‘रामायण’ के इस एपिसोड को देख यूजर्स ने कहा, ‘हम IAS Aspirants को श्रीराम से शिक्षा लेनी चाहिए’

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Ramayan Serial Ram Lakshman Dialogues

भगवान श्रीराम जी के चरित्र पर आधारित ‘रामायण’ सीरियल (Ramayana Serial) डीडी नेशनल पर साल 1987 से 1988 के बीच प्रसारित किया गया था. इसे रामानंद सागर (Ramanand Sagar) ने बनाया और निर्देशित किया था. यह शो मुख्य रूप से वाल्मीकि रामायण और गोस्वामी तुलसीदास जी की रामचरितमानस पर आधारित है. यह दुनिया में सबसे ज्यादा देखे जाने वाले टीवी शो के रूप में रिकॉर्ड बना चुका है. इस सीरियल का हर एक पात्र दर्शकों के दिलों में अपनी एक अलग जगह बना चुका है. और आज भी लोग इस सीरियल को उतनी ही दिलचस्पी से देखते हैं.

‘रामायण’ सीरियल ने की लोगों की काफी मदद
‘रामायण’ किसी भी इंसान के जीवन की प्रमुख मार्गदर्शिका रही है और रहेगी. इसे पढ़ने, सुनने या देखने से संतोष, शांति और आनंद मिलता है. श्रीराम जी का चरित्र एक आदर्श, तेजस्वी और वीरतापूर्वक जीवन जीने की कला सिखाता है. श्रीराम जी के इसी चरित्र को रामानंद सागर जैसे उत्कृष्ट निर्देशक ने अपनी कल्पनाशक्ति से पर्दे पर उतारने का भरसक प्रयास किया है. आज जो लोग रामायण को पढ़कर उसका ठीक से अर्थ समझने में असफल रहते हैं, उनके लिए यह सीरियल काफी मददगार साबित हुआ है.

‘IAS Aspirants को श्रीराम से सीख लेनी चाहिए’
इसी सीरियल में एक एपिसोड है, जिसमें श्रीराम और लक्ष्मण जी भविष्य को जानने के महत्व पर चर्चा कर रहे हैं. इस एपिसोड में श्रीराम भाई लक्ष्मण को जो ज्ञान दे रहे हैं, उस पर लोगों ने कई तरह के कमेंट्स दिए हैं. जैसे- एक यूजर ने लिखा, “इस एपिसोड की लास्ट की लाइन हम सबके जीवन लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है कि, ‘भविष्य को जानने के फेर में मत पड़ो, वर्तमान में जो हमारा धर्म है, कर्तव्य है, उसे पूरी निष्ठा से निभाओ, भविष्य तो खुद नतमस्तक होकर तुम्हारे सामने आ जाएगा’. इस बात से खासकर हम IAS Aspirants को जरूर शिक्षा लेनी चाहिए.”

मोटिवेशनल और महत्वपूर्ण एपिसोड
वहीं, बहुत से यूजर्स ने इस एपिसोड को बहुत ही मोटिवेशनल और महत्वपूर्ण एपिसोड बताया है. एक यूजर ने लिखा, “अगर एकाग्रता है तो सब कुछ प्राप्त हो सकता है.” एक अन्य यूजर ने लिखा, “मन बहुत विचलित था, इस एपिसोड को देखने के बाद संतोष मिला, सीतापति श्रीराम की जय हो.” एक और यूजर ने लिखा, “यह मैसेज बहुत महत्वपूर्ण है.” एक और यूजर ने लिखा, “हर जीवन में तपस्या करके ही मुक्त हुआ जा सकता है.”

क्या है इस एपिसोड में?
रामायण सीरियल का यह एपिसोड तब का है, जब प्रजा की अनर्गल बातों से दुखी होकर सीता जी वन जा चुकी हैं. इस पर श्रीराम भी महल में सभी राजसी सुखों का त्याग कर चुके हैं. ये सब देखकर लक्ष्मण जी बेहद दुखी हैं और जानना चाहते हैं कि आखिर उनके माता-पिता समान भैया-भाभी के जीवन में अचानक ऐसा दुखद मोड़ क्यों आया. तब उनके मंत्री आर्य सुमंत उन्हें बताते हैं कि राम-सीता भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी का अवतार हैं और उनके साथ जो कुछ भी हुआ है, वह होनी (भाग्य) है. आर्य सुमंत यह भी बताते हैं कि महाराज दशरथ को भी आगे की घटनाओं का पहले से ज्ञान था.”

तब लक्ष्मण जी के मन में अनेक सवाल आ जाते हैं. रात को लक्ष्मण जी श्रीराम जी के चरण दबाते हुए उनसे सवाल पूछते हुए कहते हैं कि, “मैंने सुना है कि आप और सीता भाभी भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी का अवतार हैं. मुझे यह भी पता चला है कि पिता जी (राजा दशरथ) सभी घटनाओं के बारे में पहले से ही जानते थे कि कब क्या होने वाला है, तो फिर पिता जी को हम सबके वन जाने पर इतना दुख क्यों हुआ?”

तब श्रीराम जी लक्ष्मण को समझाते हुए कहते हैं कि-
“क्योंकि यही इस शरीर का गुण है. इस शरीर के अंदर बैठा मन ही व्यक्ति के सुख-दुख, दर्द और प्रसन्नता का वाहक है. हर प्राणी की परीक्षा इसी मन के द्वारा होती है. भविष्य का ज्ञान होना या न होना कोई बड़े महत्व की बात नहीं है, क्योंकि योग की साधना से तो कोई भी व्यक्ति त्रिकालदर्शी बन सकता है. सबसे बड़े महत्व की बात ये है कि दुख और सुख के समय प्राणी कैसा व्यवहार करता है. वह भावना की चोट सहकर भी अपने धर्म और कर्तव्य पर स्थिर रहता है या नहीं.”

“इसलिए भविष्य के ज्ञान का कोई महत्व नहीं होता. देखो लक्ष्मण, होनी तो होगी ही, लेकिन उसका सामना कोई प्राणी किस प्रकार करता है, यही महत्वपूर्ण बात है. पिता जी को भविष्य का ज्ञान था, इसमें उनकी महानता नहीं है. लेकिन सब कुछ जानते हुए भी उन्होंने अपना कर्तव्य नहीं छोड़ा, अपना वचन नहीं तोड़ा, यही उनकी महानता है. इसी तरह सीता में भविष्य को बदलने की शक्ति होते हुए भी उन्होंने अपना धर्म या कर्तव्य निभाने के लिए इतना दुख सहकर भी अपना सब कुछ बलिदान कर दिया.”

फिर श्रीराम लक्ष्मण जी से कहते हैं कि, “भविष्य को जानने के फेर में मत पड़ो, वर्तमान का जो धर्म या कर्तव्य है उसे निभाओ, भविष्य तो स्वयं ही नतमस्तक होकर तुम्हारे सामने आ जाएगा, क्योंकि होनी तो होगी ही, लेकिन तुम अपने धर्म या कर्तव्य पर दृढ़ रहो, यही शिक्षा हमें सीता से लेनी चाहिए.” देखिए पूरा एपिसोड (Watch full Episode)-

देखिए- श्रीराम से विवाह के लिए सीता जी की प्रार्थना



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