Save Banana Peels : प्रदूषण से लड़ने में कमाल कर सकता है केला

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केला के गुण, प्रयोग और फायदे

Banana Peels Benefits

केले (Bananas) दुनिया में सबसे लोकप्रिय और बड़े पैमाने पर खाए जाने वाले फलों में से एक हैं. इसलिए यह सबसे व्यापक रूप से उगाए जाने वाले उष्णकटिबंधीय फलों (Tropical Fruits) में से एक है, जिसकी खेती 130 से अधिक देशों में की जाती है.

उत्पादन की बात करें तो धान, गेहूं और मक्का के बाद केले दुनिया की चौथी सबसे बड़ी खाद्य फसल है. दुनियाभर के 150 देशों में केले की 1000 से अधिक किस्में उगाई जाती हैं. विश्व का नंबर एक केला उत्पादक देश है हमारा भारत. विश्व में केले का सबसे ज्यादा उत्पादन (लगभग तीन करोड़ टन से अधिक वार्षिक) भारत में होता है.

ऐतिहासिक रूप से दावा किया गया है कि केले का छिलका जलन, एनीमिया, सूजन, दस्त, अल्सर, मधुमेह, खांसी, सर्पदंश और अवसाद सहित कई बीमारियों का इलाज करता है. इसके अलावा, केले का छिलका फेनोलिक्स और कैरोटीनॉयड जैसे बायोएक्टिव यौगिकों का एक अच्छा स्रोत है और बेहतर एंटीऑक्सीडेंट, एंटीवायरल, जीवाणुरोधी और एंटीबायोटिक गतिविधियों को प्रदर्शित करता है.

अब एक नई रिसर्च में केले के छिलके का एक और बड़ा फायदा सामने आया है. शोधकर्ताओं का दावा है कि केले के छिलके का उपयोग बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग सामग्री (Biodegradable Packaging Material) बनाने के लिए किया जा सकता है जो प्लास्टिक (Plastic) की जगह ले सकती है.

हम में से बहुत लोग तकरीबन रोजाना केले का सेवन करते हैं, लेकिन इस स्वादिष्ट फल को खाने के बाद इसका छिलका कचरे में फेंक दिया जाता है. हर साल 3.6 करोड़ टन के आसपास केले के छिलकों को आमतौर पर फेंक दिया जाता है. कितना अच्छा हो कि अगर हमें इस छिलके का कोई ऐसा प्रयोग मिल जाए जो इस कचरे को कम करने के साथ-साथ बढ़ते प्लास्टिक की समस्या से निपटने में भी मदद कर सके.

आज बड़े पैमाने पर पैकेजिंग के लिए पेट्रोलियम आधारित प्लास्टिक का उपयोग किया जाता है. यह प्लास्टिक माइक्रोप्लास्टिक के रूप में टूटकर स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए गंभीर समस्या पैदा कर रहा है. इसकी सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है- इसका लंबे समय तक पर्यावरण में बने रहना. मौजूदा आंकड़ों को देखें तो वर्तमान में बहुत कम प्लास्टिक को रिसाइकल किया जाता है. इसका अधिकतर हिस्सा ऐसे ही लैंडफिल में चला जाता है या ऐसे ही खुले वातावरण में फेंक दिया जाता है. केले के छिलके इसके लिए एक अच्छे और सस्ते विकल्प के रूप में सामने आ सकते हैं.

वैज्ञानिकों का दावा है कि केले के छिलकों की मदद से पैकेजिंग के लिए उपयोग में होने वाली बायोडिग्रेडेबल फिल्में बनाई जा सकती हैं, जो जीवाश्म ईंधन से बने प्लास्टिक के पैकेजिंग मैटेरियल की जगह ले सकती हैं. इस बारे में अमेरिका की साउथ डकोटा स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा एक अध्ययन किया गया है, जिसके नतीजे सस्टेनेबल केमिस्ट्री एंड फार्मेसी जर्नल में प्रकाशित हुए हैं.

साउथ डकोटा स्टेट यूनिवर्सिटी (South Dakota State University) के डेयरी और खाद्य विज्ञान विभाग में खाद्य रसायन विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर श्रीनिवास जनस्वामी (Srinivas Janaswamy) के अनुसार-
“हममें से कई लोग दिन में कम से कम एक केला खाते हैं. स्वादिष्ट फल का आनंद लेने के बाद हम छिलके को ऐसे ही फेंक देते हैं. क्या होगा अगर हमें इस छिलके का कोई ऐसा उपयोग मिल जाए जो प्लास्टिक कचरे को खत्म करने में मदद करता हो?”

पिछले कुछ वर्षों से जनास्वामी और उनके सहयोगी इस बात पर शोध कर रहे हैं कि कैसे केले और एवोकैडो के छिलके जैसे विभिन्न कृषि उपोत्पादों (Agricultural Byproducts) का उपयोग बायोडिग्रेडेबल फिल्में प्लास्टिक जैसी पैकेजिंग सामग्री बनाने के लिए किया जा सकता है जो पर्यावरण में आसानी से विघटित (Decompose) हो जाएँ.

