सौंदर्य, प्रेम और आकर्षण का प्रतीक हैं फूल, अपनी सुगंध से महकाते हैं रिश्ते और जीवन

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फूलों का इस्तेमाल और महत्व

Importance of Flowers (Phoolon ke bare me)

सौंदर्य का जीवन में अलग ही महत्व है. किसी भी चीज की सुंदरता व्यक्ति में मन-मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डालती है. आखिर सुंदरता किसे आकर्षित नहीं करती. भगवान श्रीकृष्ण भी सौंदर्य का महत्व बताते हुए कहते हैं कि सौंदर्य और आकर्षण प्रेम का आधार हैं. भगवान ने भी सृष्टि की रचना करते समय सौंदर्य को ही आधार बनाया है. आकाश में चमकता चंद्रमा, तारे, सूर्य, धरती पर अनगिनत सुंदर पेड़-पौधे, फल-फूल, पर्वत-नदियां आदि, जिन्हें देखकर किसी के भी मन से भगवान की प्रशंसा ही निकलती है, जो भगवान के प्रति प्रेम का ही एक रूप है. फिलहाल हम यहां सौंदर्य के महत्व पर नहीं, बल्कि उसी के एक रूप फूलों (Flowers) पर चर्चा करने जा रहे हैं.

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फूलों के बिना भी ये संसार अधूरा है. फूल सौंदर्य के साथ-साथ शांति और पवित्रता का भी प्रतीक हैं, प्रकृति के रंग हैं. पौधों का मुख्य आकर्षण फूल ही हैं. रंग-बिरंगे फूलों से हमारी दुनिया भी रंगीन है. फूल देखने में जितने स्वच्छ, सुंदर और कोमल होते हैं, उतने ही मन को शांति भी पहुंचाते हैं. अपने रंग और सुगंध से ये किसी के भी मन को बदलने की क्षमता रखते हैं. हमारे यहां फूलों को बहुत पवित्र माना जाता है. विज्ञान के अनुसार, फूलों की महक हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित करती है.

फूलों की सुगंध तनाव को दूर करने में सबसे ज्यादा सहायक होती है. रंग-बिरंगे खिले हुए फूल तनाव को कम करने में किसी टॉनिक की तरह काम करते हैं. यही कारण है कि हर तरह के अवसर पर फूलों के इस्तेमाल को समान महत्व दिया जाता है. घर को सजाना हो या खुद को, रंग बनाने हों या कोई औषधि, या रिश्तों में प्रेम बढ़ाना हो, फूलों का इस्तेमाल हर तरह से होता है. कुछ और नहीं, तो पूजा-आराधना में तो होता ही है. आइए देखते हैं कि हम सबके जीवन में फूलों का महत्व कितने तरीकों से है-

पूजा में फूलों का महत्व (Flowers used in puja)

फूलों का सबसे ज्यादा महत्व भगवान की पूजा-आराधना में है. कहते हैं न भगवान के चरणों में भक्ति और प्रेम से दो पुष्प ही अर्पित कर दो, तो वे प्रसन्न हो जाते हैं. अगर असली फूल पास में नहीं हैं, तो भगवान को मानसिक फूल तक समर्पित किए जाते हैं. वो इसलिए क्योंकि भगवान को फूल अत्यंत प्रिय हैं और श्रद्धा के साथ इन्हें चढ़ाने से वे बेहद प्रसन्न हो जाते हैं. राधा-कृष्ण भी फूलों की होली खेलते हैं. आदिकाल से ही फूल देवी-देवताओं का प्राकृतिक श्रृंगार माने गए हैं…और इसी कारण किसी न किसी देवी या देवता के साथ किसी न किसी फूल का नाम जरूर आता है.

जैसे- भगवान शिवजी को शमी, अपराजिता, मदार या धतूरे के फूल विशेष प्रिय हैं. उसी तरह भगवान विष्णु जी को हरसिंगार और पीले फूल, महालक्ष्मी जी को कमल के फूल, गणेश जी को गेंदे के फूल, मां काली जी को गुड़हल के फूल, मां सरस्वती जी को पलाश के फूल, हनुमान जी को लाल फूल चढ़ाए जाते हैं. अलग-अलग फूलों से भगवान का श्रृंगार करने और मंदिर को सजाने का विशेष महत्व है. इसी के साथ, फूल श्रद्धा और भावना का प्रतीक हैं और इनसे मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

श्रृंगार में फूलों का इस्तेमाल (Flowers used in makeup)

श्रृंगार किसी भी स्त्री का नैसर्गिक अधिकार है और स्त्रियों के श्रृंगार में फूलों का विशेष महत्व है. ये 16 श्रृंगार में शामिल हैं. फूल किसी की भी सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं. ये सबसे सस्ते और सबसे सुंदर आभूषण हैं. आदिकाल से ही फूल स्त्रियों के श्रृंगार का अहम हिस्सा रहे हैं. माता पार्वती जी अनेक तरह के फूलों से अपना श्रृंगार करती हैं. कहा जाता है कि वनवास के दौरान माता सीता पारिजात (हरसिंगार) के फूलों से अपना श्रृंगार करती थीं. महारानी शकुंतला जब आश्रम में निवास करती थीं, तब वह फूलों से बने गहनों (Flower Ornaments) से ही सजी रहती थीं.

