Murudeshwar Temple : बेहद खूबसूरत और भव्य है मुरुदेश्वर मंदिर, जानिए महत्वपूर्ण बातें

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Murudeshwar Temple, Karnataka

Murudeshwar Temple Karnataka

भारत की अलग-अलग जगहों पर इतने खूबसूरत मंदिर हैं, जिन्हें घंटों निहारने पर भी मन नहीं भरता. जहां बैठने पर मन को एक अलग शांति और सुकून का एहसास होता है. जहां प्रकृति को करीब से महसूस किया जा सकता है. कुछ मंदिर इतने विशाल, भव्य और खूबसूरत हैं, जिन्हें देखकर समझ ही नहीं आता कि ऐसे मंदिर, ऐसी डिजाइन, ऐसी नक्काशी आखिर बनाई कैसे जाती थी? कितनी मेहनत लगी होगी…

हम कागज पर नहीं बना सकते और पहले के हमारे भारतीय मजदूर और कारीगर पत्थरों को काट-काटकर बिल्कुल एक समान इतनी महीन-बारीक डिजाइन बना लेते थे, और वो भी इतनी ऊंचाई पर… भक्त हर एक दीवार को छू-छूकर देखता है और सिवाय आश्चर्य के और कुछ नहीं होता, मुंह से तारीफ तक नहीं निकल पाती… फिर तो यही लगता है कि ऐसे मंदिर बनाने वाले भगवान विश्वकर्मा जी के ही रूप रहे होंगे..

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ऐसा ही एक बेहद खूबसूरत मंदिर है मुरुदेश्वर (Murudeshwar Temple), जिसका इतिहास और महत्व रामायण काल से है. यहां विराजमान शिवलिंग की पूजा करके देवताओं ने युद्ध में विजय प्राप्त की थी. यहां आपको भगवान शिव के दिव्य दर्शन, प्रकृति के खूबसूरत नजारे, शान्ति और सुकून सब कुछ मिलेगा.

मुरुदेश्वर शहर : ‘मुरुदेश्वर’ भगवान शिव का ही एक नाम है. मुरुदेश्वर (Murudeshwara) कर्नाटक राज्य में उत्तर कन्नड़ जिले के भटकल तहसील में स्थित एक छोटा सा और खूबसूरत शहर है. यह शहर मंगलुरु से लगभग 165 किलोमीटर दूर अरब सागर के किनारे बहुत ही सुंदर और शांत स्थान पर बसा हुआ है. मुरुदेश्वर सागरतट (Murudeshwar beach) कर्नाटक के सबसे सुंदर तटों में से एक है.

मुरुदेश्वर मंदिर (Murudeshwar Temple): इस खूबसूरत शहर का मुख्य आकर्षण द्रविड़ शैली की वास्तुकला में निर्मित चालुक्य और कदंब मूर्तियों के साथ एक शिव मंदिर है, जो कि तीन तरफ से अरब सागर से घिरा हुआ है. श्री मुरुदेश्वर मंदिर कर्नाटक में भगवान शिव के पंच क्षेत्रों के रूप में जाने जाने वाले पांच मंदिरों में से एक है. अन्य चार मंदिर नंजनगुड, धर्मस्थल, धारेश्वर और गोकर्ण में स्थित हैं.

शिव प्रतिमा : मंदिर परिसर अपनी ऊंची शिव प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है जो लगभग 37 मीटर ऊंची है और विश्व की दूसरी सबसे ऊंची शिव प्रतिमा है. भगवान शिव की सबसे ऊंची प्रतिमा नेपाल में कैलाशनाथ महादेव की प्रतिमा है. तट पर पड़ने वाली सूर्य की पहली किरण सबसे पहले भगवान शिव की इस प्रतिमा को प्रकाशित करती है.

मुरुदेश्वर (Murudeshwara) कर्नाटक

मंदिर का गोपुरम : मुरुदेश्वर मंदिर कंडुका हिल नाम की एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है. मंदिर परिसर की शुरुआत एक विशाल 20 मंजिला गोपुरम से होती है. 20 मंजिला गोपुरम को ‘राजा गोपुरम’ कहा जाता है जो लगभग 237.5 फीट ऊंचा है. यह भारत का दूसरा सबसे ऊंचा गोपुरम मंदिर है. सबसे लंबा गोपुरम तमिलनाडु के श्रीरंगम में श्री रंगनाथस्वामी मंदिर में मौजूद है.

