IPC Section 93, 94, 95 in Hindi
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code-IPC) के अध्याय 4 में धारा 76 से लेकर धारा 106 तक उन ‘सामान्य अपवादों (General Exceptions)’ के बारे में बताया गया है, जो किए गए अपराध को भी क्षमा करने योग्य बनाते हैं, यानी इन धाराओं में उन परिस्थितियों या हालात के बारे में बताया गया है, जिनके मौजूद होने पर कोई आपराधिक कार्य होते हुए भी वह अपराध नहीं माना जाएगा, या उस आपराधिक कार्य के लिए क्षमा कर दिया जाएगा. हम इन धाराओं का अध्ययन अलग-अलग भागों में करेंगे-
IPC की धारा 93
सद्भावपूर्वक दी गई संसूचना-
“सद्भावपूर्वक दी गई संसूचना उस अपहानि के कारण अपराध नहीं है, जो उस व्यक्ति की हो जिसे वह दी गई है, अगर वह उस व्यक्ति के फायदे के लिए दी गई हो.”
उदाहरण : एक डॉक्टर ऑपरेशन करने से पहले मरीज को सद्भावपूर्वक सूचना देता है कि उसकी राय में वह जीवित नहीं बचेगा. इस बात को सुनकर मरीज की मौत हो जाती है. डॉक्टर का कोई अपराध नहीं है, हालांकि वह जानता था कि इस सूचना से मरीज की मौत होने की संभावना है.
भारतीय दंड संहिता की धारा 93 ((IPC Section 93 in hindi)) ऐसे निर्दोष व्यक्तियों को, खासकर डॉक्टरों को सुरक्षा देती है, जिसने किसी व्यक्ति को उसी के फायदे के लिए सद्भावपूर्वक कोई सूचना दी है और उस सूचना के कारण उस व्यक्ति को कोई क्षति पहुंची है. इसके तहत कर्ता का आशय किसी को कोई हानि पहुंचाना या कोई क्षति कारित करना नहीं होता, हालांकि कर्ता की तरफ से दी गई सूचना में कोई क्षति पहुंचने की संभावना रहती है.
IPC की धारा 94 (IPC Section 94 in hindi)
वह कार्य जिसको करने के लिए कोई व्यक्ति धमकियों द्वारा विवश किया गया है-
“हत्या और मृत्यु से दंडनीय अपराध को, जो राज्य के खिलाफ है, को छोड़कर कोई बात अपराध नहीं है, जो ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाए, जो उसे करने के लिए ऐसी धमकियों से विवश (मजबूर) किया गया हो, जिनसे उस बात को करते समय उसे युक्तियुक्त रूप से यह आशंका कारित की गई हो कि अन्यथा परिणाम यह होगा कि उस व्यक्ति की तत्काल मृत्यु हो जाए, लेकिन यह तब जबकि उस कार्य को करने वाले व्यक्ति ने अपनी ही इच्छा से या तत्काल मृत्यु से कम अपनी अपहानि की युक्तियुक्त आशंका से अपने को उस स्थिति में ना डाला हो, जिसमें कि वह ऐसी मजबूरी के अधीन पड़ गया है.
स्पष्टीकरण (1)
वह व्यक्ति जो खुद अपनी इच्छा से या पीटे जाने की धमकी के कारण डाकुओं की टोली में उनके शील को जानते हुए शामिल हो जाता है, इस आधार पर ही इस बात का फायदा उठाने का हकदार नहीं है कि वह अपने साथियों द्वारा ऐसी बात करने के लिए विवश किया गया था, जो कानून की नजर में अपराध है.
स्पष्टीकरण (2)
डाकुओं की एक टोली द्वारा अभिग्रहीत और तत्काल मृत्यु धमकी द्वारा किसी बात के करने के लिए, जो कानूनन अपराध है, विवश किया गया व्यक्ति, उदाहरणार्थ- एक लोहार, जो अपने औजार लेकर एक घर का दरवाजा तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है, जिससे डाकू उस घर में प्रवेश कर सकें और उसे लूट सकें, इस अपवाद का फायदा उठाने का हकदार है”.
धारा 94 के तहत, हत्या और राज्य के खिलाफ अपराधों को छोड़कर अगर किसी व्यक्ति को कोई अपराध करने के लिए मृत्यु की धमकी दी जाती है, तो उसके द्वारा किया गया ऐसा कार्य अपराध नहीं होता; बशर्ते मृत्यु से कम किसी धमकी के अधीन वह अपनी इच्छा से अपराधियों के साथ शामिल न हुआ हो.
धारा 94 इंग्लिश विधि के सूत्र “मेरे द्वारा मेरी इच्छा के विरुद्ध किया गया कार्य मेरा नहीं है” पर आधारित है. इस धारा के तहत किसी कार्य को न्यायोचित ठहराने के लिए तीन बातों को साबित करना जरूरी है-
(1) यह है कि व्यक्ति ने अपनी इच्छा से अपने को दबाव के सामने पेश नहीं किया,
(2) यह कि जिस डर ने उसे कोई आपराधिक कार्य करने के लिए मजबूर किया है, वह डर मृत्यु का था,
(3) यह कि कार्य उस समय किया गया, जब कर्ता के पास उसे करने या न करने पर मौत के अलावा और कोई विकल्प नहीं था.
IPC की धारा 95 (IPC Section 95 in hindi)
तुच्छ अपहानि कारित करने वाला कार्य
“वह कोई बात इस कारण से अपराध नहीं है कि उससे कोई अपहानि कारित होती है या कारित की जानी आशयित है या कारित होने की संभाव्यता ज्ञात है, अगर वह इतनी तुच्छ है कि मामूली समझ और स्वभाव वाला कोई व्यक्ति उसकी शिकायत ना करेगा.”
भारतीय दंड संहिता की धारा 95 तुच्छ प्रकृति के कार्य यानी छोटी-छोटी बातों या छोटे-मोटे मजाक करने वाले कार्यों को सुरक्षा देती है. धारा 95 इंग्लिश विधि के सूत्र “विधि तुच्छ बातों पर ध्यान नहीं देती” पर आधारित है.
Read Also – भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 90, 91 और 92
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