रत्नों का असर : कौन से रत्न से मिलते हैं कौन से लाभ और शक्तियां, कैसे करें असली-नकली रत्न की पहचान

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रत्नों (Gemstones) का असर, लाभ और पहचान

Gemstone Effect and Identification (रत्नों का असर और लाभ, रत्नों की पहचान कैसे करें?)

प्रकृति की अमूल्य देन रत्न सभी देशों और सागरों में पाए जाते हैं. मान्यताओं के अनुसार, रत्नों (Gemstones or Ratna) में ग्रहों की किरणों, रंगों और चुंबकत्व की शक्ति होती है. इनमें अपने से संबंधित ग्रहों की शक्ति को खींचने या व्यक्ति की नकारात्मक शक्ति को बाहर करने की क्षमता होती है. इससे जीवन की कई समस्याओं का निवारण तो होता ही है, साथ ही स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी दूर होती हैं. रत्नों का शरीर पर क्या असर पड़ता है, इसे लेकर कई वैज्ञानिक शोध भी हो चुके हैं.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, रत्नों में इतनी शक्ति होती है कि वह किसी भी व्यक्ति के भाग्य को आसमान तक पहुंचा सकते हैं तो किसी की किस्मत को आसमान से जमीन पर भी उतार सकते हैं. इसीलिए रत्नों को पूरी तरह जांच-पड़ताल करवा के ही पूरे विधि-विधान से धारण करने की सलाह दी जाती है. रत्नों को धारण करते समय अपनी ग्रह दशा, अपने मन की दशा, सही समय और सही मात्रा, सभी का पूरा ध्यान रखा जाता है.

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जैसे सूर्य में अपना प्रकाश होता है, उसी तरह असली रत्नों में भी अपनी खुद की चमक होती है. चाहे मौसम में बदलाव आ जाए या प्रकृति में उथल-पुथल मच जाए, लेकिन रत्नों के गुण और उनकी चमक प्रभावित नहीं होती. इसी से रत्नों की शुद्धता की जांच की जाती है. सभी रत्नों का अलग-अलग असर होता है. रत्न प्रकृति में अलग-अलग रंगों में पाए जाते हैं. सामान्य लोग कई रत्नों को उनके रंगों से ही पहचानते हैं, इसीलिए कभी-कभी रत्नों को लेकर भ्रम भी पैदा हो जाता है. आइए जानते हैं कि कौन से रत्न से कौन से लाभ मिल सकते हैं-

1. हीरा (Diamond)

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गुण- हीरे (Hira ratan) को रत्नों का सम्राट कहा जाता है. यह एक पारदर्शी रत्न है और कई रंगों में पाए जाते हैं. हीरा कार्बन का सबसे शुद्ध रूप है और यह प्रकृति का सबसे कठोर पदार्थ है. इसकी कठोरता 10 होती है, इसलिए हीरे को केवल हीरे से ही काटा जा सकता है. बेहद खूबसूरत और चमकदार होने की वजह से आभूषणों को बनाने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल हीरों का ही होता है. सभी रत्नों में हीरा सबसे ज्यादा कीमती होता है. 1 ग्राम हीरे की कीमत 50 लाख तक हो सकती है. वहीं, दुनिया में कई हीरों की कीमत तो अरबों रुपए में भी है. हीरा खान से निकाला जाता है और पॉलिश करके चमकाया जाता है. भारत में हीरे का सबसे ज्यादा उत्पादन मध्य प्रदेश में होता है.

असर और लाभ- सभी रत्नों में श्रेष्ठ और सौंदर्य का प्रतीक हीरा शुक्र ग्रह का रत्न है. जिन लोगों का शुक्र ग्रह अच्छा होता है, उनमें गजब की आकर्षण क्षमता होती है. ऐसे लोग दूसरों को आसानी से अपने गुणों से प्रभावित कर लेते हैं, इसलिए ऐसे लोगों को जीवन की सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं. इन सब में हीरा बहुत मदद कर सकता है. वैसे तो हीरे को सभी तरह के व्यक्ति धारण कर सकते हैं और करते भी हैं.

