Chennakeshava Temple Belur Karnataka
बेलूर या बेलूरु (Belur or Beluru) कर्नाटक राज्य के हासन जिले में स्थित एक नगर है. इस नगर को पहले वेलापुरी, वेलूर और बेलापुर के नाम से भी जाना जाता था. यह नगर यागाची नदी (जिसे ऐतिहासिक ग्रंथों में बदरी नदी भी कहा जाता है) के तट पर स्थित है. यह नगर होयसल साम्राज्य (Hoysala Empire) की राजधानियों में से एक था. इस शहर को होयसलों द्वारा इतना सम्मानित किया गया था कि बाद के शिलालेखों में इसे ‘सांसारिक वैकुंठ’ (विष्णु का निवास) और ‘दक्षिण वाराणसी’ (हिंदुओं का दक्षिणी पवित्र शहर) के रूप में भी जाना गया.
इसी नगर का प्रसिद्ध चेन्नाकेशव मंदिर (Chennakeshava Temple, Beluru Karnataka), जिसे विजय नारायण मंदिर या केशव मंदिर भी कहा जाता है, होयसल राजा विष्णुवर्धन (Hoysala king Vishnuvardhana) ने 1116 ईस्वी में चोलों पर अपनी जीत के उपलक्ष्य में बनवाया था. माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण मास्टर कारीगरों- दासोजा और चव्हाण नाम के एक पिता और पुत्र की जोड़ी द्वारा किया गया था. चेन्नाकेशव मंदिर 12वीं शताब्दी के दक्षिण भारत और होयसल साम्राज्य शासन में कलात्मक, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण का प्रमाण है.
चेन्नाकेशव मंदिर (Chennakeshava Temple)
चेन्नाकेशव भगवान विष्णु का एक रूप है. इस तरह यह मंदिर भगवान विष्णु जी को समर्पित है. मध्यकालीन हिंदू ग्रंथों में इसका सम्मानपूर्वक वर्णन किया गया है. यह मंदिर अपनी वास्तुकला, मूर्तियों, शिलालेखों और इतिहास के लिए उल्लेखनीय है. इस तारे के आकार के मंदिर को बनने में कड़ी मेहनत के साथ लगभग 103 साल लगे थे. लेकिन इसे भी भारत के अन्य मंदिरों की तरह बार-बार क्षतिग्रस्त किया गया और लूटा गया. इस मंदिर का बार-बार पुनर्निर्माण और मरम्मत की गई.
जैसे- अलाउद्दीन खिलजी के एक कमांडर मलिक काफूर ने होयसल साम्राज्य और उसकी राजधानी पर 14वीं शताब्दी की शुरुआत में आक्रमण, लूट और विनाश किया था. मुहम्मद बिन तुगलक (1324-1351) के मुस्लिम जनरल सालार और उसकी सेना द्वारा इसके प्रवेश द्वार को जला दिया गया, जिसके बाद विजयनगर साम्राज्य के हरिहर द्वितीय (1377-1404) द्वारा मंदिर की मरम्मत की गई थी.
♦ चेन्नाकेशव मंदिर एक मंच पर खड़ा है और इसकी बाहरी दीवारों पर उत्कृष्ट कलाकृतियां हैं, जो पुराणों और महाकाव्यों को दर्शाती कोष्ठक की आकृतियों से सजी हुई हैं. दीवारों पर अत्यंत बारीक आकृतियां उकेरी गई हैं. और अंदर की कारीगरी तो बाहर की तुलना में और भी ज्यादा महीन है. मंदिर के निचले भाग में हाथी और घोड़ों की एक लंबी श्रृंखला है. हाथी साहस का प्रतीक हैं जबकि घोड़े गति के.
♦ मंदिर के स्तंभों (Pillars) की जटिल नक्काशी को अंधेरे में भी देखा जा सकता है. कोई भी दो स्तंभ समान नहीं हैं. स्तम्भों में मोहिनी स्तम्भ सबसे सुन्दर है. इसमें एक अनूठा पहलू यह है कि कलाकार ने एक छोटी सी जगह खाली छोड़ दी है. ऐसा माना जाता है कि बेहतर नक्काशी करना दूसरों के लिए एक चुनौती है और यह बताना कि कला कभी नहीं मरती क्योंकि यह अनंत है.
