What Biosphere Reserves in India-
लगातार औद्योगीकरण (Industrialization) और वनों (जंगलों) की कटाई ने वन्य जीवों और पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा कर दिया है. वनों में रहने वाली बहुत सारी प्रजातियां (Species) और जरूरी वनस्पतियां विलुप्ति की कगार पर आ खड़ी हुई हैं.
इन वन्य जीवों, वनस्पतियों और पर्यावरण की रक्षा के लिए ही देश में राष्ट्रीय उद्यान, प्राकृतिक अभयारण्य, बायोस्फीयर रिजर्व आदि बनाए जाते हैं, या प्राकृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कुछ क्षेत्रों को रिजर्व और प्रोटेक्ट कर दिया जाता है, ताकि प्राकृतिक विरासत को सुरक्षित और संरक्षित (Protected) किया जा सके.
नेशनल पार्क और अभयारण्य के बाद अब हम बायोस्फीयर रिजर्व से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण पॉइंट्स और चित्र देखेंगे, जिससे हमें यह समझ आ जाएगा कि बायोस्फीयर रिजर्व (Biosphere Reserve) क्या है-
• बायोस्फीयर रिजर्व (जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र) बहुत बड़े संरक्षित प्राकृतिक क्षेत्र होते हैं, जिनके अंदर नेशनल पार्क और अभ्यारण्य भी आ सकते हैं. बायोस्फीयर रिजर्व में जीव-जंतुओं और वनस्पतियों के साथ-साथ वहां रहने वाले मानव समुदायों या आदिवासियों और उनकी संस्कृति (Culture) की भी रक्षा की जाती है.
• चूंकि बायोस्फीयर रिजर्व बहुत बड़े क्षेत्र होते हैं, इसलिए इस पूरे भाग पर सख्त प्रतिबंध नहीं लगाए जाते हैं. इसके लिए इन्हें तीन भागों में बांटा जाता है- कोर एरिया, बफर एरिया और ट्रांजिशन एरिया.
• इनमें कोर एरिया कानूनी रूप से पूरी तरह प्रोटेक्टेड रहता है, जिसमें सभी मानवीय गतिविधियों पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाता है. कोर जोन के आसपास का क्षेत्र बफर जोन है, जहां कुछ छूट दे दी जाती है और ट्रांजिशन एरिया में और ज्यादा छूट दे दी जाती है.
• लेकिन किसी भी छूट या दी गई ढील से उस पूरे बायोस्फीयर रिजर्व के पर्यावरण, जीव-जंतु और वहां रहने वाले लोगों को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए.
बायोस्फीयर रिजर्व के इन तीनों क्षेत्रों को आप चित्र के जरिए आसानी से समझ सकते हैं-
(Three Parts of the Biosphere Reserve)
कोर एरिया (Core Area)- यह कानूनी रूप से संरक्षित क्षेत्र है जहां मानवीय हस्तक्षेप पर सख्त प्रतिबंध है. यह बायोस्फीयर रिजर्व का सबसे संरक्षित क्षेत्र होता है. इसमें स्थानीय पौधे और जानवर/जीव जंतु हो सकते हैं. इस क्षेत्र में केवल रिसर्च एक्टिविटीज, जो प्रकृति और वन्यजीवों को प्रभावित न करें, की जा सकती हैं.
बायोस्फीयर रिजर्व का कोर क्षेत्र एक ऐसा प्रोटेक्टेड एरिया होता है, जिसमें ज्यादातर वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित नेशनल पार्क या अभयारण्य शामिल होते हैं. इस क्षेत्र में सरकारी अधिकारियों या कर्मचारियों को छोड़कर बाकी सभी की एंट्री पर रोक लगी होती है.
बफर क्षेत्र (Buffer Zone)- बफर क्षेत्र, कोर क्षेत्र के चारों ओर का क्षेत्र है. इसमें सीमित पर्यटन, आदि शामिल हैं. यहां केवल रिसर्च और एजुकेशन एक्टिविटीज की अनुमति होती है, लेकिन इन सबसे उस क्षेत्र की प्रकृति पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए.
