What are Constellations
नक्षत्र कई सितारों का एक समूह होता है जो आकाश में एक विशेष आकार जैसा दिखता है और इस आकार को कोई नाम दिया गया है… या, तारों का एक समूह जो आकाश में एक विशेष आकार या पहचानने योग्य पैटर्न बनाता है, और जिसे एक नाम दिया गया है, उसे नक्षत्र या तारामंडल (Constellations) कहा जाता है.
जैसे अमावस्या की रात को हम आकाश में हजारों सितारों को देख सकते हैं. अगर हम थोड़े क्रिएटिव हैं, तो हम कल्पना कर सकते हैं कि ये तारे किस आकार और पैटर्न को बना सकते हैं. कुछ विशेष चमकीले तारों के ग्रुप से बने पैटर्न को पहचानना काफी आसान होता है, ऐसे ही ग्रुप्स को हम तारामंडल या नक्षत्र कहते हैं.
तकनीकी रूप से, तारामंडल ऐसे क्षेत्र हैं जिन्हें आकाश में किसी पिंड के स्थित होने की पहचान करने में मदद करने के लिए आकाश में विभाजित किया गया है. जैसे हाल ही में, नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (James Webb Space Telescope) ने ‘दक्षिणी वलय निहारिका‘ (Southern Ring Nebula) की तस्वीर ली, जो कि पृथ्वी से लगभग 2000 प्रकाश वर्ष दूर वेला नक्षत्र (Vela constellation) में स्थित है.
♦ प्राचीन लोगों ने इनमें से कई पहचानने योग्य नक्षत्रों (तारों के समूह) का नाम उन वस्तुओं या जानवरों के नाम पर रखा था, जिनसे वे मिलते-जुलते थे. उदाहरण के लिए, नक्षत्र पर्सियस, एंड्रोमेडा, सेटस, कैसिओपिया और पेगासस सभी यूनानियों की पौराणिक कथाओं से जुड़े हुए हैं. इसी प्रकार हमारे भारत में सप्तऋषि (Saptarishi) तारामंडल या नक्षत्र का नाम तो आपने जरूर सुना होगा, जो उत्तर दिशा में ध्रुव तारे के पास आसानी से नजर आता है.
♦ आकाश में सभी नक्षत्र या तारामंडल पश्चिम से पूर्व की ओर जाते हुए प्रतीत होते हैं, क्योंकि पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है. इसके अलावा, सभी तारामंडल दक्षिणी गोलार्ध में नहीं दिखाई देते हैं. इसका कारण यह है कि पृथ्वी गोल है और कुछ नक्षत्र दृष्टि रेखा में नहीं पड़ते हैं. भूमध्य रेखा पर लगभग सभी नक्षत्रों को देखा जा सकता है.
♦ ये तारे पृथ्वी से बहुत दूर हैं. हालांकि, यह जरूरी नहीं कि नक्षत्रों में मौजूद सभी तारे एक-दूसरे से बिल्कुल जुड़े हुए ही हों या ये आपस में किसी गुरुत्वाकर्षण शक्ति से बंधे हुए हों. किसी नक्षत्र में कुछ तारे एक-दूसरे के निकट भी हो सकते हैं और बहुत दूर भी. इसके विपरीत तारागुच्छ या तारामेघ (Star Cluster) के तारे वास्तव में एक गुच्छे में होते हैं और ये आपस में गुरुत्वाकर्षण शक्ति से बंधे हुए होते हैं.
आधुनिक काल का विदेशी खगोलशास्त्र उन्ही तारों के समूहों को तारामंडल कहता है, जिन समूहों पर अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (International Astronomical Union) में सहमति हो! आज, आधिकारिक तौर पर 88 मान्यता प्राप्त नक्षत्र हैं.
राशि नक्षत्र (Zodiac constellations)
12 प्रमुख नक्षत्र हैं जो आकाश के साथ-साथ सूर्य के पथ के साथ पंक्तिबद्ध होते हैं, जिसे क्रांतिवृत्त या सूर्यपथ या ऍक्लिप्टिक (Ecliptic) कहा जाता है. क्रांति का अर्थ है-एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना. सूर्य सालभर जिस मार्ग (पथ) पर चलता हुआ प्रतीत होता है, उसे क्रांतिवृत्त कहा जाता है (अंतरिक्ष में पृथ्वी के चारों और एक काल्पनिक गोला जिस पर हमें तारे, सूर्य और चंद्रमा दिखाई देते हैं, खगोलीय गोला कहा जाता है).
क्रांतिवृत्त पर चलता हुआ सूर्य लगभग हर महीने नए तारामंडल या नक्षत्र में प्रवेश करता प्रतीत होता है, इन तारामंडलों को ही राशि नक्षत्र (Zodiac Constellations) कहा जाता है. सूर्य के मार्ग में पड़ने वाले तारामंडलों की संख्या 12 है. जब सूर्य किसी तारामंडल में प्रवेश करता है, तो उसे संक्रांति कहा जाता है. साल में इस प्रकार की कुल 12 संक्रांति होती हैं, जिनमें मकर संक्रांति (Makar Sankranti) प्रसिद्ध है.
12 प्रमुख नक्षत्र (12 Major Constellations)- राशि चक्र नक्षत्रों के नाम हैं-
मेष (Aries)
वृषभ (Taurus)
मिथुन (Gemini)
केकड़ा/कर्क (Crab/Cancer)
सिंह (Leo)
कन्या (Virgo)
तुला (Libra)
बिच्छू (Scorpion)
धनु (Sagittarius)
मकर (Capricorn)
कुंभ (Aquarius)
मीन (Pisces).
