Sea Waves Tides Ocean Currents
हम जब भी कोई झील, तालाब या नदी देखते हैं तो उनमें भरा हुआ जल प्रायः गतिशील (बहता हुआ) दिखाई देता है. इसी प्रकार, विशाल सागर का जल भी कभी स्थिर नहीं रहता, बल्कि अलग-अलग कारणों से उसमें किसी न किसी प्रकार की हलचल होती रहती है. यह हलचल ही सागर की गतियां (Ocean Movements) हैं. समुद्री गतियां तीन प्रकार की होती हैं-
• लहरें (Waves),
• धाराएं (Currents),
• ज्वार भाटा (Tide).
समुद्री लहरें या समुद्री तरंगें (Sea Waves)
आपने समुद्री तटों पर ऊंची-ऊंची लहरों और उनमें लोगों को अठखेलियां करते जरूर देखा होगा. ये विशाल लहरें कैसे बनती हैं? दरअसल, वायु के प्रभाव से समुद्री सतह का जल ऊपर-नीचे होता रहता है, इसे ही लहर कहते हैं.
जब हवा चलती है तो उसकी रगड़ से समुद्री सतह के जल को धक्का लगता है, जिससे उसमें हलचल पैदा होती है और जल ऊपर-नीचे होने लगता है. हवा जितनी प्रचंड होगी, लहरें उतनी ही बड़ी होंगी. कभी-कभी भूकंप के झटकों, ज्वालामुखियों और भूगर्भीय हलचलों के कारण भी अचानक बड़ी-बड़ी लहरें उत्पन्न हो जाती हैं. ये लहरें अत्यंत विनाशकारी होती हैं. ऐसी लहरों को ‘सुनामी’ कहते हैं (सुनामी जापानी भाषा का शब्द है).
लहरें एक-दूसरे को धकेलती हुई आगे बढ़ती हुई दिखाई देती हैं, जबकि ये लहरें अपनी ही जगह पर ऊपर-नीचे होती रहती हैं. ये केवल तटों पर आगे बढ़कर समाप्त हो जाती हैं. किसी भी समुद्री लहर के मुख्य रूप से 2 भाग होते हैं- ऊपर उठे भाग को ‘शृंग’ (Crest) और निचले भाग को ‘गर्त’ (Trough) कहते हैं.
लहरें मुख्य रूप से पवन के दबाव और घर्षण के कारण बनती हैं. लहरों का आकार और बल तीन बातों पर निर्भर करता है-
• पवन की गति,
• पवन के बहने की अवधि,
• पवन के निर्विघ्न बहने की दूरी.
यदि पवन 160 किमी/घंटा की गति से 50 घंटे तक 1600 किलोमीटर से अधिक दूरी तक निर्विरोध और निरंतर चलती रहे, तो वह जल में 15 मीटर ऊंची तरंगों या लहरों का निर्माण कर सकती है. खुले सागरों में 1.5 मीटर से 4.5 मीटर की ऊंचाई वाली लहरों का बनना एक सामान्य घटना है. शक्तिशाली तूफानों के समय यह ऊंचाई बढ़कर 12 से 15 मीटर तक हो सकती है. ऊंची लहरों का दैर्ध्य (Length) 60 से 210 मीटर और वेग (स्पीड) 30 से 100 मीटर/घंटा होती है.
समुद्री धारायें (Ocean Currents)
समुद्र में नियमित रूप से, किसी निश्चित दिशा में, क्षैतिज रूप से (Horizontally) प्रवाहित होने वाली विशाल जलराशि को धाराएं कहते हैं. सागरीय गतियों में धाराएं सबसे ज्यादा शक्तिशाली होती हैं, जो किसी भी स्थान के तापमान को प्रभावित करने में एक निर्णायक भूमिका निभाती हैं. इनके द्वारा सागरीय जल हजारों किलोमीटर तक बहाकर ले जाया जाता है. तापमान के अनुसार धाराएं दो प्रकार की होती हैं-
(1) गर्म धारा,
(2) ठंडी धारा.
गर्म जलधारा (Warm currents)- जो जल धाराएं गर्म क्षेत्रों से ठंडे क्षेत्रों की ओर चलती हैं, उन्हें गर्म धाराएं कहते हैं. ये धाराएं प्रायः भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर चलती हैं. इनके जल का तापमान इनके मार्ग में आने वाले जल के तापमान से अधिक होता है. इसलिए ये धाराएं जिन क्षेत्रों में चलती हैं, वहां का तापमान बढ़ा देती हैं.
ठंडी जलधारा (Cold Current)- जो धाराएं ठंडे क्षेत्रों से गर्म क्षेत्रों की ओर चलती हैं, उन्हें ठंडी धाराएं कहते हैं. ये धाराएं प्रायः ध्रुवों से भूमध्य रेखा की ओर चलती हैं. इनके जल का तापमान इनके रास्ते में आने वाले जल के तापमान से कम होता है, अतः ये धाराएं जिन क्षेत्रों में चलती हैं, वहां का तापमान घटा देती हैं.
समुद्री लहरों और धाराओं में क्या अंतर है?
• लहरों में समुद्री जल एक ही जगह पर ऊपर-नीचे होता रहता है, जबकि धाराओं में जल हजारों किलोमीटर तक प्रवाहित होता है.
• लहरों के चलने की दिशा और गति निश्चित नहीं होती है, जबकि धाराओं की दिशा और गति निश्चित होती है.
• लहरें वायु के थपेड़ों से उत्पन्न होती हैं, जबकि धाराएं पृथ्वी के घूर्णन, जल के तापमान की भिन्नता, लवणता आदि कारणों से उत्पन्न होती हैं.
• भूकंप और ज्वालामुखी के कारण उत्पन्न विशालकाय लहरें कई बार विनाशकारी हो जाती हैं, जैसे सुनामी. जबकि धाराएं कभी विनाशकारी नहीं होती हैं, वे सदैव शांत बहती हैं.
• लहरें जल की ऊपरी सतह पर दिखाई देती हैं, जबकि धाराएं स्पष्ट रूप से चलती हुई दिखाई देती हैं.
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