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जब भी बात फूलों से श्रृंगार की आती है, तो सबसे पहले नाम आता है गजरे (Flower Gajra) का. गजरा एक खूबसूरत और प्राकृतिक श्रृंगार है. बालों में गजरा लगाने से महिलाओं का मन प्रफुल्लित रहता है और घर भी सुगंधित रहता है. मान्यताओं के अनुसार, विवाह के समय दुल्हन के मन में कई तरह के विचार आते हैं, गजरा उन्हीं विचारों से उसे दूर रखता है और दुल्हन को धैर्य और ताजगी देता है. इसी तरह, इत्र का इस्तेमाल भी प्राचीनकाल से होता आ रहा है, जिसका धार्मिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक महत्व है. ये भी श्रृंगार का ही एक भाग है, साथ ही इसकी सुगंध कई बड़े स्वास्थ्य और वास्तु लाभ भी देती है. फूलों से बने इत्र से देवताओं को भी प्रसन्न किया जा सकता है.

विवाह में फूलों का इस्तेमाल (Flowers used in wedding)

विवाह (Wedding) तो फूलों के बिना अधूरा सा है. विवाह के हर साज-सज्जा में फूल शामिल होते हैं. विवाह में एक रस्म होती है- वरमाला या जयमाला पहनाना, जिसमें वर और वधू एक-दूसरे को जयमाला पहनाते हैं. जयमाला भी फूलों से ही बनाई जाती है. यह परंपरा बहुत सदियों से चली आ रही है. पौराणिक काल में भी दुल्हन दूल्हे को वरमाला पहनाकर अपने जीवनसाथी के रूप में स्वीकार करती थी. विवाह की सजावट हो या दुल्हन का श्रृंगार, सभी में अलग-अलग फूलों से अपनी भावनाएं प्रकट की जाती हैं.

और केवल विवाह ही नहीं, किसी भी शुभ अवसर पर फूलों को मुख्य रूप से शामिल किया जाता है. शादी-ब्याह से लेकर बच्चे के जन्म और किसी भी पार्टी आदि अवसरों पर फूलों का भरपूर इस्तेमाल किया जाता है. जब किसी भी जगह को एक-एक फूल पिरोकर सजाया जाता है, तो देखने वाले तारीफ किए बिना नहीं रह पाते.

फूल अपनी सुगंध से किसी भी स्थान या अवसर को महका देते हैं, वातावरण को खुशनुमा बना देते हैं. जहां भी बड़ी मात्रा में फूल रखे होते हैं, उस जगह पर लोगों का मन भी प्रसन्न और शांत रहता है. कहते हैं कि घर से बाहर निकलते समय फूलों का दिखाई देना बड़ा शुभ शगुन होता है. सपने में भी फूलों को देखना बहुत शुभ माना गया है.

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किसी भी लम्हे को खास बनाने में फूलों का बहुत महत्व होता है. अमेरिकी शोधकर्ताओं के अनुसार, घर में फूलों को रखने से तनाव कम होता है और खुशियां बढ़ती हैं. फूल परिवार और दोस्तों के बीच बेहतर संबंध बनाने में भी काफी मददगार साबित होते हैं. ज्योतिष शास्त्र भी फूलों के प्रभावों को बहुत महत्व देता है. ज्योतिष विनायक भट्ट के अनुसार, “रजनीगंधा के फूलों को घर में लगाने से घर के लोगों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है. रजनीगंधा के औषधीय गुणों के कारण ऐसा होता है, वहीं पारिजात के फूल तनाव हटाकर खुशियां बढ़ाते हैं”.

रिश्तों को मजबूत बनाने में (Flowers in a relationship)

फूल प्रेम का प्रतीक हैं. रिश्तों का संवारने में और प्रेम को बढ़ाने में फूलों का बड़ा महत्व है. कहते हैं कि फूलों से रिश्तों में प्यार की महक पैदा होती है और घर में खुशहाली लेकर आते हैं. अगर आप किसी रूठे हुए व्यक्ति को एक गुलाब या ऐसा ही कोई ताजा खूबसूरत फूल दे दें, तो फिर वह व्यक्ति ज्यादा देर तक नाराज रह ही नहीं पाएगा. फूल अपनी भावनाओं को प्रकट करने का सबसे सस्ता और खूबसूरत साधन हैं. इसीलिए किसी भी खास व्यक्ति से मिलने पर या किसी खास अतिथि के आने पर फूलों का गुच्छा देने या फूलों से ही उसका स्वागत करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.

इसी के साथ फूल जीत का भी प्रतीक हैं. पुराने समय से ही, जब भी कोई योद्धा युद्ध जीतकर आता है, या आज भी जब कोई नेता चुनाव जीत जाता है, तो उसका स्वागत उसके ऊपर फूलों की बरसात करके ही किया जाता है. वहीं, दो देशों के बीच भी रिश्ते बनाने की शुरुआत फूलों से ही होती है. यानी संबंध चाहे दो व्यक्तियों का हो या दो देशों का, फूलों की महक सभी के रिश्तों को महका सकती है.