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हीरा जिस व्यक्ति के लिए शुभ हो जाए, उस व्यक्ति का जीवन राजाओं जैसा बना देता है. हीरे को धारण करने से व्यक्ति की आकर्षक क्षमता बढ़ जाती है और उसे भोग-विलास, ऐश्वर्य, धन-संपत्ति और वैवाहिक सुख आदि प्राप्त होने लगते हैं. कला-संगीत आदि क्षेत्रों से जुड़े लोगों को हीरा पहनने से फायदा हो सकता है. प्रेम संबंधी मामलों में भी हीरा सफलता दिलाता है, साथ ही नेगेटिव एनर्जी से भी बचाता है. हीरा तुरंत फल देना शुरू कर देता है, बस इसे पहनते समय ये ध्यान रखना चाहिए कि जो हीरा इस्तेमाल किया जा रहा है, वह दोषयुक्त ना हो, जैसे कोहिनूर को एक श्रापित हीरा कहते हैं.

कैसे परखें- हीरे की चमक और कठोरता ही उसकी सबसे बड़ी पहचान होती है, क्योंकि हीरे जैसी चमक और कठोरता किसी और रत्न में नहीं होती. हीरा विद्युत का कुचालक (Poor conductor of electricity) होता है.


2. नीलम (Sapphire)

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गुण- नीलम (Neelam ratan) अपने नाम के अनुसार नीले रंग का एक बेहद खूबसूरत रत्न है. जो नीलम चिकना होता है और छूने पर मुलायम लगता है, साथ ही जिसमें से किरणों जैसी रोशनी निकलती हुई दिखाई देती है, ऐसा नीलम सबसे अच्छा और आदर्श माना जाता है. मोर पंख वाले रंग का नीलम सबसे कीमती होता है. नीलम मुख्य रूप से एल्युमिनियम ऑक्साइड से बना होता है.

नीलम प्राकृतिक भी होता है और आर्टिफिशियल भी बनाया जाता है. आर्टिफिशियल नीलम को ‘उपरत्न’ कहते हैं, जिसकी चमक भी काफी हद तक नीलम की तरह ही होती है. नीलम को संस्कृत में नीलमणि, इंद्रनील, तृणग्राही, शौरी रत्न; उर्दू और फारसी में याकूत और कबूद कहा जाता है.

असर और लाभ- नीलम शनि ग्रह का रत्न है. नीलम का प्रभाव बहुत तेज माना गया है. कहते हैं कि यह राजा को रंक और रंक को राजा बना सकता है, इसलिए इसे पूरी तरह जांच-पड़ताल के बाद ही पहनने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह जिसके लिए फायदेमंद नहीं होता, उसका बेहद नुकसान करा देता है, लेकिन जिसके लिए फायदेमंद होता है, उसे कभी कहीं भी हार का सामना नहीं करना पड़ता.

माना जाता है कि नीलम पहनने वाला व्यक्ति केवल अपने बारे में ही सोचता है. वह किसी भी तरह के कठोर काम करने में नहीं हिचकिचाता, इसीलिए वह जहां भी जाता है, भयभीत नहीं होता और ना ही किसी हीन भावना का शिकार होता है और इसीलिए उसे हर जगह सफलता मिलती है. नीलम पहनने वाला व्यक्ति अगर धैर्य से काम करे तो ही अच्छा होता है. इसका असर इतना तेज होता है कि इसे पहनने से कुछ दिन पहले इसे अपने पास रखकर अपने ऊपर इसके असर का टेस्ट किया जाता है.

कहा जाता है कि अगर नीलम को अपने पास रखने के सात दिनों तक कोई बुरी घटना ना घटे, साथ ही मन की शांति भी बनी रहे, तो नीलम को पहनने योग्य माना जाता है. लेकिन अगर इसे अपने पास रखने पर रात में बुरे सपने आएं, मन और दिमाग भारी लगने लगे, लोगों से झगड़े होने लगें या कोई चोट या हादसा हो जाए, तो इसका मतलब कि नीलम नहीं पहनना चाहिए.

कैसे परखें- असली नीलम में रंगों की पट्टियां सीधी और 6 भुजाओं वाले प्रिज्म की तरह दिखाई देती हैं, जबकि नकली नीलम में पट्टियां सीधी नहीं दिखाई देतीं. असली नीलम चिकना, साफ और चमकदार होता है. असली नीलम को मुट्ठी में पकड़ने पर गर्मी का एहसास होता है. अगर असली नीलम के पास कोई तिनका ले जाया जाए तो वह इससे चिपक जाता है.


