Government or Private Job
नौकरी (Job) यानी किसी व्यक्ति या संस्था के अंडर में काम करना. नौकरी दो प्रकार की होती है- सरकारी नौकरी और प्राइवेट नौकरी (Government Jobs and Private Jobs). ज्यादातर लोग सरकारी नौकरी ही करना पसंद करते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि सरकारी नौकरी में काम कम करना पड़ता है, छुट्टियां ज्यादा मिलती हैं, सैलरी भी अच्छी मिलती है और सबसे बड़ी बात कि ‘जॉब सिक्योरिटी’ रहती है, यानी किसी भी समय नौकरी से हटाए जाने का खतरा नहीं बना रहता, रिटायर होने पर पेंशन मिलती है. इन सबके आलावा, अगर थोड़ी-बहुत ऊपरी कमाई भी हो जाए तो जल्दी बंगले भी खड़े हो जाते हैं.
लेकिन अब ये सारी बातें ज्यादा फिट नहीं बैठतीं, क्योंकि एक तो सरकारी नौकरी पाना इतना आसान भी नहीं है, दूसरी ओर फिलहाल देश में जिनकी सरकार है, उसे देखते हुए यह भी नहीं कहा जा सकता कि सरकारी नौकरी करने वाले बड़े आराम में हैं, उसी पर जनता भी पहले से ज्यादा जागरूक है, अगर कोई सरकारी अफसर काम करने में आनाकानी करता है तो तुरंत उसका वीडियो भी बन जाता है. भ्रष्टाचार भी कम है इसलिए ऊपरी कमाई भी बंद है.
सरकारी नौकरी या प्राइवेट?
इन्हीं सब बातों को लेकर आज बहुत से युवा बड़े कंफ्यूज रहते हैं कि टाइम निकालकर सरकारी नौकरी की तैयारी करनी चाहिए या प्राइवेट नौकरी करके उसी में आगे बढ़ने का रास्ता खोजना चाहिए. यहां हम आपको दोनों ही नौकरी के फायदे और नुकसान बताने जा रहे हैं, जिससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि दोनों में से कौन सी नौकरी ज्यादा बेहतर है.
1. कम्पटीशन
सबसे बड़ी बात कि आज लगभग हर कोई सरकारी नौकरी करना चाहता है. कोई भी वैकेंसी निकलती है, करोड़ों युवा लाइन में खड़े हो जाते हैं, इसीलिए इसमें कम्पटीशन भी बहुत ज्यादा बढ़ चुका है, और यही वजह है कि सरकारी नौकरी के लिए कड़ी परीक्षा और एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जिसमें बहुत समय लगता है. बहुत पहले से तैयारी करनी शुरू कर देनी पड़ती है. फिर कई चरणों में परीक्षाएं और इंटरव्यू देने पड़ते हैं, उसके बाद ही पता चलता है कि इतनी भीड़ में हमारा सिलेक्शन हुआ है या नहीं.
वहीं दूसरी ओर, प्राइवेट नौकरी लगने में टाइम बहुत कम लगता है. आज आपका इंटरव्यू हुआ और कल जॉइनिंग हो गई. लेकिन इसके लिए भी कम तैयारी नहीं करनी पड़ती, क्योंकि प्राइवेट नौकरी के लिए एक से बढ़कर एक टैलेंटेड युवा बैठे हैं, जो किसी भी तरह एंपलॉयर को इंप्रेस करना चाहते हैं. हालांकि, आप एक ट्रेनी (Trainee) के तौर पर भी अपने करियर की शुरुआत कर सकते हैं, लेकिन उसके लिए भी आपको अपनी काबिलियत और सीखने की ललक दिखानी पड़ती है.
2. एक बार परीक्षा
सरकारी नौकरी में भले ही एक बड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ता है, लेकिन ये परीक्षा एक बार ही होती है. उसके बाद हमारा किसी से कोई कम्पटीशन नहीं रह जाता, लेकिन प्राइवेट नौकरी में आपका कम्पटीशन रोज अपने सहकर्मियों के साथ रहता है. यहां रोज परीक्षा होती है. यहां आप तब तक ही बने रह सकते हैं, जब तक आप दूसरों से बेहतर काम कर रहे होते हैं.