इस गोपुरम में एक लिफ्ट भी है, जो भक्तों को गोपुरम की सबसे ऊपरी मंजिल तक ले जाती है. यहां से भगवान शिव की भव्य मूर्ति और मनमोहक समुद्र तट का दृश्य देखना अपने आप में एक अलग अनुभव है. यहां भक्तों को सबसे ऊपरी मंजिल तक जाने की अनुमति है.

♦ मंदिर के प्रवेश द्वार पर हाथी की दो विशाल और सजीव सी दिखने वाली मूर्तियां हैं जो मंदिर के रक्षक के रूप में कार्य करती हैं. शिव प्रतिमा के बगल में एक सुनहरे रंग का सूर्य रथ (Sun Chariot) है, जो अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण से गीतोपदेशम (भगवद गीता की शिक्षा) प्राप्त करते हुए दर्शाता है.

♦ कंडुका पहाड़ी की तलहटी में श्री रामेश्वर को समर्पित भी एक मंदिर देखा जा सकता है. भक्त स्वयं भगवान रामेश्वर के लिंग का अभिषेकम जैसे विभिन्न सेवा कर सकते हैं. भगवान शिव की मूर्ति के बगल में भगवान शनीश्वर को समर्पित एक छोटा मंदिर भी मौजूद है.

भगवान शिव का मंदिर मुरुदेश्वर मंदिर

♦ भगवान मुरुदेश्वर के मुख्य मंदिर के अंदर एक दीपक या दीपम रखा जाता है, कहा जाता है कि मुरुदेश्वर मंदिर के निर्माण के बाद से जल रहा है. ऐसा माना जाता है कि इसमें तेल डालना और फिर तेल की सतह पर अपनी छवि को देखना व्यक्ति को भाग्य और समृद्धि का आशीर्वाद देता है.

♦ भगवान शिव की मूर्ति के ठीक नीचे एक गुफा स्थित है, जो मंदिर की कथा को दर्शाती है. यहां रावण द्वारा भगवान गणेश जी को शिवलिंग सौंपने का भी चित्रण किया गया है. मुख्य गर्भगृह को छोड़कर पूरे मुरुदेश्वर मंदिर परिसर का आधुनिकीकरण किया गया है. मुख्य गर्भगृह में मंदिर का पुराना रूप बरकरार है.

♦ दरअसल, भारत के कई अन्य मंदिरों की तरह इस मंदिर को भी नष्ट करने के प्रयास हो चुके हैं. कहा जाता है कि मुरुदेश्वर मंदिर का प्राचीन स्वरूप हैदर अली के द्वारा नष्ट कर दिया गया था, जिसके बाद नए मंदिर परिसर का निर्माण स्थानीय व्यवसायी और शिवभक्त आर.एन. शेट्टी ने करवाया था.

Murudeshwar Temple karnataka photos


मुरुदेश्वर कैसे पहुंचे (How to reach Murudeshwara)- मुरुदेश्वर बेंगलुरु से 490 किलोमीटर और मेंगलुरु से 155 किलोमीटर दूर है. मंगलुरु निकटतम हवाई अड्डा (Airport) है. मुरुदेश्वर रेलवे स्टेशन शहर से केवल 3 किमी दूर है. तटीय कर्नाटक के सभी प्रमुख शहरों से मुरुदेश्वर पहुंचने के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं.

सड़क, रेल और हवाई द्वारा (Road, Rail and Air)
हवाई मार्ग से- निकटतम हवाई अड्डा मैंगलोर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है जो 165 किमी की दूरी पर है. मैंगलोर से मुरुदेश्वर के लिए नियमित बसें संचालित हैं. इसके आलावा, प्राइवेट टैक्सियों और बसों की सेवाएं भी ली जा सकती हैं.
ट्रेन से- मुरुदेश्वर मंदिर निकटतम रेलवे स्टेशन मुरुदेश्वर से केवल 2 किमी की दूरी पर स्थित है. हालांकि, कई ट्रेनें यहां नहीं रुकती हैं.
सड़क मार्ग से- कर्नाटक के सभी प्रमुख शहरों और कस्बों जैसे बेंगलुरु, मैंगलोर, मैसूर, उडुपी और भटकल से नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं.