प्राचीन काल में इन नक्षत्रों का प्रयोग सूर्य की गति और समय को ट्रैक करने के लिए किया जाता था.
सप्तऋषि तारामंडल या बिग डिप्पर (Big Dipper)
सप्तऋषि तारामंडल (Saptarishi Taramandal) का नाम अंग्रेजी में बिग डिपर (Big Dipper) रखा गया है. यह उत्तरी गोलार्ध (Northern Hemisphere) में दिखाई देने वाले सात तारों का एक समूह है. यह नक्षत्र एक बड़े प्रश्नचिन्ह या किसी बड़ी पतंग की तरह दिखाई देता है और यह उरसा मेजर (द ग्रेट बियर) नाम के एक बड़े नक्षत्र का हिस्सा है. भारत में इन सातों तारों के नाम प्राचीन काल के सात ऋषियों के नाम पर रखे गए हैं- मरीचि, अत्रि, अंगिरस, पुलह, कृतु, पुलस्त्य और वशिष्ठ.
सप्तर्षि तारामंडल में कई गैलेक्सियाँ (मंदाकिनी) का भी पता लगाया गया है. सप्तऋषि तारामंडल ध्रुव तारे या पोलारिस (Pole Star) के चारों ओर 24 घंटे में एक चक्कर पूरा करता है. इस तारामंडल के दो तारे ध्रुव तारे की ओर संकेत करते हुए प्रतीत होते हैं (अगर आगे के दो तारों को जोड़ने वाली पंक्ति को सीधे उत्तर दिशा में बढ़ायें तो यह ध्रुव तारे पर पहुंचती है).
ध्रुव तारा- इसे ‘उत्तरी सितारा’ के नाम से भी जाना जाता है. रात के आकाश में ध्रुव तारा ही एकमात्र ऐसा तारा है जो पूर्व से पश्चिम की ओर जाता हुआ प्रतीत नहीं होता, बल्कि स्थिर दिखाई देता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि यह पृथ्वी की धुरी के ठीक ऊपर है. एक अनुमान के मुताबिक, ध्रुव तारे की पृथ्वी से दूरी लगभग 433 प्रकाश वर्ष है.
ओरियन तारामंडल (Orion Constellation)
ओरियन (Orion) एक नक्षत्र है जिसे भारत में ‘शिकारी’ या ‘मृग’ के नाम से जाना जाता है. यह रात के आकाश में सबसे विशिष्ट पहचानने योग्य नक्षत्रों में से एक है. ओरियन जनवरी से अप्रैल तक शाम के आकाश में, उत्तरी गोलार्ध में सर्दी और दक्षिणी गोलार्ध में गर्मियों में सबसे अधिक दिखाई देता है. इस तारामंडल में अरबों तारे हैं. लाइन में लगे तीन चमकते सितारे किसी शिकारी की ‘बेल्ट’ का आकार बनाते हैं. ये तीन तारे रात के आकाश में सबसे चमकीले तारे सीरियस (Sirius) की ओर इशारा करते हैं.
सीरियस (Sirius)- सीरियस रात को आकाश में दिखाई देने वाला सबसे चमकीला तारा है. अंग्रेजी में इसका नाम ‘डॉग स्टार’ भी रखा गया है. यह उत्तरी गोलार्ध की सर्दियों की रात के आकाश में ज्यादा दिखाई देता है. सीरियस तारे का द्रव्यमान हमारे सूर्य से दोगुना है. नासा के ‘एस्ट्रोनॉमी पिक्चर ऑफ द डे’ के अनुसार, यदि सीरियस को हमारे सूर्य के बगल में रख दिया जाए, तो सीरियस 20 गुना अधिक चमक देगा. सीरियस तारे की पृथ्वी से दूरी 8.6 प्रकाश वर्ष बताई जाती है.
अगली बार आप भी इन तारामंडलों की पहचान करने के लिए रात के आकाश की ओर देखें. वे शहरों में भी देखने के लिए पर्याप्त उज्ज्वल और खोजने में आसान हैं. आप स्टार चार्ट का इस्तेमाल करके राशि चक्र नक्षत्रों (Zodiac Constellations) की पहचान करने का भी प्रयास कर सकते हैं. पृथ्वी पर आपका स्थान और समय निर्धारित करता है कि आप कौन से तारे और नक्षत्र देखते हैं, और वे आकाश में कितने ऊंचे दिखाई देते हैं.
27 नक्षत्र (27 Constellations)
हिंदू ज्योतिष में, क्रांतिवृत्त के साथ-साथ 27 नक्षत्र (चंद्र भवन) या क्षेत्र हैं (साधारणतः ये नक्षत्र चंद्रमा के पथ से जुड़े हैं). चंद्रमा लगभग 27 दिनों (27.3 दिन) में पृथ्वी के चारों ओर घूम जाता है. खगोल में यह भ्रमणपथ इन्हीं नक्षत्रों के बीच से होकर गया हुआ जान पड़ता है. 27 नक्षत्रों के नाम इस प्रकार हैं-
अश्विनी, भरणी, कृतिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, माघ, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मुला, पूर्वा, आषाढ़, उत्तरा आषाढ़, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषेक, पूर्व भाद्रपद, उत्तर भाद्रपद, रेवती.
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