बाजरा (Bajra) : मेहनती लोगों का मनपसंद और पौष्टिक आहार… जानिए गुण, फायदे और नुकसान

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Bajra or Millet (बाजरे के फायदे और नुकसान)

Bajra Benefits and Side Effects

बाजरे (Bajra or Millet) को परिश्रमी या शारीरिक रूप से ज्यादा मेहनत करने वालों का आहार माना जाता है. गुड़ और घी के साथ या उड़द की दाल के साथ या छाछ के साथ बाजरे की मोटी-मोटी रोटियां गांव के लोगों का पौष्टिक और मनपसंद आहार है. बाजरे के बारे में एक कहावत बहुत प्रसिद्ध है कि “हे बाजरा! तेरी बलिहारी है, अगर तुम्हें घोड़े खाएं तो वे इस तरह दौड़ते हैं, जैसे उन्हें पंख लग गए हों और अगर तुम्हें बूढ़े खाएं तो वे युवा बन जाते हैं”. इन सब बातों से आप बाजरे के फायदों के बारे में अंदाज लगा सकते हैं.

बाजरा भारत में सब जगह होता है. यह मोटे अनाजों में सबसे ज्यादा उगाया जाने वाला अन्न है. उत्तर, पश्चिम और दक्षिण भारत के लोग इसे खूब खाते हैं. कुछ लोग गेहूं के आटे में बाजरे का भी आटा मिलाकर उसकी रोटी बनाकर खाते हैं.

बाजरे की खेती (Millet Cultivation)

बाजरे की खेती बहुत कुछ ज्वार की खेती से मिलती-जुलती है. यानी बाजरे के खेतों में बहुत ज्यादा खाद या सिंचाई की जरूरत नहीं होती. हालांकि खाद-पानी का अच्छी तरह ध्यान रखने पर बाजरे की पैदावार भी अच्छी होती है. बाजरा सामान्य हल्की जमीन में भी उगाया जा सकता है. इसके लिए रेतीली या काली मध्यम तरह की जमीन ज्यादा अनुकूल रहती है. लेकिन जिस जमीन में केवल पानी भरा रहता हो, इस तरह की भारी चिकनी जमीन बाजरे के लिए अनुकूल नहीं होती.

Bajra or Millet

बाजरे की बोआई अच्छी बारिश हो जाने के बाद गर्मियों की फसल की रूप में मार्च-अप्रैल के महीने में की जाती है. बाजरे के पौधे 5-6 फीट ऊंचे होते हैं और उनके पत्ते लंबे होते हैं. पौधों की चोटी पर भुट्टों की तरह बालियां लगती हैं, जिनमें बाजरे के अनगिनत दाने होते हैं.

बाजरे के गुण (Properties of Millet)

ज्वार की तुलना में बाजरा ज्यादा आसानी से पचता है और ज्यादा फायदेमंद माना जाता है, लेकिन बाजरा भी पचने में भारी होता है.

बाजरे में भी गेहूं की तरह ही पोषक तत्व होते हैं, लेकिन गेहूं की अपेक्षा बाजरे में फैट ज्यादा होता है, इसलिए बाजरे के आटे में घी या तेल मिलाने की विशेष जरूरत नहीं पड़ती.

बाजरे में प्रोटीन और अमीनो अम्ल अच्छी मात्रा में होते हैं. बाजरे की तासीर गर्म होती है. यह शरीर में गर्मी को बढ़ाता है, इसलिए इसका सेवन सर्दियों में ही किया जाता है.

बाजरे के इस्तेमाल (Uses of Millet)

जहां गेहूं का उत्पादन कम और बाजरे का उत्पादन ज्यादा होता है, वहां के लोग अपने मुख्य आहार के रूप में बाजरे पर ही ज्यादा निर्भर होते हैं. भारत में बाजरे का इस्तेमाल रोटी, दलिया, चूरमा, खिचड़ी, नमकीन आदि बनाने में किया जाता है. बाजरे के दानों को पीसकर उसका आटा बनाया जाता है और इसकी रोटी ताकत को बढ़ाने वाली मानी जाती है.

बहुत जगहों पर गेहूं के आटे में बाजरे का आटा और चने का आटा मिलाकर उसकी रोटियां-परांठे बनाकर खाए जाते हैं.

बहुत से लोग चावल बनाते समय उसमें बाजरा भी डाल देते हैं. फिर इसे कढ़ी के साथ खाया जाता है, जो कि काफी पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है.

कुछ लोग बाजरे के दानों को उबालकर और उसमें नमक-मिर्च आदि डालकर, यानी खिचड़ी बनाकर भी खाते हैं. वहीं, कई लोग इसके ताजे हरे दानों को निकालकर, उन्हें भूनकर भी खाते हैं. इसी के साथ, बाजरे का इस्तेमाल पशु और पक्षियों के भोजन के रूप में भी किया जाता है. जैसे- कबूतरों या चिड़ियों को दाना डालते समय लोग ज्यादातर बाजरे का ही इस्तेमाल करते हैं.

बाजरे के फायदे और नुकसान (Benefits and disadvantages of millet)

जो लोग शारीरिक रूप से ज्यादा मेहनत करते हैं, उनके लिए सर्दियों में बाजरे का सेवन फायदेमंद होता है. यह कफ को भी मिटाने वाला माना गया है.

जानकारों के मुताबिक, बाजरे में कैंसर को रोकने वाले गुण भी पाए जाते हैं. यह शारीरिक कमजोरी को दूर करता है और हृदय रोगों से बचाता है.

कुछ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सर्दियों में बाजरे का सेवन डायबिटीज टाइप-2 के खतरे को भी कम कर सकता है.

बाजरे की रोटी (Bajre ki Roti) कढ़ी या बघार लगे छाछ या बघार लगे दही के साथ खाने से शरीर में स्फूर्ति आती है.

सर्दियों में गेहूं के आटे में बाजरे का भी आटा मिलाकर और उनकी रोटी बनाकर रोज खाई जा सकती हैं. घी या मक्खन लगी बाजरे की रोटी बहुत स्वादिष्ट होती है.

♣ बाजरा शरीर को ताकत देता है. यह कफ को भी मिटाता है, लेकिन यह पचने में भारी होता है, इसलिए इसका सेवन करने से कुछ लोगों को कब्ज की शिकायत हो जाती है, लेकिन जहां के लोगों का मुख्य आहार बाजरा है, वहां के लोग इसके इस दोष को नजरअंदाज कर देते हैं. और फिर मेहनती लोगों के लिए तो कुछ भी पचाना ज्यादा मुश्किल नहीं होता.

♣ बाजरा गर्म होता है, इसलिए इसका सेवन सर्दियों या बारिश के मौसम में ज्यादा किया जाता है. गर्मियों में इसका सेवन कम ही करना चाहिए या नहीं करना चाहिए. इसी के साथ, जिन लोगों को कब्ज की या बवासीर की शिकायत हो, उन्हें भी बाजरे का सेवन नहीं करना चाहिए. इसके आलावा, गर्भवती महिलाओं को भी बाजरे का सेवन नहीं करना चाहिए.

♣ गर्मियों में पक्षियों को बाजरा नहीं खिलाना चाहिए, क्योंकि यह बहुत गर्म होता है, जिससे पक्षियों के शरीर पर फफोले पड़ सकते हैं.

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