इस क्षेत्र में मनोरंजन और पर्यटन सुविधाएं भी शामिल हो सकती हैं, साथ ही उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए प्राकृतिक वनस्पति, कृषि भूमि, मत्स्य पालन, मछली पकड़ना, चराई या वनों का प्रबंधन आदि भी किया जा सकता है, लेकिन इन सबसे उस क्षेत्र की प्रकृति पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए.
संक्रमण क्षेत्र (Transition Zone)- यह बायोस्फीयर रिजर्व का सबसे बाहरी हिस्सा होता है, जहां रिजर्व मैनेजमेंट और स्थानीय लोगों के सहयोग से खेती, मनोरंजन, वानिकी (Forestry) और बस्तियां बसाने जैसी मानवीय गतिविधियों (Human Activities) की अनुमति है.
बायोस्फीयर रिजर्व का महत्व- बायोस्फीयर रिजर्व जैव विविधता (Biodiversity) की रक्षा करने और स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystems) को बनाए रखने में मदद करते हैं.
बायोस्फीयर रिजर्व प्रकृति की रक्षा के साथ-साथ आर्थिक-सामाजिक विकास और उससे जुड़ी संस्कृति के रखरखाव को संतुलित करने का प्रयास करते हैं. इस तरह बायोस्फीयर रिजर्व लोगों और प्रकृति, दोनों के लिए ही विशेष वातावरण (Special Environment) हैं, साथ ही इस बात के उदाहरण हैं कि मनुष्य और प्रकृति एक-दूसरे की जरूरतों का सम्मान करते हुए अपने-अपने अस्तित्व को बचा सकते हैं.
जरूरी पॉइंट्स-
• बायोस्फीयर रिजर्व का कार्यक्रम यूनेस्को (UNESCO) की तरफ से साल 1971 में शुरू किया गया था. किसी भी देश में बायोस्फीयर रिजर्व का चुनाव राष्ट्रीय सरकार की तरफ से किया जाता है.
• दुनिया का पहला बायोस्फीयर रिजर्व साल 1979 में स्थापित किया गया था. वर्तमान में 134 देशों में 738 बायोस्फीयर रिजर्व हैं, जिनमें 22 ट्रांसबाउंड्री साइट भी शामिल हैं (en.unesco.org – 2022)
• भारत में बायोस्फीयर रिजर्व राज्य या केंद्र सरकार द्वारा यूनेस्को के मैन एंड बायोस्फीयर (एमएबी) कार्यक्रम के तहत नामांकन के माध्यम से घोषित किए जाते हैं.
• वर्तमान में, भारत में 18 बायोस्फीयर रिजर्व हैं (wii.gov.in – June 23, 2021)
• भारत में पहला बायोस्फीयर रिजर्व (जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र) यूनेस्को के सहयोग से साल 1986 में नीलगिरि क्षेत्र में स्थापित किया गया था. या क्षेत्र तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक को कवर करता है.
• भारत का सबसे बड़ा बायोस्फीयर रिजर्व गल्फ ऑफ कच्छ (गुजरात) है.
• भारत का सबसे छोटा बायोस्फीयर रिजर्व डिब्रू-सैखोवा (असम) है.
• भारत का पहला समुद्री बायोस्फीयर रिजर्व (Marine Biosphere Reserve) गल्फ ऑफ मन्नार है.
भारत के प्रमुख बायोस्फीयर रिजर्व
(Biosphere Reserves of India)-
- नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व (तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक)
- सुंदरवन बायोस्फीयर रिजर्व (पश्चिम बंगाल)
- मन्नार बायोस्फीयर रिजर्व की खाड़ी (तमिलनाडु)
- नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व (उत्तराखंड)
- सिमलीपाल बायोस्फीयर रिजर्व (ओडिशा)
- पचमढ़ी बायोस्फीयर रिजर्व (मध्य प्रदेश)
- नोकरेक बायोस्फीयर रिजर्व (मेघालय)
- अचानकमार-अमरकंटक बायोस्फीयर रिजर्व (छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश)
- ग्रेट निकोबार बायोस्फीयर रिजर्व (ग्रेट निकोबार)
- अगस्त्यमलाई बायोस्फीयर रिजर्व (केरल और तमिलनाडु)
- खांगचेंदज़ोंगा राष्ट्रीय उद्यान (सिक्किम)
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