अरुण (Uranus) : सौरमंडल का सबसे ठंडा ग्रह, लेटकर करता है सूर्य की परिक्रमा, जानिए रोचक बातें

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Uranus Planet

Uranus Planet in Hindi

हमारे सौर परिवार यानी सौरमंडल (Solar System) में मुख्य रूप से सूर्य, 8 ग्रह और उनके उपग्रह हैं. सूर्य सौरमंडल के केंद्र में है और यही सौरमंडल का सबसे बड़ा पिंड (Largest Body in Solar System) है. सभी आठों ग्रह इसकी परिक्रमा करते रहते हैं और सभी ग्रहों के उपग्रह अपने-अपने ग्रहों की परिक्रमा करते हैं. सौर परिवार का हर एक ग्रह अपने आप में खास है और सबकी अपनी अलग-अलग विशेषताएं हैं, लेकिन इन सब में भी अरुण ग्रह या यूरेनस (Uranus) कुछ ज्यादा ही अलग है, आइए जानते हैं कैसे-

84 सालों में पूरी कर पाता है सूर्य की एक परिक्रमा

अरुण ग्रह हमारे सौरमंडल में सूर्य से दूरी के मामले में सातवां ग्रह है. इसकी सूर्य (Sun) से औसत दूरी लगभग 3 अरब किलोमीटर है (जैसे हमारी पृथ्वी सूर्य से लगभग 15 करोड़ किलोमीटर दूर है) और इसी से यह सूर्य की एक परिक्रमा 84 सालों में पूरी कर पाता है. तो सोचिए कि अरुण तक सूर्य प्रकाश कितनी देर में और कितना कम पहुंच पाता होगा. अरुण पर सूर्य के प्रकाश की तीव्रता पृथ्वी की तुलना में लगभग 1/1400 है.

इसीलिए अरुण ग्रह सौरमंडल का सबसे ठंडा ग्रह है. हालांकि, अरुण की तुलना में वरुण ग्रह सूर्य से और भी दूर है, फिर भी वरुण से ज्यादा ठंडा अरुण है. (जैसे- सूर्य के सबसे नजदीक ग्रह बुध की तुलना में दूसरे नंबर का ग्रह शुक्र सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है). बनावट आदि के मामले में अरुण, वरुण (नेप्चून) से काफी-कुछ मिलता-जुलता है, शायद इसीलिए दोनों के नाम भी करीब एक जैसे ही रखे गए हैं.

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पृथ्वी से 63 गुना ज्यादा बड़ा, फिर भी सिर्फ 14.5 गुना ज्यादा भारी?

आकार के मामले में अरुण सौरमंडल का तीसरा सबसे बड़ा ग्रह है (सबसे बड़ा बृहस्पति और फिर शनि ग्रह है). हालांकि अरुण पृथ्वी से काफी दूर है, लेकिन आकार में यह पृथ्वी से 63 गुना ज्यादा बड़ा है, इसीलिए अरुण को बिना दूरबीन के खाली आंखों से भी देखा जा सकता है. पृथ्वी से देखने पर यह ग्रह एक हल्की हरी-नीली गेंद जैसा नजर आता है. अरुण की त्रिज्या (Radius) वरुण की तुलना में थोड़ी सी ज्यादा और पृथ्वी की त्रिज्या की चार गुना है.

दूरबीन से सबसे पहले देखा जाने वाला ग्रह अरुण ही था. 13 मार्च 1781 में विलियम हरशल ने सबसे पहले इसकी खोज की घोषणा की थी. कहते हैं कि प्राचीन विद्वानों ने जब खाली आंखों से आकाश में अरुण को देखा था, तब उन्होंने इसकी चमक देखकर इसे ग्रह का दर्जा ही नहीं दिया था, बल्कि इसे एक दूर टिमटिमाता तारा ही समझ लिया था.