शोध, प्रयोग और नतीजे

श्रीनिवास जनस्वामी का कहना है कि –
केले का अवशेष मुख्य रूप से लिग्नोसेल्युलोसिक सामग्री (Lignocellulosic Material) से बना होता है, जो बायोडिग्रेडेबल फिल्में बनाने का प्रमुख घटक है. जैविक कचरे के रूप में यह लिग्नोसेल्युलोसिक युक्त बची सामग्री बायोप्लास्टिक्स बनाने के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकती है, क्योंकि यह हल्की और मजबूत होने के साथ-साथ आसानी से डीकम्पोज हो जाती है. इसमें हानिकारक केमिकल्स नहीं होते जिस वजह से यह सुरक्षित भी होती है.

इस अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने केले के छिलकों को चोकर में बदल दिया. फिर उन्होंने इस पाउडर से फाइबर निकालने के लिए एक रासायनिक प्रक्रिया की मदद ली और लिग्नोसेल्युलोसिक सामग्री को अलग कर लिया. इन निकाले गए रेशों को ब्लीचिंग, डिस्टिलिंग जैसी प्रक्रियाओं की मदद से एक पतली फिल्म में बदल दिया गया. यह फिल्म मजबूत होने के साथ-साथ पारदर्शी भी थी. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि मिट्टी में 21 फीसदी नमी होने पर ये फिल्में 30 दिनों में ही डीकम्पोज हो जाती हैं.

पैकेजिंग सामग्री के लिए फिल्म में पारदर्शिता का होना बेहद अहम है, क्योंकि उपभोक्ता (Consumers) भोजन की ताजगी का पता लगाने के लिए पारदर्शी पैकेजिंग को प्राथमिकता देते हैं. इसी तरह खाद्य उत्पादों की पैकेजिंग के लिए फिल्म का मजबूत और लचीला होना भी जरूरी होता है. केले के छिलके से बनी पैकेजिंग सामग्री इन मानकों पर खरी उतरती है. ये गुण बताते हैं कि बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग सामग्री बनाने के लिए केले के छिलके एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं.

प्लास्टिक (Plastic)

प्लास्टिक हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है. अपनी बहुमुखी विशेषताओं और कार्यात्मकताओं के कारण आधुनिक समाज में सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली सामग्रियों में से एक है. अपनी मजबूती, लचीलेपन और सामर्थ्य के कारण पैकेजिंग सामग्री के लिए सबसे लोकप्रिय विकल्प है. पैकेजिंग में प्लास्टिक का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है. आज सब जगह प्लास्टिक का ही कचरा सबसे ज्यादा नजर आता है, जिसे नष्ट करना भी एक बहुत बड़ी चुनौती है.

चूँकि प्लास्टिक गैर-बायोडिग्रेडेबल है, इसलिए यह प्राकृतिक रूप से विघटित नहीं होता है, जिससे पर्यावरणीय समस्याओं में योगदान होता है. प्लास्टिक पृथ्वी के लिए, सब प्रकार के प्राणियों के लिए हर तरह से हानिकारक है. इसके हानिकारक प्रभाव हमारी पृथ्वी को और खुद को बचाने के लिए हमारे लिए बहुत बड़ी चिंता का कारण हैं.

प्लास्टिक के निर्माण और पुनर्चक्रण दोनों से जहरीली गैसें और अवशेष उत्पन्न होते हैं जो वायु, जल और भूमि प्रदूषण का कारण बनते हैं. प्लास्टिक सामग्री जलमार्गों, महासागरों, समुद्रों, झीलों आदि को अवरुद्ध कर देती है. समुद्री स्तनधारियों की 3 में से 1 प्रजाति समुद्री कूड़े में उलझी हुई पाई गई है.

प्लास्टिक का प्राकृतिक अपघटन (Natural Decomposition of Plastic) 400-1000 वर्षों तक चल सकता है. इसके पुनर्चक्रण की लागत भी बहुत अधिक है. और प्लास्टिक की कहानी प्रदूषण फैलाने तक ही सीमित नहीं है. प्लास्टिक के बर्तनों में खाना खाने से कैंसर हो सकता है. कई जानवर गलती से प्लास्टिक सामग्री खा जाते हैं और मर जाते हैं.

अधिकांश प्लास्टिक गैर-बायोडिग्रेडेबल होते हैं, और एक बार लैंडफिल जाने के बाद उन्हें विघटित होने में लंबा समय लग सकता है. प्लास्टिक उत्पादों, विशेष रूप से प्लास्टिक पैकेजिंग की खरीद के तुरंत बाद फेंके जाने की बढ़ती संख्या के साथ, प्लास्टिक कचरे के लिए लैंडफिल स्थान की मात्रा एक बड़ी चिंता का विषय बनती जा रही है.

प्लास्टिक बैग के नुकसान सर्वविदित हैं, यही कारण है कि दुनिया के अधिकांश देशों में प्लास्टिक बैग का उपयोग प्रतिबंधित कर दिया गया है. स्मार्ट वैज्ञानिक और इंजीनियर इन समस्याओं से निपटने के लिए अच्छे समाधान खोजने में व्यस्त हैं. वे उन चीजों से पर्यावरण-अनुकूल प्लास्टिक बना रहे हैं जिन्हें नवीनीकृत (Recycled) किया जा सकता है.

Written By : Nancy Garg


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