवें के शासन को उखाड़ फेंका गया (और उसे फांसी दी गई) और प्रथम फ्रांसीसी गणराज्य की स्थापना हुई. 1830 में यूरोपीय क्रांति हुई जिसके परिणामस्वरूप फ्रांस और बेल्जियम के एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना हुई.

इस काल में दो बड़ी क्रांतियाँ हुईं-
(1) जुलाई क्रांति (July Revolution)
(2) ग्रीक क्रांति (Greek Revolution)

जुलाई क्रांति (July Revolution) :

यह दो स्थानों पर होती है- फ्रांस और बेल्जियम. फ्रांस में बर्बन राजा (Bourbon King) को हटा दिया जाता है. मतलब कि फ्रांस में रूढ़िवादियों (Conservatives) द्वारा स्थापित बर्बन राजवंश को हटा दिया जाता है. साथ ही, एक संवैधानिक राजतंत्र (Constitutional Monarchy) की स्थापना की जाती है. इसका मतलब है कि राजतंत्र व्यवस्था (Monarchy System) बनी रहेगी, लेकिन यह संविधान (Constitution) के अनुसार काम करेगी. इन सबके अलावा लुई फिलिप (Louis Philippe) को फ्रांस का प्रमुख (Head of Constitutional Monarchy) बनाया जाता है.

दूसरी ओर, बेल्जियम पहले यूनाइटेड किंगडम ऑफ नीदरलैंड का हिस्सा था (मतलब यह उसके नियंत्रण में था). बेल्जियम के लोग अपनी आज़ादी चाहते थे. वे अपना अलग राष्ट्र बनाना चाहते थे. और इसी के चलते बेल्जियम में भी एक क्रांति होती है, जिसके चलते बेल्जियम यूनाइटेड किंगडम ऑफ नीदरलैंड से स्वतंत्र हो जाता है.

ग्रीक क्रांति (Greek Revolution) :

ग्रीस पहले ओटोमन साम्राज्य (Ottoman Empire) का हिस्सा था. ग्रीस के लोग भी दूसरे देशों की तरह आज़ादी की मांग कर रहे थे. ये लोग भी अपना अलग राष्ट्र या देश बनाना चाहते थे. इसके लिए ग्रीस के लोगों ने 1821 में संघर्ष करना शुरू कर दिया. लेकिन ग्रीस के लोग इतने शक्तिशाली नहीं थे कि वे अपने लिए आजादी हासिल कर सकें. उन्हें मदद की जरूरत थी. इसलिए इसके लिए पश्चिमी यूरोपीय देशों (West European Countries) ने ग्रीस के लोगों की मदद की. इसके साथ ही, ग्रीक कवि और कलाकार (Poets and Artists) अपनी कला के जरिये ग्रीक के लोगों में राष्ट्रवाद की भावना (Feeling of Nationalism) जगाने में लगे हुए थे.

तो इन सबके चलते आखिरकार 1832 में एक संधि (Treaty) पर हस्ताक्षर हुए, जिसका नाम था ‘Treaty of Constantinople Recognize Greece as an Independent Nation’. इस संधि पर हस्ताक्षर के बाद ग्रीस भी आजाद हो गया और एक स्वतंत्र राज्य (Independent State) बन गया.

रोमांटिक कल्पना और राष्ट्रीय भावना (The Romantic Imagination and National Feeling)

लोगों में जो देशभक्ति की भावना फैल रही थी, उसका कारण था संस्कृति (Culture). लोगों के अंदर कल्चर के जरिये देशभक्ति की भावना जगाई गई. लोगों को अपने देश से भावनात्मक रूप से जोड़ा गया (इमोशनली कनेक्ट किया गया). इसलिए Romanticism स्टार्ट हुआ.

Romanticism का अर्थ होता है- राष्ट्रीय भावनाओं के एक विशेष रूप को विकसित करने के लिए एक सांस्कृतिक आंदोलन (A cultural movement to develop a particular form of national sentiments). मतलब कि कोई भी ऐसा सांस्कृतिक आंदोलन (Cultural Movement), जिसके कारण लोगों के मन में अपने देश के प्रति प्रेम पैदा होता है, रोमांटिकवाद (Romanticism) कहलाता है. ऐसे कई सारे Romantic Artists थे जो अपने चित्रों, कविताओं, कहानियों और संगीत की मदद से Romanticism फैला रहे थे.

ऐसे ही एक जर्मन दार्शनिक (German Philosopher) थे, जिनका नाम था जोहान गॉटफ्रीड (Johann Gottfried). उन्होंने रोमांटिकवाद से जुड़ी अपनी भावनाओं को शेयर किया. उन्होंने कहा कि “यदि आप जानना चाहते हैं कि किसी देश की संस्कृति कैसी है, तो आपको यह राजाओं और सम्राटों के महलों में नहीं मिलेगी, बल्कि आम लोगों के साथ रहने से आपको पता चलेगा कि उस देश की संस्कृति (कल्चर) कैसी है.” जोहान गॉटफ्रीड ने यह भी कहा कि “संस्कृति राष्ट्र की आत्मा है.”