3. माणिक्य (Ruby)

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गुण- माणिक्य (Manikya ratan) हल्के गुलाबी रंग से लेकर गहरे लाल रंगों में पाया जाता है. यह जितना ज्यादा लाल होता है, उतना ही अच्छा माना जाता है और उतनी ही इसकी कीमत बढ़ती चली जाती है. माणिक्य मुख्य रूप से एल्यूमीनियम और लोहे के ऑक्साइड और क्रोमियम से मिलकर बना होता है. इसका लाल रंग इसमें मौजूद क्रोमियम की वजह से होता है. इसकी कठोरता 9 होती है. माणिक्य को और भी कई नामों से जानते हैं, जैसे- संस्कृत में इसे ‘पदमराग’, अंग्रेजी में ‘रूबी’, उर्दू में ‘रूगल’ और फारसी में इसे ‘याकूत’ कहा जाता है.

असर और लाभ- माणिक्य सूर्य ग्रह का रत्न है, इसलिए सूर्य से मिलने वाले सभी लाभों के लिए माणिक्य को धारण किया जाता है. अगर किसी व्यक्ति का सूर्य अच्छा है तो उसे जीवन में बड़ी उपलब्धियां प्राप्त होती हैं, जैसे- शारीरिक सुख, प्रकाश-प्रतिष्ठा, कर्तव्यनिष्ठा, पिता का सुख, राजनीति में स्थान या अपने करियर या बिजनेस में लाभ आदि. माणिक्य को धारण करने से ऊंचे अधिकारियों का सहयोग मिलता है, साथ ही आर्थिक स्थिति में भी सुधार होने की संभावनाएं बनती हैं.

कहा जाता है कि अगर किसी व्यक्ति पर कोई संकट आने वाला हो तो उसके पहने हुए माणिक्य का रंग बदल जाता है, जिससे व्यक्ति को आने वाले संकट की सूचना पहले ही मिल जाती है. माणिक्य पहनने से व्यक्ति के मन में बुरे विचार नहीं आते, साथ ही व्यक्ति का मन धर्म-कर्म में भी ज्यादा लग सकता है.

कैसे परखें- माणिक्य अंधेरे में भी चमकता रहता है. अगर माणिक्य को दूध में डालने से दूध लाल दिखाई दे, तो वह माणिक्य अच्छा माना जाता है. माणिक्य को सुबह-सुबह सूर्य के सामने रखने पर उसमें से लाल रंग की किरणें निकलती हुई दिखाई दें, तो उस माणिक्य को उत्तम माना जाता है. इसी के साथ अगर माणिक्य को पत्थर पर घिसने से वह न घिसे और उसका वजन भी ना घटे, बल्कि उसकी चमक और बढ़ जाए, तो इसका मतलब कि वह माणिक्य शुद्ध है. वहीं, नकली माणिक्य में पानी जैसे बुलबुले दिखाई देते हैं, वजन में हल्का होता है या उसमें लकीर दिखाई देती है या उसका रंग रूखा सा लगता है.

इसी के साथ, असली माणिक्य की परत सीधी होती है, जबकि नकली माणिक्य की परत वलयाकार होती है. ये भी कहा जाता है कि असली माणिक्य को बर्फ के टुकड़े के ऊपर रखने पर आवाज आती है, जबकि नकली माणिक्य में ऐसी कोई आवाज नहीं आती.


4. पुखराज (Topaz)

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गुण- पुखराज (Pukhraj ratan) मुख्य रूप से पीले रंग का रत्न है. यह एल्युमिनियम, फ्लोरीन और सिलिकेट से मिलकर बना होता है. पुखराज को संस्कृत में ‘पुष्पराग’ अंग्रेजी में टोपाज या येलो सैफायर, देवनागरी में पीत स्फटिक और फारसी में जर्द याकूत कहते हैं. पुखराज को 24 घंटे तक दूध में रखने पर अगर उसकी चमक फीकी ना पड़े, तो वह पुखराज असली माना जाता है. पुखराज के उपरत्न घिया, केसरी, सोनल, केरू और सुनैला हैं.

असर और लाभ- पुखराज बृहस्पति ग्रह का रत्न है, इसलिए इसे ‘गुरु रत्न’ भी कहा जाता है, क्योंकि बृहस्पति को ‘गुरु’ भी कहते हैं. पुखराज को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है. इसे पहनने से करियर या व्यापार में उन्नति होती है, साथ ही इसे वंशवृद्धि करने वाला भी माना गया है. पुखराज को धारण करने से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और वैवाहिक जीवन सुखी बनता है. यह नेगेटिव एनर्जी से भी रक्षा करता है.

