Mathura-Vrindavan- भगवान श्रीकृष्ण की भूमि मथुरा-वृंदावन

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Mathura Vrindavan Gokul Govardhan Barsana

यमुना नदी (Yamuna) के तट पर स्थित मथुरा (Mathura) भगवान श्री कृष्ण (Bhagwan Shri Krishna) की जन्मभूमि है. यह पूरी पवित्र भूमि शानदार मंदिरों से युक्त है, जो श्रीकृष्ण के जीवन के अलग-अलग पहलुओं को समर्पित हैं. मथुरा-वृंदावन, जहां हम सबके प्रिय श्रीकृष्ण का जन्म हुआ और जहां वे पले-बढ़े… उनकी हंसी, लीलाएं और उनकी बांसुरी की आवाज से गूंजते रहते हैं और दूर-दूर से भक्तों को अपनी तरफ खींचते रहते हैं.

मथुरा दुनिया के सबसे पुराने ऐतिहासिक नगरों और सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है. इस शहर का उल्लेख रामायण (Ramayana) में भी मिलता है. पहली शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान यह मौर्य साम्राज्य का हिस्सा बन गया. सात पवित्र नगरों (सप्त महापुरी) में से एक और तीर्थयात्रा का एक महत्वपूर्ण स्थान मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन और उसके आसपास के गांवों को ‘ब्रज-भूमि’ (Braj bhoomi) के रूप में जाना जाता है.

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एक कथा- ब्रज की मिट्टी भी है बेहद पवित्र
जब देवी-देवताओं को पता चला कि भगवान श्री हरि अब श्रीकृष्ण के रूप में पृथ्वी पर जन्म लेने वाले हैं और वे ब्रज में पधारेंगे, तो सभी देवी-देवता मिलकर ब्रह्मा जी के पास गए और उनसे प्रार्थना की कि, “उन्हें गोपियां, ग्वालबाल, पशु-पक्षी या पेड़-पौधे कुछ भी बनाकर ब्रज भेज दें, ताकि उन सभी को भी किसी न किसी रूप में भगवान श्रीकृष्ण के साथ रहने का सौभाग्य मिल सकें. लेकिन ब्रह्मा जी ने ये कहकर मना कर दिया कि सभी स्थान भर चुके हैं.

ब्रह्मा जी ने कहा कि बड़ी संख्या में गोपियां और ग्वालबाल जन्म ले चुके हैं, लाखों गायें जन्म ले चुकी हैं, खूब सुंदर-सुंदर पेड़ पौधे, पशु-पक्षी आदि भी बनाए जा चुके हैं… और अब ब्रज में और कुछ भी बनाने के लिए जगह खाली ही नहीं बची है. तब सभी देवताओं ने ब्रह्मा जी से कहा कि वे उन सब को ब्रज की रेत ही बना दें, ताकि श्रीकृष्ण के चरणों से वे सभी अपने-आपको पावन कर सकें.
इसीलिए ब्रज की मिट्टी इतनी पवित्र मानी जाती है.

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भक्ति और प्रेम की आभा
मथुरा और वृंदावन शहर आगरा से लगभग 56 किमी दूर हैं. मथुरा के कुछ महत्वपूर्ण मंदिर उस युग की कलात्मक अभिव्यक्ति के प्रतीक हैं. मंत्रमुग्ध कर देने वाले मंदिरों, उद्यानों, संगीत, कला और नृत्यों के बीच भगवान श्रीकृष्ण की कथा अपने सभी रंगों और महिमा में हर दिन जीवंत हो उठती है. चारकुला नृत्य, रासलीला और लोक संगीत भक्ति और प्रेम की आभा को फिर से जीवंत कर देता है.

भगवान श्रीकृष्ण के अलग-अलग स्थान
गोकुल वह स्थान है जहां भगवान श्रीकृष्ण को गुप्त रूप से राक्षस कंस की नजरों से दूर लाया गया था. माँ देवकी और वसुदेव जी के पुत्र भगवान श्री कृष्ण का जन्म इसी पवित्र भूमि पर लगभग 5,000 साल पहले एक जेल की कोठरी में हुआ था.
भगवान श्रीकृष्ण की प्रिया राधा जी बरसाना से थीं, जहां अद्वितीय लट्ठमार होली बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती रही है.
गोवर्धन वह पर्वत है, जिसे श्रीकृष्ण ने स्थानीय लोगों को देवराज इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था.

