Gold Importance : भारतीय संस्कृति में इतना महत्वपूर्ण क्यों है सोना?

metal gold properties uses importance in Indian culture
भारतीय संस्कृति में सोने का महत्त्व

Gold Properties Uses Importance

धातुयें क्या हैं (What are Metals)- धातुएँ पृथ्वी की पपड़ी (Crust) के प्राकृतिक यौगिक हैं, जिनमें वे आमतौर पर धातु अयस्कों (Metal Ores) के रूप में पाए जाते हैं, जो एक-दूसरे के साथ और कई अन्य तत्वों के साथ जुड़े होते हैं. वे सतही जल और भूजल से धुली चट्टानों और वायुमंडलीय धूल में भी स्वाभाविक रूप से मौजूद होती हैं. धातुएँ वे पदार्थ हैं जो प्राकृतिक रूप से पृथ्वी की सतह के नीचे बनती हैं. अधिकांश धातुएँ चमकीली और चिकनी होती हैं.

धातुएँ अकार्बनिक (Inorganic) होती हैं, जिसका अर्थ है कि वे ऐसे पदार्थों से बनी होती हैं जो कभी जीवित नहीं थे. धातु बहुत मजबूत और टिकाऊ होती हैं और इसलिए इनका उपयोग कई प्रकार की वस्तुएं बनाने में किया जाता है, जैसे आभूषण, ऑटोमोबाइल, सैटेलाइट्स, खाना पकाने के बर्तन आदि बनाने के लिए किया जाता है. अधिकांश धातुएँ कठोर होती हैं लेकिन सभी नहीं. सोडियम और पोटैशियम ऐसी धातुएँ हैं जिन्हें चाकू से काटा जा सकता है जबकि पारा (Mercury) कमरे के तापमान पर एक तरल धातु है. लोहा ठोस प्रकृति का होता है.

टंगस्टन उच्चतम तन्य शक्ति वाली सबसे कठोर धातु (Hardest Metal) है, लेकिन यह भंगुर (Brittle) होती है और संपर्क में आने पर टूटती हुई प्रतीत होती है. सीजियम (Caesium) को सबसे नरम धातु (Softest Metal) माना जाता है, और सीसा को सबसे नरम धातुओं में से एक माना जाता है. गैलियम शरीर के तापमान पर तरल होता है, जबकि कमरे के तापमान पर ठोस (यदि नरम हो) होता है.

सोना (Gold)

सोना (Gold) सबसे मूल्यवान कीमती धातुओं और दुर्लभ प्राकृतिक खनिजों में से एक है. यह भी अब तक खोजे और वर्गीकृत किए गए 118 तत्वों (Elements) में से एक है. सोना एक धातु तथा तत्व है. शुद्ध सोना एक चमकीली गर्म पीली, मुलायम, सघन, नरम और लचीली धातु है. शुद्ध सोना चमकदार पीले रंग का होता है.

प्राचीन काल से ही सोने का प्रयोग सिक्के, आभूषण बनाने एवं धन-संग्रह के लिये किया जाता रहा है. प्राय: यह प्रकृति में मुक्त अवस्था में पाया जाता है. यह धातु इतनी नरम होती है कि अपने शुद्धतम रूप में, इसे वास्तव में रोजमर्रा में पहनने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. सबसे अधिक लचीली और नरम धातुओं में से एक होने के कारण, 28 ग्राम सोने को 300 वर्ग फुट में पीटा जा सकता है.

सोने को कठोर और मजबूत बनाने के लिए, इसमें चांदी, तांबा, प्लैटिनम, पैलेडियम और जिंक जैसी धातुओं का मिश्रण मिलाया जाता है. इससे सोने की कठोरता बढ़ जाती है और इसके कुछ अन्य गुण जैसे इसका गलनांक और इसका कुछ रंग भी बदल जाता है. इसमें चांदी का मिश्रण करने से इसका रंग हल्का पड़ जाता है, और ताम्बे के मिश्रण से पीला रंग गहरा पड़ जाता है. इसका प्राथमिक उपयोग आभूषणों में होता है.

