कटवाए लंबे-घने बाल और बदला रहन-सहन, उड़वाई सब जगह हंसी, फिर भी न बन पाईं ‘किरन बेदी’

kiran bedi

क्या आप कभी किसी सेलिब्रिटी के इतने बड़े फैन हुए हैं कि आपके अंदर उसी की तरह दिखने की चाह उठने लगी हो? या उसी की तरह बनने की चाहत में आपने खुद को पूरी तरह से बदलना शुरू कर दिया हो? मेरे ख्याल से ऐसा बहुत लोगों के साथ होता है और मैं भी कोई अनोखी नहीं, इसलिए मेरे साथ भी हुआ. मुझे यकीन नहीं होता कि किसी समय मैं किरण बेदी (Kiran Bedi) की इतनी बड़ी फैन थीं कि मैंने उनके जैसा दिखने के लिए अपने घने-काले लम्बे सुंदर बाल कटवा लिए थे.

इतना ही नहीं, उनकी तरह दिखने की कोशिश में मैंने अपने लंबे-लंबे, काले-घने बाल तक बॉयकट (Boy Cut) करवा लिए थे, वो भी तब जब मैं ग्रेजुएशन कर रही थीं यानी कॉलेज के दिनों में. उनकी नकल उतारने के चक्कर में मैंने न जाने क्या-क्या किया, कितनी जगह अपनी हंसी भी उड़वाई, लेकिन उनकी दीवानगी मेरे सिर से उतरने को तैयार ही नहीं थी….और इतना सब करने के बाद भी मैं अब तक किरण बेदी न बन पाईं.

‘आप की कचहरी’ देखकर चढ़ा किरन बेदी जैसा दिखने का भूत

मुझ पर किरण बेदी जैसा बनने का भूत सवार उस समय हुआ था, जब Star Plus पर उनका शो ‘आप की कचहरी (Aap ki Kachehri)’ शुरू हुआ था. उस समय मैं बी.कॉम कर रही थीं. वो शो मैं रोज देखती थीं. देखते-देखते कब मैं उनकी इतनी बड़ी फैन हो गईं, मुझे पता ही नहीं चला. उनका उठना-बैठना, उनका बोलना और मुस्कुराना और यहां तक कि उनका गुस्सा भी, सब बड़ा प्यारा लगता था. मैं सोचने लगतीं कि ‘वाह! क्या पर्सनालिटी है…काश! मैं भी उनकी तरह लोगों को जज करूं. उन्हीं की तरह इतनी समझदार और तेज-तर्रार बनूं. मेरा लाइफस्टाइल भी उन्हीं की तरह हो और लोग मुझे ‘छोटी किरण बेदी’ कहकर बुलाएं’. मैं किरण बेदी के बारे में बहुत कुछ जानना चाहती थीं लेकिन कहां से जानूं, ये समझ नहीं आ रहा था.

Google ने की बड़ी मदद, बताया किरन जी के बारे में सब कुछ

एक दिन की बात है. मेरी दीदी एक कम्प्यूटर सेंटर में मुझे गूगल पर कोई भी टॉपिक सर्च करना सिखा रही थीं. मेरी दीदी ने मुझसे कहा कि ‘तुम्हारे मन में जो कुछ भी चल रहा हो वो बोल दो, उस पर भी सर्च कर लेगा ये गूगल’. मैंने तुरंत कहा- ‘किरण बेदी’? दीदी को सुनकर हंसी आ गई. दीदी ने गूगल पर किरण बेदी का नाम लिखा. उस पर उनसे जुड़ा बहुत सारा डेटा खुलकर मेरे सामने आ गया और उनकी ढेर सारी फोटो भी. उस समय तो मुझे ऐसा लगा जैसे मुझे मेरा खोया हुआ खजाना वापस मिल गया हो. उनकी उपलब्धियों के बारे में पढ़कर तो मैं उनसे और ज्यादा इंप्रेस हो गईं.

दरअसल, उससे पहले मुझे कम्प्यूटर सीखने में कोई भी दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन उस दिन के बाद मुझे ये गूगल तो बड़ा अच्छा लगने लगा था. मैंने किरण बेदी के बारे में सब कुछ पढ़ा. उन्होंने कौन-कौन से कोर्स किए, कब-कहां क्या-क्या किया, कौन-कौन से पुरस्कार मिले. मैंने पढ़ा कि किरण बेदी ने LLB की थी, बस! मैंने भी उसी समय ये फैसला कर लिया मैं भी B.Com के बाद LLB ही करूंगी.