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गोकुल (Gokul)
मथुरा से लगभग 15 किमी दूर गोकुल दक्षिण-पूर्व में पक्की सड़क से जुड़ा हुआ है. यमुना के किनारे बसा यह उपनगर महावन शहर में आता है. यही वह स्थान है, जहां माँ यशोदा और नन्द बाबा जी ने भगवान श्रीकृष्ण का लालन-पालन किया था.

यमुना के तट पर स्थित इस पवित्र स्थान पर हर महीने, विशेषकर जन्माष्टमी (Shri Krishna Janmashtami) और अन्नकूट उत्सव के दौरान लाखों तीर्थयात्रियों का आना-जाना लगा रहता है. यहां के मुख्य दर्शनीय स्थलों में श्री ठकुरानी घाट, नंदा भवन, रमन रेती और रंगबिहारी जी मंदिर शामिल हैं.

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गोवर्धन (Govardhan)-
यह भगवान श्री कृष्ण की प्रमुख लीला स्थलियों में से एक है. अपनी पूजा न होने से नाराज जब देवराज इंद्र ने अपने अहंकार में, ब्रज में भीषण बारिश करवाई, तब बृज के लोगों को बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने अपनी उंगली पर 7 दिनों और रातों तक गोवर्धन को उठाए रखा, जिसके नीचे आकर सभी लोगों, जीव-जंतुओं की रक्षा हुई.

इसीलिए, इसे सबसे भाग्यशाली पर्वतों में से एक कहा जाता है. इस पर्वत की परिक्रमा करना बहुत ही शुभ माना जाता है. गुरु पूर्णिमा सहित विशेष त्योहारों पर बड़ी भारी संख्या में भक्त इस पर्वत की परिक्रमा करने के लिए आते हैं. उस दौरान सभी भक्तों के लिए बीच-बीच में प्रसाद वितरण की भी व्यवस्था की जाती है. संत श्री वल्लभाचार्य ने 1520 में गोवर्धन पहाड़ी के शिखर पर एक मंदिर भी बनवाया था.

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वृंदावन (Vrindavan)-
वृंदावन वह जगह है जहां आध्यात्मिकता शांति से मिलती है. इसे मथुरा के जुड़वां शहर के रूप में भी जाना जाता है. वृंदावन वह जगह है जहां भगवान श्री कृष्ण ने अपनी युवावस्था बिताई थी. यही वह पवित्र स्थान है, भगवान श्रीकृष्ण ने राधा रानी सहित सभी गोपियों के साथ महारासलीला रचाई थी और हर एक गोपी को इस बात का एहसास कराया था कि, “मैं तुम्हारा ही हूं”. आज भी कई भक्तों को पूरे वृंदावन की परिक्रमा करते हुए देखा जा सकता है. कई भक्त तो बड़ी कठिन परिक्रमा करते हैं.

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वृंदावन में 5000 से भी ज्यादा मंदिर हैं. मदन मोहन मंदिर, श्री राधा रमण मंदिर, प्रेम मंदिर आदि जैसे कई प्रतिष्ठित मंदिरों के साथ-साथ कई आश्रमों का घर है, जिनमें से कुछ देश भर में वास्तुशिल्प उत्कृष्ट कृतियों के रूप में प्रसिद्ध हैं. यहां आने वाले हर पर्यटक और भक्त को इस शहर की लस्सी और जलजीरा जरूर चखना चाहिए.

बरसाना (Barsana)-
गोवर्धन से करीब 21 किमी उत्तर में स्थित बरसाना नाम का पवित्र स्थान भगवान श्री कृष्ण की प्रिया श्री राधा रानी का जन्म स्थान बताया जाता है. बरसाना में राधा जी को ‘लाड़ली’ कहा जाता है. पद्म पुराण के अनुसार, राधा जी वृषभानु गोप की पुत्री थीं.

नन्दबाबा और वृषभानु आपस में घनिष्ठ मित्र थे. ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, श्री कृष्ण और राधा जी का विवाह हुआ था. यहां के प्रसिद्ध मंदिर हैं- श्रीजी मंदिर, मान मंदिर, मोर कुटीर, कृष्ण कुंड या राधा सरोवर और संकरी खोर. राधा जी का प्रसिद्ध मंदिर बरसाना ग्राम की पहाड़ी पर स्थित है.


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About Sonam Agarwal 237 Articles
LLB (Bachelor of Law). Work experience in Mahendra Institute and National News Channel (TV9 Bharatvarsh and Network18). Interested in Research. Contact- sonagarwal00003@gmail.com

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