3. जॉब सिक्योरिटी
सरकारी नौकरी को पसंद किए जाने की सबसे बड़ी वजह कि इसमें ‘जॉब सिक्योरिटी’ है. आपको आसानी से नौकरी से निकाला नहीं जा सकता. यही प्राइवेट नौकरी की सबसे बड़ी कमी है. ये नौकरी तभी तक है, जब तक काबिलियत है, काम करने की क्षमता है और काम करने का मन है. दूसरी ओर, अगर बॉस को आपसे ज्यादा बेहतर और आप से कम सैलरी पर कोई बंदा मिल गया, तो उसे ‘टाटा बाय-बाय’ कहने में बिल्कुल टाइम नहीं लगता.
4. सैलरी
सरकारी नौकरी में सैलरी निश्चित रहती है. एक निश्चित समय पर ही बढ़ती है. आप चाहे जितना काम करें और चाहे जितनी अपनी काबिलियत बढ़ा लें, लेकिन आपको सैलरी उतनी ही मिलेगी जितनी तय की गई है.
लेकिन प्राइवेट नौकरी में ऐसा नहीं है. यहां न तो सैलरी निश्चित है और न ही सैलरी बढ़ने का टाइम. शुरुआत में आपकी सैलरी कम हो सकती है, लेकिन अगर कुछ ही दिनों में आप अपने बॉस को अपने काम से इंप्रेस कर लेते हैं, या जहां बॉस को ये लगता है कि उसे आपकी जरूरत है या उसे आपसे बेहतर कोई मिल ही नहीं सकता तो आप की सैलरी बढ़ने में भी बिल्कुल टाइम नहीं लगता.
हो सकता है कि आप की शुरुआत तो केवल 5,000 से हुई हो, लेकिन अगले ही साल आप 30-40 हजार पर काम करने लगें. यानी सरकारी नौकरी की अपेक्षा प्राइवेट नौकरी में ग्रोथ तेजी से होती है. अपनी काबिलियत के दम पर एक लंबी छलांग लगाई जा सकती है. मैंने बहुत से लोगों को ये कहते हुए सुना है कि वे पूरी जिंदगी सरकारी नौकरी करके जितना कमा सकते थे, उतना तो प्राइवेट नौकरी में कुछ ही सालों में कमा रहे हैं. लेकिन ये सब भी तब ही पॉसिबल हो पाता है, जब आप जरूरत से ज्यादा सीधे न हों.
5. ट्रांसफर
सरकारी नौकरी में आपका ट्रांसफर कहीं भी किया जा सकता है और आपको वहां जाकर काम करना ही पड़ेगा. कई लोगों को ये परेशानी होती है कि वह हमेशा से शहरी वातावरण में रहे हैं और उनकी पोस्टिंग गांव में कर दी गई. ये भी हो सकता है कि पूरी जिंदगी एक ही जगह पर नौकरी करनी पड़े. प्राइवेट में आप कहीं भी कभी भी अप्लाई कर सकते हैं. चाहे तो अपने ही शहर में और चाहे तो अपने से बड़े शहर में. उसी पर, अगर व्यक्ति काबिल हो तो हो सकता है कि उसे जल्द ही विदेश जाने का मौका भी मिल जाए.
6. वर्क प्रेशर
सरकारी नौकरी में काम के घंटे निश्चित रहते हैं. अगर 8 घंटे फिक्स किए गए हैं तो कोई आपसे यह नहीं कहेगा कि आप 8 घंटे से ज्यादा काम कीजिए. हालांकि ऐसा सभी पदों पर नहीं होता. कुछ सरकारी पद ऐसे हैं, जिनमें काम भी कठिन होता है, साथ ही कभी भी कहीं भी तैनाती के लिए बुलाया जा सकता है. वहीं, प्राइवेट नौकरी में काम के घंटे तो ज्यादा होते ही हैं, साथ ही कभी-कभी ओवरटाइम भी करना पड़ सकता है.
7. छुट्टियां
सरकारी नौकरी को पसंद करने की एक और वजह कि भारतीय कैलेंडर में जितनी भी छुट्टियां होती हैं, सरकारी नौकरी में वे सभी मिलती हैं. लेकिन ऐसा सभी पदों में नहीं होता. वहीं, प्राइवेट नौकरी में छुट्टियां तो कम मिलती ही हैं, बल्कि कभी-कभी ऐसा भी हो सकता है कि छुट्टियों वाले दिन ही ज्यादा काम करना पड़े, जैसे कि मीडिया में.
8. सुविधाएं
सरकारी नौकरी में पद के अनुसार कई सुविधाएं मिलती हैं. जैसे अगर आप बीमार पड़ जाते हैं तो किसी मान्यता प्राप्त मेडिकल इंस्टिट्यूट या हॉस्पिटल से इलाज कराने का खर्च आपको नहीं उठाना पड़ता. लेकिन प्राइवेट में सुविधाएं कम ही मिलती हैं या मिलती ही नहीं हैं और अगर मिलती भी हैं तो ये इस पर निर्भर करता है कि आप किस कंपनी में किस पद पर काम कर रहे हैं.