जब घरवालों को बताई अपनी इच्छा…

मुझे सजने-संवरने का बहुत शौक है. मुझे अपने लंबे-लंबे बालों से बहुत प्यार है. बचपन में जब मम्मी-पापा मेरे बाल कटवाते थे तो मैं रोने लगती थीं और नाराज हो जाती थीं. जब मैं किसी पार्टी में जाती थीं, तब न जाने कितने लोगों की नजरें मेरे बालों पर ही ठहर जाती थीं. लेकिन अब अपने उन्हीं लंबे-घने-काले बालों को देखकर मुझे शर्म आने लगी थी, क्योंकि किरण बेदी के बाल छोटे-छोटे थे. मैंने ठान लिया कि मैं अपने बाल भी किरण बेदी जैसे ही करवाऊंगी.

मैंने अपनी ये इच्छा जब घरवालों को बताई तो सब पहले तो बहुत हंसे, फिर मुझे प्यार से समझाया कि ‘देखो! किरण बेदी जैसा बनने का मतलब बाल छोटे-छोटे करवाना नहीं है, बल्कि उनकी तरह मेहनत करके आगे बढ़ना है’. लेकिन मैं भी जब बिना सोचे-समझे कुछ ठान लेती हूं तो फिर अपनी भी नहीं सुनतीं. गलतियां कर-कर के सीखना तो मेरी हमेशा की आदत रही है. खैर, ये कोई ऐसी भी गलती नहीं थी. मैं जिद पर अड़ गईं कि ‘नहीं! मुझे तो किरण बेदी जैसे ही बाल चाहिए’. आखिरकार सबको मेरी बात माननी ही पड़ी.

बॉयकट बाल करवाने पर मिले ऐसे रिएक्शंस

पार्लर गईं तो पार्लर वाली ने भी मना किया कि इतने अच्छे बाल एकदम से इतने छोटे-छोटे क्यों करवा रही हो? लेकिन मैंने उससे सीधा-सीधा कह दिया कि वो सिर्फ मेरे बाल ठीक से काटने पर ध्यान दे और कुछ मत पूछे. उसने चुपचाप काट दिए. घर आईं तो पूछने पर कि “कैसी लग रही हूं?”, सबने अपने-अपने रिएक्शन दिए. मम्मी-पापा तो प्यार से बोले कि ‘अरे! मेरी सोनम तो हर तरह से अच्छी ही लगती है’.

लेकिन दीदियों ने सच बोल दिया. वो थोड़ा गुस्से में बोलीं- “देखो! मुझे तो तुम ऐसे बालों में बिल्कुल अच्छी नहीं लग रहीं और अब आगे कुछ मत पूछो.” छोटी बहन ठीक से सच बोलने की हिम्मत नहीं कर पाई तो वो बड़ी समझदारी से बोली कि “ठीक लग रही हो…और फिर धीरे-धीरे ऐसे ही देखने की आदत हो जाएगी तो शायद अच्छी भी लगने लगोगी”. कॉलोनी वाले तो मुझे देखकर सन्न ही रह गए. बाद में जो भी मेरे जानने वाले मुझे देखते, बस यही कहते कि ‘ये क्या कर लिया?’ और कॉलेज में तो कितना मजाक बना, वो तो पूछिए ही मत..

दिल्ली से मिलीं मिली-जुली प्रतिक्रियाएं

खैर, मैं तो सलवार-सूट से पैंट-शर्ट पर भी आ गई थीं. रिश्तेदारों ने मेरी बहुत हंसी उड़ाई और कुछ ने तो बहुत डांटा भी. एक बार तो बड़ी बेइज्जती हो गई, जब मैं दिल्ली की एक बस में चढ़ीं. बैठने की बिल्कुल जगह नहीं थी सो खड़ी थीं. तब अचानक झटका लगते ही मैं एक महिला के ऊपर गिर पड़ीं. वो महिला गुस्से में चिल्लाकर बोली…”हटवे लड़के, क्या कर रहे हो, ठीक से खड़े नहीं रह सकते”. मैं बहुत डर गईं. मैंने बड़ी विनम्रता से कहा, ‘सॉरी आंटी, वो झटका लगा तो एकदम से गिर पड़ीं’. उस महिला ने मेरे चेहरे की तरफ ध्यान से देखा और बड़े आश्चर्य से बोली कि ‘अरे ये तो लड़की है’…जैसे पहली बार छोटे बालों वाली लड़की देख रही हो.