चारों बड़े ग्रहों में सबसे हल्का है अरुण- द्रव्यमान (Mass) के आधार पर अरुण सौरमंडल का चौथा बड़ा ग्रह है. सौरमंडल के चारों बड़े ग्रहों में अरुण का द्रव्यमान सबसे कम है. यह पृथ्वी से 14.5 गुना ज्यादा भारी है. पृथ्वी से 63 गुना बड़ा आकार रखने के बाद भी अरुण पृथ्वी से केवल 14.5 गुना भारी है, क्योंकि पृथ्वी पर पत्थर और अन्य भारी पदार्थ ज्यादा हैं, जबकि अरुण पर गैसें अधिक हैं. (अरुण एक गैसीय ग्रह है).

नोट- सूर्य से दूर ग्रहों- बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण को गैसीय ग्रह (Gaseous Planets) माना जाता है, क्योंकि ये चारों ग्रह मुख्य रूप से अलग-अलग गैसों से मिलकर बने हैं. जबकि बाकी के चारों ग्रह मुख्य रूप से पत्थर और धातुओं से मिलकर बने हैं. गैसीय ग्रह आकार में बड़े हैं, इन ग्रहों के चारों तरफ वलय या रिंग (Rings) पाए जाते हैं और इनके प्राकृतिक उपग्रहों की संख्या भी ज्यादा है. इन चारों ग्रहों को ‘गैस दानव’ भी कहा जाता है.

नोट- द्रव्यमान (Mass) से हमें किसी वस्तु का भार या वजन और गुरुत्वाकर्षण के प्रति उसकी शक्ति का पता चलता है.

दंडवत प्रणाम करता हुआ, लेटकर करता है सूर्य की परिक्रमा

दरअसल, अरुण ग्रह अपनी धुरी या अक्ष (Axis) पर 97.77 डिग्री झुका है (जैसे- पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है). अपने अक्ष पर और सूर्य की तरफ इतना ज्यादा झुका होने के कारण इसे ‘लेटा हुआ ग्रह’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह डोलती-लुढ़कती गेंद की तरह दिखाई देता है. जबकि सौरमंडल के बाकी ग्रह अपने अक्ष पर इतना नहीं झुके हैं, इसलिए वे सब डोलते लट्टुओं की तरह घूमते हुए नजर आते हैं.

Earth Axis-Uranus Axis

अरुण पर सूर्योदय पश्चिम दिशा में होता है- शुक्र (Venus) की ही तरह अरुण भी अपनी धुरी पर उल्टा यानी दक्षिणावर्त (Clockwise) घूमता है. जबकि हमारी पृथ्वी समेत बाकी 6 ग्रह अपनी धुरी पर वामावर्त दिशा (Anti-clockwise) में घूमते हैं, इसलिए इन सब पर सूर्योदय पूरब दिशा में होता है और सूर्यास्त पश्चिम दिशा में, वहीं अरुण और शुक्र ग्रहों पर सूर्योदय पश्चिम दिशा में और सूर्यास्त पूरब दिशा में होता है.

अरुण अपनी धुरी पर एक चक्कर 17 घंटे 14 मिनट में पूरा करता है (जैसे पृथ्वी अपनी धुरी पर एक चक्कर 24 घंटों में पूरा करती है). यानी अरुण की अपनी धुरी पर घूमने की रफ्तार काफी तेज है. (अपनी धुरी पर घूमने की सबसे कम रफ्तार शुक्र ग्रह की है). अरुण के चारों तरफ 9 वलय (Rings) पाए जाते हैं, जिनमें से पांच वलय के नाम अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और इप्सिलान हैं.

ध्रुवों पर 42 सालों का दिन और 42 सालों की रात

अपनी धुरी पर इतना झुका होने के कारण अरुण ग्रह का मौसम बाकी ग्रहों से पूरी तरह अलग होता है. आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि अपने अक्ष पर इतना झुका होने के कारण संक्रांति के समय अरुण का एक ध्रुव लगातार सूर्य के सामने रहता है, जबकि दूसरा ध्रुव पूरी तरह दूसरी तरफ रहता है. इसके एक ध्रुव पर 42 सालों तक प्रकाश और दूसरे ध्रुव पर 42 सालों तक अंधेरा रहता है (क्योंकि यह सूर्य की एक परिक्रमा 84 सालों में पूरा करता है, तो यानी एक ध्रुव 42 सालों तक सूर्य के सामने रहेगा और फिर उसके बाद दूसरा ध्रुव 42 सालों के लिए सूर्य के सामने आएगा).