पुखराज पहनने से मन शांत रहता है और कई तरह की मानसिक और शारीरिक बीमारियों से भी राहत मिलती है. पुखराज को पहनने से ज्ञान और बुद्धि का विकास होता है और अपने लक्ष्य को पाने में मदद मिलती है. यह व्यक्ति के मन में नए-नए काम करने की क्षमता को बढ़ाता है और जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता लाता है.

कैसे परखें- पुखराज आमतौर पर प्रिज्म या त्रिभुज के आकार के होते हैं और इनकी अपनी एक अलग ही चमक होती है. असली पुखराज मुलायम और चिकना होता है और हाथ में पकड़ने पर वजनदार लगता है. असली पुखराज को घिसने या रगड़ने से उसकी चमक और बढ़ जाती है. इनको रगड़ने पर आग भी पैदा की जा सकती है. वहीं, जिस पुखराज में एक से ज्यादा रंग हों या उसकी चमक फीकी हो, वह नकली होता है.


5. पन्ना (Emerald)

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गुण- पन्ना (Panna ratan) हरे रंग का रत्न है. इसे संस्कृत में हरितमणि, मरकत, गोरुण, अश्वगर्भ और गरलारि, गुजराती में पीलू, मराठी में पांचू, बंगला में पाना, फारसी में जमुर्रद और अंग्रेजी में एमराल्ड कहते हैं. पन्ना मुख्य रूप से क्रोमियम और वैनेडियम से बना होता है. इसकी कठोरता 7.5 से 8 तक होती है.

असर और लाभ- पन्ना बुध ग्रह का रत्न है. इसे धारण करने से बुद्धि का विकास होता है और दिमाग की क्षमता बढ़ती है, जिससे पढ़ाई-लिखाई और अन्य कामों में मन लगता है और सफलता मिलती है. शिक्षा या बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में सफलता पाने के लिए पन्ना का इस्तेमाल किया जाता है. इसे धारण करने से व्यापार या अन्य कैरियर में सफलता मिलती है.

कहते हैं कि अगर कोई पन्ना गिफ्ट में दे दे तो यह अच्छे भाग्य का संकेत होता है. पन्ना को अच्छी सेहत सुख और धन देने वाला माना गया है. इसमें जहरीले तत्वों से लड़ने की भी क्षमता होती है. इसे पहनने से शरीर से विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं.

कैसे परखें- पन्ना मुख्य रूप से 6 भुजाओं वाले प्रिज्म के रूप में पाए जाते हैं. ये बहुत जल्द टूटते भी हैं. घास के रंग का या गहरे हरे रंग का पन्ना सबसे अच्छा माना जाता है. जिस पन्ने में गड्ढे हों या लकीरें हों या जिनमें अलग-अलग रंगों के छींटे दिखाई देते हों, या ज्यादा चमक ना हो, वह पन्ना अच्छा नहीं माना जाता.

सबसे अच्छा पन्ना चिकना, पारदर्शी और अच्छी चमक वाला होता है. इसमें किसी तरह के बुलबुले नहीं दिखाई देते, जबकि नकली पन्ने में छोटे-छोटे बुलबुले दिखाई देते हैं. असली पन्ना हर तरह के प्रकाश में भी हरा ही दिखाई देता है. असली पन्ने को हल्दी के साथ घिसने पर हल्दी का रंग नहीं बदलता, जबकि नकली पन्ने को हल्दी के साथ रगड़ने पर हल्दी लाल हो जाती है.


6. मोती (Pearl)

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गुण- मोती (Moti ratan) को संस्कृत में ‘मुक्ता’ और ‘इंदुरत्न’ भी कहते हैं. ये समुद्र में पाए जाने वाले विशेष तरह के सीपों से प्राप्त होते हैं. मोती कई आकार में पाए जाते हैं, लेकिन गोल और चिकने मोतियों को सबसे अच्छा और आदर्श माना जाता है. आकार और चमक के अनुसार इनकी कीमत एक हजार से 50 हजार से भी ज्यादा तक होती है. ये मुख्य रूप से कैल्सियम कार्बोनेट से बने होते हैं.

कैसे बनते हैं- पानी में रहने वाला ‘घोंघा’ या ‘मोलस्क’ प्रजाति का एक जीव अपनी सुरक्षा के लिए अपने शरीर से निकलने वाले एक चिकने तरल पदार्थ से अपना घर बनाता है. घोंघे के इसी घर को ‘सीप’ कहते हैं. हर तरह के घोंघे मोती नहीं बनाते. घोंघे की कई हजार किस्में पाई जाती हैं. मोती बनाने वाली किस्मों को ‘बाइवाल्वज’ कहते हैं, जिनमें से ‘ओएस्टर घोंघा’ नाम की किस्म सबसे ज्यादा मोती बनाती है.