सोने से बने आभूषण और कपड़ों की वस्तुएं सोने की मूल्यवान प्रकृति के कारण कीमती मानी जाती हैं. इसके अतिरिक्त सोने का उपयोग फाइनेंस, इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर, दंत चिकित्सा, चिकित्सा, एयरोस्पेस, ग्लासमेकिंग और पुरस्कार और स्थिति प्रतीकों (Status Symbols) के रूप में भी किया जाता है.

सोने के गुण (Properties of Gold)

सोने में ऐसे कई गुण हैं जिनके कारण यह प्राचीनकाल से अब तक असाधारण रूप से मूल्यवान बना रहा है. किसी भी अन्य धातु की तुलना में सोने का इतिहास बेजोड़ है. सोना धन, शक्ति और ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है. दिखने में सुखदायक और काम में लेने योग्य होता है. युगों-युगों से अत्यंत प्रतिष्ठित, यहां तक कि पूजनीय सामग्री के रूप में सोने का ऊंचा स्थान रहा है. अपने अद्वितीय गुणों के कारण यह कीमती धातु वास्तव में कीमती है. सोना एक ऐसी सामग्री है जिसे वस्तुओं और सेवाओं के बदले में सार्वभौमिक रूप से स्वीकार किया जाता रहा है.

आज भी सभी देशों द्वारा सोने को अंतर्राष्ट्रीय भुगतान के माध्यम के रूप में स्वीकार किया जाता है. सोने का उपयोग सहस्राब्दियों से आभूषण और विनिमय के साधन के रूप में किया जाता रहा है. सोना मूल्य का भंडार है और लोगों के लिए निवेश का अवसर है, जिसका अर्थ है कि इसका मूल्य समय के साथ घटने के बजाय स्थिर रहता है या बढ़ता रहता है. कई अन्य धातुओं के विपरीत, सोना खराब नहीं होता या गुणवत्ता में अन्यथा गिरावट नहीं आती. इसके अलावा, सोना इतना दुर्लभ है कि हर कोई सोने का सिक्का नहीं बना सकता.

सोना टिकाऊ और जंग-रोधी होता है. सोने में दृश्य सौंदर्य और चुंबकीय आकर्षण होता है. ऊष्मा और बिजली का बहुत अच्छा संवाहक होने के कारण, सोना हवा और अधिकतर अभिकर्मकों (रासायनिक अभिक्रिया उत्पन्न करने वाले पदार्थ या यौगिक) से प्रभावित नहीं होता है. सबसे आम सोने के यौगिकों में क्लोरोऑरिक एसिड और ऑरिक क्लोराइड शामिल हैं.

सोना पृथ्वी पर कहाँ से आया?

पृथ्वी पर सोना 0.03 ग्राम प्रति 1000 किग्रा पृष्ठभूमि स्तर पर प्रचुर मात्रा में मौजूद है. एक अनुमान के मुताबिक, सोना पृथ्वी के क्रस्ट का केवल 0.000004 प्रतिशत हिस्सा बनाता है. सोना सोने की खदानों से आता है और हमारी पृथ्वी की सतह से कई मीटर नीचे पाया जाता है. खनिकों (Miners) को सोना उसके प्राकृतिक रूप में मिलता है.

सोना कहाँ से आया, इसे लेकर कोई भी सटीक उत्तर नहीं दिया जा सका है. कुछ खगोलशास्त्रियों का मानना है कि न्यूट्रॉन सितारों (Neutron Stars) और सुपरनोवा विस्फोटों के बीच टकराव ने वह ऊर्जा प्रदान की होगी, जिससे सोने का निर्माण हुआ होगा. हमारे ग्रह पर जमा सारा सोना सितारों के विस्फोट और क्षुद्रग्रहों की टक्कर के दौरान बना होगा, और अंततः समय के साथ पृथ्वी पर आ गया होगा. खगोलशास्त्री इस बात की जांच कर रहे हैं कि हमारे ग्रह पर सबसे पहले सोना कैसे पहुंचा.