9. सोच
सरकारी नौकरी में सोच एक जगह पर ही रुक जाती है. सरकारी नौकरी मिलने के बाद व्यक्ति बेफिक्र सा हो जाता है. लोग नौकरी करते हैं और अपनी काबिलियत को और बढ़ाने की नहीं सोचते. इसीलिए सरकारी नौकरी को बदलना भी आसान नहीं होता, क्योंकि जिसके लिए हमने इतनी कड़ी परीक्षा दी है, अब उसे छोड़कर कोई और काम शुरू करने का फैसला आसान नहीं होता. किसी खास वजह के बिना इस नौकरी को छोड़ा नहीं जा सकता.
वहीं दूसरी ओर, प्राइवेट नौकरी में आपको हमेशा अपडेट रहना पड़ता है. जमाने के साथ चलना पड़ता है. आपकी सोच थम नहीं सकती. हमेशा मन में नया सीखने, ज्यादा सीखने और आगे बढ़ने की सोच रहती है. इसी के साथ, आप अपनी काबिलियत के दम पर कभी भी नौकरी बदल सकते हैं. मान लीजिए कि बहुत समय से आप जो काम करते चले आ रहे हैं, अब उसकी अपेक्षा आप कोई दूसरा काम करना चाहते हैं तो आप कर सकते हैं. बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो कुछ सालों तक प्राइवेट नौकरी करके अनुभव के आधार पर अपना बिजनेस भी शुरू कर लेते हैं.
10. बॉस का व्यवहार
एक और सबसे बड़ी वजह जिसके लिए लोग सरकारी नौकरी के पीछे भागते हैं, वह ये कि सरकारी नौकरी में किसी सनकी बॉस का बुरा व्यवहार नहीं झेलना पड़ता, लेकिन प्राइवेट नौकरी में कभी-कभी बहुत कुछ देखना पड़ता है और सहन करना पड़ता है. कुछ बॉस अपने कर्मचारियों के साथ बहुत ही भद्दे तरीके से पेश आते हैं. जब तक कोई दूसरा ऑप्शन नहीं होता, तब तक बॉस का हर तरह का व्यवहार सहना ही पड़ता है.
11. देश सेवा का मौका
सरकारी नौकरी में देश सेवा का मौका मिलता है. लेकिन आपके काम को देश सेवा का नाम तभी दिया जाएगा, जब आप अपना काम ईमानदारी से करते हैं. IAS जैसे पदों में जब पदोन्नति होती है, तो जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं, सम्मान भी बढ़ता है और कमाई भी खूब बढ़ती है, साथ ही राजनीति में जाने के द्वार भी खुल जाते हैं. हालांकि ऐसा नहीं है कि प्राइवेट नौकरी करने वाले देश सेवा नहीं करते. अगर आप सही जगह या सही कंपनी में काम करते हैं और ईमानदारी से काम करते हैं तो ये भी देश सेवा ही है.
12. समाज में धाक
सरकारी नौकरी करने वालों की एक अलग ही धाक होती है. जो भी व्यक्ति बता देता है कि उसकी या उसके बच्चे की सरकारी नौकरी लग गई है, तो समाज में उसकी एक अलग ही इज्जत बन जाती है, क्योंकि हमारे देश में आज भी सरकारी नौकरी को कुछ ज्यादा ही महत्व दिया जाता है. वहीं, प्राइवेट नौकरी में इज्जत काफी हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि व्यक्ति किस कंपनी में जॉब कर रहा है या उसकी सैलरी कितनी है.
नौकरी या बिजनेस?
और भी कई फायदे और नुकसान हो सकते हैं नौकरी के. अब हम इस बात पर भी चर्चा कर लेते हैं कि नौकरी ज्यादा बेहतर है या अपना स्टार्टअप या बिजनेस, क्योंकि आज की सरकार युवाओं को ज्यादा से ज्यादा आत्मनिर्भर बनने पर जोर दे रही है. वह चाहती है कि युवा नौकरी पर कम निर्भर रहें और अपनी काबिलियत या क्षमता के आधार पर किसी भी क्षेत्र में कुछ कर दिखाने का जज्बा रखें. वैसे भी, कोरोना महामारी के दौरान जब लाखों लोगों की नौकरियां चली गईं, तो इससे समझा जा सकता है कि किसी एक चीज पर ही निर्भर रह जाना कितना खतरनाक हो सकता है.