असर और लाभ- मोती चंद्रमा का रत्न है, इसलिए चंद्रमा से मिलने वाले सभी लाभों को प्राप्त करने के लिए मोती को धारण किया जाता है. जिन लोगों का चंद्रमा अच्छा होता है, उनके मन और घर में शांति बनी रहती है. कहते हैं कि जिन लोगों को गुस्सा ज्यादा आता है, उन्हें मोती पहनना चाहिए. इससे गुस्सा कम होता है, मानसिक स्थिति ठीक होती है, साथ ही एकाग्रता भी बढ़ती है, जिससे किसी भी काम में मन लगने लगता है. मोती धारण करने से व्यक्ति का स्वभाव सौम्य रहता है, जिससे प्रेम के मामलों में भी सफलता मिलती है.

कैसे परखें- मोती खनिज नहीं, बल्कि जैविक पदार्थ है. ये कई प्रकार के होते हैं. भारतीय मान्यता में 8 प्रकार के मोती बताए गए हैं. असली मोती समुद्र से प्राप्त किए जाते हैं. समुद्र से मिलने वाली मोती पूरी तरह गोल ना होकर टेढ़े-मेढ़े या अलग-अलग आकार के होते हैं, जिन्हें बाद में गोल बनाया जाता है. असली मोती को चावल में रगड़ने पर उसकी चमक और बढ़ जाती है, जबकि नकली मोतियों की चमक कम हो जाती है.


7. मूंगा (Coral)

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गुण- मूंगे (Moonga ratna) को जैविक रत्न (Organic Gems) भी कहा जाता है, क्योंकि यह मुख्य रूप से लाखों-करोड़ों समुद्री जीवों का घर होता है. इसे कोरल, प्रवाल, भौम रत्न, मिरजान और पोला आदि नामों से भी जानते हैं. मुख्य रूप से मूंगे का रंग लाल होता है, लेकिन यह सिंदूरी, सफेद, काले और गेरुआ रंग में भी पाया जाता है. मूंगा समुद्र में जितनी गहराई से प्राप्त होता है, उसका रंग उतना ही हल्का होता है. वहीं, कम गहराई से मिलने वाले मूंगे का रंग गहरा होता है.

कैसे बनते हैं- समुद्र के अंदर करीब 600-700 फीट नीचे गहरी चट्टानों पर विशेष तरह के लाखों जीव आपस में चिपककर, खुद की सुरक्षा के लिए अपना घर बना लेते हैं. इन्हीं घरों को ‘मूंगे का पौधा’ कहा जाता है, हालांकि ये पौधे नहीं होते, केवल इनका आकार पौधों जैसा होता है. इनका आकार कैसा भी हो सकता है. ये जीव इतने छोटे होते हैं, जिन्हें बिना माइक्रोस्कोप के देखा भी नहीं जा सकता.

ये सभी जीव एक-दूसरे के ऊपर इस तरह जमते चले जाते हैं कि इनके टापू तक बन जाते हैं. प्रशांत महासागर में ऐसे टापुओं को ‘प्रवालद्वीप’ कहते हैं. बढ़ते-बढ़ते ये कई किलोमीटर तक फैल जाते हैं, जिन्हें ‘रीफ’ कहा जाता है. मूंगा कई रंगों में पाया जाता है, जिनमें से सबसे लोकप्रिय लाल और गुलाबी रंग के मूंगे को मशीनों की सहायता से पत्थर की तरह तराशकर और चमकाकर रत्न बनाए जाते हैं, जिनका इस्तेमाल आभूषणों में होता है.

असर और लाभ- मूंगा मंगल ग्रह से जुड़ा हुआ रत्न है. इसे धारण करने से आलस दूर होता है और ताकत में वृद्धि होती है. साहस बढ़ता है और फैसले लेने की क्षमता में सुधार होता है. मूंगा पहनने से शत्रुओं का सामना करने की हिम्मत मिलती है और आत्मविश्वास बढ़ता है. बच्चों को बुरी नजर से बचाने या नेगेटिव एनर्जी को कम करने के लिए भी मूंगे का इस्तेमाल किया जाता है.