सोने के उपयोग (Uses of Gold)

सोने का उपयोग मुख्य रूप से आभूषण, कांच और इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं के अलग-अलग भागों के निर्माण के लिए किया जाता है. सोने की कीमत सोने में व्यापार के माध्यम से निर्धारित होती है. दुनियाभर में आभूषणों में लगभग 75% सोने की खपत होती है.

सोने को धागा बनाकर कढ़ाई में इस्तेमाल किया जा सकता है. सोने की एक पतली परत का उपयोग किसी बड़ी बिल्डिंग की खिड़कियों पर सूर्य की किरणों की गर्मी को प्रतिबिंबित करने के लिए भी किया जाता है.

इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री में इलेक्ट्रिकल कनेक्टर्स को बनाने के लिए सोने का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है जो संक्षारण प्रतिरोधी (जंग रोधी, यानी जिसमें जंग न लगती हो) होते हैं. ये इलेक्ट्रिकल कनेक्टर्स कंप्यूटर जैसे कई विद्युत उपकरणों में लगाए जाते हैं.

एक स्मार्टफोन में लगभग 50 मिलीग्राम सोना होता है. यह भी ध्यान दिया जा सकता है कि कनेक्टर्स में सोने का उपयोग अक्सर एक कोटिंग के रूप में किया जाता है जिसका उपयोग वायरिंग के कई महत्वपूर्ण रूपों, जैसे USB कॉर्ड, वीडियो केबल और ऑडियो केबल में किया जाता है.

जंग रोधी होने के कारण, सोना विद्युत संपर्कों (Electrical Contacts) में उपयोग के लिए भी आदर्श है. सोना ऊष्मा का अच्छा संवाहक, प्रकृति में गैर-विषैला और मनुष्य को ज्ञात सबसे अधिक लचीली धातुओं में से एक है. इसलिए स्विच कॉन्टैक्ट, जो अक्सर संक्षारण (धातुओं के क्षय एवं ह्रास होने की प्रक्रिया जैसे कि जंग) के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं, आमतौर पर सोने से बने होते हैं.

इसके अलावा, अर्धचालक उपकरण (Semiconductor Devices) अक्सर बेहद महीन सोने के तारों के जरिये अपने पैकेज से जुड़े होते हैं. उपकरणों को जोड़ने के लिए सोने के बारीक तारों का उपयोग करने की प्रक्रिया को आमतौर पर वायर बॉन्डिंग के रूप में जाना जाता है. अंतरिक्ष यात्रियों के हेलमेट को यूवी विकिरण (UV Radiation) से बचाने के लिए उस पर सोने की पतली कोटिंग लगाई जाती है.

इसी के साथ, सोने का उपयोग कई प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियों और चिकित्सा में भी किया जाता है, जैसे दंतचिकित्सा आदि. गोल्ड-198 आइसोटोप का उपयोग परमाणु चिकित्सा के क्षेत्र में कुछ प्रकार के कैंसर या ट्यूमर के इलाज के लिए किया जाता है.

भारत में सोने का महत्त्व (Importance of Gold in India)

भारत में सोने के खनन का एक लंबा इतिहास है. सदियों से, सोना सबसे पवित्र और शुभ भारतीय समारोहों को चिह्नित करता रहा है. जन्म से लेकर विवाह और उसके बाद तक, इसका उपयोग भारतीय परम्परा और संस्कृति में आशीर्वाद और समृद्धि के प्रतीक के रूप में किया जाता है. वेद, रामायण, महाभारत सहित सभी हिन्दू शास्त्रों में सोने के उपयोग और आभूषणों का बहुत उल्लेख मिलता है. सोना पवित्रता, धन और शुभ अवसरों का प्रतीक माना जाता रहा है.

