Guruvar Vrat Vidhi Niyam
आध्यात्मिक हों या शारीरिक, व्रत का बहुत महत्त्व है क्योंकि यह हमें आध्यात्म से जुड़ने में मदद करता है. व्रत रखने के पीछे का उद्देश्य सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक शुद्धि का भी है. जब उपवास की बात आती है तो सप्ताह के प्रत्येक दिन का अपना महत्व होता है. जो लोग धार्मिक उद्देश्यों के लिए व्रत-उपवास आदि रखते हैं, उनके लिए गुरुवार या बृहस्पतिवार के व्रत का विशेष महत्त्व है.
घर में सुख-शांति, समृद्धि आदि के लिए गुरुवार के व्रत का बहुत महत्त्व बताया गया है. कुंवारी लड़कियां इस व्रत को विवाह में आने वाली रुकावटें और समस्याओं आदि को दूर करने के लिए करती हैं. यह व्रत अत्यंत सरल भी है और बड़ा ही फलदायी माना जाता है. गुरुवार के दिन भगवान् विष्णु और गुरु बृहस्पति दोनों की ही पूजा होती है. आज हम गुरुवार व्रत की विधि एवं पूजा के नियमों के बारे में जानेंगे.
गुरुवार का व्रत कब से शुरू करना चाहिए?
एक वर्ष में 16 गुरुवार व्रत करने चाहिए और व्रत पूरे करके 17वें गुरुवार को उद्द्यापन करना चाहिए. पौष या पूष माह को छोड़कर इस व्रत को किसी भी महीने में शुरू किया जा सकता है. पौष माह दिसंबर से जनवरी के बीच आता है. यह व्रत महीने के शुक्लपक्ष के प्रथम गुरुवार से शुरू किया जा सकता है. दरअसल, किसी भी नए कार्य को शुरू करने के लिए शुक्ल पक्ष बहुत ही शुभ समय माना जाता है. पुरुष यह व्रत लगातार 16 गुरुवार कर सकते हैं, लेकिन महिलाओं या लड़कियों को यह व्रत तभी करना चाहिए, जब वो पूजा कर सकती हैं, मुश्किल दिनों (पीरियड्स में) में यह व्रत नहीं करना चाहिए.
गुरुवार के व्रत की विधि
गुरुवार के व्रत के लिए आपको बहुत ही कम सामग्री चाहिए, जैसे कि चने की दाल, गुड़, हल्दी, केले, हवन करने के लिए गोबर के उपले या कंडे और भगवान विष्णु की तस्वीर या प्रतिमा. इस पूजा में पीली वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए. केले का पेड़ हो तो बहुत ही अच्छा है. गुरुवार के दिन सुबह केले के वृक्ष को जल चढ़ाना चाहिये और उसकी पूजा करनी चाहिए. यदि केले का पेड़ नहीं है, तो आप अपने घर के मंदिर में ही बैठकर पूजा कर सकते हैं.
सुबह उठकर घर की साफ-सफाई करने के बाद स्नान करें. यदि पीले वस्त्र हों तो पीले वस्त्र धारण करें और मंदिर में बैठ जाएँ. हाथ में पवित्र जल लेकर पूजा करने का संकल्प करें और पूजा शुरू कर दें. पूजा करते समय “ऊं नमो नारायणा” मंत्र का जाप करें. इस मंत्र को 108 बार जपना बहुत ही अच्छा होता है (मंत्र जप करने के बाद आरती करनी चाहिए).
अपने मंदिर में एक चौकी रखें और इस पर पीले रंग का वस्त्र बिछा दें. यदि पीला वस्त्र नहीं है तो इस पर लाल रंग का वस्त्र भी बिछाया जा सकता है. चौकी पर भगवान विष्णु जी की प्रतिमा या तस्वीर रखें, उन्हें स्नान करायें. एक लोटे में जल ले लीजिये, उसमें थोड़ी हल्दी डालकर भगवान् विष्णु को स्नान कराएं (या जल चढ़ाएं).
