Women in Hinduism : सनातन धर्म में नारी की महिमा और उसके अधिकार
स्त्रियों के लिए कहा गया है कि वे स्वयं को केवल कामवासना की तृप्ति का साधन न बनने दें. माता, गृहिणी एवं पति की मित्र के तौर पर अपने गौरव की रक्षा करें. […]
स्त्रियों के लिए कहा गया है कि वे स्वयं को केवल कामवासना की तृप्ति का साधन न बनने दें. माता, गृहिणी एवं पति की मित्र के तौर पर अपने गौरव की रक्षा करें. […]
जिस समाज या परिवार में नारी का सम्मान होता है, वहां देवता यानी दिव्यगुण और सुख-समृद्धि का वास होता है, वहीं जहां नारी का सम्मान नहीं होता, वहां अनादर करने वालों के सभी कार्य निष्फल हो जाते हैं. […]
महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) ने जंगल में घास की रोटियां तो खा ली थीं, लेकिन अपनी भूख मिटाने के लिए किसी भी जीव को कष्ट पहुंचाना उन्हें मंजूर न था. भारत के महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन (Srinivasa Ramanujan) जब इंग्लैंड गए तो वह वहां अपना खाना खुद ही बनाते थे या फलाहार ही करते थे. […]
इस श्लोक का अर्थ यह बताया जाता है कि “ब्राह्मण का जन्म ब्रह्मा जी के मुख से हुआ, क्षत्रिय का बाहु से, वैश्य का जंघा से और शूद्र का पैरों से”. इस श्लोक का ऐसा अर्थ निकालने वाले और भ्रम फैलाने वाले इसके तुरंत पहले के श्लोक की चर्चा नहीं करते, जिसमें लिखा है- […]
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