सोना चाँदी और तांबे की तरह धूमिल नहीं होता, न ही लोहे की तरह जंग खाता है. यह सदैव से ही शुद्धता, दिव्यता और शक्ति के शिखर पर खड़ा है. इसलिए इसने अपना मूल्य कभी नहीं खोया, बल्कि समय के साथ यह और भी अधिक मूल्यवान हो गया.

वेदों में सोना (Gold in Vedas)

यह धातु वैदिक काल से ही बहुमूल्य मानी जाती है. ऋग्वेद में चाँदी के साथ सोने की मिश्रधातु का उल्लेख किया गया है. वेदों में सोने को हिरण्य कहा गया है और हिरण्यगर्भ से इस ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति मानी गई है. पृथ्वी से सोना निकालना (ऋग्वेद १-११७-५, १२-१-६, १२-१-२६, १२-१-४४) वैदिक लोगों को ज्ञात था. सोने की धुलाई का उल्लेख तैत्तिरीय संहिता (६-१-७१) और शतपथ ब्राह्मण (२-१-१-५) में किया गया है. सिंधु को हिरण्मय और सरस्वती को हिरण्यवर्तनी के रूप में भी दर्शाया गया है.

भारतीय संस्कृति में सोने का महत्त्व

भारतीय संस्कृति में प्राचीनकाल से ही सोने को सम्मान प्राप्त है. इसका उपयोग अधिकतर देवी-देवताओं की मूर्तियाँ, गहने, घरेलू बर्तन, सजावटी लेख, प्रतीक और मंदिरों की सजावट के लिए किया जाता रहा है. सोना पारंपरिक रूप से समृद्धि की देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर से भी जुड़ा हुआ है. विष्णुपत्नी और धन की देवी मां लक्ष्मी जी स्वर्ण आभूषणों से सुसज्जित रहती हैं, तथा धन वर्षा करती रहती हैं.

और केवल मां लक्ष्मीजी ही नहीं, लगभग सभी देवी-देवता स्वर्ण आभूषण धारण करते हैं. इसलिए सोना खरीदना घर में शुभता को आमंत्रित करने के समान माना जाता है. दीपावली, अक्षय तृतीया, ओणम, पोंगल, दुर्गा पूजा, धनतेरस, दशहरा और फसल के मौसम के उत्सव सोने की खरीद और पूजा को शुभ माना जाता है.

भारतीय संस्कृति में सोने का सबसे अधिक प्रयोग आभूषणों के रूप में किया जाता रहा है. आभूषण हिन्दू संस्कृति की अमूल्य विरासत हैं. इन्हें पीढ़ियों से गौरव के साथ संरक्षित किया गया है. भारतीय संस्कृति में ये केवल प्रदर्शन या आनंद प्राप्त करने की वस्तु नहीं हैं, बल्कि माना जाता है कि आभूषण पहनने से हमें ऊर्जा और चैतन्य प्राप्त होता है, शरीर में नकारात्मक ऊर्जा कम होती है, और शरीर के जिन हिस्सों में आभूषण पहने जाते हैं, उनका आध्यात्मिक उपचार होता है, एक्यूप्रेशर के समान.

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सोने से बने आभूषण पहनना सर्वोत्तम है. अधिकतर आभूषण सोने के बनाये जाते रहे हैं. यह तेज धातु है, अर्थात तेज-तत्व का दाता है, अत: इससे प्रसारित तेज तरंगें स्त्री के शरीर में सूर्यनाड़ी को सक्रिय करती हैं. उसके आधार पर, एक महिला में शक्ति-तत्व सक्रिय हो जाता है. यदि सोना पहनना संभव न हो तो चांदी के आभूषण पहने जाते हैं.