♦ चेन्नाकेशव मंदिर में तीन प्रवेश द्वार हैं और उनके द्वारों में दोनों ओर द्वारपालक नामक अलंकृत मूर्तियां हैं. मंदिर के सामने प्रवेश द्वार पर एक विशाल गोपुर और भगवान विष्णु के वाहक गरुड़ की एक शानदार मूर्ति है.
♦ मंदिर के गर्भगृह में काले पत्थर से भगवान विजय नारायण जी की 3.7 मीटर लंबी एक शानदार प्रतिमा है. यह प्रतिमा लगभग 3 फीट ऊंचे आसन पर है, लगभग 6 फीट ऊंचे एक प्रभामंडल के साथ है. मूर्ति के चार हाथ हैं, ऊपरी हाथों में चक्र और शंख और निचले हाथों में गदा और कमल है.
इस मूर्ति की प्रभामंडल में भगवान विष्णु जी के 10 अवतार हैं, जो बहुत अच्छी तरह से गढ़े गए हैं. इनमें मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, श्रीराम, श्रीकृष्ण, बुद्ध और कल्कि की चक्रीय नक्काशी है. द्वार पर द्वारपाल, जय और विजय हैं. द्वारपालकों के साथ द्वार को बहुत ही सुंदर ढंग से उकेरा गया है.
अन्य तथ्य
♦ यह मंदिर हासन शहर से 35 किमी और बेंगलुरु से लगभग 200 किमी दूर है. चेन्नाकेशव मंदिर में इस्तेमाल की गई निर्माण सामग्री क्लोरिटिक शिस्ट है, जिसे आमतौर पर सोपस्टोन के रूप में जाना जाता है. उत्खनन के समय यह नरम होता है और समय के साथ सामग्री सख्त हो जाता है.
♦ होयसल साम्राज्य दक्षिण भारत के सबसे प्रमुख राजवंशों में से एक था. उनका राज्य कर्नाटक से लेकर तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश तक था. होयसल राजवंश के शासनकाल के दौरान दक्षिण भारतीय कला और वास्तुकला का काफी विकास हुआ.
♦ दक्षिण भारतीय इतिहास का होयसल काल लगभग 1000 ईस्वी सन् से शुरू हुआ और 1346 ईस्वी तक जारी रहा. इस अवधि में, उन्होंने 958 केंद्रों में लगभग 1,500 मंदिरों का निर्माण किया. बेलूर मंदिर शिलालेख संस्कृत में, पुरानी कन्नड़ लिपि में लिखा गया है.
♦ चेन्नाकेशव मंदिर रोजाना सुबह 7.30 बजे से शाम 7.30 बजे तक खुला रहता है.
♦ इस मंदिर के आसपास हलेबीडु (20 किमी), मुल्लायनगिरी पीक (50 किमी), यागाची बांध (4 किमी) और सकलेशपुरा (35 किमी) कुछ अन्य प्रमुख आकर्षण हैं.
कैसे पहुंचे- बेलुरु बेंगलुरु से 220 किलोमीटर और मेंगलुरु से 155 किलोमीटर दूर है. मंगलुरु निकटतम हवाई अड्डा (airport) भी है. बेलूर के निकट हासन निकटतम शहर है जो रेलवे नेटवर्क द्वारा कर्नाटक के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है. हासन जंक्शन 40 किमी दूर निकटतम रेलवे स्टेशन है. हासन शहर से बेलुरु पहुंचने के लिए बस सेवा उपलब्ध है.
बेलुरु और आसपास के क्षेत्रों को टैक्सी/स्वयं के वाहन से सबसे अच्छी तरह से देखा जा सकता है. बेलूर से हासन, बंगलौर, मंगलौर और मैसूर के लिए आसानी से बसें मिल जाती हैं. KSTDC बेलुरु चेन्नाकेशव मंदिर परिसर से 500 मीटर दूर मयूरा वेलापुरी होटल चलाता है. बेलुरु से 40 किलोमीटर दूर हासन शहर में ठहरने के ज्यादा विकल्प हैं.
देखें- मुरुदेश्वर मंदिर (Murudeshwara Temple)
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