लेकिन इन सब बातों का मतलब ये नहीं है कि मैं छोटे-छोटे बालों में अच्छी नहीं लगती थीं. मेरी एक दीदी उस समय दिल्ली के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में लेक्चरर थीं. उनके जब पूरे स्टाफ ने मुझे पहली बार देखा तो उन सबने मेरी दीदी से कहा कि “मैम का भाई बड़ा स्वीट है.”

मैं ‘सास-बहू और साजिश’ में किरण बेदी का हर एक इंटरव्यू देखती थीं. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि वह सब काम सीख लेती हैं, लेकिन सिलाई-कढ़ाई आज तक नहीं सीख पाईं. ये सुनकर मैंने भी सोच लिया कि अब से मैं भी ये सब काम नहीं करूंगी क्योंकि किरन बेदी भी नहीं करतीं. जबकि मैं इन सब कामों में बहुत निपुण थीं, क्योंकि कला से जुड़े हर काम..चाहे नृत्य हो या संगीत, में मुझे बड़ी दिलचस्पी है. जब उन्होंने Ariel (वॉशिंग पाउडर) की एडवरटाइजमेंट में काम किया, तो मैंने अपने हर कपड़े Ariel से ही धुलवाना शुरू कर दिए.

ये दोनों सीरियल देखकर उतरा किरन बेदी जैसा दिखने का भूत

मेरे सिर से किरण बेदी जैसा दिखने का भूत तब उतरा, जब Imagine TV पर ‘मीराबाई’ और ZEE TV पर ‘झांसी की रानी’ सीरियल शुरू हुआ. उनमें मुख्य किरदार निभा रहीं आशिका भाटिया और उल्का गुप्ता के इतने लंबे बाल और रानी जी द्वारा अंग्रेजों की इस तरह धुलाई करना…अब मुझे मेरे लंबे बालों की फिर बड़ी याद सताने लगी. शायद उस समय TV शोज का कुछ ज्यादा ही असर था मुझ पर.

मैं अब जल्द से जल्द अपने बालों के बड़े होने का इंतजार करने लगीं. खैर, धीरे-धीरे मैं अपने पुराने रूप में वापस आ गईं. तब तक मेरी LLB भी शुरू हो चुकी थी. वैसे मैं बी.कॉम के बाद करना तो चाहती थीं फाइन आर्ट्स का कोर्स, लेकिन LLB ही की, क्योंकि किरण बेदी की फैन तो हूं ही. LLB का कोर्स बड़ा कठिन था मेरे लिए, लेकिन मेरी एक आदत ये भी रही है कि जो भी करो, उसमें अपना बेस्ट देने की कोशिश जरूर करो, इसलिए मैंने Law में अपनी क्लास में टॉप भी कर लिया.

बाहरी नहीं, अंदरूनी बदलाव की होती है जरूरत

लेकिन इतने जतन करने के बाद भी मैं अब तक ‘किरण बेदी’ नहीं बन पाईं. वो इसलिए क्योंकि मैंने केवल उनकी नकल करने की ही कोशिश की, खुद को उनके जैसा दिखाने की ही कोशिश की, लेकिन उनकी मेहनत, उनकी हिम्मत आदि को फॉलो करने की कोशिश कभी नहीं की. जबकि हम अगर किसी के जैसा बनना चाहते हैं तो हमें उसकी अच्छी बातों को अपने जीवन में उतारने की कोशिश करनी चाहिए और अपनी खराब आदतों को छोड़ने की. उसके जैसे काम नहीं, बल्कि उसके काम करने के तरीकों पर गौर करना चाहिए. खुद को ऊपर से नहीं, अंदर से बदलने की जरूरत होती है.

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About Sonam Agarwal 237 Articles
LLB (Bachelor of Law). Work experience in Mahendra Institute and National News Channel (TV9 Bharatvarsh and Network18). Interested in Research. Contact- sonagarwal00003@gmail.com

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