माना जाता है कि सोना शरीर में हानिकारक कीटाणुओं को नष्ट करता है. सभी धातुओं में सोना सबसे अधिक सात्विक है, जो सात्विक और चैतन्य से समृद्ध तरंगों को ग्रहण करती है और उन्हें समान गति से वायुमंडल में उत्सर्जित करती है. इसलिए जो व्यक्ति सोने के आभूषण पहनता है उसे सात्विकता और दिव्य चेतना का लाभ मिलता है.

इसकी आध्यात्मिक शक्तियों को देखते हुए, इसे उन लोगों के लिए सौभाग्य लाने वाला माना जाता है जो इसे सही तरीके से पहनते हैं. ज्योतिषशास्त्र में भी कुछ राशियों के लिए सोना पहनना बेहद भाग्यशाली माना गया है. प्राचीन काल में, इसके महीन पाउडर का उपयोग पेंटिंग और चित्रलिपि लेखन में भी किया जाता था.

आयुर्वेद में सोने के औषधीय महत्व को मान्यता दी गई है. सोने के बर्तनों में खाना खाने से शरीर अंदर और बाहर से मजबूत और ताकतवर बनता है. वात, पित्त और कफ तीनों ही कंट्रोल में रहते हैं. याददाश्त तेज होती है, आंखें स्वस्थ रहती हैं, साथ ही इम्युनिटी भी बढ़ती है. अल्जाइमर की बीमारी से राहत मिलती है.

भारत में सोने की खदानें (Gold Mines in India)

विश्व स्तर पर सोना आग्नेय, अवसादी और कायांतरित- तीनों प्रकार की चट्टानों में पाया जाता है. लेकिन अधिकांश सोना आग्नेय चट्टानों से ही प्राप्त होता है. आज दक्षिण अफ्रीका सोने का बहुत बड़ा उत्पादक है. यहाँ पर सोना संगुटिकाश्म (Conglomerate) तथा अन्य स्तरीय चट्टानों से प्राप्त किया जाता है. इन सभी चट्टानों पर वलन तथा भ्रंश का काफी प्रभाव पड़ा है. भारत में सोना क्वार्ट्ज और नदियों की रेत तथा बजरी में पाया जाता है. भारत और दक्षिण अफ्रीका की खानों से बहुत सोना निकाला जा चुका है. अतः ये खानें बहुत गहरी हो गई हैं.

वर्तमान में भारत में सोने की मुख्य तीन खदानें हैं – कर्नाटक में हुट्टी और उटी खदानें तथा झारखंड में हीराबुद्दीनी खदानें. कोलार गोल्ड फील्ड (KGF) कर्नाटक के कोलार जिले में स्थित एक खनन क्षेत्र है. यह अपनी ऐतिहासिक सोने की खानों हेतु जाना जाता है, जो दुनिया की सबसे गहरी खदानों में से एक थी. कोलार गोल्ड फील्ड 2001 में बंद हो गया, जिसने अपने 120 साल के इतिहास के दौरान 800 टन से अधिक सोने का उत्पादन किया था. इस खदान को उच्च परिचालन लागत एवं कम राजस्व के कारण बंद कर दिया गया था.

भारत में सोने का दूसरा महत्वपूर्ण उत्पादक हट्टी सोने की खदान है, जो कर्नाटक के रायचूर जिले में स्थित है. इस ऑपरेशन ने शुरुआत में 1902 में उत्पादन शुरू किया था, हालांकि बाद में प्रथम विश्व युद्ध के कारण धन की कमी के कारण इसे 1918 में बंद कर दिया गया था. 1947 में इसका पुनः आरंभ किया गया. 2020 तक इसने लगभग 84 टन सोने का उत्पादन किया और वर्तमान में यह भारत में एकमात्र महत्वपूर्ण सोना उत्पादक है. तुमकुरु जिले के बेलारा और सिरा के पास अज्जनहल्ली में भी सोने का उत्पादन किया जाता है.

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