‘कोशिशों का मिल सकता है तुरंत नतीजा’… 2020 और 2021 से क्या सीख सकते हैं हम?

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World in 2020 and 2021

World in 2020 and 2021 (Coronavirus Pandemic) 

2020 और 2021 की विदाई के समय दुनिया के विचार और राय जानने के सबसे बड़े मंच सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्ट्स की बहार रही कि ‘इस साल नए साल आने की नहीं, बल्कि इस साल के जाने की खुशियां मनाई जा रही हैं.’ हालांकि इसमें कोई शक नहीं कि इस साल दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी (Coronavirus Pandemic) ने जैसा विकराल रूप धारण किया, जिसमें लाखों लोगों की जान चली गईं, उससे 2021 को एक अच्छा साल तो नहीं कहा जा सकता.

लेकिन इस पीढ़ी को जितनी बातें 2020 और 2021 ने समझाई हैं, उतनी तो किसी विश्व प्रसिद्ध विद्वान ने भी नहीं समझा पाईं. सच कहा जाए तो 2020 और 2021 ने पूरी दुनिया को एक आइना दिखा दिया है, इसी के साथ अपने पीछे ऐसी बहुत सी बातों को छोड़कर गया है, जिन पर यदि पूरी दुनिया ध्यान दे ले, तो यह साल भले ही पॉजिटिव न बन पाया हो, लेकिन आने वाले साल जरूर पॉजिटिव बनाए जा सकते हैं.

कोशिशों का मिल सकता है तुरंत नतीजा

आज अलग-अलग तरह के बढ़ते प्रदूषण (Pollution) से लगभग पूरी दुनिया त्रस्त है. प्रकृति के जरूरत से ज्यादा दोहन से आज पर्यावरण की जो हालत हो चुकी है, उससे यही माना जाता है कि यदि पर्यावरण को सुधारने की दिशा में प्रयास शुरू किए जाएं तो एक इच्छित परिणाम मिलने में दशकों बीत जाएंगे. लेकिन साल 2020 में लॉकडाउन के दौरान पर्यावरण में जो अचानक बदलाव देखने को मिले, उसने इस धारणा को काफी हद तक गलत साबित कर दिया.

अगर आप प्रकृति में सुधार लाने की कोशिश करते हैं तो उसका फायदा केवल आने वाली पीढ़ी को ही नहीं, बल्कि आपको भी उसी समय मिलेगा. लॉकडाउन (Lockdown) में यह बात पूरी तरह सामने आई जब हवा साफ होने से पंजाब में 200 किलोमीटर दूर मौजूद पहाड़ियां अपने आप नजर आने लगीं. रात में आकाश में सितारे नजर आने लगे. बिना करोड़ों रुपये खर्च किए गंगा का पानी अपने-आप 40 से 50 फीसदी तक साफ हो गया. मार्च 2020 में लॉकडाउन लागू किया गया था और अप्रैल में ही 78 फीसदी शहरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) ‘गुड’ कैटेगरी में आ गया.

लोगों ने माना- ‘आहार ही औषधि है’

लोगों ने इस साल स्वास्थ्य के महत्व को सबसे ज्यादा जाना. दुनिया ने जाना कि स्वास्थ्य से बड़ा कोई धन नहीं. लोगों ने इस बात को समझा कि किसी व्यक्ति के पास चाहे जितनी सम्पति और ऐश्वर्य हो, लेकिन यदि उसके पास स्वास्थ्य नहीं है तो सब बेकार है. हम अपने जीवन में चाहे जितने व्यस्त हों, लेकिन कुछ समय अपने लिए निकालना ही चाहिए. कोरोना संक्रमण फैलने के दौरान हर ओर से अपनी सेहत को लेकर बेहद सावधान रहने की सलाह दी गई. जब तक इससे बचने का कोई और विकल्प ही नजर नहीं आया, तब लोगों ने भी सबसे ज्यादा विश्वास घरेलू नुस्खों या आयुर्वेद पर ही किया. इस साल लोगों ने माना कि ‘आहार ही औषधि है’.

पूरी दुनिया ले रही भारत से सीख, और हम… 

जो अंग्रेज एक समय भारतीयों को अपनी तरह सभ्य बनाने के लिए आए थे, आज वे बीमारियों से बचने के लिए भारत से सभ्यता सीख रहे हैं. आज वे भारत से नमस्ते, योग आदि करना सीख रहे हैं और दुनिया को सिखा रहे हैं. आज पूरी दुनिया भारत की सभ्यता और संस्कृति के महत्व को समझ रही है. कुछ बातें तो बहुत ही सरल हैं जिनकी उपयोगिता और रहस्य को विज्ञान ने भी प्रमाणित किया है.

यदि भारतीय सभ्यता और संस्कृति को पूरी तरह से महत्व दिया जाए तो कभी किसी प्रकार की कोई महामारी कम-से-कम हमारे देश को तो छू भी नहीं सकती. दुनिया को संकटों से बचाने के लिए और उसकी रक्षा के लिए आज यह जरूरी हो गया है कि हम उन बातों और नियमों की पहचान करें जिससे आए दिन आने वाली विकट समस्याओं से बचा जा सके.