बेंगलुरु से मुरुदेश्वर (Bangalore to Murudeshwar)
हवाई मार्ग से- बैंगलोरइंटरनेशनल एयरपोर्ट से मैंगलोर के लिए उड़ान भर सकते हैं. मुरुदेश्वर 165 किमी की दूरी पर है. मैंगलोर से मुरुदेश्वर के लिए नियमित बसें संचालित हैं.
ट्रेन से- मुरुदेश्वर मंदिर निकटतम रेलवे स्टेशन मुरुदेश्वर से सिर्फ 2 किमी की दूरी पर स्थित है. हालांकि, कई ट्रेनें यहां नहीं रुकती हैं.
सड़क मार्ग से- कर्नाटक के सभी प्रमुख शहरों और कस्बों से नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं, जिनमें बैंगलोर, मैंगलोर, मैसूर, उडुपी और भटकल शामिल हैं.

मुरुदेश्वर के पास ठहरने के लिए कई बजट और मध्यम श्रेणी के होटल, लक्जरी रिसॉर्ट उपलब्ध हैं. मुरुदेश्वर शहर में बड़ी संख्या में छोटे रेस्टोरेंट हैं, जिनमें दक्षिण भारतीय व्यंजन परोसे जाते हैं. शहर के ज्यादातर होटल या तो समुद्र तट के पास या रेलवे स्टेशन के पास स्थित हैं. मंदिर परिसर के सामने पार्किंग स्थल के पास स्थित एक कैंटीन में छोटे भोजन जैसे डोसा, वड़ा, कॉफी और चाय के लिए जाया जा सकता है.

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मुरुदेश्वर मंदिर का समय
(Murudeshwar Temple Timings)
• मुरुदेश्वर मंदिर के खुलने का समय- सुबह 6 बजे
• मंदिर के बंद होने का समय- रात 8:30 बजे
दोपहर 1 बजे से 3 बजे के बीच मंदिर बंद रहता है.
• सुबह की पूजा- सुबह 6:30 से 7:30 बजे के बीच
• दोपहर की महा पूजा- दोपहर 12:15 से दोपहर 1 बजे के बीच
• रात्रि पूजा- शाम 7:15 बजे से रात 8:15 बजे के बीच.

मुरुदेश्वर के आसपास के मंदिर-

मुरुदेश्वर के पास घूमने के लिए जोग फॉल्स (90 किलोमीटर), गोकर्ण (80 किलोमीटर), मरावंथे बीच (55 किलोमीटर), इडागुनजी महागणपति मंदिर (20 किलोमीटर) यात्रा करने के लिए प्रमुख आकर्षण हैं.

श्री महाबलेश्वर मंदिर, गोकर्ण (Sri Mahabaleshwar Temple, Gokarna)- यह मंदिर मुरुदेश्वर से 54 किमी दूर स्थित है. गोकर्ण को मुक्ति स्थल भी माना जाता है.

इडागुनजी महा गणपति मंदिर (Idagunji Maha Ganapathi Temple)- भगवान गणेश को समर्पित यह प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर मुरुदेश्वर से लगभग 20 किमी दूर स्थित है. यह मंदिर लगभग 1500 वर्ष पुराना है.

कोल्लूर मूकाम्बिका मंदिर (Kollur Mookambika Temple)- यह प्रसिद्ध मंदिर मुरुदेश्वर से 60 किमी दूर स्थित है. पीठासीन देवता देवी मूकाम्बिकाई हैं जिन्हें देवी के नाम से भी जाना जाता है और उनकी मूर्ति के सामने भगवान शिव का एक ज्योतिर्लिंग है. यहां विराजमान शिवलिंग दो असमान भागों में विभाजित है- छोटा दाहिना भाग ब्रह्मा, विष्णु और शिव का प्रतीक है और बड़ा बायां भाग दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती का प्रतिनिधित्व करता है.

देखें- चेन्नाकेशव मंदिर (Chennakeshava Temple)


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