कैसे परखें- मूंगा भी एक जैविक रत्न है. यह पारदर्शी नहीं होता यह भी समुद्र से ही मिलता है. यह कई रूपों में पाया जाता है, इसलिए इसके आकार, रंग-रूप और चमक में बहुत अंतर होता है. जो मूंगा लेंस से देखने पर बिल्कुल सीधे और समतल दिखाई देते हैं, वे सबसे अच्छे माने जाते हैं. जबकि नकली मूंगा लेंस से देखने पर मोटे-मोटे और स्पष्ट दिखाई देते हैं. असली मूंगे को कांच पर घिसने से कोई आवाज नहीं आती, जबकि नकली मूंगे को कांच या शीशे पर रगड़ने से स्पष्ट आवाज आती है.


8. गोमेद (Onyx)

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असर और लाभ- काले रंग का रत्न गोमेद (Gomed ratna) या ओनेक्स राहु (Rahu) का रत्न है. इस रत्न में राहु की शक्तियां और गुण मौजूद होते हैं. गोमेद राहु की नेगेटिव ऊर्जा को पॉजिटिव ऊर्जा में बदल देता है, जिससे राहु के बुरे असर से रक्षा होती है. इसी के साथ यह कालसर्प दोष से भी बचाता है. कहते हैं कि जिन लोगों का स्वास्थ्य अक्सर खराब रहता है, उन्हें गोमेद पहनना चाहिए, इससे कई तरह की बीमारियां जल्दी ठीक हो जाती हैं और सेहत में सुधार आता है.

इसे पहनने से डर, निराशा और भ्रम दूर होते हैं, आत्मविश्वास बढ़ता है और काम करने में मन लगता है. मान प्रतिष्ठा बढ़ती है और जीवन की कई मुश्किलें दूर हो जाती हैं. गोमेद को धारण करने से विरोधियों पर जीत मिलती है, बुरी नजर और नेगेटिव एनर्जी से रक्षा होती है, साथ ही शक्ति सफलता और धन की प्राप्ति होती है.

कैसे परखें- साफ, चिकना और भारी गोमेद सबसे अच्छा माना जाता है. यह पारदर्शी भी हो सकते हैं और अपारदर्शी भी. गोमेद को 24 घंटे तक गोमूत्र में रखने से अगर गोमूत्र का रंग बदल जाता है, तो इसका मतलब वह असली है.


9. लहसुनिया (Cat’s eye Chrysoberyl or Lehsunia)

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असर और लाभ- जैसे राहु के बुरे प्रभावों को कम करने के लिए गोमेद, उसी तरह केतु (Ketu) के अच्छे प्रभाव प्राप्त करने के लिए लहसुनिया (Lehsunia ratna) पहना जाता है. यह रत्न मन को शांति देने वाला माना गया है. इससे तनाव दूर होता है और दिमाग बढ़ता है. लहसुनिया को ‘कैट आई’ यानी ‘बिल्ली की आंख’ भी कहा जाता है. व्यापार के मामलों में इस रत्न का इस्तेमाल बेहद अच्छा माना जाता है.

अगर लंबे समय से तरक्की रुकी हुई हो तो यह रत्न काफी मदद कर सकता है. लहसुनिया के प्रभाव से फंसा हुआ पैसा या खोई हुई संपत्ति वापस पाई जा सकती है, साथ ही कई तरह की शारीरिक और मानसिक परेशानियों से भी राहत मिल सकती है. इसी के साथ यह रत्न अकाल दुर्घटनाओं और छिपे हुए दुश्मनों से भी रक्षा करता है.

कैसे परखें- असली लहसुनिया में ढाई या तीन सफेद सूत होते हैं, जो इधर-उधर हिलते हुए दिखाई देते हैं. कहते हैं कि असली लहसुनिया को हड्डी के ऊपर रखने पर 24 घंटे के अंदर उस हड्डी के आर-पार छेद हो जाता है.

पढ़ें – रत्नों का स्वास्थ्य पर कैसे पड़ता है असर, किस रत्न से कौन सी बीमारी दूर होती है?

पढ़ें – क्या होते हैं रत्न, क्या है इनकी उपयोगिता और महत्व, कैसे हुआ जन्म और क्या हैं इनके गुण


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About Sonam Agarwal 237 Articles
LLB (Bachelor of Law). Work experience in Mahendra Institute and National News Channel (TV9 Bharatvarsh and Network18). Interested in Research. Contact- sonagarwal00003@gmail.com

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