Why is Space Black : अंतरिक्ष काला क्यों दिखाई देता है?

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Why Universe is Black

अंतरिक्ष काला क्यों है (Why is Space Black)? यह प्रश्न जितना सरल है, उत्तर उतना ही कठिन है. यह एक ऐसा प्रश्न है जिस पर कई वैज्ञानिक आज भी विचार कर रहे हैं. कोई यह प्रश्न पूछे कि पृथ्वी पर दिन के समय आकाश नीला क्यों होता है? तो यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका उत्तर हम दे सकते हैं. दिन के समय आकाश नीला होता है क्योंकि सूर्य का प्रकाश पृथ्वी के वायुमंडल (Earth’s Atmosphere) में अणुओं से टकराता है और सभी दिशाओं में बिखर जाता है.

यानी आकाश का नीला रंग इसी प्रकीर्णन प्रक्रिया (Scattering Process) का परिणाम है. रात में, पृथ्वी का जो हिस्सा सूर्य से दूर होता है, तो वहां का आकाश काला दिखाई देता है क्योंकि वह हिस्सा सूर्य के दूसरी तरफ होता है, और पास में सूर्य की तरह प्रकाश का कोई उज्ज्वल स्रोत नहीं है, जिसे बिखेरा जा सके. यदि आप चंद्रमा पर होते, जहां कोई वायुमंडल नहीं है, तो वहां आकाश रात और दिन दोनों में काला ही दिखाई देता है.

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पृथ्वी पर, सूर्य हमारे ग्रह के करीब है और यह हमें उत्कृष्ट स्तर का प्रकाश देता है, जिससे हम सबकुछ देख पाने में सक्षम होते हैं. रात्रि के समय हमें अंधकार दिखाई देता है क्योंकि सूर्य का प्रकाश (पृथ्वी के उस हिस्से में) नहीं पहुंचता है. अत: हम यह मान सकते हैं कि जहां प्रकाश नहीं है, वहां अंधकार है.

पृथ्वी पर इतना प्रकाश और इतने रंग क्यों हैं? क्योंकि पृथ्वी एक ऐसे वातावरण या वायुमंडल (Atmosphere) से घिरी हुई है जिसमें पानी की बूंदें, धूल, गैसें, जलवाष्प आदि मौजूद है. जब सूर्य का प्रकाश इनमें से किसी से भी टकराता है तो वह ‘बिखर’ जाता है या टूटकर फैल जाता है, और हमें विभिन्न रंगों को देखने में सक्षम बनाता है. यानी हमारी पृथ्वी का वायुमंडल हमें प्रकाश और रंगों को देखने की क्षमता देता है.

इसके विपरीत अंतरिक्ष में कुछ गैस और ब्रह्मांडीय धूल तो है, लेकिन कोई वायुमंडल नहीं है. प्रकाश तब तक एक सीधी रेखा में यात्रा करता है, जब तक कि वह किसी वस्तु से टकरा न जाये. एक बार जब प्रकाश किसी वस्तु से टकराता है और टूटता या बिखरता है, तो वायुमंडल उस प्रकाश को ‘बिखरने’ और स्पेक्ट्रम में रंगों को देखने की क्षमता देता है जिसे हमारी आंखें देखती हैं. और चूंकि अंतरिक्ष में ‘प्रकीर्णन’ के लिए कोई पर्याप्त वायुमंडल नहीं है, इसीलिए अंतरिक्ष हमें काला दिखाई देता है.

अब एक प्रश्न यह पूछा जाता है कि जब ब्रह्मांड अरबों तारों से भरा है, तो उन सभी तारों का प्रकाश मिलकर हमारे पूरे आकाश को हर समय उज्ज्वल क्यों नहीं बनाता? इस प्रश्न पर कई अलग-अलग कारण, उदाहरण और स्पष्टीकरण सामने रखे गए हैं. वैज्ञानिकों ने फिलहाल इसका जो उत्तर दिया है, वह यह है कि-

हमारा ब्रह्मांड लगभग 15 अरब वर्ष पुराना है. इसका मतलब है कि हम उतनी ही दूर की वस्तुएँ देख सकते हैं जितनी दूरी प्रकाश 15 अरब वर्षों में तय कर सकता है. उससे अधिक दूर के तारों का प्रकाश अभी तक हम तक पहुँच नहीं पाया है और इसलिए वे तारे आकाश को हमारे लिए उज्ज्वल बनाने में योगदान नहीं दे सकते हैं.

एक और कारण यह है कि आकाश सभी तारों के दृश्य प्रकाश से उज्ज्वल नहीं हो सकता है क्योंकि जब प्रकाश का एक स्रोत आपसे दूर जा रहा है, तो उस प्रकाश की तरंग दैर्ध्य (Wavelength of Light) लंबी हो जाती है. इसका मतलब यह है कि जो तारे हमसे दूर जा रहे हैं उनकी रोशनी लाल रंग की ओर शिफ्ट हो जाएगी, और इतनी दूर शिफ्ट हो सकती है कि वह बिल्कुल भी दिखाई नहीं देगी. आप इसे डॉप्लर प्रभाव (Doppler Effect) से समझ सकते हैं.


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