जब देश आजाद हुआ था तब ज्यादातर लोग नौकरी करना पसंद नहीं करते थे. ज्यादातर लोग अपने बच्चों को यही सिखाते थे कि अपनी जो जमीन है, उसी पर खेती करो या घर की जो दुकान है, उसी को आगे बढ़ाओ. आज भी कई बड़े-बूढ़ों को मैंने यह कहते हुए सुना है कि “मेरी भी सरकारी नौकरी लगी थी, लेकिन जो वेतन मिलता था, वह मुझे रास नहीं आया, इसलिए मैंने अपना बिजनेस शुरू कर लिया और आज मेरे पास ये है, वो है….
बिजनेस के फायदे
सबसे बड़ी बात कि बिजनेस में व्यक्ति को किसी के अधीन काम नहीं करना पड़ता. वह अपना बॉस खुद होता है. अपने हिसाब से काम करने और सारे फैसले लेने के लिए स्वतंत्र होता है. अगर व्यक्ति सूझबूझ और लगन से काम करे, तो उसे इतना फायदा हो सकता है, जो नौकरी में तो सोचा भी नहीं जा सकता. व्यक्ति अपने सारे सपनों को पूरा कर सकता है. यहां तक कि उसकी आने वाली पीढ़ी को भी काम के लिए भटकना नहीं पड़ता, उन पर कोई विशेष बोझ नहीं रहता, क्योंकि उनके घर का ही बिजनेस है, जिसे वे अपनी काबिलियत और क्षमता के आधार पर आगे बढ़ा सकते हैं.
किसी ने ये कहा भी है कि “अगर आप अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं तो अपना काम शुरू कर लीजिए, नहीं तो कोई और अपने सपनों को पूरा करने के लिए आपको काम पर रख लेगा.” दुनियाभर के बड़े-बड़े उद्योगपति अगर नौकरी के पीछे ही भागते, तो आज वे करोड़ों लोगों को नौकरी कैसे दे रहे होते? लोगों को नौकरी देना एक बेहद सराहनीय कार्य है, उसी पर अगर बॉस बनकर कर्मचारियों के साथ अपना व्यवहार भी अच्छा रखा जाए तो फिर तो क्या कहने. हर जगह आपकी सादगी और आपके व्यवहार की मिसाल दी जाने लगती है, जैसे रतन टाटा. क्योंकि एक लीडर बनना आसान नहीं होता. आप अपना काम भी करवा लें और आपके कर्मचारी आपसे खुश भी रहें, ये सब भी सीखना पड़ता है.
लेकिन बिजनेस करना इतना भी आसान नहीं
बिजनेस यानी जोखिम (Risk). अगर फायदा हुआ तो आपका, नुकसान हुआ तो वह भी आपका. शुरुआत में कुछ न कुछ इन्वेस्ट करना ही पड़ता है, हालांकि ये इस पर भी निर्भर करता है कि आप कौन सा काम शुरू करने जा रहे हैं और कितने बड़े पैमाने पर. लेकिन देखा जाए तो इन्वेस्ट तो नौकरी में भी करना पड़ता है, कम्पटीशन में आगे निकलने के लिए.
बिजनेस में भी आप मेहनत से पीछे नहीं भाग सकते, खासतौर पर शुरुआत में तो बिल्कुल नहीं. फिर अगर काम बड़े पैमाने पर है तो सब जगह अपना पूरा कमांड रखना पड़ता है. बिजनेस के लिए व्यक्ति को जोखिम लेने के लिए तैयार रहना चाहिए, धैर्य रखना आना चाहिए, दूरदर्शी बनना चाहिए, सहनशक्ति होनी चाहिए, अपने अंदर फैसले लेने की क्षमता का विकास करना चाहिए, शॉर्टकट के पीछे नहीं पड़ना चाहिए, हर तरह की परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए, कभी भी कोई भी समस्या आने पर सिर्फ परेशान हो जाने की बजाय उसका हल निकालना आना चाहिए, हमेशा अपडेट रहना चाहिए, लोगों को परखना सीखना चाहिए और सभी से बनाकर रखना भी आना चाहिए, दूसरों की गलतियों से ज्यादा से ज्यादा सीख लेनी चाहिए, ताकि खुद से गलतियां कम हों. अपने काम में ईमानदारी रखना बहुत जरूरी है.
एक बात और याद रखें : कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता, आप जिस भी काम को मुकाम तक ले जाते हैं, वही बड़ा बन जाता है.
Written By : Nancy Garg
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