section 85 and 86 ipc in hindi
LAW

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 85 और 86 : किन परिस्थितियों में मिल सकेगा ‘मत्तता’ का बचाव?

यहां यह कहना बेकार है कि ‘इस धारा के तहत बचाव लेने के लिए मत्तता का सिद्ध होना जरूरी है’, क्योंकि केवल मत्तता की हालत में किया गया आपराधिक कार्य बचाव का आधार नहीं है. […]

section 84 ipc in hindi
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section 82 and 83 ipc in hindi
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भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 82 और 83 : अपराध करने में अक्षम व्यक्ति

भारत में 7 साल से कम उम्र के बच्चों को अपराध (Crime) करने में अक्षम कहा जाता है, क्योंकि माना जाता है कि 7 साल तक के बच्चे अपने कार्य की प्रकृति और उसके परिणामों को समझने में असमर्थ होते हैं. […]

section 81 ipc in hindi
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भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 81 : आवश्यकता का सिद्धांत

IPC की धारा 81 ‘आवश्यकता के सिद्धांत’ (Doctrine of Necessity) से संबंधित है. यह सिद्धांत किसी बड़ी हानि को बचाने के लिए किसी छोटी हानि को कारित करने की मंजूरी देती है. […]

section 80 ipc in hindi
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भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 80 : कब मिलेगा ‘दुर्भाग्य या दुर्घटना’ का बचाव?

IPC की धारा 80 इस सिद्धांत पर आधारित है कि “कोई कार्य अपने आप में आपराधिक नहीं होता, जब तक कि उसे करने वाले (कर्ता) ने उसे आपराधिक आशय से न किया हो.” […]

section 76, 77, 78, 79 ipc in hindi
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भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 76 से 79 : कब मिलेगा ‘तथ्य की भूल’ का बचाव?

अगर कोई पुरुष अपनी पत्नी की मौत की अफवाह सुनकर सच और झूठ का पता लगाए बिना ही दूसरा विवाह कर लेता है, तब ऐसे में उस पुरुष पर द्विविवाह (Bigamy) का अभियोग लगाए जाने पर उसे ‘तथ्य की भूल (Mistake of Fact)’ का बचाव नहीं मिलेगा. […]

ipc section 76 to 106 in hindi
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what is summon, what is warrant, summon case and warrant case in hindi, समन मामला और वारंट मामला
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समन मामले और वारंट मामले क्या हैं? दोनों में क्या अंतर हैं?

CrPC की धारा 2 (भ) के अनुसार, जो अपराध मृत्युदंड या आजीवन कारावास या 2 साल या उससे ज्यादा के कारावास से दंडनीय हैं, वे वारंट मामले (Warrant Cases) हैं. […]

what is investigation, what is inquiry, what is trial, difference between investigation inquiry and trial in hindi अन्वेषण, जांच और विचारण में अंतर
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जांच, इन्वेस्टिगेशन और विचारण क्या हैं? तीनों में क्या अंतर है?

जांच (Inquiry) किसी मजिस्ट्रेट या न्यायालय की तरफ से ही की जा सकती है. पुलिस अधिकारी की तरफ से की गई अन्वेषण की कार्यवाही (Investigation) को जांच नहीं माना जाता है. […]

law notes in hindi, what is fir, fir and complaint, difference between fir and complaint, प्राथमिकी या FIR क्या है, FIR और शिकायत (complaint) में क्या अंतर है
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प्राथमिकी या FIR क्या है? FIR और शिकायत में क्या अंतर है?

जब किसी असंज्ञेय अपराध (Non-cognizable Offences) के घटित होने की सूचना या शिकायत मजिस्ट्रेट के सामने की जाए, तो ऐसी शिकायत परिवाद (Complaint) कहलाएगी और जो व्यक्ति ऐसी शिकायत करता है, उसे परिवादी कहा जाएगा. […]