निश्चित सी बात है कि अपनी धुरी पर इतना झुका होने की वजह से अरुण के ध्रुवीय क्षेत्रों पर, इसके भूमध्यरेखीय क्षेत्रों (ग्रह के बीचोंबीच के इलाके) की तुलना में सूर्य का प्रकाश ज्यादा रहता है, लेकिन फिर भी अरुण के भूमध्यरेखीय क्षेत्र, इसके ध्रुवीय क्षेत्रों की तुलना में ज्यादा गर्म हैं. इस ग्रह पर हवाओं की रफ्तार बहुत तेज और शक्तिशाली है.

Uranus

बहुत ठंड है अरुण ग्रह पर, रहना है नामुमकिन

बृहस्पति और शनि के मुकाबले अरुण और वरुण के वातावरण में बर्फ बहुत ज्यादा है. ये ग्रह मुख्य रूप से अलग-अलग तरह की बर्फ से मिलकर बने हैं, जैसे- पानी, अमोनिया और मीथेन. यानी पानी की बर्फ के आलावा इन दोनों ग्रहों में जमी हुई अमोनिया और मीथेन गैसों की बर्फ भी है, इसीलिए खगोलशास्त्रियों ने इन दोनों ग्रहों को ‘बर्फीले गैस दानव’ का भी नाम दिया है.

सौरमंडल के सारे ग्रहों में से अरुण का वायुमंडल (Atmosphere) सबसे ठंडा पाया गया है. यहां का न्यूनतम तापमान 49 केल्विन (-224 डिग्री सेल्सियस) देखा गया है, जो अरुण को सौरमंडल में सबसे ठंडा ग्रह बनाता है.

अरुण ग्रह पर बादलों की कई लेयर्स देखी गई हैं. माना जाता है कि सबसे नीचे पानी के बादल हैं और सब से ऊपर मीथेन गैस के बादल हैं. वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि मीथेन की वजह से बृहस्पति, शनि और अरुण पर हीरे की बारिश होती है. यह भी माना जाता है कि अगर किसी तरह अरुण के बिल्कुल बीच जाकर इसके केंद्र यानी सेंटर में देखा जा सके तो वहां भी बर्फ के पत्थर ही नजर आएंगे, यानी इतनी बर्फ है इस ग्रह पर. हालांकि अरुण के आंतरिक भाग में बर्फ की मात्रा की जानकारी अभी नहीं है.

27 उपग्रह मिलकर करते हैं अरुण की परिक्रमा

अरुण के अब तक 27 प्राकृतिक उपग्रहों (Natural Satellites) का पता चला है, यानी जिस तरह हमारा चंद्रमा (Moon) पृथ्वी की परिक्रमा करता है, उसी तरह अरुण के 27 उपग्रह इसकी परिक्रमा करते हैं. ये सभी 27 उपग्रह भी अपने अरुण की तरह अपनी-अपनी धुरी पर दक्षिणावर्त (Clockwise) घूमते हैं.

अरुण के इन 27 उपग्रहों में सबसे बड़ा उपग्रह टाईटेनिया (Titania) है, जिसकी त्रिज्या की लंबाई मात्र 799.9 किलोमीटर है, यानी हमारे चंद्रमा के आधे से भी कम (चंद्रमा का व्यास लगभग 3,474 किलोमीटर है). टाईटेनिया सौरमंडल का आंठवां सबसे बड़ा प्राकृतिक उपग्रह है. [सौरमंडल का सबसे बड़ा प्राकृतिक उपग्रह गैनीमेडे (बृहस्पति का उपग्रह) और सबसे छोटा उपग्रह डीमोस (मंगल ग्रह का उपग्रह) है].

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LLB (Bachelor of Law). Work experience in Mahendra Institute and National News Channel (TV9 Bharatvarsh and Network18). Interested in Research. Contact- sonagarwal00003@gmail.com

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