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फूल किसी भी व्यक्ति को ये एहसास कराते हैं कि हम सामने वाले के साथ कैसे संबंध रखना चाहते हैं, या वह हमारे लिए कितना खास है. फूलों के माध्यम से किसी को भी प्रभावित किया जा सकता है. यहां तक कि कुछ विद्यार्थी भी अपने टीचर्स को इंप्रेस करने और परीक्षा में और नंबर पाने के लिए फूलों का सहारा लेते हैं. रोज स्कूल आते ही एक फूल अपने टीचर को दे देते हैं.

जब किसी व्यक्ति का कोई प्रिय साथी उससे मिलने आता है, तो उसकी राहों में फूल बिछा दिए जाते हैं. पति अपने हाथों से अपनी पत्नी के बालों में एक फूल या फूलों से बना एक गजरा लगा दे, तो पत्नी अपने सारी थकान और नाराजगी भूल जाती है. इससे दोनों के बीच प्रेम बढ़ता जाता है. गुलाब सौंदर्य, स्नेह और प्रेम का प्रतीक है. दो प्रेमियों के बीच केवल एक गुलाब का आदान-प्रदान किसी भी बड़े या महंगे उपहार से कहीं बढ़कर है. एक गुलाब सब कुछ कह देता है.

अलग-अलग रंगों के गुलाब (Rose) का भी अलग-अलग मतलब होता है, जैसे पीला गुलाब दोस्ती का, गुलाबी गुलाब शुक्रिया का, सफेद गुलाब रिश्ते की शुरुआत का और लाल गुलाब प्रेम का प्रतीक है. इसी के साथ किसी को कितने गुलाब दिए जाते हैं, इसके भी अलग-अलग मतलब होते हैं. जैसे- एक गुलाब का मतलब होता है ‘पहली नजर का प्यार’. वहीं, दो गुलाब का मतलब है- गहराई तक प्यार होना.

स्वास्थ्य या चिकित्सा में फूलों का महत्व (Flowers for health and medicine)

फूल केवल सौंदर्य ही नहीं बढ़ाते, बल्कि कई बीमारियों का इलाज भी करते हैं. यानी वे स्वास्थ्य को ठीक रखने में मदद करते हैं. सबसे अच्छी बात कि फूलों से होने वाली चिकित्सा के कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होते. इसी से फूल आमदनी का भी मुख्य साधन बनते हैं. कई फूलों की सुगंध कीटाणुनाशक होती है. यह थकान को तुरंत दूर कर देती है. ये सुगंध वातावरण में घुलकर व्यक्ति के मस्तिष्क के अलग-अलग हिस्सों पर अपना प्रभाव दिखाती है. फूलों की सुगंध का मस्तिष्क, हृदय, आंख, कान और पाचन क्रिया आदि पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है. फूलों की सुगंध से किए जाने वाले इलाज को ‘अरोमा थेरेपी’ (Aromatherapy) कहा जाता है.

जैसे- गुलाबजल से आंखें धोने से आंखों की लाली और सूजन कम होती है. गुलाब का तेल दिमाग को ठंडा रखता है. गर्मियों में गुलाब का इस्तेमाल कई खाने-पीने की चीजों में किया जाता है. इसी तरह गेंदा मलेरिया के मच्छरों के प्रकोप को दूर करने में काफी मददगार साबित होते हैं. लिवर के मरीज या चर्मरोगों में भी गेंदा का इस्तेमाल किया जाता है. केवड़ा का इत्र सिरदर्द और गठिया में उपयोगी होता है. इसका इस्तेमाल कुष्ठरोग, चेचक, खुजली और हृदय रोगों में भी किया जा सकता है.

सूरजमुखी के फूल में विटामिन A और D होता है. यह सूर्य का प्रकाश ना मिलने के कारण होने वाली बीमारियों को रोकता है. सूरजमुखी का तेल हृदय रोगों और कोलेस्ट्रॉल को कम करता है. चमेली के फूलों का इस्तेमाल चर्मरोगों, पायरिया, दांतो के दर्द, घाव, आंखों के रोगों और फोड़े-फुंसियों में भी किया जाता है. यह शरीर में ब्लड-सर्कुलेशन को बढ़ाकर स्फूर्ति देता है.

पारिजात के फूलों का इस्तेमाल गठिया रोगों और चर्मरोगों में किया जाता है. इसी तरह कमल, चंपा, बेला, ढाक, केसर, रातरानी, गुड़हल, शंखपुष्पी, जूही, आक, अमलतास आदि फूलों का इस्तेमाल चिकित्सा में किया जाता है. शरीर में सभी तत्वों की पूर्ति करने वाला शहद भी फूलों के रस से ही बनता है. वहीं, कई जीवों जैसे-तितलियों, भवरों, मधुमक्खियों और शकरखोरा जैसे पक्षियों का मुख्य भोजन तो फूल ही हैं.

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