2020 और 2021 ने समझाया पूर्व तैयारियों का महत्व

देश-दुनिया को पहले से की गईं तैयारियों का महत्व समझ आया. क्या होता यदि ये कोरोनावायरस साल 2014 में आता? क्या होता अगर 10 करोड़ से ज्यादा घरों में शौचालय नहीं होते, यदि 8 करोड़ से ज्यादा घरों में गैस चूल्हा न होता, 2 करोड़ से ज्यादा परिवारों के पास अपना मकान न होता, 18 हजार से ज्यादा गांवों में बिजली न होती और 36 करोड़ से ज्यादा लोगों के बैंक खाते नहीं होते? क्या ऐसी स्थिति में लॉकडाउन लगाना देश के लिए सही होता? और बिना लॉकडाउन लगाए भी काम चल जाता, तो ऐसा भी बिल्कुल नहीं है.

2020 और 2021 ने समझाया परिवर्तन का महत्व

2020 और 2021 ने बदलाव या परिवर्तन का भी महत्व समझाया. कोरोना महामारी के दौरान जो एक और सबसे बड़ा संकट आया, वह है रोजगार या आय का. कोरोना महामारी के दौरान लाखों लोगों की नौकरियां चली गईं, कई लोगों के बिजनेस डूब गए. ऐसे समय में किसी ने हार मान ली तो किसी ने इसे एक अवसर के तौर पर ले लिया. इसमें समझने वाली बात ये है कि किसी एक ही चीज पर निर्भर हो जाना व्यक्ति के लिए कितना खतरनाक हो सकता है.

सबको यह बात समझनी चाहिए कि केवल नौकरी या एक ही तरीके के काम पर निर्भर हो जाना कितना नुकसानदेह साबित हो सकता है. बचपन से हमें एक बात जरूर सिखाई जाती है कि समय-समय पर होने वाले बदलावों के अनुसार अपने आप को अपडेट करने की जरूरत होती है. जो लोग हर तरह के बदलाव के लिए तैयार रहते हैं, उन्होंने इस संकट के समय में भी खुद के लिए नए अवसर तलाशने शुरू कर दिए.

2021 में The Great Resignation

इसी के साथ, साल 2021 में लोगों में नौकरी छोड़ने का ट्रेंड बहुत देखा गया, जिसे The Great Resignation नाम तक दिया गया है, क्योंकि इससे पहले दुनियाभर में एक साथ करोड़ों लोगों को अपनी नौकरियों से इस्तीफा देते हुए कभी नहीं देखा गया. यानी अब लोग अपने काम करने का कल्चर बदलना चाहते हैं. कुछ नया या अलग करना कहते हैं और ये लोग दुनिया को एक नई दिशा भी दे रहे हैं.

लोगों ने यह जाना कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता, जिस काम को भी आप मुकाम तक ले जाते हैं, वही काम बड़ा बन जाता है. वहीं, बड़ी-बड़ी कंपनियों ने भी सभी स्तर के कर्मचारियों का महत्व समझा, जब साल 2020 में लॉकडाउन के दौरान मजदूरों का शहरों से गांवों की तरफ पलायन होने लगा और कंपनियों के काम ठप हो गए.

आपने एक खबर पढ़ी होगी कि कोरोनावायरस और लॉकडाउन के चलते देश के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया में से एक दिल्ली के जीबी रोड पर रह रहीं कई सेक्सवर्कर्स ने एक नई सम्मानित जिंदगी की ओर कदम बढ़ाया. कई महिलाओं ने जीबी रोड छोड़ कर एक NGO के साथ मिलकर मास्क (Mask) बनाने का काम करना शुरू कर दिया. जब व्यक्ति हर परिस्थिति को एक अवसर मान कर चलता है तो कैसी ही जिंदगी को बदलने की ताकत भी रखता है, यह बात 2020 और 2021 ने समझाई.

एक खतरनाक शक्ति के खिलाफ एकजुट होने की जरूरत

भारत को इस साल यह भी समझ आया कि उसके पड़ोसी देश उसके लिए कितने खतरनाक हो सकते हैं और उसे कितना सावधान रहने की जरूरत हो है. सब जानते हैं कि कोरोनावायरस कोई प्राकृतिक आपदा नहीं बल्कि एक स्वार्थवश मानवीय चाल है चीन (China) की, इससे केवल भारत ही नहीं, दुनियाभर के सभी देशों को इस साल को एक उदाहरण के तौर पर लेना चाहिए और समझना चाहिए कि एक खतरनाक देश केवल अपने पड़ोसी देशों के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए कितना बड़ा संकट बन सकता है. दुनिया के सभी देशों को किसी देश की ऐसी साजिशों के खिलाफ अब जल्द-से-जल्द एकजुट होने की जरूरत है.

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LLB (Bachelor of Law). Work experience in Mahendra Institute and National News Channel (TV9 Bharatvarsh and Network18). Interested in Research. Contact- sonagarwal00003@gmail.com

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