इस विषय को समझने के लिए एक कहानी का भी उल्लेख किया जाता है-

पोलैंड का ज़्यादातर हिस्सा रूस के कब्ज़े में था और पोलैंड के लोग पोलिश भाषा (Polish Language) बोलते थे. रूस ने पोलैंड से पोलिश भाषा को हटा दिया और जबरन रूसी भाषा (Russian Language) को लागू कर दिया. पोलैंड के लोगों को बहुत बुरा लगा कि उनकी भाषा उनसे छीनी जा रही है. इसलिए पोलैंड के कुछ लोगों ने इसका विरोध करने के लिए 1831 में क्रांति शुरू कर दी. लेकिन रूस उस समय भी उतना ही शक्तिशाली था जितना आज है. इसलिए पोलैंड के जो लोग विद्रोह कर रहे थे, उन्हें दबा दिया गया (खामोश कर दिया गया). कुछ लोगों को जेल में डाल दिया गया और कुछ को मरने के लिए साइबेरिया भेज दिया गया, ताकि भविष्य में कोई रूस के खिलाफ आवाज न उठा सके.

भले ही इस कहानी का अंत अच्छा न रहा हो, लेकिन यह कहानी हमें बताती है कि किसी देश की भाषा भी लोगों में देशभक्ति की भावना जगाने का हथियार बन सकती है. भले ही रूस पोलैंड पर अपनी भाषा थोपना चाहता था, लेकिन पोलैंड के लोग अपनी सांस्कृतिक भाषा को छोड़ना नहीं चाहते थे. अपनी संस्कृति के प्रति ऐसे प्रेम को Romanticism कहते हैं.

भूख, कठिनाई और जन विद्रोह (Hunger, Hardship and Popular Revolt)

1830 में यूरोप में एक ऐसा दौर आया जिसमें लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई (आर्थिक कठिनाई आ गई). दरअसल, यूरोप में जनसंख्या बहुत बढ़ने लगी, जिससे बेरोजगारी बढ़ने लगी. लोगों के पास काम नहीं था, जिससे गांव के लोग यह सोचकर शहरों की ओर जाने लगे कि शहर जाकर उन्हें काम मिल जाएगा. गांव वालों के शहरों में आने से शहरों में झुग्गी-झोपड़ियाँ बनने लगीं, जिससे शहरों की स्थिति भी खराब होने लगी.

अब इंग्लैंड से यूरोप में सामान आने लगा और इंग्लैंड का सामान लोगों के लिए सस्ता था, क्योंकि ये सामान मशीनों से बनता था, जिससे छोटे कामगारों को घाटा होने लगा. इस दौर में लोगों की फसलें भी खराब होने लगीं, जिससे खाने-पीने की चीजों के दाम भी आसमान छूने लगे. लोगों को खाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा था. वहीं दूसरी ओर अमीर लोगों को कोई परेशानी नहीं थी, क्योंकि उनके पास पैसा था. भूख और कठिनाई (Hunger and Hardship) का सबसे ज़्यादा असर उन लोगों पर पड़ा जो काम की तलाश में शहरों में आए थे, यानी गरीब लोगों पर.

1848 में फ्रांस के एक शहर पेरिस की हालत ऐसी हो जाती है कि लोग सड़कों पर निकल आते हैं. यह देखकर फ्रांस के शासक लुई फिलिप डर जाते हैं और अपना पद छोड़कर भाग जाते हैं. अब देश चलाने के लिए किसी की ज़रूरत थी. इसके लिए फ्रांस में एक नेशनल असेंबली का गठन होता है. वह नेशनल असेंबली फ्रांस को एक गणतंत्र देश घोषित करती है. मतलब अब फ्रांस एक राष्ट्र-राज्य बन चुका था.

नेशनल असेंबली के आने के बाद कुछ बदलाव होते हैं, मुख्य रूप से दो बदलाव होते हैं-

पहला- सभी को वोटिंग का अधिकार दिया जाता है. इसके तहत 21 साल से ज़्यादा उम्र के पुरुषों को वोटिंग का अधिकार दिया जाता है (लेकिन महिलाओं को अभी भी वोटिंग का अधिकार नहीं दिया गया था).

दूसरा, काम करने का अधिकार दिया जाता है. मतलब सभी को काम दिए जाने की गारंटी दी जाती है. इससे फ्रांस के अंदर जो बेरोजगारी की समस्या चल रही थी, वह धीरे-धीरे खत्म होने लगती है.

1845 में एक और घटना हुई, जिसे सिलेसिया विद्रोह (Silesia Revolt) कहा जाता है क्योंकि यह सिलेसिया में हुआ था. इसके तहत कुछ बुनकरों (Weavers) ने ठेकेदार (Contractor) के खिलाफ विद्रोह कर दिया क्योंकि ठेकेदार ने उनका भुगतान कम कर दिया था. इस पर बुनकरों ने गुस्सा होकर ठेकेदार के घर में तोड़फोड़ की. ठेकेदार बुनकरों के डर से पास के एक गांव में छिप जाता है, लेकिन गांव वालों ने भी उसे रखने से मना कर दिया. फिर ठेकेदार सेना (Army) के पास जाता है और उनसे मदद मांगता है. फिर बुनकरों की लड़ाई सेना से होती है, जिसमें 11 बुनकरों की मौत हो जाती है.

तो यहां यह विद्रोह असफल रहा, लेकिन यहां हम सफलता और असफलता की बात नहीं कर रहे हैं. यहां बताया जा रहा है कि उस समय पूरे यूरोप में क्रांतियां हो रही थीं.

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The Rise of Nationalism in Europe (Part-2)

The Rise of Nationalism in Europe (Part-1)



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