चौकी को सजाएं. हो सके तो चौकी पर चावल, हल्दी की मदद से नवग्रह भी बना दें. भगवान् विष्णु जी का हल्दी-चन्दन से तिलक कीजिये, पीले चावल चढ़ाएं और पुष्प तथा माला अर्पित करें. भगवान को कोई नया छोटा सा पीला वस्त्र अर्पित करें. घी का एक दीपक जलाएं. विष्णु जी को भोग लगाएं, तुलसी का पत्ता भी चढ़ाएं और पीले चावल चढ़ायें. भगवान् को पीली मिठाई, या गुड़, चने आदि का भोग लगाना चाहिए. यदि गुरुवार व्रत की कथा का ज्ञान है तो उसे पढ़ें या सुनें.
कथा के बाद उपले पर हवन करिए. गाय के गोबर के उपले को गर्म करके उस पर घी डालिए. अग्नि के प्रज्वलित होते ही उसमें हवन सामग्री के साथ गुड़ एवं चने की भी आहुति दे दीजिये. 5, 7 या 11 बार ‘ॐ गुं गुरवे नम:| ॐ बृं बृहस्पतये नम:.’ मंत्र का जप कीजिये और हवन के बाद आरती कर लीजिये. अंत में क्षमा प्रार्थना कीजिये और फिर भगवान को चढ़ाया गया प्रसाद लोगों में बांट दीजिये.
पूजा पूरी होने के बाद आपके लोटे में जो जल है, उसे अपने घर के आसपास के केले के पेड़ के पास चढ़ा दीजिये. इस दिन व्रत रखने या पूजा करने वाले लोग केला न खाएं. आप केले को केवल पूजा में चढ़ा सकते हैं और प्रसाद में बाँट सकते हैं. यदि कोई गाय मिले तो उसे चने की दाल और गुड़ खिलाएं. सायंकाल में फिर पूजन कर, या मंत्र जप कर आरती करें.
गुरुवार के दिन इन बातों का विशेष ध्यान रखें-
• इस दिन बालों में तेल नहीं लगाना चाहिए और बाल न धोने चाहिए और न कटवाने चाहिए. शेव नहीं करना चाहिए. इस दिन नाखून भी नहीं काटे जाते हैं.
• इस दिन मांसाहार एवं नशे से बिल्कुल दूर रहना चाहिए.
• इस दिन घर में पोंछा नहीं लगाना चाहिए (झाड़ू लगाई जा सकती है).
• इस दिन कपड़े धोबी को नहीं देने चाहिए.
• इस दिन बड़ों का, माता-पिता का, बड़े भाई-बहनों का, गुरु का, पितरों का अपमान नहीं करना चाहिए.
• इस दिन व्रत रखने वाले लोग नमक व खट्टा न खाएं.
• इस दिन किसी को पैसे उधार देने से बचना चाहिए.
गुरुवार व्रत में क्या खाना चाहिए
गुरुवार व्रत में दिन के समय फलाहार करें यानी दिन के समय फल, दूध, दही, चाय, शरबत, ड्राई फ्रूट्स, आलू आदि खा सकते हैं. शाम के समय सूर्यास्त के बाद पीला सात्विक भोजन कर सकते हैं, जैसे बेसन का हलवा, चीला, पराठा, चने की दाल की पूरी आदि.
उद्यापन विधि-
16 गुरुवार का व्रत पूर्ण होने के बाद यदि आप इस व्रत का उद्यापन करना चाहते हैं तो 17वें गुरुवार को उद्यापन करें. इसके एक दिन पहले अपनी सामर्थ्यानुसार ये चीजें लाकर रख लीजिये- हल्दी, गुड़, चने की दाल, केले, पपीता, पीला कपड़ा और कुछ दक्षिणा. फिर गुरुवार को हर व्रत की तरह पूजा करने के बाद प्रार्थना कीजिये कि आपने संकल्प के अनुसार अपने व्रत पूरे कर लिए हैं और आज आप इस व्रत का उद्यापन करने जा रहे हैं. भगवान आप पर अपनी कृपा बनाये रखें. इसके बाद पूजा की ये सभी सामग्री भगवान विष्णु जी को चढ़ाकर किसी ब्राह्मण को दान कर उनका आशीर्वाद ले लीजिये.
Written By : Nancy Garg
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